24/04/2025
आपको क्या लगता है कि ये पहली घटना है जिसमें धर्म देख के लोगों को मारा गया है इनका इतिहास ही ये है गैर मुस्लिम को मारना औरतों का बलात्कार करना और धर्म परिवर्तन करवाना
लेकिन फिर भी मैं आपको याद करवाने के लिए आजादी के बाद की कुछ घटनाएं बताऊंगा जिससे आपकी आत्मा कांप जायेगी यदि उस समय जो वहां लोग थे उनके बारे में थोड़ा सा भी सोच लोगे तो
* मुजफ्फराबाद (22 अक्टूबर 1947): 5,000 से अधिक गैर-मुस्लिमों की हत्या, बलात्कार, अपहरण, और लूटपाट। शहर को जलाया गया।
* डोमेल (23-24 अक्टूबर 1947): लगभग 2,000 हिंदू और सिख मारे गए, गैर-मुस्लिम आबादी लगभग पूरी तरह खत्म।
* उरी (24-26 अक्टूबर 1947): 1,000 से अधिक हत्याएं, बलात्कार, और मंदिरों-घरों का विनाश।
* बारामूला (26-30 अक्टूबर 1947): 3,000-4,000 लोग मारे गए, सेंट जोसेफ कॉन्वेंट पर हमला, ईसाई ननों के साथ बलात्कार और हत्या, बड़े पैमाने पर लूट और बलात्कार।
* मीरपुर (25 नवंबर 1947): 20,000-25,000 हिंदू और सिख मारे गए या अपहृत, 15,000 से अधिक महिलाओं के साथ बलात्कार और उन्हें रावलपिंडी में 150 रुपये में बेचा गया।
* कोटली और भिंबर (नवंबर 1947): सैकड़ों की हत्या, बलात्कार, और अपहरण। कोटली में लगभग 5,000 लोगों को बंधक बनाया गया।
* राजौरी (दिसंबर 1947): 2,000 से अधिक हत्याएं, बलात्कार, और अपहरण। भारतीय सेना के क्षेत्र पर कब्जा करने के बाद कुछ बचे लोग मिले।
* जम्मू और स्कर्दू (1948): 50,000 से अधिक गैर-मुस्लिमों की हत्या, बलात्कार, और महिलाओं को बेचने की घटनाएं।
ये अत्याचार 1947-48 के जम्मू और कश्मीर युद्ध के दौरान हुए, जब पाकिस्तान समर्थित कबायलियों और सेना ने क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की। इन घटनाओं में धार्मिक आधार पर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाया गया, जिसमें हत्या, बलात्कार, अपहरण, जबरन धर्मांतरण, और संपत्ति का विनाश शामिल था।
स्रोतों की विश्वसनीयता: "Official History of Jammu and Kashmir" और अन्य समकालीन दस्तावेज, जैसे कि भारतीय और ब्रिटिश अभिलेख, इन घटनाओं का विवरण देते हैं। हालांकि, कुछ संख्याएं और विवरण विभिन्न स्रोतों में थोड़े भिन्न हो सकते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर हिंसा और अत्याचारों की सच्चाई निर्विवाद है।
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