Siyasi Bharat

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17/06/2025

पंचक: आस्था का समय या डर का भ्रम?
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“रुक जाओ, पंचक चल रहा है।”
बचपन में जब भी घर में कोई बड़ा काम होने वाला होता, जैसे फर्नीचर बनाना, छत ढालना, या कहीं यात्रा की तैयारी — अचानक दादी या पिताजी की आवाज़ गूंजती: “अरे! पंचक लग गया है, ये काम मत करना।”
मुझे तब कुछ समझ नहीं आता था। पंचक कौन? क्यों? और ये काम क्यों नहीं?

बड़े होने के बाद जब थोड़ा-बहुत पढ़ने और समझने लगा, तब जाना कि पंचक वो काल होता है जब चंद्रमा पांच विशेष नक्षत्रों — धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती — में क्रमशः भ्रमण करता है। ये अवधि लगभग पांच दिन की होती है और इसे अशुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान कुछ खास कार्य करने से विपरीत परिणाम मिल सकते हैं — और यही वह डर या आस्था है, जो पीढ़ियों से हमारे भीतर बैठी हुई है।

धार्मिक मान्यताओं में पंचक का उल्लेख विशेष रूप से गरुड़ पुराण में मिलता है, जहाँ कहा गया है कि पंचक काल में यदि शव का अंतिम संस्कार किया जाए तो उसी घर में पांच और लोगों की मृत्यु हो सकती है। इसलिए ऐसे समय शवदाह करते वक्त पांच पुतले बनाकर साथ में अग्नि संस्कार किया जाता है, ताकि ये दोष शांत हो सके। कई लोग इसे अंधविश्वास मान सकते हैं, लेकिन गाँवों और कस्बों में आज भी लोग इस विधि को पूरे नियम से करते हैं।

पंचक के दौरान लकड़ी का काम जैसे छत ढालना, नया पलंग बनवाना, या लकड़ी इकट्ठा करना भी वर्जित माना गया है। इसकी पीछे मान्यता है कि इससे अग्निकांड या बीमारी हो सकती है। साथ ही दक्षिण दिशा की यात्रा — जिसे यम की दिशा माना गया है — को भी पंचक में टालने की सलाह दी जाती है। यही नहीं, गृह प्रवेश, नया वाहन खरीदना या किसी नयी शुरुआत को भी पंचक में करने से रोका जाता है।

इन सबके पीछे सिर्फ आस्था ही नहीं, एक सामाजिक मनोविज्ञान भी है। जब किसी परिवार में एक मृत्यु हो जाती है, तो कई बार उसका भावनात्मक असर ऐसा होता है कि अन्य बुज़ुर्ग या बीमार व्यक्ति भी जल्दी टूट जाते हैं। उसी को ‘पांच और मौतें’ कह कर धार्मिक रूप दे दिया गया हो, यह भी मुमकिन है।

हालाँकि पंचक के दौरान सब कुछ वर्जित नहीं होता। पूजा-पाठ, व्रत, ध्यान, दान, सेवा, अध्ययन, लेखन, या जरूरत पड़ने पर चिकित्सा संबंधी कार्य – ये सब किया जा सकता है। धर्मशास्त्रों में कहीं नहीं लिखा कि जीवन ठहर जाए, बस कुछ विशेष कार्यों में सावधानी बरतने को कहा गया है।

अगर किसी अनिवार्य स्थिति में पंचक में कोई काम करना ही हो, तो लोग उपाय करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप, हनुमान चालीसा का पाठ, पंचक शांति पूजा या फिर ब्राह्मणों को भोजन देना जैसे उपाय आम हैं। इनमें से कई चीज़ें मानसिक रूप से भी संतुलन और संतोष देती हैं। आस्था हमेशा समाधान से जुड़ी रहती है, डर से नहीं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो चंद्रमा और मनुष्य के मन-मस्तिष्क का गहरा संबंध है। ज्वार-भाटा से लेकर मानसिक अस्थिरता तक, चंद्रमा का असर वैज्ञानिक रूप से स्वीकार किया गया है। ऐसे में पंचक जैसे समय को लेकर अगर लोग सजग हो जाएं, तो हो सकता है कि जीवन में कुछ अनावश्यक दुर्घटनाओं या उतावलेपन से बचा जा सके।

