07/10/2023
भाग ८ **प्रजातंत्र के बाई प्रोडक्ट**
जातिवाद और संप्रदायवाद आज प्रजातंत्र पर इतने हावी हो गए हैं कि तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार तथा समाज के विकास की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जा रहा ।
जनता फ्री खा कर मस्त तो नेताजी लूटने में व्यस्त ।
यही हकीकत है ।
स्थिति बिल्ली के गले में घंटी बांधने जैसी हो गई है , नहीं तो जिन राजनीतिज्ञों ने अपने नकामिल , अक्षम औलादों को सत्ता सौंप, कुछ हद तक कामयाबी दिलवा दिया , वैसा तो शायद नहीं ही हो पाता किसी दूसरे तंत्र में ।
जिस वंशवाद , परिवारवाद के चलते राजतंत्र को नकारा गया , वो आज प्रजातंत्र में फिर से कैसे हावी हो गया ?
पहले राजा में कम से कम नेतृत्व क्षमता तो होता ही था साथ ही उनके योग्यततायों को जांचा परखा जाता था फिर जो योग्य होता था उसे राजा बनाया जाता था लेकिन आज प्रजातंत्र में योग्यता का कोई जरूरत नहीं है ।
वंशवाद और परिवारवाद में अनपढ़/ अयोग्य / अक्षम है तो भी चलेगा । वंश अगर गुंडा , मवाली है तब तो और बढ़िया और अगर दबंग , बाहुबली है तब तो सोने पे सुहागा , बशर्ते वो जाति/धर्म के नाम पर जहर फैलाने में साथ ही लोगों के भावनाओं से खेलने में माहिर हो ।
आज जात - धर्म के चश्मे का रंग इतना काला हो चुका है कि इस चश्मे से देखने वाले को इसमें कोई बुराई दिखता ही नहीं , चाहे वो जनता हो या नेता ।
जादूगर के मोहनी बातों में उलझ जनता जैसे हाथ के सफाई को सच समझ बैठती है और तालियां बजाते रहती है , ठीक वैसा ही मति भ्रम आज लोगों को हो चला है इसलिए लोग बेसुध हैं ।
आज प्रजातंत्र के बाई प्रोडक्ट इतने हैं कि खुद प्रजातंत्र को भी समझ नहीं आ रहा कि क्या सच है और क्या झूठ , कौन सत्य है और कौन असत्य ?
आज प्रजातंत्र खुद से पूछ रहा कि क्या लोग ऐसे ही हमारा चीर हरण करते रहेंगे या हमे भी बचाने कोई कृष्ण आएगा ??
🙏राजीव सिंह🙏
**वैशाली ( विहार )**