Anil KumarJha

Anil KumarJha निवर्तमान् जिलाप्रवक्ता भाजयुमो दरभंगा।

01/06/2025

इस छोटी सी बच्ची ने क्या कह दी की सबका बोलती ही बन्द हो गया।

अगर खुदा से तुझे मांगना गुनाह है,तो ये हशीन गुनाहमुझे करने दे।सुना है पत्थर दिल भी पिघलता है,कहीं ओ हमपे रहमोकरम करदे।। ...
29/05/2025

अगर खुदा से तुझे
मांगना गुनाह है,
तो ये हशीन गुनाह
मुझे करने दे।
सुना है पत्थर दिल
भी पिघलता है,
कहीं ओ हमपे
रहमोकरम करदे।।
Anil Jha

💐  #सौराठ_सभा " 💐बिहार के मिथिला क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगने वाला एक विशाल सभा, जिसमें योग्य वर का चुनाव वहाँ आए कन्याओं ...
29/05/2025

💐 #सौराठ_सभा " 💐
बिहार के मिथिला क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगने वाला एक विशाल सभा, जिसमें योग्य वर का चुनाव वहाँ आए कन्याओं के पिता करते हैं। मिथिला के हृदयस्थली मधुबनी से 5 km दूर सौराठ गांव में 22 बीघे के बागीचे में यह सभा लगती है । जिसे #सभा_गाछी भी कहा जाता है।

