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Vera Prakashan साहित्यिक पुस्तकों का नया घर

पुस्तक : चेतना के पंख | रिल्के के पत्रों पर आधारित कविताएँरचनाकार : नितेश व्यासमूल्य : 175/-पृष्ठ : 100किसी नदी, पर्वत, ...
14/09/2025

पुस्तक : चेतना के पंख | रिल्के के पत्रों पर आधारित कविताएँ
रचनाकार : नितेश व्यास
मूल्य : 175/-
पृष्ठ : 100

किसी नदी, पर्वत, जंगल अथवा प्राचीन खंडहर के पार्श्व में, किसी कलाकृति का अवलोकन कर, किसी ि.फल्म को देखकर या संगीत की कोई धुन सुनकर कविताएँ रची गयी हैं। कवि किसी विशेष अनुभव में अभिभूत होकर रचता है। कई बार कोई साहित्यिक कृति अथवा कविताएँ ही सृजन की उत्प्रेरक होती हैं। लेकिन किसी रचनाकार अथवा उसकी कृति पर केंद्रित एक दीर्घ शृंखला गहन प्रभाव तथा संवेदनात्मक तादात्म्य की गवाही देती है। यह कोई तात्कालिक आवेग का परिणाम नहीं हो सकता बल्कि संदर्भित से आत्मिक संवाद की परिणति है। अक्सर हम बेहतर आलोचना के रूप में इसका प्रतिबिंबन देखते हैं। लेकिन कोई भाव-प्रवण रचनाकार अपनी विधा में इसकी स्वत: स्फूर्त अभिव्यक्ति कर सकता है। हालाँकि हमें ऐसे उदाहरण बहुत कम देखने को मिलते हैं।

नितेश की ये काव्य- अभिव्यक्तियाँ सान्द्र और सघन हैं। वे स्वयं भी रिल्के की भाँति बीज होना चाहते हैं। प्रार्थना भाव है या भावना- इस द्वंद्व से गुज़रते हुए वे अपनी अंतश्चेतना की टोह लेते हैं। किसी भी युवा कवि के लिए यह एक ज़रूरी आत्मसंघर्ष है।

— राजाराम भादू


वेरा प्रकाशन की ओर से सभी प्रिय लेखकों, पाठकों एवं स्नेही मित्रों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
14/09/2025

वेरा प्रकाशन की ओर से सभी प्रिय लेखकों, पाठकों एवं स्नेही मित्रों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

पुस्तक : आँखों में मानचित्र | कविता संग्रहरचनाकार : दिव्या श्रीमूल्य : 200/-पृष्ठ : 164ऑर्डर करने के लिए वॉट्सएप करें— 9...
13/09/2025

पुस्तक : आँखों में मानचित्र | कविता संग्रह
रचनाकार : दिव्या श्री
मूल्य : 200/-
पृष्ठ : 164

ऑर्डर करने के लिए वॉट्सएप करें— 9680433181




अंतिम --------अंतिम, कभी अंतिम नहीं हुआकोई कभी नहीं लिख पायाअपनी अंतिम कविताइच्छाएँ कभी अंतिम नहीं हुईंअंतिम विदा के बाद...
13/09/2025

अंतिम
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अंतिम, कभी अंतिम नहीं हुआ
कोई कभी नहीं लिख पाया
अपनी अंतिम कविता

इच्छाएँ कभी अंतिम नहीं हुईं
अंतिम विदा के बाद भी
रहे कुछ लोग स्मृतियों में

इस धरती पर खिला अंतिम फूल
छोड़ जाएगा धरती की कोख में एक बीज

उम्मीदें और यादें भी कभी अंतिम नहीं होतीं
न ही ख़याल और ख़्वाब अंतिम होते हैं

जीवन के अंतिम छोर पर भी
रहेगी यह उम्मीद
कि यह जीवन तुम्हारे साथ गुज़रा
अंतिम जीवन नहीं है।

