Pathey Kan

Pathey Kan ।।ॐ संभूत्या अमृतमश्नुते ।।

आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
16/08/2025

आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

15/08/2025

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मातृ भूमि के लिए काम किया, लाल किले की प्राचीर से बोले पीएम मोदी

राष्ट्रोत्थान ग्रंथ – एक परिचयराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष है। संघ की शताब्दी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़...
10/08/2025

राष्ट्रोत्थान ग्रंथ – एक परिचय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष है। संघ की शताब्दी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। अनेक संघर्षों और आव्हानों का सामना कर संघ ने यहां तक की यात्रा की है। अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से संघ समाज में हिंदुत्व की भावना को गहराई से स्थापित करने सफल रहा है। संघ शताब्दी के अवसर पर सामाजिक परिवर्तन के लिए संघ पांच सूत्र प्रस्तुत कर रहा है। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, नागरिक कर्तव्य और स्व- जागरण परिवर्तन। हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था के विवेक साप्ताहिक की ओर से प्रस्तुत यह विशेष संकलन ग्रंथ, राष्ट्रोत्थान, इन्हीं राष्ट्रीय विचार और उसकी अभिव्यक्ति का एक दस्तावेज है। इस अक्षर यज्ञ में संघ के सर संघ चालक माननीय डॉ. मोहनजी भागवत, दत्तात्रय जी होसबले, भैयाजी (सुरेश) जोशी व संघ और इस विचार से जुड़े विचारकों से बातचीत और आलेख सम्मिलित हैं। इस पुस्तक में सज्जनशक्ति का जागरण, एकत्रिकरण, पंचसूत्री सभी के लिए-जग के लिए, विकास की अवधारणा, स्वतंत्रता आंदोलन में संघ और उसकी यात्रा, भारतीय मजदूर संघ की यात्रा और श्रम का भारतीय विचार, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य उनकी चुनौतियां, विश्व हिन्दू परिषद और समाज संगठन में योगदान, संघ व तकनीक,वैचारिक उपनिवेशवाद के साथ मुकाबले जैसे विषयों पर आलेख हैं जो संघ और उसके विविध संगठनों के कार्य- विचार के संदर्भ में परिचयात्मक अनुभूति करवाते हैं।
पुस्तक में 8 विभाग - चिंतन, विचार, समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, नागरी कर्तव्य, स्व जागृति और अग्रणी हैं। इनमें से पांच विभागों में संघ के पंच परिवर्तन के विषयों के संदर्भ में दृष्टिबोध करवाते विभिन्न आलेख सम्मिलित हैं। जिनमें ऐतिहासिक, समसामयिक और भविष्य की दृष्टि का विश्लेषण है। पुस्तक के अन्तिम और आठवें विभाग अग्रणी में समाज की संरचना में सामाजिक सुधार, स्वदेशी, पर्यावरण, राष्ट्रीय कर्तव्य, कुटुंब व्यवस्था जैसे विषयों में अपनी अपनी भूमिका अनुसार योगदान करने वाले चुनिंदा महापुरुषों के विचार- उनका परिचय दिया गया है। इनमें लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, स्वातंत्रय वीर सावरकर, महात्मा फुले, संत गाडगे बाबा, तुकडोजी महाराज, पंजाबराव देशमुख, श्रीपाद महादेव माटे, राजर्षी शाहू महाराज, स्वामी विवेकानंद, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, श्री नारायण गुरू, रवींद्रनाथ टैगोर, महर्षी धोंडो केशव कर्वे, ठक्कर बापा, डॉ. श्रीधर नातू, कन्हैयाला मुंशी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य विनोबा भावे, भगिनी निवेदिता, सावित्री बाई फुले, मावशी केलकर, डॉ. विलास राव सालुंखे, सया

राष्ट्रोत्थान ग्रंथ – एक परिचयराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष है। संघ की शताब्दी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़...
10/08/2025