बहुत कम लोगों को मालूम कि यह दुनियां का पहला ऑफलाइन मैट्रिमोनियल साईट आज से 700 साल पहले मिथिला के राजा हरिसिंह देव के पहल पर शुरू हुई थी । जैसा की लोग कहते हैं कि सौराठ के अलावा सीतामढ़ी के ससौला, झंझारपुर के परतापुर ,दरभंगा के सझुआर , सहरसा के महिषी और पूर्णिया के सिंहासन में भी इसी तरह के सभा का आयोजन किया जाता था । जिसका मुख्यालय सौराठ हुआ करता था।
सौराठ में ये सभा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ महीने में आयोजित होती है । पहले लाखों लोग इस सभा में आते थे जिसमें अविवाहित युवा विवाह के यदेश्य से अपने परिजनों के साथ आते थे । मैथिल ब्राह्मण का कुंवारा लड़का मिथिला के पारंपरिक परिधान धोती, कुर्ता, डोप्टा, पाग और आंख में काजल लगा सज धज कर दरी चादर बिछा कर बैठते थे । अगल बगल उनके अपने और कुटुंब लोग बैठे रहते थे । साथ में खबास (काम करने वाला ) बाल्टी में पानी भरकर लोटा ग्लास के साथ तत्पर रहता था । एक दरी के बाद फिर दूसरे दरी पर दूसरा कोई लड़का रहता । बिच से रास्ता । जिसमें कन्या पक्ष अपने पंजीकार और घटक (मध्यस्त) के साथ घूमते फिरते रहते थे । वांछित वर पक्ष तक पहुंचकर फिर उसी दरी पर दोनों पक्ष बैठ कर बातचीत फाइनल करते थे ।
वैसे बातचीत फाइनल होने से पहले की भी कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना होता है जैसे - वर पक्ष का मुख्य रूप से कुल, मूल और पाँजिका देखा जाता है । जिनके जितने बड़े कुल-मूल-पाँजि होते हैं उनका पूछ उतना ही अधिक होता है। हालांकि इस आधुनिकता के चमक-दमक ने अब लोगों को केवल कुल-मूल-पाँजि से कहीं ऊपर लड़कोंका व्यक्तिगत गुण, आचरण और रोजगार को मुख्य जाँचका विषय बना दिया है।
इस समूचे संसार में शायद मैथिलोंका यह वैवाहिक परंपरा सर्वोत्तम माना जाता है । वैसे सभा की प्रारंभ के किस्से भी बड़े रोचक हैं ।
राजा हरिसिंह देव के दरबार मे नियमित रूप में शास्त्रार्थ हुआ करता था । जिसमें विजय प्राप्त करने वालों को पुरस्कृत किया जाता था। वर्ष 1326 ई. मे हरिसिंह देव ने अविवाहित मैथिल ब्राह्मण युवकों के बीच शास्त्रार्थ का आयोजन करवाया। वेद-वेदान्त, योग, सांख्य, न्याय आदि विषय पर बहुत दिन तक शास्त्रार्थ चलता रहा। हरिसिंह देव शास्त्रार्थ मे सहभागी विद्धान युवकों की विद्वता देख अत्यधिक प्रभावित हुए और चुँकि शास्त्रार्थ मे सहभागी सभी युवक अविवाहित थे इसलिए सभी को एक एक सुन्दर कन्या पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया। इस घटना के पश्चात प्रत्येक वर्ष युवकों के बीच शास्त्रार्थ का आयोजन किया जाने लगा। शास्त्रार्थ मे कन्या पक्ष वाले योग्य वर का चुनाव करते थे। सभा मे वर पक्ष और कन्या पक्ष के बीच सम्पूर्ण बातचीत तय होने के पश्चात विवाह के लिए अनुमति सभा मे उपस्थित पंजीकार से लेना पड़ता था जो की यह विधि आज बी बरक़रार है। इस विधि के अनुसार पंजी मे दोनो पक्ष के बीच सात पुश्त तक कोई खून का सम्बन्ध नही ठहरने के पश्चात पंजीकार द्वारा विवाह के लिए अनुमति दी जाती है। इसके बाद वर और कन्या का जन्म कुंडली मिलाया जाता है । सब कुछ मिलने के पश्चात पंजीकार द्वारा सिद्धान्त प्रथा जारी किया जाता है । पंजीकार अपनी सहमति वरगद के एक सूखे पत्ते पर लिखकर देते हैं । पंजीकारों के पास पंजी मे देश विदेश मे बसे सम्पूर्ण मैथिल ब्राहम्ण परिवार की वंशावली होती है। इस मे पीढ़ी दर पीढ़ी कुल, मूल और गोत्र का विवरण मिलता है। पहले यह भोजपत्र पर लिखा जाता था फिर तामपत्र और अब कागज पर इसका सम्पूर्ण विवरण दर्ज किया जाता है।
ब्राह्मणों के कुल 12 गोत्र होते है। पंजीकारों के पास 84 पंजियाँ होती है जिसमें हरेक पंजी में दो सौ गांवो का सम्पूर्ण विवरण उल्लेख किया गया मिलता है। ब्राहम्ण अपनी विद्वता, शिष्टता और समुचित सलाह देने में कुशल होने के कारण शासक के प्रिय होते थे। फलतः राजकीय सुख सुविधा भी प्राप्त करते थे। इसका फायदा उठाने हेतु गैर ब्राहम्ण भी किसी तरह छल कपट द्वारा ब्राहम्ण परिवार में विवाह कर लेते थे। इसी विकृति से बचने हेतु पंजी प्रथा का आरम्भ किया गया।
सभा पूर्ण रूप से वैज्ञानिक पद्धति पर केंद्रित है। जो बात विज्ञान आज कह रहा है उसे मिथिला के राजा हरिसिंह देव ने लागू करवाने का काम किया था। वरिष्ठ चिकित्सकों के अनुसार एक ब्ल्ड ग्रुप वालों के बीच वैवाहिक संबंध होने से कई परेशानियों का सामना करना होता है। इसके विपरीत भिन्न गोत्र (ब्लड ग्रुप ) में विवाह होने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है यह बात अब विज्ञान भी मानती है ।
अब सबाल ये उठता है कि जब मिथिला में ब्राह्मणों के बीच विवाह का यह इतना वैज्ञानिकता पूर्ण , संगठित और पौराणिक व्यवस्था था तो फिर सभा गाछी की लोकप्रियता क्यों घटती चली गयी ? तो इसका जवाब भी सीधा सा है कि ब्राह्मण खुद जिम्मेदार हैं जो अपनी संस्कृति को बचाना नहीं चाहते ।
जब कोइ लड़की वाला आज के भागम-भाग वाली लाइफ में बेटी के लिए वर की तलाश गांव-गांव या फिर इस शहर से उस शहर करते हैं और सब जगह दहेज की ही मांग होती है । तो न चाहते हुए भी सभा गाछी आ तो जाते हैं । यह सोचकर की यहाँ कोई दहेज नहीं मांगेगा । पर यहाँ एक तो अच्छे लड़के नहीं आते और जो थोड़ा ठीक हैं वो दहेज मांगते हैं ।
कारण चाहे जो भी हो, एक बात सच है कि वरों का यह अनूठा सभा अब अपनी चमक खो चुका है । पहले सौराठ में ब्याह होना सम्मान की बात मानी जाती थी पर अब कहा जाता है कि जिसकी शादी कहीं नहीं होती वही सौराठ में शादी करता है । इस मान-प्रतिष्ठा के चक्कर में मिथिलांचल की एक ऐतिहासिक परंपरा दम तोड़ रही है ।
अनिल झा।।
28/05/17

एक जमाना था कि मेरी शराफत का चर्चा आम होता था।मगर उस जमाने में भी हमने किसीको सताया नहीं था।।                           ...
19/05/2025

एक जमाना था कि मेरी
शराफत का चर्चा आम होता था।
मगर उस जमाने में भी हमने
किसीको सताया नहीं था।।
Anil Jha
099556 44005

