Bobby Deol Fan Club

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शेफाली जरीवाला एक भारतीय मॉडल, अभिनेत्री और डांसर हैं जिन्हें सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि 2002 में आए सुपरहिट म्यूज़िक वीडियो...
28/06/2025

शेफाली जरीवाला एक भारतीय मॉडल, अभिनेत्री और डांसर हैं जिन्हें सबसे ज़्यादा प्रसिद्धि 2002 में आए सुपरहिट म्यूज़िक वीडियो "कांटा लगा" से मिली। उनका जन्म 15 दिसंबर 1982 को अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था। वे एक गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती थीं और प्रारंभिक शिक्षा अहमदाबाद से ही प्राप्त की। आगे की पढ़ाई उन्होंने मुंबई के स्नातकोत्तर कॉलेज से इंजीनियरिंग (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी) में की।

शेफाली ने अपने करियर की शुरुआत बतौर मॉडल की और "कांटा लगा" गाने ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने कई म्यूज़िक वीडियो और हिंदी फिल्मों में छोटे रोल किए। वे 2004 में आई फिल्म "मुझसे शादी करोगी" में भी दिखाई दी थीं। इसके अलावा, उन्होंने कई रियलिटी शो में हिस्सा लिया जिनमें "नच बलिए 5", "नच बलिए 7" और "बिग बॉस 13" प्रमुख हैं। बिग बॉस में उन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी से दर्शकों का दिल जीत लिया था।

शेफाली की निजी ज़िंदगी भी काफी चर्चा में रही। उन्होंने पहले हरमीत सिंह (मीट ब्रदर्स म्यूज़िक डायरेक्टर) से शादी की थी, लेकिन कुछ वर्षों बाद उनका तलाक हो गया। बाद में उन्होंने अभिनेता पराग त्यागी से शादी की, जो खुद टीवी इंडस्ट्री का जाना-पहचाना चेहरा हैं। दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया और ये दोनों कई शोज़ में साथ भी दिखे।

शेफाली एक फिटनेस प्रेमी थीं और सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती थीं। उन्होंने सरोगेसी के माध्यम से माँ बनने की इच्छा भी ज़ाहिर की थी। अफसोस की बात यह है कि जून 2025 में 42 वर्ष की उम्र में कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका आकस्मिक निधन हो गया, जिससे फिल्म और टीवी इंडस्ट्री के साथ-साथ उनके प्रशंसकों को भी गहरा झटका लगा।

छक्के.. 3 चौके... महान क्रिकेटर के बेटे पर भारी वैभव सूर्यवंशी की पारी, भारत को 24 ओवर में जिता दिया वनडे मैचअंडर-19 टीम...
28/06/2025

छक्के.. 3 चौके... महान क्रिकेटर के बेटे पर भारी वैभव सूर्यवंशी की पारी, भारत को 24 ओवर में जिता दिया वनडे मैचअंडर-19 टीम ने इंग्लैंड दौरे की दमदार शुरुआत की है. आयुष म्हात्रे की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने इंग्लैंड अंडर-19 को पहले यूथ वनडे मुकाबले में 26 ओवर रहते 6 विकेट से हरा दिया.भारत की इस जीत में आईपीएल इतिहास के सबसे युवा शतकवीर वैभव सूर्यवंशी ने तूफानी पारी खेलकर अहम योगदान दिया. 14 साल के इस भारतीय स्टार के चौके-छक्कों के आगे इंग्लैंड के महान क्रिकेटर एंड्र्यू फ्लिंटॉफ के बेटे रॉकी फ्लिंटॉफ की अर्धशतकीय पारी फीकी दिखी.

वैभव का तूफान, 24 ओवर में ही जीता भारत

भारतीय टीम ने ब्राइटन में खेला गया 50 ओवर का यह मुकाबला सिर्फ 24 ओवर में ही अपने नाम कर लिया. इंग्लैंड से मिले 175 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए वैभव सूर्यवंशी ने तूफानी शुरुआत दिलाई. हालांकि, फिफ्टी पूरी करने से दो रन पहले वह आउट हो गए. वैभव ने 19 गेंदों में 48 रन की आतिशी पारी खेली, जिसमें 5 छक्के और 3 चौके शामिल रहे. उनके अलावा कप्तान आयुष म्हात्रे ने 21 रन बनाए. विहान मल्होत्रा (18) और मौल्याराजसिंह चावड़ा (16) के रूप में भारत को दो और झटके जरूर लगे, लेकिन अभिज्ञान कुंडू (45*) और राहुल कुमार (17*) ने नाबाद रहते हुए भारत की जीत सुनिश्चित की. भारत ने 24 ओवर में 179 रन बनाकर मैच जीत लिया.

