05/04/2025
केन्द्र सरकार वक्फ संसोधन बिल वापस ले नहीं तो आजाद समाज पार्टी जगह जगह करेगी आन्दोलन
आजाद समाज पार्टी पुर्वी सिंहभूम जिला उपाध्यक्ष मोहम्मद फैयाज आलम ने वक्फ संसोधन बिल का किया विरोध, कहा – शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं
नई दिल्ली, 3 अप्रैल 2025 – लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद फैयाज आलम ने इसका कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक न केवल असंवैधानिक है, बल्कि मुसलमानों के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार की इस मनमानी के खिलाफ मुसलमानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
‘धैर्य और संयम के बावजूद मुसलमानों की चिंताओं को किया नजरअंदाज’
फैयाज आलम ने कहा कि पिछले कई वर्षों से मुसलमान धैर्य और संयम का परिचय दे रहे हैं, लेकिन सरकार ने वक्फ संपत्तियों को लेकर उनकी आपत्तियों को अनदेखा कर जबरन यह संशोधन लागू किया है। उन्होंने कहा कि जब सरकार असंवैधानिक और शरीयत विरोधी कानून बनाएगी, तो विरोध प्रदर्शन ही एकमात्र रास्ता बचता है।
‘सरकारी दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं करेंगे’
फैयाज आलम ने कहा कि वक्फ पूरी तरह से एक धार्मिक मामला है, और इस पर किसी भी तरह की सरकारी दखलअंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियां वे दान हैं, जो बुजुर्गों ने कौम की भलाई के लिए छोड़ी थीं। सरकार का इसमें हस्तक्षेप वक्फ की मूल भावना के खिलाफ है।
‘संशोधन में सरकार ने की चालाकी, विपक्ष की आपत्तियां खारिजहो फैयाज आलम ने आरोप लगाया कि सरकार ने विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजने का दिखावा किया, लेकिन विपक्ष की सभी आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि संशोधन में ऐसी धाराएं जोड़ी गई हैं, जिससे वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कब्जा आसान हो जाएगा।
‘शरीयत के खिलाफ कोई कानून स्वीकार नहीं’
उन्होंने स्पष्ट किया कि मुसलमान ऐसा कोई कानून स्वीकार नहीं करेंगे, जो शरीयत के खिलाफ हो। उन्होंने कहा, "हम हर चीज से समझौता कर सकते हैं, लेकिन अपनी शरीयत से नहीं।" उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ कानूनों में बदलाव कर मुसलमानों से वे संवैधानिक अधिकार छीनना चाहती है, जो उन्हें देश के संविधान ने दिए हैं।
‘न्याय नहीं मिला, तो आजाद समाज पार्टी सड़कों पर विरोध प्रदर्शन ही अंतिम विकल्प’
फैयाज आलम ने कहा कि जब न्याय के सभी दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, तो विरोध प्रदर्शन ही एकमात्र रास्ता रह जाता है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि देश के हर न्यायप्रिय नागरिक का मुद्दा है।
‘संविधान और कानून चलेगा या सरकार की मनमानी?’
जिला उपाध्यक्ष ने सवाल उठाया कि क्या देश संविधान और कानून से चलेगा या किसी पार्टी की मनमानी से? उन्होंने कहा कि संसद में बहुमत का मतलब यह नहीं कि सरकार मनमाने कानून बनाकर किसी धार्मिक अल्पसंख्यक के अधिकारों को छीन ले।
‘मुसलमानों का संघर्ष जारी रहेगा’
उन्होंने कहा कि यह वक्त धैर्य और संघर्ष की परीक्षा का है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संवैधानिक और लोकतांत्रिक तरीका अपनाना होगा। "हम अंग्रेजों के जुल्म के आगे नहीं झुके, तो अब किसी और के आगे भी नहीं झुकेंगे। मुसलमान सिर्फ अल्लाह के सामने सिर झुकाता है," सरकार को यह कानून वापस लेना होगा