ये  वहम  भी  अच्छा  है,कि  तुम अच्छे लगते हो।पर  एक   हम  ही  नहीं, जो उनको अच्छे लगते हों।।                            ...
18/05/2025

ये वहम भी अच्छा है,
कि तुम अच्छे लगते हो।
पर एक हम ही नहीं,
जो उनको अच्छे लगते हों।।
Anil Jha
099556 44005

 #ऑपरेशन_सिंदूर — भारत का शक्ति संदेशभारत का ऑपरेशन सिंदूर एक सैन्य कार्रवाई से कहीं अधिक था - यह दुनिया के लिए एक स्पष्...
16/05/2025

#ऑपरेशन_सिंदूर — भारत का शक्ति संदेश

भारत का ऑपरेशन सिंदूर एक सैन्य कार्रवाई से कहीं अधिक था - यह दुनिया के लिए एक स्पष्ट संदेश था। इसने दिखाया कि भारत सक्षम, आश्वस्त और अपनी सुरक्षा को खतरे में पड़ने पर कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

इस ऑपरेशन ने भारत की वैश्विक छवि को इस तरह से आकार दिया:

1. स्मार्ट और तेज निष्पादन
भारतीय सेना ने सटीकता के साथ तेजी से काम किया। मिशन छोटा, तेज और सफल रहा - जिसने दुनिया को भारत की सैन्य दक्षता दिखाई।

2. संयम के साथ शक्ति
भारत ने आक्रामकता से काम नहीं किया। इसने दृढ़ता से लेकिन जिम्मेदारी से जवाब दिया, यह साबित करते हुए कि यह केवल आवश्यक होने पर और नियंत्रण के साथ बल का उपयोग करता है।

3. मेक इन इंडिया इन एक्शन
स्वदेशी हथियारों और प्रौद्योगिकी के उपयोग ने रक्षा निर्माण और आत्मनिर्भरता में भारत की बढ़ती ताकत को दिखाया।

4. मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति
सरकार ने स्पष्ट और समय पर निर्णय लिए। इससे सैन्य और राजनीतिक कमान के बीच मजबूत नेतृत्व और एकता का पता चलता है।

5. मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इस ऑपरेशन ने दुश्मन के मनोबल को कमजोर किया और एक स्पष्ट चेतावनी दी। यह सैन्य जीत जितनी ही मानसिक जीत थी।

6. सकारात्मक वैश्विक प्रतिक्रिया
विश्व मीडिया और विशेषज्ञों ने भारत की शांत और गणना की गई कार्रवाई की प्रशंसा की। इसने एक स्थिर और परिपक्व शक्ति के रूप में भारत की छवि को मजबूत किया।

7. राष्ट्रीय गौरव
पूरे देश में लोगों ने गर्व और एकजुटता महसूस की। इस ऑपरेशन ने भारत के रक्षा बलों में जनता का विश्वास बढ़ाया।

निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर एक शांत शक्ति का क्षण था। इसने दुनिया और भारतीयों को याद दिलाया कि भारत सिर्फ बढ़ नहीं रहा है; यह तैयार है। रक्षा करने, नेतृत्व करने और अपने भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है।
Anil Jha 099556 44005
गाँधी चौक जाले, दरभंगा

16/05/2025

एकादशी यज्ञ!

16/05/2025

सीजफ़ायर के बाद पाकिस्तान क्यों खुशी मना रहा है पता है??
उसको बचने कि उम्मीद नहीं थी, इस बात से ख़ुश है कि बच गये। 😀

15/05/2025

आप सभी मित्रों का मेरे इस पेज पर स्वागत है। हम आपके सलाह और सुझाव के इंतजार में हैं🙏

!!! शुभ तिला संक्रान्ति !!!!! भोड़ भेल नाहाई जाइ जाऊ !! इयह  एकटा  एहन  पावइन  अछि  जाहि  मे,  धिया - पुता  के  जिऊ  सँ ...
15/01/2024

!!! शुभ तिला संक्रान्ति !!!

!! भोड़ भेल नाहाई जाइ जाऊ !!

इयह एकटा एहन पावइन अछि जाहि मे, धिया - पुता के जिऊ सँ पाइन नहि खसै छै। आ ने कानअ परै छै। अहि दुआरे जे बनैत गेल आ खाइत गेल। आन पावइन मे ''हे-हे बौआ नइ छुबू, नवैद्य परतइन तहन खैब। बड़का भगवान छथिन गोर लागू ! ''
अहि मे बच्चा लेल एकैटा झंझटि अहि भोरे-भोर नहेनाई। मुदा लाइ -मुरही आ तिलबा जे ने कराबै। ओ पोखैड़ के जमकल पाइन आ ओही मे कपरा खोइल क डूबकी !
अखनो मोन परइया त' देह शिहइड़ जाइया।
अनिल झा।।

08/12/2023

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