रॉकी फ्लिंटॉफ की फिफ्टी बेकार

इससे पहले बैटिंग करते हुए इंग्लैंड की टीम 42.2 ओवर में ही 174 रन बनाकर ऑलआउट हो गई. इंग्लैंड की शुरुआत ठीक ठाक रही, लेकिन पहला विकेट गिरते ही पारी लड़खड़ा गई. एक के बाद एक विकेट गिरने का सिलसिला शुरू हो गया. हालांकि, चार नंबर पर आए रॉकी फ्लिंटॉफ ने एक छोर संभालते हुए शानदार अर्धशतक जड़ा, लेकिन 56 रन के निजी स्कोर पर वह भी आउट हो गए. रॉकी ने 90 गेंदों की इस पारी में तीन चौके और तीन छक्के लगाए. इसाक मोहम्मद ने 42 रन की पारी खेली.

भारतीय गेंदबाजों का धमाल

भारतीय गेंदबाजों का मैच में जलवा रहा. कनिष्क चौहान ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लेकर इंग्लैंड की बल्लेबाजी को तहस-नहस किया. मोहम्मद इनान, आरएस अम्ब्रीश, हेनिल पटेल ने 2-2 विकेट झटके, जिससे इंग्लैंड की टीम को पूरे 50 ओवर खेलना भी मुश्किल पड़ गया. हेनिल पटेल और मोहम्मद इनान ने सेट बल्लेबाज रॉकी फ्लिंटॉफ और मोहम्मद इसाक को आउट कर इंग्लैंड को तगड़े झटके दिए, जिससे इंग्लैंड की टीम बड़ा टोटल बोर्ड पर नहीं लगा पाई.

भाई ने बहन को किया प्रेग्नेंट, फिर चुटकी-चुटकी सिंदूर से भरी मांग, मंदिर में किया शर्मनाक खुलासा! •धर्म में भाई-बहन के र...
28/06/2025

भाई ने बहन को किया प्रेग्नेंट, फिर चुटकी-चुटकी सिंदूर से भरी मांग, मंदिर में किया शर्मनाक खुलासा! •धर्म में भाई-बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र माना जाता है. खून का रिश्ता तो छोड़िए, यहां तक की अगर किसी लड़की ने किसी अनजान शख्स को राखी बांध दी, तो उसे भी लोग पावन नजरों से ही देखते हैं.लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो भाई-बहन के रिश्ते को दागदार बना देते हैं. कभी कोई चचेरी बहन से प्यार कर उससे शादी कर लेता है, तो कभी कोई लड़की अपने सौतेले भाई से ही संबंध बना लेती है. लेकिन आज हम आपको जो वीडियो दिखाने जा रहे हैं, वो ज्यादा भयावह है. इस वायरल वीडियो में नजर आ रही लड़की न सिर्फ अपने भाई से प्रेग्नेंट हो गई, बल्कि उसका दावा है कि दोनों भाई-बहन ने एक-दूसरे से शादी कर ली.

भाई ने अपनी बहन की मांग में चुटकी-चुटकी सिंदूर से भर दिया. इसके बाद दोनों ने मंदिर में ही ये शर्मनाक खुलासा किया. वायरल हो रहे इस वीडियो को इंस्टाग्राम अकाउंट ने शेयर किया है. इस वीडियो में एक लड़की नजर आ रही है, जिसके मांग में सिंदूर भरा हुआ है.

लड़की अचानक बोलना शुरू करती है. वो बेशर्मी से सारी बातें बतला रही है. वीडियो में लड़की अपने पास खड़े लड़के की तरफ इशारा करती हुई कहती है कि ये मेरा भाई है और मैं इसकी बहन हूं. हम दोनों आपस में प्यार करते हैं और मैं इसके बच्चे की मां बनने वाली हूं.

लड़की इतने तक ही नहीं रुकती है. वो आगे कहती है कि हम दोनों प्यार करते हैं, इसीलिए हमने शादी की है. हमारे रिश्ते को कोई तोड़ने वाला नहीं है. इस दौरान लड़का चुपचाप खड़ा है, जबकि लड़की ही सारी कहानी बयां कर रही है. हालांकि, ये वीडियो कहां का है, इसमें नजर आ रही लड़की और लड़के का नाम क्या है, इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है.

रतलाम में मुख्यमंत्री के साथ ही चीटिंग कर दी, CM मोहन यादव के काफिले की 19 गाड़ियों में डीजल की जगह भर दिया पानी, प्रशास...
28/06/2025

रतलाम में मुख्यमंत्री के साथ ही चीटिंग कर दी, CM मोहन यादव के काफिले की 19 गाड़ियों में डीजल की जगह भर दिया पानी, प्रशासन में हड़कंप, पेट्रोल पंप सील

डिलजीत दोसांझ को हानिया आमिर विवाद के चलते फिल्म बॉर्डर 2 से हटाया जा सकता हैपाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर को फिल्म 'स...
28/06/2025

डिलजीत दोसांझ को हानिया आमिर विवाद के चलते फिल्म बॉर्डर 2 से हटाया जा सकता है
पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर को फिल्म 'सरदार जी 3' में कास्ट करने के बाद डिलजीत दोसांझ को भारी विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके चलते उन्हें देशभक्ति पर आधारित फिल्म 'बॉर्डर 2' से राष्ट्रवादी भावना को देखते हुए हटाने पर विचार किया जा रहा है।

ऐसी बेटियों पर देश को गर्व है🙏🙏💯💯
28/06/2025

ऐसी बेटियों पर देश को गर्व है🙏🙏💯💯

एक बुजुर्ग महिला रोजाना इस लंगूर को खाना खिलाती थी। लेकिन जब वो बीमार हो गयी तो खाना देने नहीं जा पा रही थी और जब लंगूर ...
28/06/2025

एक बुजुर्ग महिला रोजाना इस लंगूर को खाना खिलाती थी। लेकिन जब वो बीमार हो गयी तो खाना देने नहीं जा पा रही थी और जब लंगूर ने बीते कई दिनों से महिला को नहीं देखा तो लंगूर महिला से खुद मिलने आता है और उनको गले लगा लेता है मानो वो उसे यह कहने की कोशिश कर रहा हो कि तुम ठीक हो जाओगी। इस खूबसूरत दोस्ती के लिए लव रियेक्ट तो बनता है।

साल 1960 से लेकर 1982 तक एक हथौड़ा और छैनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फ़ीट लम्बी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को पत...
28/06/2025

साल 1960 से लेकर 1982 तक एक हथौड़ा और छैनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फ़ीट लम्बी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को पत्नी की याद में काट कर एक सड़क बना डाली... हम दशरथ मांझी जैसे महापुरुष के साहस और जज़्बे को सादर नमन करते हैं

पुरी जगन्नाथ यात्रा: भारी भीड़ में फंसने से 600 श्रद्धालु घायल, मोड़ पर अटक गया था भगवान बलभद्र का रथडिशा के पुरी में मह...
28/06/2025

पुरी जगन्नाथ यात्रा: भारी भीड़ में फंसने से 600 श्रद्धालु घायल, मोड़ पर अटक गया था भगवान बलभद्र का रथ
डिशा के पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा उत्सव के दौरान भारी भीड़ उमड़ने के कारण 600 से अधिक श्रद्धालुओं को चोटों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.इस कारण रथ यात्रा में काफी देरी हुई, खास तौर पर भगवान बलभद्र के तलध्वज रथ को खींचने में, जिससे अव्यवस्था फैल गई. रथ यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले एक मोड़ पर रथ को खींचने में काफी कठिनाई हुई, जिसके कारण जुलूस की गति धीमी हो गई. रथ के रुकने से मौके पर काफी ज्यादा तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई.

बड़ी संख्या में लोग प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस गए, जिससे रथों की सुचारू आवाजाही में और बाधा उत्पन्न हुई. सुरक्षा सूत्रों के अनुसार, उम्मीद से कहीं ज्यादा भीड़ उमड़ी, जिसको मैनेज करने में काफी चुनौतियां आईं. इस अव्यवस्था के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को चिकित्सा सहायता की जरूरत पड़ी, जिनमें से 600 से ज्यादा लोगों का पुरी मेडिकल कॉलेज में इलाज किया गया. रथ खींचने के दौरान ये घटनाएं पूरे रथ यात्रा मार्ग पर हुईं. गनीमत रही कि भगदड़ की स्थिति नहीं बनी और किसी की जान नहीं गई.

जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के बेहोश होने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए ओडिशा के मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि ये घटनाएं संभवतः बहुत अधिक गर्मी और उमस के कारण हुई हैं. उन्होंने कहा, 'मौसम की स्थिति के कारण एक या दो श्रद्धालु बेहोश हो गए, लेकिन बचाव दल ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और उन्हें अस्पताल पहुंचाया. मुकेश महालिंग ने कहा कि मंदिर के पास प्राइमरी हेल्थ सेंटर स्थापित किए गए हैं और उन्होंने आश्वासन दिया कि पानी और ग्लूकोज की व्यवस्था की गई है. उन्होंने कहा, 'मैं व्यक्तिगत रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए भी यहां आया हूं कि पर्याप्त चिकित्सा सहायता उपलब्ध है और देखभाल की जरूरत वाले लोगों की जांच करने के लिए अस्पताल का दौरा करूंगा.'हर साल होने वाले इस रथोत्सव में देश ओर दुनियाभर से महाप्रभु जगन्नाथ के लाखों भक्त तीर्थ नगरी पुरी पहुंचते हैं. इस दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई-बहन भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को 12वीं शताब्दी के पुरी जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक हाथों से खींचकर लाया जाता है. भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा एक सप्ताह तक गुंडिचा मंदिर में रहते हैं और फिर इसी तरह के जुलूस में वापस जगन्नाथ मंदिर के गर्भ गृह में लौटते हैं. गुंडिचा मंदिर त्रिदेवों के मौसी का घर माना जाता है.

यह वर्ष का वह समय है जब महाप्रभु स्वयं अपने भक्तों से मिलने के लिए अपने निवास (जगन्नाथ मंदिर) से बाहर आते हैं. इस समय तीथ नगरी पुरी 'जय जगन्नाथ' और 'हो भक्ते' के नारों से गुंजायमान रहती है. मंगल आरती और विधि विधान से पूजा-पाठ करने के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को 12वीं शताब्दी के मंदिर से निकालकर सिंह द्वार पर खड़े उनके रथों नंदी घोष, दर्पदलन और तालध्वज पर विराजमान किया गया. घंटियां, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर निकाला गया और देवी सुभद्रा के 'दर्पदलन' रथ पर विराजित किया गया. श्री सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्र अस्त्र है. पुरी में विराजमान महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान विष्णु के ही रूप हैं.सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे, जिन्हें उनके 'तालध्वज' रथ पर विराजमान किया गया. भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा को सेवकों द्वारा 'सूर्य पहांडी' (रथ पर ले जाते समय देवी आकाश की ओर देखती हैं) नामक विशेष जुलूस में उनके 'दर्पदलन' रथ पर विराजमान किया गया. आज सुबह पुरी मंदिर के सिंह द्वार के बाहर खड़े भव्य रथों को औपचारिक पहांडी और छेरा पहनरा अनुष्ठान पूरा होने के बाद तीर्थ नगरी के गुंडिचा मंदिर की ओर बड़ादंडा (ग्रैंड रोड) से नीचे उतारा गया. भोई राजवंश के मुखिया ने रथ यात्रा के रास्ते को सोने की झाड़ू से बुहारा. इसके बाद भक्तों ने सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचना शुरू किया. कुछ देर ले जाकर उनके रथ को रोक दिया गया. फिर देवी सुभद्रा के रथ को खींचना शुरू किया गया. सबसे आखिरी में महाप्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचा जाएगा.

भारी भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे शहर में लगभग 10,000 सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है, जिनमें केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की आठ कंपनियां भी शामिल हैं. ओडिशा के डीजीपी वाई.बी खुरानिया ने कहा, 'हमने रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए हर संभव व्यवस्था की है. 275 से अधिक एआई-इनेबल्ड सीसीटीवी कैमरों के जरिए रथ यात्रा की निगरानी की जा रही है.'

1. **दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज*** यह पुल **चिनाब नदी** पर बना है और इसकी ऊँचाई **359 मीटर (1178 फीट)** है, जो...
28/06/2025

1. **दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज**
* यह पुल **चिनाब नदी** पर बना है और इसकी ऊँचाई **359 मीटर (1178 फीट)** है, जो इसे **एफिल टॉवर से भी ऊँचा** बनाती है।
2. **प्रोजेक्ट का हिस्सा:**
* यह पुल **उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL)** परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को पूरे साल भारत से रेल मार्ग से जोड़ना है।
3. **लंबाई और डिज़ाइन:**
* पुल की कुल लंबाई लगभग **1.3 किलोमीटर (1315 मीटर)** है।
* इसका मुख्य आर्च **467 मीटर लंबा** है और यह **स्टील ट्रस आर्च ब्रिज** डिज़ाइन पर आधारित है।
4. **मौसमीय सहनशीलता:**
* इसे **-20°C से +45°C** तक के तापमान में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
* यह **300 किमी/घंटा तक की हवाओं** को भी झेलने में सक्षम है।
5. **सामग्री और निर्माण:**
* इसमें **28,660 टन स्टील** और **28,000 टन से अधिक कंक्रीट** का उपयोग हुआ है।
* स्टील विशेष रूप से **कोर-10 टाइप (weathering steel)** का है, जो जंग प्रतिरोधी होता है।
6. **सुरक्षा और तकनीक:**
* पुल को **बम विस्फोटों** और **भूकंप** जैसी आपदाओं को झेलने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
* इसमें **Health Monitoring System** लगा है जो 24x7 इसकी स्थिति की निगरानी करता है।
7. **निर्माण में चुनौतियाँ:**
* यह क्षेत्र भूकंपीय और भूस्खलन संभावित है। यहाँ निर्माण करना एक **अत्यंत जोखिम भरा कार्य** था, जिसे भारतीय रेलवे और AFCONS ने मिलकर पूरा किया।
8. **खास उपलब्धि:**
* यह पुल भारतीय रेलवे की **इंजीनियरिंग क्षमता का प्रतीक** है और इसे दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण रेलवे प्रोजेक्ट्स में गिना जाता है।

"अपने बेटे को खोने के बाद अपनी बहु के लिए सास-ससुर बने मां-बाप, विधवा बहू का कन्यादान कर पेश की इंसानियत की मिसाल"उत्तरा...
28/06/2025

"अपने बेटे को खोने के बाद अपनी बहु के लिए सास-ससुर बने मां-बाप, विधवा बहू का कन्यादान कर पेश की इंसानियत की मिसाल"
उत्तराखंड की हसीन वादियों में बसे देहरादून के नजदीक स्थित बालावाला का चंद्र परिवार, आज समाज में इंसानियत और परिवार के रिश्तों की मिसाल बन चुका है। इस परिवार ने न केवल अपने पारंपरिक सोच को चुनौती दी, बल्कि परिवार और समाज की परिभाषा को एक नए आयाम में प्रस्तुत किया है। जब कोई व्यक्ति अपने बेटे को खो देता है, तो वह जीवन के सबसे गहरे और दर्दनाक अनुभवों में से एक होता है। ऐसे में चंद्र परिवार ने इस दुख को अपने दिल में समेटते हुए, अपनी बहू के लिए एक उदाहरण पेश किया जो न केवल रिश्तों की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि मजबूत इरादे और सकारात्मक सोच से कोई भी मुश्किल आसान हो सकती है।
कन्यादान का एक नया दृष्टिकोण:
साधारणतः विधवा महिलाएं समाज में अक्सर अकेली और समाज की नजरों में लांछित हो जाती हैं। उनके जीवन को नए सिरे से जीने की आवश्यकता होती है, लेकिन कई बार समाज की मानसिकता और पारंपरिक सोच उनकी राह में रुकावट बन जाती है। चंद्र परिवार ने इस मानसिकता को तोड़ते हुए अपने बेटे के निधन के बाद अपनी बहू का कन्यादान किया। यह कदम न केवल एक व्यक्तिगत साहस था, बल्कि समाज के लिए एक सशक्त संदेश भी था कि इंसानियत और रिश्तों की ताकत किसी भी दर्द या दुख से बड़ी होती है।
यह एक ऐसा उदाहरण है, जहां पारंपरिक सास-ससुर का रूप बदलकर वे अपनी बहू के लिए एक मां-बाप बन गए। इस निर्णय ने परिवार के बीच न केवल रिश्तों को मजबूत किया, बल्कि समाज को यह भी दिखाया कि जीवन के कठिन समय में, किसी के साथ खड़ा होना और उसे सहारा देना सबसे महत्वपूर्ण है।
समाज की मानसिकता पर प्रभाव:
भारत में आज भी कई जगहों पर विधवा महिलाओं को समाज में कई तरह की तंग नजरों और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। परंतु चंद्र परिवार ने यह सिद्ध कर दिया कि रिश्तों में खून का रिश्ता केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह एक गहरे प्यार, समझ और समर्थन का प्रतीक है। जब बहू को सास-ससुर ने अपना आशीर्वाद और सहारा दिया, तो इसने समाज को यह दिखाया कि रिश्तों की कोई सीमाएँ नहीं होतीं, और समाज को अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है।
एक प्रेरणा:
चंद्र परिवार का यह कदम उन सभी परिवारों के लिए एक प्रेरणा है जो पारंपरिक सोच के साथ जकड़े हुए हैं और रिश्तों के नाम पर केवल रक्त संबंधों को महत्व देते हैं। यह परिवार हमें यह सिखाता है कि प्यार, सहानुभूति, और इंसानियत सबसे ऊपर होते हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, खासकर कठिन समय में, तो हम इंसानियत के सबसे बड़े मूल्य को समझते हैं।
यह कदम न केवल चंद्र परिवार के साहस को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अपने परिवार और रिश्तों को सच्चे अर्थों में स्वीकार करना क्या होता है। अपने बेटे की यादों को संजोते हुए, चंद्र परिवार ने अपनी बहू को अपना आशीर्वाद और प्यार दिया, और यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश भी है।
निष्कर्ष:
चंद्र परिवार ने अपने बेटे के निधन के बाद जिस तरह से अपनी बहू का कन्यादान किया, वह एक नई परिभाषा गढ़ता है। इस कदम ने हमें यह सिखाया कि परिवार का मतलब केवल खून का रिश्ता नहीं, बल्कि यह एक समझ, समर्थन और सच्चे प्यार का प्रतीक होता है। समाज में कई बार हमें अपनी सोच को बदलने की जरूरत होती है, और चंद्र परिवार ने इसे करके दिखाया। इस कदम को सलाम करते हुए, हमें यह समझने की जरूरत है कि रिश्ते वही मजबूत होते हैं, जो दिल से जुड़े होते हैं, और इंसानियत सबसे ऊपर होती है।
सास-ससुर को इस कदम के लिए बधाई! आपने न केवल अपने परिवार को एक नया दृष्टिकोण दिया, बल्कि समाज को भी यह सिखाया कि सच्चे रिश्ते कभी नहीं टूटते।

कहते थे लोग 'देखो छ। क्का जा रहा है' आज कहते है "सैल्यूट मैडम"ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा- आज मेरी मेहनत रंग लाई है मैंने अपन...
28/06/2025

कहते थे लोग 'देखो छ। क्का जा रहा है' आज कहते है "सैल्यूट मैडम"

ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा- आज मेरी मेहनत रंग लाई है मैंने अपने जीवन और पहचान के लिए बहुत संघर्ष किया है लोग ताने मारते थे लेकिन मैंने हार नहीं मानी।

दिव्या की कहानी सिर्फ एक सफलता की गाथा नहीं, बल्कि समाज के सोच को आईना दिखाने वाली मिसाल है यह दिखाता है कि जज्बा और मेहनत हो, तो कोई भी दीवार बहुत ऊंची नहीं होती इसीलिए समाज में किसी को नीचे दिखाने की वाजाए लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दें ताकि समाज में एक नया बदलाव आ सके

ढाई साल की कठिन तैयारी और सामाजिक तानों के बीच दिव्या ने बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा 2024 में अपना जगह बनाई हैं।

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