रजनी की दुनिया

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आपका क्या विचार है???
19/07/2025

आपका क्या विचार है???

___ भारी बारिश के कारण मेरी 7 पोस्ट रद्द और 5 देरी से ...______ और 15 , 20 तो रास्ते में गीली होकर गल गई ...__________ अ...
19/07/2025

___ भारी बारिश के कारण मेरी 7 पोस्ट रद्द और 5 देरी से ...
______ और 15 , 20 तो रास्ते में गीली होकर गल गई ...
__________ असुविधा के लिए खेद है ....!! 😝😝

यदि सास-ससुर किसी गलती पर डांट दें, तो बहू को बुरा नहीं मानना चाहिए। जैसे माता-पिता की डांट हमें बुरी नहीं लगती, वैसे ही...
18/07/2025

यदि सास-ससुर किसी गलती पर डांट दें, तो बहू को बुरा नहीं मानना चाहिए। जैसे माता-पिता की डांट हमें बुरी नहीं लगती, वैसे ही छोटी-छोटी बातों को दिल में जगह देने के बजाय रिश्तों को महत्व देना चाहिए। 💐

ऐसे लोग ड्रम में नहीं मिलते ...!!The Punjab Kings dugout was filled with raw emotion on Tuesday evening as 24-year-old P...
18/07/2025

ऐसे लोग ड्रम में नहीं मिलते ...!!

The Punjab Kings dugout was filled with raw emotion on Tuesday evening as 24-year-old Priyansh Arya lit up the Mullanpur stadium with a breathtaking century against Chennai Super Kings (CSK) in IPL 2025. Yet, it was team co-owner Preity Zinta’s jubilant reaction that truly stole the spotlight—she jumped in celebration, her joy palpable as Arya scripted history.

Arya, a left-handed batter hailing from Delhi, announced his arrival in grand fashion, smashing 103 runs off just 42 deliveries—a knock decorated with seven fours and nine massive sixes.

His blistering innings made him the second-fastest Indian to reach a century in IPL history, achieving the milestone in just 39 balls. Only Yusuf Pathan’s iconic 37-ball ton from 2010 remains ahead. As Arya raised his bat after clearing long-on for a six to complete his century, cameras zoomed in on the Punjab Kings camp, where an elated Preity Zinta leapt to her feet, clapping and cheering along with the roaring crowd.
Following Punjab Kings’ 18-run win, Preity Zinta caught up with the young star for a post-match interview.

"Aapko mai ek din pehle mili thi to aapne ek shabd nahi bola tha, ekdum silent the aur aapne itni zabardast game kheli, so how is it? [I met you a day before and you didn’t say a single word—you were completely silent. And then you played such an incredible game, so how does it feel?]" Preity asked Priyansh.

To which Arya replied with a smile: "Jab hum mile they to mujhe aapki baatein sunne mein maza aa rha tha isliye mai kuch bol nahi rha tha. Aur game ke baat karein to bahot achi feeling hai, out of the world feeling hai, top of the world feeling hai [When we met, I was really enjoying listening to you, that’s why I wasn’t saying much. And if we talk about the game, it feels amazing—like an out of the world feeling, a top of the world feeling]."

Arya’s innings wasn’t just another power-hitting show—it was the result of a rising journey that’s been turning heads for a while. He first made headlines in the Delhi Premier League, where he slammed six sixes in an over en route to a blazing 120-run knock.

That performance helped land him a ?3.8 crore IPL contract with Punjab Kings, a major leap from his base price of ?30 lakh.

Even before making his IPL debut, Arya was a standout performer in domestic cricket, having topped the run charts for Delhi in the 2024–25 Syed Mushtaq Ali Trophy.