राष्ट्रोत्थान ग्रंथ – एक परिचय
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह शताब्दी वर्ष है। संघ की शताब्दी यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। अनेक संघर्षों और आव्हानों का सामना कर संघ ने यहां तक की यात्रा की है। अपने कार्यों और विचारों के माध्यम से संघ समाज में हिंदुत्व की भावना को गहराई से स्थापित करने सफल रहा है। संघ शताब्दी के अवसर पर सामाजिक परिवर्तन के लिए संघ पांच सूत्र प्रस्तुत कर रहा है। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, नागरिक कर्तव्य और स्व- जागरण परिवर्तन। हिन्दुस्तान प्रकाशन संस्था के विवेक साप्ताहिक की ओर से प्रस्तुत यह विशेष संकलन ग्रंथ, राष्ट्रोत्थान, इन्हीं राष्ट्रीय विचार और उसकी अभिव्यक्ति का एक दस्तावेज है। इस अक्षर यज्ञ में संघ के सर संघ चालक माननीय डॉ. मोहनजी भागवत, दत्तात्रय जी होसबले, भैयाजी (सुरेश) जोशी व संघ और इस विचार से जुड़े विचारकों से बातचीत और आलेख सम्मिलित हैं। इस पुस्तक में सज्जनशक्ति का जागरण, एकत्रिकरण, पंचसूत्री सभी के लिए-जग के लिए, विकास की अवधारणा, स्वतंत्रता आंदोलन में संघ और उसकी यात्रा, भारतीय मजदूर संघ की यात्रा और श्रम का भारतीय विचार, वनवासी कल्याण आश्रम के कार्य उनकी चुनौतियां, विश्व हिन्दू परिषद और समाज संगठन में योगदान, संघ व तकनीक,वैचारिक उपनिवेशवाद के साथ मुकाबले जैसे विषयों पर आलेख हैं जो संघ और उसके विविध संगठनों के कार्य- विचार के संदर्भ में परिचयात्मक अनुभूति करवाते हैं।
पुस्तक में 8 विभाग - चिंतन, विचार, समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, नागरी कर्तव्य, स्व जागृति और अग्रणी हैं। इनमें से पांच विभागों में संघ के पंच परिवर्तन के विषयों के संदर्भ में दृष्टिबोध करवाते विभिन्न आलेख सम्मिलित हैं। जिनमें ऐतिहासिक, समसामयिक और भविष्य की दृष्टि का विश्लेषण है। पुस्तक के अन्तिम और आठवें विभाग अग्रणी में समाज की संरचना में सामाजिक सुधार, स्वदेशी, पर्यावरण, राष्ट्रीय कर्तव्य, कुटुंब व्यवस्था जैसे विषयों में अपनी अपनी भूमिका अनुसार योगदान करने वाले चुनिंदा महापुरुषों के विचार- उनका परिचय दिया गया है। इनमें लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, स्वातंत्रय वीर सावरकर, महात्मा फुले, संत गाडगे बाबा, तुकडोजी महाराज, पंजाबराव देशमुख, श्रीपाद महादेव माटे, राजर्षी शाहू महाराज, स्वामी विवेकानंद, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, श्री नारायण गुरू, रवींद्रनाथ टैगोर, महर्षी धोंडो केशव कर्वे, ठक्कर बापा, डॉ. श्रीधर नातू, कन्हैयाला मुंशी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, आचार्य विनोबा भावे, भगिनी निवेदिता, सावित्री बाई फुले, मावशी केलकर, डॉ. विलास राव सालुंखे, सयाजीराव गायकवाड, दत्तोपंत ठेंगडी, मोरोपंत पिंगले, दामूअण्णा दाते, भैय्याजी काणे, अनिल माधव दवे, अटल बिहारी वाजपेयी, मधुकरराव लिमये, नाना ढोबळे, सदाशिव कात्रे, हुतात्म बाबू गेनू, अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियां शामिल हैं। यह पुस्तक कुल 402 पृष्ठों में हैं।