मेरे लिए पंचक अब केवल एक ज्योतिषीय काल नहीं है, बल्कि आत्म-रोक और विवेक की एक अवधि है। जब आप सोच-समझकर कुछ दिन के लिए रुक जाते हैं, गहराई से सोचते हैं, अपने भीतर झांकते हैं — तो हो सकता है कि पंचक सिर्फ आकाश में चंद्रमा की गति न होकर हमारे भीतर की स्थिरता का समय बन जाए।

इसलिए अगर अगली बार कोई कहे — “रुक जाओ, पंचक चल रहा है”, तो हँसिए मत। एक पल ठहरिए, सोचिए, और फिर तय कीजिए कि क्या वाकई रुकना चाहिए या यह सिर्फ एक अवसर है खुद से जुड़ने का।

17/06/2025

भारत-साइप्रस संबंधों में एक ऐतिहासिक क्षण! 🇮🇳🇨🇾
आज साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान "ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III" से सम्मानित किया। यह हमारे लिए अत्यंत गर्व का क्षण है!
यह सम्मान केवल प्रधानमंत्री मोदी जी का नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक क्षमताओं और उनकी अदम्य आकांक्षाओं का सम्मान है। यह विश्व मंच पर भारत के बढ़ते कद और वैश्विक शांति व समृद्धि में उसके योगदान को मान्यता देता है।
यह सम्मान भारत और साइप्रस के बीच गहरे होते मैत्रीपूर्ण संबंधों, आपसी समझ और साझा मूल्यों का प्रतीक है। हम इस ऐतिहासिक क्षण के लिए साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।
#भारत #साइप्रस #नरेंद्रमोदी #वैश्विकसम्मान #मैत्री #गर्व

17/06/2025

नागपुर में बनेगा हेलिकॉप्टर निर्माण कारखाना, 8,000 करोड़ के निवेश से मिलेगा बड़ा रोजगार अवसर👇🏻

महाराष्ट्र के औद्योगिक विकास को एक नई उड़ान मिलने जा रही है। नागपुर में अब हेलिकॉप्टर निर्माण की एक बड़ी परियोजना स्थापित की जाएगी। इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत मैक्स एयरस्पेस एंड एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक औपचारिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस परियोजना की कुल लागत 8,000 करोड़ रुपये आंकी गई है और इससे प्रत्यक्ष रूप से लगभग 2,000 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई जा रही है।

यह कारखाना नागपुर को रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में एक रणनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा। हेलिकॉप्टर निर्माण की यह फैक्ट्री देश में रक्षा आत्मनिर्भरता के सपने को भी एक नई दिशा देगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने इस निवेश को ‘मेक इन इंडिया’ के विज़न से जुड़ा एक निर्णायक कदम बताया है।

मैक्स एयरस्पेस एंड एविएशन प्रा. लि. द्वारा प्रस्तावित यह यूनिट उच्च तकनीक वाले हेलिकॉप्टरों के निर्माण, असेंबली, टेस्टिंग और निर्यात पर केंद्रित होगी। कंपनी ने बताया है कि इस फैक्ट्री में सिविल और रक्षा दोनों तरह के हेलिकॉप्टरों का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा, इसमें अनुसंधान और विकास (R&D) की भी उन्नत सुविधाएं होंगी, जिससे स्थानीय युवाओं को तकनीकी कौशल सीखने और विकसित करने का अवसर मिलेगा।

नागपुर को इस परियोजना के लिए चुने जाने के पीछे कई रणनीतिक कारण हैं। यहां पहले से मौजूद लॉजिस्टिक्स नेटवर्क, केंद्र में स्थित भौगोलिक स्थिति और कुशल श्रमबल इसे एक आदर्श स्थान बनाते हैं। इसके अलावा, सरकार की ओर से भूमि, बिजली और अन्य आधारभूत संरचना को लेकर मिलने वाली सहूलियतों ने भी इस निर्णय को आसान बनाया।

इस प्रोजेक्ट से न केवल प्रत्यक्ष रूप से 2,000 लोगों को नौकरी मिलेगी, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से भी हजारों परिवारों को इसका लाभ पहुंचेगा। स्थानीय लघु और मध्यम उद्योगों को भी इस उद्योग से जुड़ने का मौका मिलेगा, जिससे समग्र रूप से क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में जबरदस्त उछाल आने की उम्मीद है।