नई नवेली पत्नी को ससुराल से लेकर आ रहे पति को पत्नी के बॉयफ्रेंड ने बीच रास्ते में रोका... जमकर पीटा और पत्नी को साथ ले ...
18/07/2025

नई नवेली पत्नी को ससुराल से लेकर आ रहे पति को पत्नी के बॉयफ्रेंड ने बीच रास्ते में रोका... जमकर पीटा और पत्नी को साथ ले गया... अब पतिदेव ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है... मामला मैनपुरी के कुर्रा थाना क्षेत्र का

 #बड़ी_बहू   "मुझे नहीं पता समीर की प्रिंसिपल ने मुझे क्यों बुलाया है! बस स्कूल से फोन आया था, विशाल भी जा रहे हैं साथ म...
18/07/2025

#बड़ी_बहू
"मुझे नहीं पता समीर की प्रिंसिपल ने मुझे क्यों बुलाया है! बस स्कूल से फोन आया था, विशाल भी जा रहे हैं साथ में…"
"अच्छा जल्दी होकर आओ. गीता का फोन आया था कि बड़ी भाभी को जल्दी भेज देना, कथा का प्रसाद बना देंगी… और अटैची भी नहीं लगाई तुमने, सोमवार को मिर्ज़ापुर निकलना है." मांजी का मुंह फूला हुआ था.
मैं कार में बैठते ही बड़बड़ाने लगी, "देखा आपने? दोनों देवरानियां सुबह-सुबह ऑफिस निकल लेती हैं. रात को घर पहुंचती हैं, कोई हिसाब नहीं मांगता. मैं आधा घंटा भी बाहर बिता लूं तो बवाल है.
आए दिन ननद के यहां पूजा-पाठ, जन्मदिन… बस बड़ी भाभी चाहिए काम कराने को. मिर्ज़ापुर वाली शादी में जाने के नाम पर दोनों ने पल्ला झाड़ लिया कि छुट्टी नहीं मिली, ऊपर से हर बात पर सुनो कि मंझली बहू बीस हज़ार कमाती है, छोटी पच्चीस! बड़ी बहू है फ़ालतू, हर जगह जाने के लिए… अंग्रेज़ी माध्यम से पढ़ाई की होती तो मैं भी शायद आज दस-पंद्रह हज़ार कमाने लायक होती!.."

प्रिंसिपल के‌ ऑफिस में झिझकते हुए प्रवेश किया.
"बैठिए! मैंने ही फोन करवाया था… कुछ पूछना था आपसे! हिंदी दिवस पर समीर ने एक कविता सुनाई थी, उसने बताया कि वो आपने लिखी थी." इतने बड़े स्कूल की प्रिंसिपल होकर भी वो बहुत ही मधुरता से बात कर रही थीं.
"जी! कुछ ग़लत…" मैं घबरा गई.
"नहीं, बहुत ही सुंदर लिखा था आपने. दरअसल, आजकल ऐसी शुद्ध, त्रुटिहीन भाषा कम ही देखने को मिलती है. आपकी शैक्षणिक योग्यता?"
"एम ए, हिंदी साहित्य और बी एड. शादी से पहले हिंदी पढ़ाती थी, इसीलिए भाषा शुद्ध है." बहुत सालों बाद तारीफ़ सुनकर मैं प्रसन्न हो उठी.
प्रिंसिपल बड़ी तन्मयता से सुन रही थीं, "अच्छा! तो अब क्यों नहीं पढ़ाती हैं?.. घर में मनाही है?"
"जहां भी आवेदन किया, अंग्रेज़ी ना बोल पाने के कारण बात नहीं बनी. अजीब बात है, हिंदी पढ़ाने के लिए भी अंग्रेज़ी बोलने वाली अध्यापिका चाहिए!" मेरे मन के दुख सामने आ गए.
"देखिए! मैं मुद्दे पर आती हूं. आपकी कविता पढ़कर, आपसे बात करके हिंदी भाषा पर पकड़ मैं देख चुकी हूं. डिग्री भी है, अनुभव भी, हमें अपने स्टाफ में आप जैसी अध्यापिका की ही आवश्यकता है. यदि आप इच्छुक हैं, तो लिखित परीक्षा दे दीजिए..!"
घर पहुंची, तो सब बरसने के लिए तैयार बैठे थे. छोटी ननद घूरते हुए बोली, "भाभी! कहां थीं आप? फोन भी बंद था. मां ने ही रोटी सेंककर पापा को खिलाई… दीदी के यहां भी जाना है आपको…"
विशाल ने मुस्कुराते हुए उसको अपने पास बैठाया, "मीतू प्रसाद बनाने नहीं जा पाएगी, सर्टिफिकेट्स वगैरह अटेस्ट कराने जाना है मां… मिर्ज़ापुर जाना भी नहीं हो पाएगा, चिंटू के स्कूल में इसकी नौकरी लग गई है."

