08/06/2025
जमशेदपुर के समीप जादूगोड़ा‑घाटशिला राज्य मार्ग के किनारे स्थित रंकिणी मंदिर (Rankini Mandir), जिसे कपड़गढ़ी घाट के नाम से भी जाना जाता है, माँ रंकिणी (गोडेस Kali/Durga का आवतार) को समर्पित लोकप्रिय और ऐतिहासिक स्थल है।
---
🕉️ स्थान और पहुँच
यह मंदिर झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला, पोट्का ब्लॉक, रोहिणीबेड़ा गांव में स्थित है और जादूगोड़ा से लगभग 2–3 किमी और टाटानगर (जमशेदपुर) से लगभग 35 किमी की दूरी पर है ।
पहुँच: Hata–Jadugora राज्य मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। नज़दीकी रेलवे स्टेशन टाटा नगर है। नज़दीकी हवाई अड्डा रांची (लगभग 120 किमी) है ।
---
🏛️ इतिहास एवं पौराणिक कथा
मंदिर की स्थापना 1947–50 में हुई। इससे पहले माँ रंकिणी एक चट्टान (शिला) के रूप में प्राकृतिक रूप में विराजमान थीं, जिसे एक जन स्वप्न के माध्यम से एक व्यक्ति – दिनबंधु सिंह – ने पाया और वहाँ पूजा आरंभ की ।
स्थान पर बनाए गए मंदिर का वर्तमान स्वरूप लगभग 70 वर्ष पुराना है (1950 के आसपास), और इसका ट्रस्ट 1954 में बना ।
मुख्य मूर्ति अब भी वह चट्टान ही है, जिसे लोग ‘जागृत शिला’ समझकर साल दर साल बढ़ने की मान्यता रखते हैं ।
मंदिर का प्राचीन दिनचर्या मानव बलिदान (नरबली) से जुड़ा बताता है, जो लगभग 1865 में ब्रिटिश राज द्वारा रोका गया था ।
---
🕯️ देवी की महत्ता और आदिवासी परंपरा
देवी रंकिणी आदिवासी (खास तौर पर भुमिज प्रजाति) समुदायों द्वारा पाषाण मूर्ति रूप में शाश्वत रूप से पूजी जाती रही, जिसके बाद ब्राह्मणिक हिंदू धर्म के साथ पूजन की परंपरा जुड़ी ।
देवी शक्ति और न्याय की प्रबल रूप से संरक्षक समझी जाती है। बिभूतिभूषण बंधोपाध्याय ने “रंकिणी देवीर खड़्ग” कहानी में माँ रंकिणी को एक प्रबल, भयावह शक्ति स्वरूप में दर्शाया है ।
---
🛕 मंदिर परिसर और सुविधाएँ
आज का मंदिर दो सह‑मंदिरों (गणेश एवं शिव) से घिरा होता है और पास में एक हरि मंदिर (राधा‑गोबिंद को समर्पित) भी बना हुआ है ।
संरचना साधारण है—सिमेंट में उकेरे आकृतियाँ और जीवित रंगों में देवी‑देवताओं का चित्रण ।
भक्त सामान्यतः लाल कपड़े में नारियल, सुपारी व चावल बाँधकर अपनी मनोकामना आराधना करते हैं ।
---
🌿 वातावरण और अनुभव
मंदिर घने जंगल और दलमा पर्वत श्रृंखला के बीच एक छोटे पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। आसपास का वातावरण शांत, प्राकृतिक और ध्यानात्मक है ।
यात्रा करते समय मार्ग में Subarnarekha नदी के नज़दीक Galudih barrage और आसपास के खानों को देखा जा सकता है ।
स्थानीय वोटर्स और पर्यटक इसे शांति, सुंदर परिवेश और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए पसंद करते हैं ।
---
🕌 दर्शन समय और सुझाव
दर्शन समय: लगभग सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक (स्थानीय जानकारी के अनुसार) ।
यहाँ दर्शन के लिए पारंपरिक-वेशभूषा पहननी उचित होती है, व पूजा में फोटो लेने की अनुमति नहीं होती ।
अगर आप धार्मिक उत्सवों के दौरान आते हैं, भीड़ अधिक हो सकती है—लेकिन स्थानीय सुविधाएँ (parking, शौचालय, पानी) उपलब्ध हैं ।
---
📌 स्थान - रोहिणीबेड़ा, जादूगोड़ा से 2–3 किमी, टाटानगर से 35 किमी
स्थापना 1947–50
मूर्ति पूजी जाने वाली ‘जाग्रत शिला’
परंपराएँ आदिवासी भुमिज → हिंदू पूजन
मंदिर परिसर गणेश-मंदिर, शिव-मंदिर, हरि मंदिर
प्रवेश समय 09:00–17:00 (अनुमानित)
विशेषता प्राकृतिक माहौल, आध्यात्मिक ऊँचाई
---
यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य, आदिवासी संस्कृति, और प्राचीन देवी‑पूजन की ऐतिहासिक गहराइयों को महसूस करना चाहते हैं, तो रंकिणी मंदिर आपके लिए एक अद्भुत अनुभव होगा। यहाँ शांति, भक्ति और विरासत का अद्भुत तालमेल आपको जोड़ता है।