अत्यंत दु:खद 🙏🏻संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पाथेय कण के संरक्षक आदरणीय श्री माणकचंद जी (मानक जी भाई जी ) का आज श्रावण शुक्ल...
30/07/2025

अत्यंत दु:खद 🙏🏻
संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पाथेय कण के संरक्षक आदरणीय श्री माणकचंद जी (मानक जी भाई जी ) का आज श्रावण शुक्ल षष्टी (३०जुलाई २०२५) अपराह्न १२:१५ बजे ८३ वर्ष की अवस्था में जयपुर एसएमएस चिकित्सालय में देहावसान हो गया।
पिछले ६० वर्ष से संघ के प्रचारक थे तथा ३४ वर्ष तक पाथेय के प्रबंध संपादक रहे।
पिछले एक माह से उनके गुर्दा (kidney) रोग का उपचार चल रहा था।
उनकी देह अंतिम दर्शनार्थ ३:३० बजे तक पाथेय भवन मालवीय नगर जयपुर https://maps.app.goo.gl/YwTExi6aC8PfhdnJ9

अंतिम यात्रा ४:०० बजे पाथेय भवन से झालाना मोक्षधाम प्रस्थान करेगी

शोक संवेदना हेतु।

कमल जी चरखा (छोटे भाई)
8005511669

ओमप्रकाश जी (प्रबन्ध संपादक, पाथेय)
99297 22111

श्याम सिंह जी 9257762025

28/07/2025

भारत को "भारत" ही रहना चाहिए

लिखने- बोलने में भारत को "भारत" ही रखे

पहचान खो दी तो सम्मान नहीं मिलेगा

सुरक्षित रहने के लिए अपनी पहचान जरुरी है

- मोहन भागवत

अवैध मतांतरण और राज्य सरकारराजस्थान के लगभग सभी भागों में ईसाई मिशनरियों द्वारा गरीब, पिछड़े, जनजातीय हिंदुओं को लालच दे...
18/07/2025