सब हतप्रभ थे और मांजी परेशान. अब तो सारी रिश्तेदारियां संकट में पड़ जाएंगी, "नौकरी? अब छोटी-मोटी तीन-चार हज़ार की नौकरी के लिए कहां भटकोगी… हटाओ."
"बड़ी क्लास के बच्चों को हिंदी पढ़ानी है. पैंतीस हज़ार वेतन मिलेगा आपकी बड़ी बहू को, आशीर्वाद दीजिए मांजी!" मैं हंसते हुए चरण स्पर्श के लिए झुक गई.।

पतिदेव से ताजा ताजा लड़ाई हुई थोड़ी देर पहले और अब वो एक गाना गुनगुना रहे जिसका सुर ताल सब गलत है।मन कर रहा कहने का कि ,...
18/07/2025

पतिदेव से ताजा ताजा लड़ाई हुई थोड़ी देर पहले और अब वो एक गाना गुनगुना रहे जिसका सुर ताल सब गलत है।

मन कर रहा कहने का कि ,' ये गाना ऐसे नही ऐसे है ।एक गाना तक तो ठीक से गुनगुना नही सकते मेरे बिना।'

पर लड़ाई के एथिक्स के अनुसार मुझे चुप रहना पड़ रहा मितरों। बहुत कष्ट में हूँ।

खैर गुनगुनाने दो गलत सलत जब सारी दुनिया कहेगी कि रजनी के पति को गाना भी गुनगुनाने नही आता तब पता चलेगा।

हुंह 🤐😏😒😉😉

कह रहा हूँ !! एक बार तो सम्भाल ले आकर अपने बाप को । सिर्फ़ माँ मरी है तेरी , बाप अभी ज़िंदा है । देख ना मेरा क्या हाल हो...
18/07/2025

कह रहा हूँ !! एक बार तो सम्भाल ले आकर अपने बाप को । सिर्फ़ माँ मरी है तेरी , बाप अभी ज़िंदा है । देख ना मेरा क्या हाल हो गया । कुछ भी ढंग का नहीं मिलता । -समीर जी ने अपनी बेटी इशा को फ़ोन पर ही सुनाना शुरू कर दिया ।

ईशा की माँ को मरे हुए अभी तीन महीने ही हुए थे । तब वो क़रीब पंद्रह दिन रुकी भी थी । मुंबई से दिल्ली रोज़ रोज़ आना मुमकिन भी नहीं है ।

पर फ़ोन पर रोज़ तीन बार घर में बात कर ही लेती है । २ बार पिताजी से और एक बार अपनी भाभी श्रुति से ।

समीर जी दिन में दो बार बात करते ,उसमें १० बार अपनी बहू श्रुति पर खीज निकालते ।
-तेरी माँ थी , तब भी रोटी यही बनाती थी तब इसे अपनी सास का डर था , कितने पतले फुलके बनाती थी । अब देखो इसे घास काटती है । मोटी रोटी बना कर पटक देती है । हाँ भई कौन टोकने वाला है अब ।
-दो टाइम का दूध एक बार कर दिया
मैंने ,वो भी इससे तमीज़ से नहीं दिया जाता । पता नहीं क्या मिलाने लग गयी । मैं इसके जादू टोने में नहीं आने वाला । देख लूँगा सबको ।