राज्य सरकार का दावा है कि आने वाले वर्षों में यह परियोजना नागपुर को भारत के एयरोस्पेस मानचित्र पर एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने इसे ‘भविष्य की उड़ान’ बताते हुए कहा कि इस कदम से राज्य निवेश और नवाचार का हब बनेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ऐसे निवेशकों को हर आवश्यक सहयोग और सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, जो राज्य के औद्योगिक विकास और युवाओं के रोजगार में योगदान देना चाहते हैं।

मैक्स एयरस्पेस ने यह भी संकेत दिए हैं कि भविष्य में कंपनी नागपुर में एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने पर विचार कर रही है, जिससे स्थानीय युवाओं को हेलिकॉप्टर तकनीक, डिजाइन, मेंटेनेंस और एविएशन इंजीनियरिंग की आधुनिक शिक्षा दी जा सके।

कुल मिलाकर, नागपुर में हेलिकॉप्टर निर्माण की यह परियोजना महाराष्ट्र के औद्योगिक और तकनीकी क्षितिज को एक नई दिशा देने जा रही है। यह केवल एक निवेश नहीं, बल्कि देश के आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन की उड़ान का प्रतीक बनने जा रहा है।

17/06/2025
17/06/2025

हवाई जहाज़ में ब्लैकबॉक्स क्या होता है और कैसे काम करता है?👇🏻
विमान में ब्लैक बॉक्स एक बेहद महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग डिवाइस होता है, जिसे "फ्लाइट रिकॉर्डर" भी कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी विमान दुर्घटना की स्थिति में जांचकर्ताओं को दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में मदद करने के लिए अहम जानकारी रिकॉर्ड करना है।
ब्लैक बॉक्स वास्तव में "ब्लैक" रंग का नहीं होता, बल्कि यह चमकीले नारंगी रंग का होता है ताकि दुर्घटना के मलबे में इसे आसानी से ढूंढा जा सके। यह अत्यधिक मजबूत सामग्री जैसे स्टील या टाइटेनियम से बना होता है, जिससे यह आग, पानी और भारी टक्करों में भी सुरक्षित रह सके। इसे आमतौर पर विमान के पिछले हिस्से में लगाया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि दुर्घटना में इस हिस्से पर सबसे कम प्रभाव पड़ता है।
ब्लैक बॉक्स में मुख्य रूप से दो उपकरण होते हैं:
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह कॉकपिट के भीतर होने वाली सभी आवाज़ों को रिकॉर्ड करता है, जिसमें पायलटों की आपस में बातचीत, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से उनका संवाद, चेतावनी अलार्म, इंजन का शोर और अन्य कॉकपिट की आवाज़ें शामिल होती हैं। यह दुर्घटना से पहले के कुछ समय की ऑडियो रिकॉर्डिंग रखता है, जो घटना के क्रम को समझने में मदद करता है।
फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह विमान की उड़ान से संबंधित विभिन्न तकनीकी जानकारी को रिकॉर्ड करता है। इसमें विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन की स्थिति, ईंधन का स्तर, विमान के विभिन्न हिस्सों की स्थिति (जैसे फ्लैप, लैंडिंग गियर) और अन्य 88 से अधिक मापदंडों का डेटा शामिल होता है। यह डेटा लगातार रिकॉर्ड होता रहता है।
ब्लैक बॉक्स से मिली जानकारी जांचकर्ताओं को यह समझने में मदद करती है कि दुर्घटना से पहले विमान में क्या हुआ था, पायलटों ने क्या फैसले लिए थे, और क्या कोई मानवीय भूल या तकनीकी खराबी थी। यह विमानन सुरक्षा के लिए एक अनिवार्य उपकरण है।

17/06/2025

मेरी 28 दिन की मेहनत और आपका आशीर्वाद
नतीजा, 8200 पारिवारिक सदस्यों के सहयोग से 2.6M views और भी बहुत कुछ…. आपका आशीर्वाद बना रहे 🙏🏻

05/06/2025

बीसीसीआई का खेल चल रहा है, जिसपर नेताओं का कब्जा है
Siyasi Bharat 🇮🇳

04/06/2025

अब इनके पास झगड़ने का काम रहेगा, कारण है रूस का पलटवार और उसके कारण यूक्रेन में भारी तबाही!

