13/07/2025
ये ईरान में शेख इमामी अल-हादी की गिरफ़्तारी ने खुलासा किया है कि उसका असली नाम था “शमऊन यहूदी।” तो सोचिए, हमारे बीच ऐसे कितने “शमऊन” हो सकते हैं?
पंद्रह वर्षों तक लोग क़ुम और तेहरान में उसके पीछे नमाज़ पढ़ते रहे। ज़रा कल्पना कीजिए — यह व्यक्ति क़ुम में फतवे के मिम्बर (धार्मिक मंच) पर बैठा,
धार्मिक प्राधिकरण का प्रतिनिधित्व करता रहा, धर्म के मामलों में फ़ैसले सुनाता रहा,
वह धर्मशास्त्र पर बहस करता, ईरान के विभिन्न शहरों में एक धर्म-प्रचारक और सामूहिक चेतना का मार्गदर्शक बनकर घूमता रहा।
उसका एक यूट्यूब चैनल था, जिसे हज़ारों लोग फ़ॉलो करते थे।
उसे पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया और दुआओं के साथ विदा किया गया।
उसने लोगों की नमाज़ें पढ़ाईं, जबकि लोग उसके पीछे हाथ बांधकर नमाज़ ख़त्म करते रहे — नम्र हृदयों से।
आज यह सामने आया कि वह एक जासूस था — और वह भी पंद्रह सालों तक ज़ायोनिस्ट (इसराइली) संस्था के लिए काम करता रहा।
उसका असली नाम था शमऊन दिरावी, जो इसराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का एक अधिकारी था।
उसने घुसपैठ की सबसे पवित्र स्थानों में —
हौज़ा के केंद्र में, जो शिया धार्मिक सत्ता का दिल माना जाता है,
और हुसेन के पवित्र हरम में।
वह अल-महदी के नाम से जासूस बनकर आया, पगड़ी पहनी,
और उन मासूमों को धोखा देता रहा जो पूरी श्रद्धा के साथ उसकी बातों को सुनते थे।
यह कहानी कई गंभीर सवाल खड़े करती है —
और यह कोई काल्पनिक कथा नहीं, बल्कि एक कड़वा सच है।
हर देश और सरकार को अत्यधिक सतर्क और चौकन्ना रहना चाहिए।
हर उस व्यक्ति पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए, जो बस पगड़ी पहन कर, मीठी बातें करके आ जाता है।