-रोज़ एक नयी शिकायत । सुन सुन कर ईशा का भी दिमाग़ ख़राब होने लगा था । वैसे श्रुति उसकी बहुत अच्छी दोस्त भी थी । २० वर्ष हो गये श्रुति को उसकी भाभी बने । दोनो हमेशा हमजोली की भाँति रही है । वो जानती है श्रुति का स्वभाव । कितनी मिलनसार और केयर करने वाली है । माँ की १० वर्षों तक जो उसने सेवा की वो भी किसी से छुपी नहीं है । तब तो समीर जी भी उसके गुण गाते ना थकते । पर अब ….
अब रोज़ रोज़ श्रुति के बारे में सुन सुन कर वो भी उकता सी गयी है । कहीं भाभी सच में बदल तो नहीं गयी ।
-देख ले तेरी भाभी को कितनी बार कहा है मेरे पैरो में दर्द है फिर भी रोज़ मुझे दूध लेने भेज देती है । अच्छा भला देने आता था दरवाज़े तक लेकिन महारानी ने उसे मना कर दिया । हाँ भाई उसे २४ घंटे का नौकर जो मिल गया । बता रहा हूँ मैं मेरी हालत बहुत बुरी हो चुकी है इस घर में । तू भी आकर मत सम्भाल ।
और हमारे लाठ साहब को तो कोई परवाह है भी नहीं उसका बाप सड़े या मरे । रात में ८ बजे आते हैं दो टुकडे खाए और पसर जाते है । बाप के लिए उसके पास दो घड़ी का भी वक्त नहीं है ।
- अरे तो पापा भाई तो पहले भी कहाँ बात कर पाता था उसे नौकरी से वक्त ही कहाँ मिलता था । ईशा ने भाई का संदर्भ आते ही भाई का पक्ष लिया ।
-मैं कुछ नहीं जानता , तू आजा बस एक बार । आज फिर देख उसने कितनी मोटी रोटी बनाई । आज तेरी माँ ज़िंदा होती तो इसकी क्या मजाल थी ये ऐसी मनमानी करती । समीर जी ने कहा

अब धीरे धीरे ईशा को भी लगने लगा —-कहीं श्रुति बदल तो नहीं गयी । कहीं उसकी भाभी लापरवाह तो नहीं हो गयी । वो भी क्या करे रोज़ एक ही बात सुनते सुनते उसे भी लगने लगा है कि अब श्रुति को समझाने की ज़रूरत है । पर फ़ोन पर कैसे??

चलो राखी तो आ ही रही है । वैसे भी माँ के जाने के बाद पहला त्योहार है , क्यों ना दिल्ली का एक चक्कर लगा लिया जाए । भाभी को भी डर रहेगा मेरे पापा अकेले नहीं है उनकी मनमानी नहीं चलेगी । ईशा ने पुनः सोचा और फिर टिकिट कटवा ली ।

- चलो तुम्हें बाप की सुध तो आयी । अब देखना अपनी आँखों से मेरे साथ कैसा व्यवहार हो रहा है । समीर जी बोल ही रहे थे कि कमरे में श्रुति आ गयी और उनकी ज़ुबान चुप ।
- अच्छा हुआ दीदी आप आ गयी । अब दस पंद्रह दिन पहले नहीं जाने दूँगी मैं आपको ।जानती है कितनी अकेली हो गयी थी इन दिनो में मैं ।
श्रुति का ऐसे मिलना ईशा को भला सा लगा ।

मुझे तो उसमें कोई बदलाव नहीं लग रहा ।- ईशा ने सोचा
——पर हो सकता है ये सब ऊपरा ऊपरी बातें हों । अगर इसने मेरे पापा के साथ कुछ ग़लत किया तो मैं इसे नहीं बक्शूँगी । -ईशा मन में धार चुकी थी ।

माँ के बिना घर भूतों का डेरा लग रहा था । एकदम ख़ाली । जैसे सिर्फ़ वही रहती थी यहाँ ,

ईशा माँ के बाद पहली बार आयी थी ना । माँ के बिना घर कैसा होता है उसे कहाँ पता था । पर श्रुति उसका एक्स्ट्रा ध्यान रख रही थी । श्रुति के आते ही पहले चाय और मठरी रख दी और भी उसके नहाने की व्यवस्था बना दी ।