04/06/2025

रूस को हराने के लिए अमेरिका और नाटो देशों ने झोंकी अपनी ताकत….. अंत तक पढ़िए, मजा आएगा 👇🏻
1 जून 2025 को यूक्रेन ने रूस पर एक नया रणनीतिक हमला करते हुए ड्रोन के माध्यम से हवाई हमला किया और अब समुद्र के नीचे से भी हमले शुरू कर दिए हैं। यह घटनाक्रम यूक्रेन-रूस युद्ध में एक नई दिशा की ओर संकेत करता है, जहां पारंपरिक जमीनी लड़ाई से हटकर आधुनिक तकनीक आधारित युद्ध रणनीतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। सवाल उठता है – क्या नाटो की सैन्य सहायता ने यूक्रेन को इतना सक्षम बना दिया है? और क्या इससे रूस की हार की संभावना प्रबल हो गई है? यूक्रेन को पिछले दो वर्षों में नाटो देशों से अभूतपूर्व सैन्य, खुफिया और आर्थिक सहायता मिली है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड जैसे देशों ने यूक्रेन को एडवांस ड्रोन, लॉन्ग-रेंज मिसाइल सिस्टम, टैंक और एयर डिफेंस सिस्टम उपलब्ध कराए हैं। इससे यूक्रेन की लड़ाकू क्षमता में न केवल वृद्धि हुई है, बल्कि उसे रूस के गहरे क्षेत्रों तक हमले करने की क्षमता भी मिली है।

ड्रोन हमलों की बात करें तो यूक्रेन अब केवल रूसी अग्रिम मोर्चों पर ही नहीं, बल्कि रूसी अंदरूनी ठिकानों और नेवल अड्डों पर भी हमले कर रहा है। अंडरवाटर अटैक की शुरुआत एक महत्वपूर्ण संकेत है कि यूक्रेन अब रूसी नेवी की शक्ति को चुनौती देने का प्रयास कर रहा है, विशेष रूप से काला सागर क्षेत्र में। यह हमला संकेत देता है कि युद्ध अब केवल भूमि तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह जल, नभ और साइबर डोमेन तक फैल चुका है। हालाँकि, यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि रूस हार जाएगा। रूस अब भी एक बड़ी सैन्य शक्ति है, जिसके पास परमाणु हथियार, विशाल सेना और संसाधनों का भंडार है। राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में रूस ने अभी तक अपने कई रणनीतिक कार्ड नहीं खेले हैं। साथ ही, रूस की घरेलू राजनीति में स्थिरता और जनसमर्थन भी उसे युद्ध में बने रहने का हौसला देता है।

फिर भी, यूक्रेन की लगातार आक्रामक रणनीति और अंतरराष्ट्रीय समर्थन ने रूस की स्थिति को अवश्य कठिन बना दिया है। युद्ध के इस चरण में रूस को अब अपने रक्षात्मक ढांचे को नए सिरे से मजबूत करना होगा और यह भी सोचना होगा कि लंबी अवधि में यह युद्ध उसे किस आर्थिक और सामाजिक क्षति की ओर ले जा रहा है। नाटो की सैन्य सहायता ने यूक्रेन को एक आधुनिक युद्धक्षेत्र में प्रभावी खिलाड़ी बना दिया है। रूस की हार की भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाज़ी होगी, परन्तु यह स्पष्ट है कि युद्ध अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच रहा है – जहां तकनीक, कूटनीति और वैश्विक समर्थन ही निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

04/06/2025

प्रीति ज़िंटा भी 18 साल से ट्रॉफी का इंतजार कर रही हैं ……..👇🏻
आईपीएल 2025 का फाइनल मैच पंजाब किंग्स (PBKS) और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) के बीच खेला गया, जिसमें PBKS को 6 रन से हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद टीम की सह-मालकिन और बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति ज़िंटा का भावुक होना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। 

प्रीति ज़िंटा की भावनात्मक प्रतिक्रिया

मैच के बाद, प्रीति ज़िंटा को मैदान पर आंसू बहाते हुए देखा गया, जो उनके टीम के प्रति समर्पण और जुनून को दर्शाता है। वह खिलाड़ियों को सांत्वना देती नजर आईं, और उनकी यह भावनात्मक प्रतिक्रिया प्रशंसकों के दिल को छू गई। 

प्रशंसकों की सहानुभूति

सोशल मीडिया पर प्रशंसकों ने प्रीति ज़िंटा के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। कई लोगों ने कहा कि वह इस ट्रॉफी की हकदार थीं और उन्होंने वर्षों से टीम का समर्थन किया है। एक प्रशंसक ने लिखा, “हर साल उन्हें अपनी फ्रेंचाइज़ी से दिल टूटता है, फिर भी वह उसी मुस्कान और ऊर्जा के साथ लौटती हैं।” 

