
11/08/2025
रक्षाबंधन के दूसरे दिन भुजरियां पर्व बनाकर इसे जल स्त्रोतों में प्रवाहित कर देते है। भुजरियां पर्व के दिन गेहूं के हरे इन पौधों यानि भुजरिया की प्रवाहित करने से पहले पूजा की जाती है इसके चारों घूमकर लोकगीत गाए जाते है।
इस दौरान कामना की जाती है, कि इस साल बारिश बेहतर हो जिससे अच्छी फसल मिल सकें। श्रावण मास की पूर्णिमा तक ये भुजरिया चार से छह इंच की हो जाती हैं। महिलाएं इन टोकरियों को सिर पर रखकर जल स्त्रोतों में विसर्जन के लिए ले जाती हैं। जल से प्रवाहित करने के दौरान कुछ भुजरिया को साथ लाकर एक-दूसरे को देकर शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद देते हैं। यह पर्व नई फसल का प्रतीक माना जाता है।