05/09/2025
शिक्षक दिवस पर आज का मेरा लेख पढ़ें
शिक्षक जीवन के दीपक — गुरुर्ब्रह्मा गुरुविष्णुः
मानवजीवने विद्याया: अत्यन्तं महत्त्वं वर्तते। सा एव मनुष्यं अज्ञानतिमिरात् उद्धृत्य ज्ञानप्रकाशे स्थापयति।
मानव जीवन में विद्या का अत्यंत महत्व है। वही मनुष्य को अज्ञान के अंधकार से उठाकर ज्ञान के प्रकाश में स्थापित करती है।
“आचार्याद् पादमादत्ते, पादं शिष्यः स्वमेधया। पादं सब्रह्मचारिभ्यः, पादं कालक्रमेण च॥”
इत्युक्तेः आचार्यः शिष्याय केवलं मूलमार्गं ददाति, किंतु आत्मबुद्ध्या अध्ययनं, परिवर्तनं च कर्तव्यं भवति।
वेदों में कहा गया है – “ज्ञान का एक भाग आचार्य से मिलता है, एक भाग अपनी बुद्धि से, एक भाग सहपाठियों से और एक भाग समय के साथ।”
अर्थात् आचार्य केवल मार्ग दिखाते हैं, लेकिन अध्ययन और आत्मपरिवर्तन शिष्य को करना होता है।
ऋग्वेदे वदति – “आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः।”
एतेषां भद्रविचाराणां मार्गदर्शको भवति शिक्षकः।
ऋग्वेद में कहा गया है – “हमारे मन में सर्वत्र से श्रेष्ठ विचार आएँ।”
और उन श्रेष्ठ विचारों का मार्गदर्शन देने वाला व्यक्ति है शिक्षक।
शिक्षकः केवलं ज्ञानप्रदः न भवति, किन्तु सः शिष्यानाम् आचार्यः, मार्गदर्शकः, प्रेरणादायकः च अस्ति।
मनुस्मृत्यां निर्दिष्टम्— “आचार्यो हि यथाशास्त्रं तं शिष्यं उपनयेत्।”
शिक्षक केवल ज्ञान देने वाला नहीं, बल्कि आचार्य, मार्गदर्शक और प्रेरक भी होता है।
मनुस्मृति में कहा गया है – “आचार्य विधिपूर्वक शिष्य को शिक्षा प्रदान करे।”
शिक्षकदिवसः केवलं उत्सवः न, अपि तु स्मरणदिवसः। अस्मिन् दिने वयं जानिमः यत् – गुरुणा विना जीवनमार्गः अन्धकारपूर्णः भवेत्, शिक्षकः राष्ट्रस्य निर्माता, संस्कारस्य उत्पादकः च अस्ति। उपनिषद् वचनं – “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः” – गुरोः सर्वोच्चं स्थानं प्रकटयति।
शिक्षक दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि स्मरण दिवस है। इस दिन हम याद करते हैं कि गुरु के बिना जीवन का मार्ग अंधकारमय होता है, शिक्षक राष्ट्र का निर्माता और संस्कारों का जनक है। उपनिषद् का वचन – “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देव महेश्वर” – शिक्षक के सर्वोच्च स्थान का प्रतिपादन करता है।
अतः शिक्षकदिवसः अस्माकं स्मारयति यत्—शिक्षकः जीवनदीपः अस्ति, पथप्रदर्शकः च। वेदशास्त्रेषु अपि एषः मतिः प्रतिपाद्यते।
अतः शिक्षक दिवस हमें स्मरण कराता है कि शिक्षक ही जीवन का दीपक और मार्गदर्शक है। यही बात वेद-शास्त्र भी प्रतिपादित करते हैं।
केशव कुमार सैनी
पी एम श्री केंद्रीय विद्यालय मस्जिद मोठ, दिल्ली