10/09/2023
👉HINDI KAHANI👌
बहुत पुरानी बात है
एक जंगल में एक गुरुकुल था
जिसमे बहुत सारे बच्चे पढ़ने आते थे
एक बात की बात है
गुरु जी सभी विद्यार्थीओ को पढ़ा रहे थे
मगर एक विद्यार्थी ऐसा था
जिसे बार-बार समझाने पर
भी समझ में नहीं आ रहा था।
गुरु जी को बहुत तेज़ से गुस्सा आया
और उन्होंने उस विद्यार्थी से कहा
जरा अपनी हथेली तो दिखाओ बेटा।
विद्यार्थी ने हथेली गुरु जी के आगे कर दी हथेली देखकर गुरु जी बोले
बेटा तुम घर चले जाओ
आश्रम में रहकर अपना समय व्यर्थ
मत करो तुम्हारे भाग्य में विद्या नहीं है।
शिष्य ने पूछा क्यों गुरु जी?
गुरु जी ने कहा तुम्हारे हाथ
में विद्या की रेखा नहीं है।
गुरु जी ने एक हुसियार विद्यार्थी की हथेली उसे दिखाते हुए कहा यह देखो ये है
विद्या की रेखा यह तुम्हारे हाथ में
नहीं है इसलिए तुम समय
नस्ट ना करो और घर
चले जाओ और वहा अपना
कोई और काम देखो।
यह सुनने के बाद उस
विद्यार्थी ने अपने जेब से
एक चाकू निकाला जिसका
प्रयोग वह रोज सुबह
अपनी दातुन काटने
के लिए करता था उस
चाकू से उसने अपनी हाथ
में एक गहरी लकीर बना दी।
हाथ ने खून बहने लगा तब वह
गुरु जी से बोला मैंने अपने हाथ में
विद्या की रेखा बना ली है गुरु जी।
यह देखकर गुरु जी द्रवित हो गए
और उन्होंने उस विद्यार्थी को
गले से लगा लिया।
गुरु जी बोले बेटा तुम्हे विद्या
सिखने से कोई ताक़त नहीं
रोक सकती है द्रढ़, निस्चय और परिश्रम हाथ की रेखाओ को ही बदल देती है।
दोस्तों, वह विद्यार्थी आगे
चलकर महर्षि पाणिनि के नाम से प्रसिद्ध हुए जिसने विश्व प्रसिद्ध व्याकरण अष्टाध्यायी की रचना की है इतनी सदिया बीत जाने के बाद भी आज 2700 वर्षो बाद भी विश्व की किसी भी भाषा में ऐसा उत्कृस्ट और पूर्ण व्याख्या का ग्रन्थ अब तक नहीं बना।
तो दोस्तों इस कहानी की शिक्षा ये है की लोग चाहे जो भी बोले हम हर एक को गलत साबित करते हुए अपनी लागन और कठिन परिश्रम के दम पर जो चाहे वो सब कुछ हांसिल कर सकते है।