प्रीति ज़िंटा का समर्पण

प्रीति ज़िंटा ने 2008 में किंग्स इलेवन पंजाब (अब पंजाब किंग्स) की सह-मालकिन के रूप में टीम के साथ अपनी यात्रा शुरू की। वह टीम के हर मैच में सक्रिय रूप से शामिल रहती हैं और खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाती हैं। उनका यह समर्पण प्रशंसकों और खिलाड़ियों दोनों के लिए प्रेरणादायक है।

भविष्य की उम्मीदें

हालांकि इस बार पंजाब किंग्स को जीत नहीं मिली, लेकिन प्रीति ज़िंटा और टीम के प्रशंसकों को उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में टीम ट्रॉफी जीतकर उनके सपने को साकार करेगी। प्रीति ज़िंटा की यह भावनात्मक यात्रा न केवल खेल के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक मालिक अपने टीम के साथ हर भावनात्मक पल में जुड़ा होता है।

04/06/2025

कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के अलावा पूरी सरकार नींद में है !
हाल ही में राजस्थान में नकली खाद और बीज बनाने वाली कई फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ हुआ है। राज्य के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में अजमेर जिले के किशनगढ़, उदयपुरकलां, टीकावड़ा, चोसला और डिंडवाड़ा क्षेत्रों में छापेमारी की गई, जिसमें 13 से अधिक फैक्ट्रियों को सील किया गया। इन फैक्ट्रियों में मार्बल स्लरी, मिट्टी और बालू को रंगकर नकली डीएपी, एसएसपी, एमओपी, प्रोम और बायोजाइम जैसे उर्वरक तैयार किए जा रहे थे, जिन्हें ब्रांडेड कंपनियों के नाम से पैक कर बिहार, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में सप्लाई किया जा रहा था।

कृषि विभाग ने अब तक 14 कंपनियों को सील कर 10 एफआईआर दर्ज की हैं। मंत्री मीणा ने चेतावनी दी है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। किसानों ने नकली बीजों की बिक्री पर भी चिंता जताई है। बांसवाड़ा, डूंगरपुर और श्रीगंगानगर जैसे जिलों के किसानों ने शिकायत की है कि उन्हें खराब गुणवत्ता वाले बीज बेचे जा रहे हैं। मंत्री मीणा ने भरोसा दिलाया है कि नकली बीजों के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में मंत्री ने मंगलवार को गंगानगर में कई स्थानों पर नकली बीज की फैक्ट्री पर छापेमारी की।

इस कार्रवाई से किसानों में राहत की उम्मीद जगी है, और सरकार ने संकेत दिया है कि पूरे राज्य में नकली कृषि उत्पादों के खिलाफ सख्त अभियान जारी रहेगा। 

04/06/2025

17 साल… इंतज़ार, आँसू, हार, ताने, उम्मीदें… और आज सिर्फ़ ख़ुशी है।
RCB – एक टीम नहीं, एक इमोशन है। हर साल दिल टूटा, फिर भी हर बार दिल ने यही कहा – “इस साल कप हमारा है…”
और आज… सपना पूरा हुआ।
वो दिन याद हैं जब लोग हँसते थे, ताना देते थे, कहते थे – “RCB कभी नहीं जीत पाएगी।”
लेकिन आज, उन्हीं आँखों में हैरानी है और हमारी आँखों में आँसू – खुशी के आँसू।
विराट कोहली, जिसने इस टीम को सिर्फ़ कप्तानी नहीं, एक पहचान दी। उसकी आँखों में आज जो चमक है, वो हर RCB फैन के दिल में जश्न बनकर धड़क रही है।
ये सिर्फ़ ट्रॉफी नहीं है,
ये 17 साल की वफ़ादारी का इनाम है।
ये हर उस फैन की जीत है जो आख़िरी ओवर तक दिल थामे बैठा रहता था।
ये हर उस आँसू का जवाब है जो हार के बाद निकले थे।
आज RCB सिर्फ़ टीम नहीं, चैंपियन है।
और हम सिर्फ़ फैन नहीं, विजेता हैं।
❤️🔥 Ee Sala Cup Namde — अब सिर्फ़ नारा नहीं, इतिहास है।



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