अरे भाभी आप परेशान ना हो । मैं मेहमान थोड़े ही हूँ । —-श्रुति को आगे बढ़ बढ़ कर करते देख ईशा ने भी एक बार बोल ही दिया
इतना सुनते ही श्रुति की आँखें झर झर बहने लगी । पर वो ईशा से छुपाती हुई रसोई की तरफ़ निकल ली ।

ईशा को भी श्रुति की घुटन समझ आ रही थी ।

फटाफट कपड़े बदल कर ईशा भी रसोई में आ गयी । उसे भी तो तहक़ीक़ात करनी थी ।
ईशा ने देखा श्रुति तो वही पहले जैसे फुलके बना रही है , एकदम पतले । शायद उसे देख कर बना रही हो ,- ईशा ने सोचा ।
—- बहू मेरा भी खाना परोस दे ।
—-जी पापा अभी परोस देती हूँ । बस फुलका सिक जाए ।
—-अरे भाभी इतने सारे सिके हुए हैं एक परोस दो इनमे से ।
— नहीं दीदी , पहले पापा दो फुलके आराम से खा लेते थे और अब इन्होंने अपनी खुराक कम कर दी है । ज़िद करके डालू तब ग़ुस्सा करते है फिर माहौल बिगड़ता है । आप रुकिए थोड़ा मोटा सा सेंक देती हूँ । खुराक तो पहुँचे थोड़ी पेट में । देखिए कितने कमजोर हो गये हैं ।
ईशा श्रुति का चेहरा ताकती रह गयी ।
समीर जी ने आज भी रोटी पटकते हुए खा ली ।

ला बहू दे तेरी बालटी दूध ले आऊँ । शाम होते होते समीर जी ग़ुस्से में बोले ।

श्रुति ने बालटी दी और समीर जी के जाते ही शर्मा जी को फ़ोन कर दिया ।

— चाचा जी पापा जी निकल गये है ।

-अरे भाभी किसको फ़ोन कर रही हो ।
-शर्मा अंकल को । पापाजी ने मम्मी जी के बाद कही निकलना बंद कर दिया था । दूध वाले का आना इसी चक्कर में बंद कर दिया । सोचा पापा जी ले आएँगे तो उनकी थोड़ी सैर ही हो जाएगी । उनके कालोनी वाले सभी दोस्तों को मैंने बोल दिया वो सब भी उनके साथ हो लेते हैं । क्या करूँ दीदी , पापा जी सबसे दूर होते जा रहे थे । अभी आधा घण्टे सब दोस्त साथ में रहेंगे ।
ये सब ईशा की सोच के परे था । वो सिर्फ़ श्रुति को निहार रही थी ।

ये क्या कर रही हो भाभी —-
अरे वो पापा जी आजकल बड़ी मुश्किल से एक बार ही दूध लेते है । पहले तो बिदाम मुनक्का सब लेते थे । पर अब इन्होंने सब बंद कर दिया है । फिर इन्हें क़ब्ज़ हो जाती है इसलिए बादाम मुनक्का की पेस्ट बना कर दूध में मिला कर दे आती हूँ । कुछ तो पहुँचे इनके पेट में ।
ईशा निरुत्तरित होकर उसका चेहरा ताक रही थी ।

अब क्या बचा था । अपने पिता की उनकी माँ की जैसे उनका ध्यान रखने वाली उनकी बहू के लिए उसके पास कोई शब्द ना थे ।

काश पापा भाभी को समझ पाते । ईशा मन में सोचने लगी ।
———-कह दे अपनी भाभी से इसे जाना हो तो जा आए अपनी माँ के पास । २-३ दिन । तब तक तू रहेगी ही यहाँ । कोई ये ही ठकुराइन नहीं है इस घर की । इसके बिना काम नहीं चलेगा जैसे ।

