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22/06/2025

क्या कोई डॉक्टर किसी जाति विशेष का होता है या फिर वो समाज का होता है...? क्या कोई डॉक्टर मरीज से उसकी जाति पूछकर इलाज करता है? अगर नहीं, तो फिर हम क्यों किसी जाति विशेष के डॉक्टर के साथ कुछ गलत होने पर तो एकजुट हो जाते है और किसी जाति विशेष के लिए कोई खड़ा नहीं होता। मेरा व्यक्तिगत मत है कि एक डॉक्टर एक डॉक्टर होता है और वो सभी समाज का होता है। हम इन जाति समाज के बंधनों से ऊपर आकर मानवता के बारें में कब सोचेंगे।
उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज में डॉ. रवि शर्मा की वाटर कुलर से पानी लेते वक्त करंट लगने से मौत हो जाती है। ओर सब चुप रहते है। कॉलेज प्रशासन अपनी भूल मानकर उसे सुधारने की बजाय छुपाने में लगा है। जो डॉक्टर दस दिन पहले तक आरएनटी मेडिकल कॉलेज का था मौत के बाद उसी के साथ के डॉक्टर कॉलेज प्रशासन के दबाव में गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाते है। जिसकी पुष्टि भी डॉक्टर समुदाय के ही दूसरे डॉक्टर करते है। लेकिन फिर भी जिम्मेदार मौन है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक डॉ. रवि शर्मा की मौत करंट से होने को नकारा नहीं जा सकता है इसकी पुष्टि के बाद भी ना तो कॉलेज प्रशासन इस मौत के लिए जिम्मेदारी अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई एक्शन ले रहा है और ना ही सरकार इस ओर मसले को गंभीरता से लेकर मामले को सुलझाने का प्रयास कर रही है।
कई दिनों से रेजिडेंट्स डॉक्टर हड़ताल पर है। और सरकार से यह उम्मीद कर रहे है कि मृतक डॉ. रवि शर्मा को न्याय मिले। क्योंकि यहां कोई भीड़ एकत्रित नहीं होगी। यहां कोई राजनेता इन रेजिडेंट डॉक्टर्स के साथ आकर नहीं बैठेगा। क्योंकि डॉ. रवि शर्मा एक डॉक्टर था। नागौर सांसद ने हनुमान बेनीवाल ने यह कहा जरुर है कि जहां कोई नहीं होगा वहां वो जाकर बैठेंगे लेकिन उदयपुर की घटना शायद उनको नहीं दिख रही है। कि पूरे समाज ने एक अच्छा डॉक्टर खाे दिया लेकिन किसी को कुछ नहीं पड़ी।

20/06/2025

राजस्थान के दो बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज में दो डॉक्टरों की मौत की सूचना ने हिलाकर रख दिया है। एक ओर विभागीय प्रताड़ना से आहत होकर डॉक्टर आत्महत्या कर लेता है तो दूसरी ओर विभागीय लापरवाही के चलते डॉक्टर की मौत हो जाती है। लेकिन सब चुप है। सरकार,सिस्टम, अधिकारी और कॉलेज प्रशासन। जिसके यहां डॉक्टर पढ़ रहे थे और काम कर रहे थे। अब साथी और परिवार के सदस्य धरने ओर हड़ताल पर है।
जोधपुर में एसएन मेडिकल कॉलेज पीजी स्टूडेंट्स जिसने सल्फास खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त की। उसको यदि जोधपुर में रखकर इलाज दिया जाता तो उम्मीद थी कि उसे बचाया जा सकता था। लेकिन प्रशासन एकमो मशीन नहीं होने का बहाना बनाकर उसे ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जयपुर भेजा। लेकिन सच यह है कि एक्मो मशीन मेडिकल कॉलेज के पास थी। लेकिन उसका कोई उपकरण नहीं होने के चलते मरीज को भेजा गया। अच्छा होता कि उन पांच घंटे में मेडिकल कॉलेज प्रशासन वो उपकरण कहीं से अरेंज कर अपने पीजी स्टूडेंट्स की जान बचाता लेकिन अब सब चुप है। सब चुप अपनी नाकामी को छुपाने के लिए है। हाल यह है कि निजी एंबुलेंस से डॉ. राकेश विश्नोई को जयपुर भेजा गया। यानि इतने बड़े अस्पताल में खुद की वैल इक्यूपट एक एंबुलेंस तक नहीं है। जबकि सरकार की ओर से दानदाताओं की ओर से एएलएस एंबुलेंस दी जाती है।
उदयपुर आरएनटी मेडिकल काॅलेज में विभागीय लापरवाही के चलते एक होनहार डॉक्टर रवि की जान चले गई। मेडिकल कॉलेज क्या वाटर कूलर जैसी चीजों को भी समय पर ठीक नहीं करा सकता है। इस पर कॉलेज प्रशासन अब इस बात से भी इंनकार कर रहा है कि वाटर कूलर में करंट नहीं था। हद तो तब हो गई जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक में डॉक्टर अपने ही डॉक्टर की रिपोर्ट में सच नहीं लिख पा रहे है। जिन रेजिडेंट डॉक्टरों ने डॉक्टर रवि को करंट लगने के बाद देखा उनका कहना है कि जो मार्क डॉ. रवि की बॉडी पर थे वो तक डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं लिखे। इन दोनों घटनाओं में गलती हुई लेकिन कोई स्वीकार नहीं करना चाहता है। उसको स्वीकार कर कोई सुधार की बात नहीं करना चाहता। सब चुप होकर उसे छुपाने में लगे है। लेकिन सत्य कभी नहीं छुपता।
सत्यमेव जयते


जय शंकर
29/08/2023

जय शंकर

आप सभी को नववर्ष की ढ़ेरों शुभकामनाएं
01/01/2023

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