06/10/2025
साहिब बंदगी के संत सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने आज राँजड़ी, जम्मू में अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से संगत को निहाल करते हुए कहा कि सभी धर्म शास्त्र बोल रहे हैं कि संसार सागर से पार होने के लिए गुरु करना बहुत जरूरी है। इसकी प्रासंगिकता जाननी होगी। रामायण में गोस्वामी जी कह रहे हैं कि चाहे कोई ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान ही क्यों न हो, संसार सागर से पार नहीं हो सकता है।
राम जी आए तो वशिष्ठ जी को गुरु किया। कृष्ण जी आए तो दुर्वासा जी को गुरु किया। फिर कौन लोग हैं, जो कह रहे हैं कि गुरु की जरूरत नहीं है।
योगावशिष्ठ महारामायण में वशिष्ठ जी ने राम जी ने पूछा कि यह संसार बहुत दुखमय है। वशिष्ठ ज ने कहा कि हे राम, किस संसार की बात कर रहे हो, संसार कभी हुआ ही नहीं है। यह तुम्हारे चित्त की कलना है। तुम अपने चित्त का निरोध करो तो संसार खत्म है। यह चित्त मन का रूप है। इसी से याद है कि फलानी मेरी माँ है, फलाना मेरा बाप है, फलाना मेरा भाई है। यही माया है।
साहिब जी ने कहा कि मन और आत्मा को समझना ही आध्यात्म है। आजकल अध्यात्म खत्म हो गया है। जंगलों में जाना, पहाड़ों में घूमना आदि अध्यात्म नहीं है। चार डुबकियाँ लगाना अध्यात्म नहीं है। चार किताबें पढ़ना अध्यात्म नहीं है। अध्यातम यह है कि हम अपनी आत्मा को जानें कि कैसी है, कैसे बंधी है। कौन बाँधा है। मन को समझें। यह सब सद्गुरु के नाम की ताकत से सहज में मिल जायेगा।