("जादूगरनी" कविता संग्रह से)

पुस्तक : उदासियों की उर्मियाँ | कविता संग्रहरचनाकार : .chakraborty_ मूल्य : 250/-पृष्ठ : 256ऑर्डर करने के लिए वॉट्सएप कर...
13/09/2025

पुस्तक : उदासियों की उर्मियाँ | कविता संग्रह
रचनाकार : .chakraborty_
मूल्य : 250/-
पृष्ठ : 256

ऑर्डर करने के लिए वॉट्सएप करें— 9680433181




चिड़िया का प्रेम ---------------हर पेड़ के जीवन में कभी-न-कभी ज़रूर आता है पतझड़। झड़ते रहते हैं पत्ते, कभी हवा के झूले स...
13/09/2025

चिड़िया का प्रेम
---------------

हर पेड़ के जीवन में
कभी-न-कभी ज़रूर आता है पतझड़।
झड़ते रहते हैं पत्ते,
कभी हवा के झूले से टकराकर
तो कभी झींगुरों के आर्त प्रलाप से।

शिराओं का रक्त
मेंढकों के रक्त की तरह हो जाता है ठंडा,
पेड़ चला जाता है किसी लम्बी शीत निद्रा में।
चिड़िया कातर दृष्टि से देखती है इस कायाकल्प को।
चिड़िया जानती है जीवन को ठहरना नहीं चाहिए
उसे बहना चाहिए चाहे किसी प्रौढ़ा नदी की तरह ही।

पेड़ की अधखुली आँखों में झाँकते हुए
उसे प्रतीक्षा रहती है वसंत की।
इस बार पेड़ सोता ही रहा।
लकड़हारा निर्ममता से छीलता रहा
उसकी छाल, काटता रहा टहनियाँ।

कितने ही घरों में चूल्हों की आग
धधकती रही उसके सूखे पत्तों से।
बहेलियों के परिवार होते रहे आश्वस्त
कि अब कैसे छुपेगी चिड़िया
इस पत्र-विहीन पेड़ की झोली में।

चिड़िया सचमुच उदास हो गई।

उसने कहा—
जागो पेड़, तुम्हारी निद्रा के मोह का परिणाम
भुगतेगी हरी घास, जल जाएगी सूरज की गर्मी से।
जागो पेड़, तुम सोते रहे तो ग्रीष्म की लपटें
भस्म कर देंगी चींटियों और तिलचट्टों के घरोंदे।

जागो पेड़, तुम सोते रहे तो
हमारे सिर पर पल भर भी नहीं रुकेंगे जल भरे बादल।
जागो पेड़, तुम सोते रहे तो
नदी की प्रतीक्षा में
और अधिक खारा हो जाएगा समुद्र का जल।

पेड़ चिंता निमग्न सोता ही रहा।

चिड़िया ने सबसे पहले
तिनका-तिनका कर डाला अपना घोंसला।
गिलहरी से कहा—
बहन, टूट गया है मेरा भ्रम,
प्रेम ज़रूरी नहीं सदा सबको जीवन ही दे।
मृत्यु दे तो भी उसे स्वीकार करना ही चाहिए।
कल सुबह मैं उड़ जाऊँगी
थार के रेगिस्तान के रास्ते पर;
जब पंख नहीं देंगे साथ,
विलीन हो जाऊँगी
स्वर्ण से दीप्त रेत के अग्नि-कणों में।

पेड़! तुम सोते रहना शताब्दियों तक
मानवता के प्रति भूल कर अपना दायित्व।
भूल जाना तुमसे प्यार किया था किसी चिड़िया ने।

