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अंगिका गीत गीता-विजेता मुद्गलपुरी_________________धृतराष्ट्र उवाच-धर्म थल कुरुक्षेत्र में की भेॅ रहल संजय कहोॅ।पुत्र अरु...
25/04/2024

अंगिका गीत गीता
-विजेता मुद्गलपुरी
_________________
धृतराष्ट्र उवाच-

धर्म थल कुरुक्षेत्र में की भेॅ रहल संजय कहोॅ।
पुत्र अरु पाण्डव हमर की केॅ रहल संजय कहोॅ!

धर्म थल ताप थप जहाँ पर
इन्द्र ब्रह्मादिक तपल
जे जगह कुरु तप करी
पुनि यग के कर्ता बनल।
से जगह कैसे अपावन भेॅ रहल संजय कहोॅ!

की सुयोधन पर
धरम थल के असर कुछ भी परल?
था कि पाण्डव के निवृति
युद्ध से कुछ भेॅ रहल?
या सुलह के बात कोनो भेॅ रहल संजय कहोॅ!

हम व्यथित अंधा प्रशासक
हम दुखित लाचार हम।
हम सदा सत्ता मुखी छी
मोह के विस्तार हम।
हठ हमर अब नाश कुल के केॅ रहल संजय कहोॅ!
धर्मथल कुरु क्षेत्र में की भेॅ रहल संजय कहोॅ!

हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩जय श्री राम 🙏जय हनुमान 🙏
23/04/2024

हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 🚩
जय श्री राम 🙏जय हनुमान 🙏

22/04/2024
तोरा दरकार की.?०००००००००००००००००खाय छै सरकारोॅ के, लै छै सरकारोॅ के,तोरा दरकार की?नहरोॅ के पानी में पैसै के धार छैसड़कोॅ...
20/04/2024

तोरा दरकार की.?
०००००००००००००००००
खाय छै सरकारोॅ के, लै छै सरकारोॅ के,
तोरा दरकार की?
नहरोॅ के पानी में पैसै के धार छै
सड़कोॅ के माटी में एकोॅ के चार छै
कुच्छु जों बोलोॅ तेॅ नन्हैं केॅ तार छै
चुपचाप बैठी रहोॅ पैभेॅ तों पार की?
तोरा दरकार की?

माय बहु छोड़ी केॅ घरो दुआरी पर
सभ्भे कोय जान दै रेहू बुआरी पर
तोहें भोड़ं दास, पोठियौ नसीव नै,
लै छै लिये दहो, धुनभोॅ कपार की?
तोरा दरकार की?

साहब के कुर्सी पर बैठलोॅ एतवार छै
सभ्भे जलपानोॅ लेॅ गेलोॅ बाजार छै
टानै के लूर नै फानै छौ सभ्भै पर,
बड़का के बड़ोॅ बात करभेॅ तों मार की?
तोरा दरकार की?

मेमोॅ लग जाय छोॅ सागौ केॅ पांगी लेॅ
फाईलोॅ तों बढ़ियां रंग हुनकै से मांगी लेॅ
कहै छिहौं नै चलोॅ हुनका विरोधोॅ में
ठोर दोनों बन्द करोॅ सुनभेॅ फटकार की?
तोरा दरकार की?

रोगी केॅ अस्पताल जाना बेकार छै
डाक्टर के डेरा पर भीड़ो भरमार छै
रासन दोकानी पर लगलोॅ कतार छै
ब्लैकै सें किनी लेॅ करभेॅ तकरार की?
तोरा दरकार की?

बाबू के किरिया करनी तेॅ करनै छौं
लौब्वा बोलाय केॅ माथो मुड़ानै छौं
बाभन केॅ भोज आरो पलंगी दान करी
की लेॅ की करै, झूठे परचार की?
तोरा दरकार की?

तनीसन कारी छै भोकन बिलारी छै,
रतन केू दस हजार दैके तैयारी छै।
दोनों चुल्होॅ नारी केॅ मुन्नी के ठीक करोॅ
$घरोॅ पर घोॅर मिलै एक नै हजार की-
तोरा दरकार की?

की भेलै हौ रक्त, कहाँ गेलै देस भक्त?
सभ्भे तेॅ ताकै छै दिल्ली के ताज तख्त!
तोहें बौरैलोॅ छौॅ गाँधी के बातोू में,
आजू सें कहलोॅ करौ- ‘‘जय जय सरकार की’’
तोरा दरकार की?

-पंडित जगन्नाथ चतुर्वेदी
15/04/2024

-पंडित जगन्नाथ चतुर्वेदी

पढ़ें संत कबीर का ये अंगिका भजन..
14/04/2024

पढ़ें संत कबीर का ये अंगिका भजन..

इन लोरियों को सुन सुनकर हम बड़े हुए. लेकिन अब नई नवेली आधुनिक पीढ़ियों ने इसे शायद उतना महत्व देना उचित नहीं समझा..
13/04/2024

इन लोरियों को सुन सुनकर हम बड़े हुए. लेकिन अब नई नवेली आधुनिक पीढ़ियों ने इसे शायद उतना महत्व देना उचित नहीं समझा..

पढ़ें "जगदीश पाठक 'मधुकर'" जी की रचना अंगिका में"मच्छर वंदना "__________________________जीवोॅ में प्रधान, बुद्धिमान, शक्...
13/04/2024

पढ़ें "जगदीश पाठक 'मधुकर'" जी की रचना अंगिका में

"मच्छर वंदना "
__________________________
जीवोॅ में प्रधान, बुद्धिमान, शक्तिमान, रक्तबीज खानदान
तोरा डरें काँपवै-जहान, जै हो मच्छड़ भगवान !

सब्भै जीवोॅ केॅ तोहें एक्के रं देखै छोॅ
सब्भै जग्घा में तोहें एक्के रं घूमै छोॅ
सर्वव्यापी आरो समदर्शी महान ! जै हो

राग-रागिनी के तों ज्ञाता बेजोड़ छोॅ
लोकगीत, गजलो सुनावै निन्द-तोड़ छोॅ
लहुवे टा श्रोता सें लै छोॅ तों दान ! जै होमच्छड़ भगवान !

गावी-गावी कीरतन दिलवावै छोॅ ताली
आठो अंगे ताली दै छौ पढ़ी-पढ़ी गाली
महिमा तोरोॅ लीला के, करेॅ बखान ! जै हो मच्छड़ भगवान !

भरमाय छोॅ हीरो रं दै-दै सीटी-नारा
हर दिन एक चुम्मा में गिनवावै छोॅ तारा
गिनथैं-गिनथैं तारा, होय जाय छै विहान ! जै हो मच्छड़ भगवान !

डाक्टर धुरंधर धन्वत्रिहो के बाप छोॅ
रोगी-निरोगी के इलाज करै छाथ छोॅ
सुइया चुभाय खून खीचै छोॅ दोनों में समान ! जै हो मच्छड़ भगवान !

वही जनम सें आगा या सूदखोर सेठ छोॅ
लहुवे टा चुसी-चुसी आपनोॅ भरै पेट छोॅ
जत्तेॅ छिटै फ्ल्टि डीडीटी ओत्तेॅ बढ़ेॅ प्राण । जै हो मच्छड़ भगवान !
मच्छड़ प्रभु ! देश में तोरे भरमार छै
शोषण-व्याभिचार के सजलोॅ बाजार छै
‘मधुकर’ छै मुक्ति लेली लोग परेशान ! जै हो मच्छड़ भगवान !

पढ़ें     "सियाराम प्रहरी" (केशोपुर, मुंगेर,बिहार) जी की रचना .. चलोॅ तनी संभलि केॅ________________________चलोॅ तनी संभल...
12/04/2024

पढ़ें "सियाराम प्रहरी" (केशोपुर, मुंगेर,बिहार) जी की रचना ..
चलोॅ तनी संभलि केॅ
________________________
चलोॅ तनी संभलि केॅ
दु डेग चलोॅ लेकिन चलोॅ तनी संभलि केॅ

चारो दिश आय फैलल छै अन्हेरा
लागै छै अभी बहुत दूर है सबेरा
तेजी से दौड़ोॅ नै चलोॅ तनी हलके
डगमगाय गिरि जैभेॅ गलत चाल चलि केॅ
चलोॅ तनी संभलि केॅ

झुलसै छै काँपै छै, धरती श्री हीना
संकट में प्राण छै, अ मुश्किल छै जीना
एन्हों उपाय करोॅ अमरित घट छलके
दुख भागथों तभिये करबट बदलि केॅ
चलो तनी संभलि केॅ

दोलित छै सागर उद्वेलित लहर लहर
ऐसी ना बीते छै जीवन ई जीवन भर
के देतै दिशा-बोधा मौसम बदलि केॅ
स्वर्ग बनेॅ धरती सब नाचेॅ मचलि केॅ
चलो तनी संभलि केॅ

कवि सुरेन्द्र जी की रचना  "गुड़गुड़ी" के अंश_______________________________जबतक बचतै दम गे मैया, हम ककरा से कम गे मैया !...
11/04/2024

कवि सुरेन्द्र जी की रचना "गुड़गुड़ी" के अंश
_______________________________
जबतक बचतै दम गे मैया,
हम ककरा से कम गे मैया !

धन्य यहाँ के भूमि कहाय,
जहाँ विराजै गंगा माय,
जेकर पूत करै अनुराग,
साधै कठिन जोग बैराग,
सुनै शब्द हरदम गे मैया
जब तक बचतै दम गे मैया
हम ककरा से कम गे मैया ।।
जिनकर रूप देखि के लोग
छोड़े ऐश मौज सुख भोग
जे मानुष के घट में जाय
देलक अंतर्जोत जगाय

जानै सभे मरम गे मैया
जब तक बचतै दम गे मैया
हम ककरा से कम गे मैया

दुश्मन देखि रहल मुह बाय
सीमा पर जब पड़ल लड़ाय
जोन देश के वानर भाल
छोड़ै गोली लड़ै कमाल

फेंके बड़ बड़ बम गे मैया
जब तक बचतै दम गे मैया
हम ककरा से कम गे मैया

अंग क्षेत्र से होकर भी यदि आपने 'कवि- सुरेंद्र' जी की रचना "गुड़गुड़ी" ना पढ़ी तो आप एक शानदार अनुभव से अछूते रह गए........
10/04/2024

अंग क्षेत्र से होकर भी यदि आपने 'कवि- सुरेंद्र' जी की रचना "गुड़गुड़ी" ना पढ़ी तो आप एक शानदार अनुभव से अछूते रह गए......

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