सुन के श्रुति के नेत्र अविरल बहने लगे । उसने भी सोचा - पापाजी शायद चिड़ने लगे है । जा ही आती हूँ । माँ- पापा के पास । वैसे भी पूरा एक साल हो गया । पहले मम्मीजी की तबियत की वजह से नहीं जा पायी थी ।
—-भाभी पापा ठीक कह रहे है । आप अपनी पैकिंग कर ले मैंने भाई को बोल दिया है वो टिकिट बनवा देगा आप दोनो की ।ईशा ने कहा

पापा आपको भाभी के सामने ऐसे नहीं बोलना चाहिए था आप जानते भी है उन्हें कितनी ठेस पहुँची होगी । -ईशा ने अपने पापा को समझाते हुए कहा

सब जानता हूँ । वो मोटी रोटी, वो मिलावटी दूध , मुझे नौकर बना कर दूध लेने ,कभी सब्ज़ी लेने भेजना । उसका मन कितना पवित्र है । किंतु तुझे भी तो बुलाना था इसीलिए तुझे इतना सुना कर बुलाया । ताकि उसे भी कुछ दिन अपने माँ पिताजी के पास भेज सकूँ । पहले तो तेरी माँ थी । वो सब देख लेती थी । अब वो मेरे चक्कर में अपना सब कुछ खो देगी । ये भी जानता हूँ । अगर मायके में समय समय पर ना जाओ तो भाई भतीजे अस्तित्व भूल जाते है कि उनकी कोई बहन भुआ भी है । सब को उसके बिना रहने की आदत हो जाएगी । इसलिए बेटियों को पीहर जाते रहना चाहिए ।

उसे समझाता तो वो जाती नहीं । अब चली जाएगी ।
दिल दुखने की बात छोड़- वहाँ से आएगी तब उसका मन खिला हुआ होगा बस वही महत्वपूर्ण है ।

श्रुति दरवाज़े पर खड़ी सब सुन रही थी ।

💢 "OYO के कमरे में टूट गई एक गरीब लड़की की मोहब्बत… और अमीर लड़के ने सिर्फ़ खेल समझा!"ये कहानी है संगीता की — बिहार के ए...
18/07/2025

💢 "OYO के कमरे में टूट गई एक गरीब लड़की की मोहब्बत… और अमीर लड़के ने सिर्फ़ खेल समझा!"

ये कहानी है संगीता की — बिहार के एक छोटे से गांव की सीधी-सादी, गरीब लेकिन आत्मसम्मानी लड़की।
उसके पिता चाय की दुकान चलाते थे, मां घरों में झाड़ू-पोंछा करती थी।
संगीता पढ़ाई में होशियार थी — इंटर में टॉप किया था, सपने देखती थी अफसर बनने के… और तभी उसकी जिंदगी में आया आदित्य।

आदित्य — शहर के एक नामी उद्योगपति का बेटा, महंगी गाड़ी में कॉलेज आता, महंगे ब्रांड पहनता, और हर किसी की नजरों में था।
संगीता को कभी उम्मीद नहीं थी कि वो लड़का उससे दोस्ती करेगा… लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।

एक दिन आदित्य ने खुद आकर कहा —
"तुम सबसे अलग हो… और मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा सादापन।"

धीरे-धीरे बातों का सिलसिला शुरू हुआ… और फिर दिन-रात में तब्दील हो गया।
संगीता को लगा —
"शायद अमीरी और गरीबी के बीच भी मोहब्बत की एक सच्ची दुनिया होती है।"

वो आदित्य से बेपनाह मोहब्बत करने लगी।
हर वक़्त, हर पल, वो सिर्फ़ आदित्य के ख्वाबों में डूबी रहती।
उसने अपने दिल के हर कोने में सिर्फ़ उसी का नाम लिखा था।

और फिर एक दिन आदित्य ने कहा —
“चलो कहीं बाहर चलते हैं… थोड़ी देर अकेले, सिर्फ़ तुम और मैं।”

संगीता झिझकी… पर प्यार में भरोसा किया।
उसे लगा — अब शादी की बात होगी, भविष्य की योजना होगी…
पर आदित्य उसे सीधे ले गया एक OYO होटल में।

संगीता का चेहरा उतरा… वो घबराई… पर आदित्य ने प्यार से हाथ पकड़कर कहा —
“मैं तुमसे शादी करूंगा, बस इस रिश्ते को मुकम्मल करना चाहता हूं।”

वो भावुक हो गई… और उस दिन, अपनी आत्मा के साथ अपना जिस्म भी उसके हवाले कर दिया।

पर अगली सुबह आदित्य वहां नहीं था।
फोन बंद, सोशल मीडिया ब्लॉक…
और होटल के रिसेप्शन पर सिर्फ़ एक कमरा खाली पड़ा था।

संगीता वहीं फर्श पर बैठी रोती रही…
“क्या मेरा प्यार इतना सस्ता था?”

वो टूटी हुई हालत में घर लौटी।
पिता ने उसकी आंखों में दर्द देखा, पर कुछ नहीं पूछा।

कुछ दिन बाद गांव में खबर फैली —
“अमीर घर का आदित्य, विदेश चला गया है… और उसकी सगाई एक और अमीर लड़की से हो रही है।”

संगीता के सपने, उसका भरोसा और उसका जीवन — सब कुछ एक OYO के दरवाजे पर छूट गया था।

वो गुमसुम हो गई… लेकिन हार नहीं मानी।

उसने खुद को फिर से खड़ा किया।
कॉलेज की पढ़ाई पूरी की, प्रतियोगी परीक्षा दी… और आज वो एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका है।

जब वो बच्चियों को पढ़ाती है, तो एक ही बात सिखाती है —

"प्यार करना बुरा नहीं… लेकिन भरोसा करने से पहले जान लो कि सामने वाला इंसान तुम्हें आत्मा से चाहता है, या सिर्फ़ शरीर से।"

🙏 अगर इस कहानी ने आपकी आंखों में नमी ला दी हो, तो इसे ज़रूर साझा करें… ताकि हर लड़की को समझ में आए कि मोहब्बत में सबसे ज़रूरी है — खुद की इज्ज़त। और हर लड़के को समझ में आए कि किसी की सच्ची मोहब्बत खिलौना नहीं होती। 💔
#एवरीवन
#वायरल #ट्रेंडिंग ゚

एक बिद्यार्थी के जीवन मे कुछ ऐसी ही उलझने होती हैं जैसे-जैसे पढाई आगे बढ़ती जाती हैं वैसे-वैसे कई रास्ते होते हैं समझ मे ...
18/07/2025

एक बिद्यार्थी के जीवन मे कुछ ऐसी ही उलझने होती हैं
जैसे-जैसे पढाई आगे बढ़ती जाती हैं वैसे-वैसे कई रास्ते होते हैं समझ मे नही आता कौन सा रास्ता खुद के लिए सही होगा

कृपया ध्यान दें.....हम पर नहीं अपने भविष्य पर..🤪🙏
17/07/2025

कृपया ध्यान दें.....

हम पर नहीं अपने भविष्य पर..🤪🙏

पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे। लोगों का आना-जाना अब बंद हो गया था। वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया हुआ था कि...
17/07/2025

पत्नी का देहांत हुए 15 दिन हो चुके थे। लोगों का आना-जाना अब बंद हो गया था। वह अकेला बैठा पुरानी यादों में खोया हुआ था कि अचानक उसे पत्नी का लिखा एक पत्र मिला। पत्र में लिखा था:

**प्रिय पतिदेव,**

मुझे पता चल चुका है कि मुझे कैंसर है और वह भी अंतिम स्टेज में है। मैं यह भी जानती हूँ कि मेरे पास अब बहुत कम दिन बचे हैं। मुझे यह भी पता है कि आपने मेरे इलाज में अपनी सारी जमापूंजी खर्च कर दी है। सारे गहने बिक चुके हैं। कितनी मेहनत से बचत करके जो प्लॉट हमने खरीदा था, वह भी मेरी बीमारी की भेंट चढ़ चुका है।