बहुत लम्बी थी वह रात।
चिड़िया रोती रही और उसके आँसू
टपकते रहे पेड़ के हृदय पर।

करवटें बदलता रहा अधसोया पेड़।
उसकी आँखों के सामने ग्रीष्म का जलता रेत था
और उस पर तड़पती नन्हीं-सी चिड़िया थी।
नहीं— हड़बड़ा कर जाग गया पेड़।
उसने आसमान में निराश भिक्षु से
झाँकते चंद्रमा से कहा— पेड़ जीएगा।
चिड़िया के लिए जीएगा।
नदी के लिए जीएगा।
घास और तिलचट्टों के लिए जीएगा।
थोड़ा-सा
लकड़हारे और बहेलिए के लिए भी जीएगा।

सुबह, प्रयाण-यात्रा पर निकलने से पहले
चिड़िया ने पेड़ की परिक्रमा की।
पूरा पेड़ हरी-हरी कोपलों से भरा था।
गिलहरी प्राणायाम कर रही थी
और कोयल कोई प्रेम-गीत गुनगुना रही थी।
चिड़िया मानिनी होकर फिर से
नया घोंसला बनाने में लग गई।

सुनेत्रा,
चिड़िया का प्रेम उस अमृत के समान है
जो किसी भी मृत्यु-कामी पेड़ को
पल भर में हरा कर सकता है।

प्रिये, तुम मेरी चिड़िया बनो न?

("प्रजातंत्र में कबूतर" से)

जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएँ 💐🎂
10/09/2025

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पुस्तक : मन में अंतरिक्ष | कविता संग्रहरचनाकार : डॉ. मोनिका काकोड़ियामूल्य : ₹ 249/-पृष्ठ  : 202ऑर्डर के लिए व्हाट्सएप कर...
09/09/2025

पुस्तक : मन में अंतरिक्ष | कविता संग्रह
रचनाकार : डॉ. मोनिका काकोड़िया
मूल्य : ₹ 249/-
पृष्ठ : 202

ऑर्डर के लिए व्हाट्सएप करें : 9680433181





पुस्तक : दीये की बाती बन जाओ | कविता संग्रहरचनाकार : शिवांगी सिंह सिकरवारमूल्य : ₹175/-पृष्ठ : 100ऑर्डर के लिए वॉट्सएप क...
09/09/2025

पुस्तक : दीये की बाती बन जाओ | कविता संग्रह
रचनाकार : शिवांगी सिंह सिकरवार
मूल्य : ₹175/-
पृष्ठ : 100

ऑर्डर के लिए वॉट्सएप करें : 9680433181





पुस्तक : तन पलाश, मन पारिजात | कविता संग्रहरचनाकार : शशि "तृष्णा"  मूल्य : ₹185पृष्ठ : 130ऑर्डर के लिए वॉट्सएप करें : 96...
09/09/2025

पुस्तक : तन पलाश, मन पारिजात | कविता संग्रह
रचनाकार : शशि "तृष्णा"
मूल्य : ₹185
पृष्ठ : 130

ऑर्डर के लिए वॉट्सएप करें : 9680433181





पुस्तक : ज़ंजीरें | कहानी संग्रहरचनाकार : डॉ. अमित भारद्वाज  मूल्य : ₹ 195/-पृष्ठ : 132ऑर्डर के लिए वॉट्सएप करें : 968043...
09/09/2025

पुस्तक : ज़ंजीरें | कहानी संग्रह
रचनाकार : डॉ. अमित भारद्वाज
मूल्य : ₹ 195/-
पृष्ठ : 132

ऑर्डर के लिए वॉट्सएप करें : 9680433181





पुस्तक : बारिश बाजा बजाती है | प्रेम कविताएँरचनाकार : शहंशाह आलम  मूल्य : ₹150/-पृष्ठ : 128 पृष्ठऑर्डर के लिए व्हाट्सएप ...
09/09/2025

पुस्तक : बारिश बाजा बजाती है | प्रेम कविताएँ
रचनाकार : शहंशाह आलम
मूल्य : ₹150/-
पृष्ठ : 128 पृष्ठ

ऑर्डर के लिए व्हाट्सएप करें : 9680433181




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