
12/01/2025
पथ प्रदर्शक युवा सन्यासी: स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद एक ऐसे युवा संन्यासी थे, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, ज्ञान और धर्म का परचम पूरे विश्व में लहराया। 11 सितंबर 1893 को शिकागो में उनके ऐतिहासिक उद्बोधन ने भारत को गौरवान्वित किया। उन्होंने कहा, "त्याग और सेवा ही भारत के राष्ट्रीय आदर्श हैं। दरिद्र, मूर्ख और दुःखी को अपना ईश्वर मानो और उनकी सेवा को अपना धर्म समझो।"
विवेकानंद ने युवाओं को चरित्र, इच्छाशक्ति और साहस से परिपूर्ण बनने का संदेश दिया। उनका मानना था कि सशक्त युवा ही राष्ट्र निर्माण का आधार हैं। उन्होंने कहा, "हमें लोहे की नसें, फौलाद के स्नायु और वज्र के समान मन चाहिए।"
आज 21वीं सदी में, हमें उनके आदर्शों को आत्मसात करते हुए त्याग, सेवा और नवाचार से राष्ट्र को सशक्त करना होगा। राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ जब हम आगे बढ़ेंगे, तभी भारत विश्व गुरु के पद पर आरूढ़ होगा।
~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल