
18/09/2025
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꧁♡ गुरू घर की साखियां ♡꧂
सतिनामु श्री वाहिगुरू
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🌼 साखी :- शेर और गाय 🌼
साध संगत जी 🙏
आज महापुरुषों द्वारा सुनाई गई एक साखी से प्रेरणा लेते हैं, जिस पर पंचम पातिशाह श्री गुरू अर्जुन देव जी ने भी मोहर लगाई है:
"गऊ कउ चारे सारदूल" (अंग 898)
📖 प्रसंग
एक चरवाहा रोज़ गायों को जंगल में चराने ले जाता था। एक दिन बहुला नाम की गाय ने बछड़े को जन्म दिया। कमजोरी के कारण वह जंगल से वापस न आ सकी। आधी रात को जब शेर आया तो गाय ने कहा:
"हे शेर, मैं तेरी दासी हूँ। पर आज मुझे मत मारना। मैंने अभी-अभी बछड़े को जन्म दिया है। मुझे पहले उसे दूसरी गाय को सौंपना है, फिर मैं वापस तेरे पास आऊँगी।"
शेर ने हैरानी से कहा:
"ऐसा वचन निभाना असंभव है, तुम लौटकर क्यों आओगी?"
गाय बोली:
"मृत्यु तो निश्चित है, पर धर्म और वचन तोड़कर मरना उचित नहीं। मैं अवश्य आऊँगी।"
गाय बछड़े को सुरक्षित छोड़कर वचन निभाने शेर के पास लौटी। शेर उसकी सत्यनिष्ठा देखकर भावुक हो गया और चरणों में गिरकर बोला:
"आज से मैं भी तेरा पुत्र हूँ। तू जहाँ चाहे निडर होकर घास चर सकती है। कोई तुझे कष्ट नहीं देगा।"
इसीलिए गुरुदेव जी ने फरमाया:
"गऊ कउ चारे सारदूल"
अर्थात – जब परमात्मा कृपा करते हैं, तो शेर भी गाय को घास चराता है।
🌷 सीख
👉 धर्म और वचन पर अडिग रहना चाहिए।
👉 जब मनुष्य धर्म निभाता है, तो प्रभु प्रसन्न होकर असंभव को भी संभव कर देते हैं।
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🌸 आज की सेवा परवान कीजिए। कल फिर एक नई साखी के साथ हाज़िर होंगे। 🌸
प्यार से कहिए:
✨ धंन श्री गुरू नानक देव जी ✨
✨ धंन श्री गुरू अर्जुन देव जी ✨
🙏 भूल चुक दी क्षमा 🙏
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