25/11/2022
झारखंड में अभी हेमंत सोरेन सरकार पर इ डी द्वारा 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन का आरोप लगाया गया है और इस मामले को आधार बनाकर बीजेपी राज्य सरकार पर हमलावर है। मेरा इस सम्बन्ध में विचार यह है कि हेमंत सोरेन के सत्ता संभालने के तुरंत बाद कोरोना वायरस की महामारी का दौर शुरू हो गया था और केंद्र की सरकार ने आनन फानन में देशब्यापी लॉक डाउन की घोषणा कर दी थी। लॉक डाउन के दौरान सारी चीजें बन्द कर दी गई थी सिर्फ साहेबगंज जिले के गिट्टी बालू का अवैध रूप से खनन और उसका ट्रांसपोर्टिंग छोड़कर। ऐसा बीजेपी वालों का मानना है क्योंकि 1000 करोड़ रुपए के खनिज पदार्थ लगभग कितने C F T के होंगे क्या इतने C F T के खनिज पदार्थों का खनन और ट्रांस पोर्टिंग रेलवे के रैक और बड़े बड़े डम्परों के बिना सम्भव है बिल्कुल भी संभव नहीं है। अगर अवैध खनन और ढुलाई रेलवे के रैक के द्वारा की गई है तो रेलवे ने अब तक केस दर्ज क्यों नहीं किया है। और अगर अवैध खनन करने के बाद उस खनिज पदार्थ का ढुलाई डम्परों के द्वारा किया गया था तो उन हजारों डम्परों के लिए डीजल किन किन पेट्रोल पंपों से रोजाना भरा जाता था। 1000 करोड़ रुपये के खनिज पदार्थों के खनन के लिए कितने हजार J C B का उपयोग किया गया था और उन J C B का डीजल किन पेट्रोल पंपों पर भरा जाता था। इन सभी की जाँच होने से मुझे लगता है कि इस मामले का खुलासा हो सकता है कि E D के द्वारा आंका गया 1000 करोड़ रुपए का अवैध खनन के कारोबार इन दो वर्षों में हुआ था जब लॉक डाउन लगा था या फिर यह मामला पहले के सरकारों के समय से ही होता आया है। अगर पहले के सरकारों के समय से ही अवैध खनन होता आया है तो E D के निशाने पर हेमंत सोरेन ही क्यों।
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