अवैध मतांतरण और राज्य सरकार
राजस्थान के लगभग सभी भागों में ईसाई मिशनरियों द्वारा गरीब, पिछड़े, जनजातीय हिंदुओं को लालच देकर, धोखे से, अनुचित प्रभाव का उपयोग कर या बहला-फुसला कर ईसाई बनाने का घिनौना कुचक्र चल रहा है। यह कब से चल रहा है, पता नहीं। परंतु, पिछले कुछ समय से हिंदू समाज में हुई जागृति के कारण अब हिंदू संगठन और सामान्य हिंदू भी, इस संबंध में चौकन्ने हो गए हैं। जहां कहीं भी ऐसी सूचना मिलती है, वे विरोध करते हैं तथा पुलिस में शिकायत करते हैं। हिंदू समाज के आक्रोश को देखते हुए पुलिस शिकायत या प्राथमिकी (एफआईआर) लिख लेती है। कुछ लोगों को अभिरक्षा (हिरासत) में भी लिया जाता है, जो बाद में या तो स्वयं पुलिस द्वारा ही छोड़ दिए जाते हैं या जमानत पर छूट जाते हैं।
पिछले 19 वर्षों से (2006 से) राजस्थान में अवैध मतांतरण विरोधी कानून बनाने के प्रयास भाजपा सरकारों द्वारा किए जाते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा ऐसे कानून का विरोध किया। कोई भी विधेयक विधानसभा से पारित होने के पश्चात् तुरंत ही अधिनियम (कानून) नहीं बन जाता। उसे रा’यपाल द्वारा अपनी सहमति के साथ राष्ट्रपति को भेजना होता है। कभी यहां के रा’यपाल स्तर पर ही ऐसे विधेयक को रोक लिया गया तो कभी कांग्रेसी पृष्ठभूमि वाले राष्ट्रपति तथा केन्द्र की तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार द्वारा उसे अटकाने का कार्य किया गया।
वर्तमान में राज्य और केन्द्र, दोनों स्थानों पर भाजपा नेतृत्व वाली सरकारें हैं। राजस्थान विधान सभा में अवैध मतांतरण पर रोक लगाने वाला विधेयक फरवरी, 2025 में प्रस्तुत किया गया था, जो पारित होने की प्रतीक्षा में है। संभव है कि विधानसभा के आगामी सत्र में यह विधेयक पारित होकर शीघ्र ही कानून बन जाए। परंतु राजस्थान के कोने-कोने से लोगों को मतांतरित करने की जो घटनाएं हिंदू समाज की जागरूकता के कारण सामने आ रही हैं, उनके प्रति पुलिस व प्रशासन के लीपापोती करने वाले रवैये को देखते हुए लोगों के मनों में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है कि अवैध मतांतरण को रोकने के प्रति राज्य सरकार गंभीर भी है क्या?
अवैध मतांतरण पर रोक के कानून का अपना महत्व होता है, तथापि अन्य आपराधिक कानूनों में भी ऐसे कई प्रावधान हैं जिनके आधार पर पुलिस और प्रशासन द्वारा इन मामलों में कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन, शायद ही ऐसे किसी मामले में जांच पूरी होकर मामला न्यायालय में चालान प्रस्तुत करने तक पहुंचा हो, सजा की बात तो दूर की है। अवैध मतांतरण को रोकना भाजपा का प्रमुख मुद्दा रहा है। फिर राजस्थान पीछे क्यों है? भाजपा शासित लगभग सभी रा’यों में अवैध मतांतरण व लव-जिहाद को रोकने का कानून न केवल बन चुका है वरन उसको क्रियान्वित भी किया जा रहा है।
इस अंक में राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही अवैध मतांतरण गतिविधियों पर एक आलेख दिया जा रहा है। संभव है बात राज्य सरकार तक पहुँचे।

जुड़े पाथेय कण के व्हाट्सअप चैनल से...
13/07/2025

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हिंदू राष्ट्र ना तो बनाना है ना ही स्थापित करना है
06/07/2025

हिंदू राष्ट्र ना तो बनाना है ना ही स्थापित करना है

तुम जो युगों तक धक्के सहकर भी अक्षय हो, इसका कारण केवल यही है कि धर्म के लिए तुमने बहुत कुछ प्रयत्न किया था, उसके लिए अन...
04/07/2025

तुम जो युगों तक धक्के सहकर भी अक्षय हो, इसका कारण केवल यही है कि धर्म के लिए तुमने बहुत कुछ प्रयत्न किया था, उसके लिए अन्य सब कुछ साहसपूर्वक सहन किया था, यहाँ तक कि मृत्यु को भी गले लगाया था। मन्दिर के बाद मन्दिर तोड़े गए, किन्तु जैसे ही वह आँधी गुजरी, मन्दिर का शिखर पुन: खड़ा हो गया। दक्षिण भारत के ऐसे कुछ प्राचीन मन्दिर विशेषकर गुजरात का सोमनाथ मन्दिर तुम्हें अक्षय ज्ञान प्रदान करेगा। इतिहास के प्रति जो गहरी दृष्टि इन मंदिरों से मिलती है, वह ढेरों पुस्तकों से नहीं मिल सकती। ध्यान से देखो, इन मन्दिरों पर सैकड़ों आक्रमणों एवं सैकड़ों पुनरुत्थानों के चिह्न किस तरह अंकित हैं? वे बार-बार नष्ट हुए और खण्डहरों में से पुन: उठ खड़े हुए पहले की ही भाँति सशक्त एवं नवजीवनयुक्त। यही है हमारा राष्ट्रीय मानस, यही है हमारा राष्ट्रीय जीवन-प्रवाह।
स्वामी विवेकानन्द (साभार-विवेकवाणी)

