28/09/2025
“चैतन्य महाप्रभु नाचते थे, और उनके नाच में परमात्मा की गूंज थी।”
“वे हमें यह सिखाने आए थे कि ईश्वर कोई गंभीर किताबों में छिपा सत्य नहीं है।
वह तो हृदय की मासूम धड़कन है, जो गीत और कीर्तन में प्रकट हो जाती है।”
“जब चैतन्य महाप्रभु कीर्तन करते थे, तब साधक नहीं बचता था—सिर्फ़ भक्ति रह जाती थी।
उनका जीवन यह घोषणा था कि प्रेम ही प्रार्थना है, और नृत्य ही ध्यान।
जहाँ हृदय खुला है, वहाँ भगवान पहले से ही उपस्थित है। ✨”