उपयोगी आँवला प्रो. (डॉ.) गोविन्द सहाय शुक्लपरिचय- आंवला समस्त भारत वर्ष में 20 से 40 फुट ऊंचे वृक्ष पर लगने वाला छ: रेखा...
02/07/2025

उपयोगी आँवला

प्रो. (डॉ.) गोविन्द सहाय शुक्ल

परिचय- आंवला समस्त भारत वर्ष में 20 से 40 फुट ऊंचे वृक्ष पर लगने वाला छ: रेखायुक्त, कच्ची अवस्था में हरे और पकने पर कुछ पीला या लालीपन लिए, शरद ऋतु में प्राप्त होने वाला गोलाकार, गूदेदार, माँसल फल है। विटामिन-सी तथा अनेक खनिज तत्वों से भरपूर होने के कारण यह फल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए रसायन अर्थात् सभी धातुओं को बढ़ाने वाला एवं आयुवर्धक के रूप में कार्य करता हैं। पकने के पश्चात् इसका रस मीठा तथा स्वभाव से शीत होता हैं ।
प्रयोग-
1. अग्निमांद्य (पाचन शक्ति की कमी) में तीन ग्राम आंवला चूर्ण सुबह-सायं लेने से भूख ठीक लगने लगती है।
2. अश्मरी(पथरी) में तीन ग्राम आंवले के चूर्ण में 5 से 10 मि.ली. मूली का रस व पांच ग्राम शहद मिलाकर सुबह-शाम दो माह तक लगातार लेने से गुर्दे की पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
3. उच्च रक्तचाप में 50 ग्राम आंवले का मुरब्बा सुबह-शाम खाली पेट खाकर 250 मि.ली. दूध पीने से लाभ मिलता है।
4. गर्भवती स्त्रियों द्वारा 25 से 50 ग्राम आंवले का मुरब्बा सेवन करने से सुबह के समय उल्टी (वमन) का मन नहीं होता है।
5. नेत्ररोग में 1-1 ग्राम हरड़, बहेड़ा व आंवले का चूर्ण मिलाकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छानकर नेत्रों को धोने से नेत्र स्राव, लालिमा, एलर्जी, नेत्र ज्योति में लाभ मिलता है।
6. नेत्र ज्योति बढ़ाने के लिए 3 से 4 ग्राम आँवला चूर्ण का लगातार भूखे पेट सेवन करने से अत्यंत लाभ होता हैं।
7. आंवले के तीन से पांच ग्राम चूर्ण में पांच से दस मि.ली. गुलाब जल मिलाकर लेप करने से चेहरे की झाइयां, कील-मुंहासे कुछ ही दिनों में दूर होकर चेहरा चमक युक्त हो जाता है ।
8. प्रमेह रोग में 2 से 3 ग्राम आँवला चूर्ण के साथ 1 से 2 ग्राम हल्दी चूर्ण सुबह खाली पेट प्रयोग किया जाना हितकर हैं ।
9. महिलाओं में सफेद पानी की समस्या (श्वेत प्रदर) में आँवले के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम सुबह भूखे पेट लेने से लाभ मिलता हैं ।
10. अम्लपित्त व पेट की जलन में आँवला चूर्ण 3 ग्राम व मुलेठी चूर्ण 1 ग्राम, दोनों मिलाकर मिश्री के साथ सुबह खाली पेट लेने से लाभ होता है ।
11. आँवला चूर्ण या आंवले से बने उत्पाद जैसे आमलकी रसायन, च्यवनप्राश, आंवला मुरब्बा, आंवला कैंडी आदि का नित्य प्रयोग शरीर के लिए लाभकारी होता है।
(विशेष : रोग की गंभीर अवस्था में अथवा अधिक दिनों तक प्रयोग करने की स्थिति में कृपया वैद्यकीय सलाह अवश्य लेवें। )
(विभागाध्यक्ष, रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग, पीजीआईए, जोधपुर )

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Jaipur

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