आप क्या समझते थे कि यदि ये सारी बातें मुझे नहीं बताओगे, तो मुझे पता नहीं चलेगा? मैं आपकी अर्धांगिनी हूँ। मैंने जिंदगी के 12 साल आपके साथ गुजारे हैं। मैं आपके चेहरे को पढ़कर जान जाती हूँ कि आप किस हालत में हो। मगर मेरी मजबूरी देखिए कि मैं आपके आँसू भी नहीं पोंछ सकती।

आप अकेले में जब रोते हो, तब छुपकर देखती हूँ और फिर खुद भी रोती हूँ। कमबख्त जिंदगी हमें किस मोड़ पर ले आई है? हम एक दूसरे का दर्द भी नहीं बाँट सकते। एक दूसरे के आँसू भी नहीं पोंछ सकते। आप समझते हैं कि आपको रोते देखकर मैं कमजोर पड़ जाऊंगी, इधर मैं नहीं चाहती आप कमजोर पड़ें। कितनी बेगानी हो गई हूँ न मैं? आपकी उदासी का कारण भी आपसे नहीं पूछ सकती!

आजकल सब जान-पहचान वाले मिलने आ रहे हैं। शायद अब मैं एक-दो दिन की ही मेहमान हूँ। शायद मेरी यात्रा पूरी हो चुकी है। ये कैसा बुलावा है जिसका मुझे पहले से पता है? मुझे मरने से डर नहीं लगता। मुझे डर लगता है कि आप कैसे सह पाओगे मेरी जुदाई? शाम को घर आते ही मुझे तलाश करते हो। मगर अब मैं घर में नहीं मिलूंगी।

कलेजा मजबूत कर लेना। जानती हूँ कि आपके लिए बहुत मुश्किल होगा मुझे भुलाना। मैं दो दिन मायके चली जाती हूँ तो पीछे-पीछे चले आते हो। अब तो हमेशा के लिए बुलावा आ गया है। हाथ और साथ दोनों छोड़ कर जा रही हूँ। मगर आप हिम्मत मत हारना।

बच्चे अभी बहुत छोटे हैं, उनसे कहना मम्मी भगवान के पास गई है। जल्दी लौटकर आएगी। मेरे चले जाने के बाद बिल्कुल भी मत रोना। कलेजे को पत्थर कर लेना।

आप मुझसे कहा करते थे ना कि मैं बहुत डरपोक हूँ, बात-बात पर रो पड़ती हूँ। अब देखो ना आपकी पत्नी कितनी मजबूत हो गई है! दुनिया से विदा होने वाली है, रात-दिन दर्द को लेकर जी रही है। मगर एक बार भी नहीं रोयी।

हमारे साथ का सफर बहुत छोटा रहा, मगर क्या करूँ अब साथ नहीं दे पाऊंगी। इतना प्यार देने के लिए शुक्रिया। मेरे सारे नखरे उठाने के लिए शुक्रिया। मुझे टूटकर चाहने के लिए शुक्रिया।

जानती हूँ, आपको मेरी लत लगी हुई है। भुलाना बहुत मुश्किल है। मगर आपको खुद को संभालना ही होगा। मैं रोज आसमान से देखा करूंगी।

आप टाइम पर नहाना, टाइम पर खाना खा लेना क्योंकि आपको ये सब याद दिलाने के लिए आपकी पत्नी अब नहीं होगी। अब मैं ना रहूँगी, अब आलस करना छोड़ देना। जब तक मैं थी, आप घर की हर चिंताओं से मुक्त थे। मुझे दोनों बच्चों की तरह आपका भी ख़याल रखना पड़ता था मगर अब आप बच्चा बनना छोड़ देना।

अब रूठना छोड़ देना क्योंकि आपको मनाने के लिए अब आपकी पत्नी नहीं रहेगी। अब टूटना भी छोड़ देना क्योंकि आपकी हिम्मत बंधाने के लिए आपकी पत्नी नहीं होगी।

अय जिंदगी! तेरे सफर में इतने गम क्यों हैं? जो जीना ही नहीं चाहते, उनकी तू बहुत लंबी है। मगर जो जीना चाहते हैं, उनकी सांसे इतनी कम क्यों हैं? अय जिंदगी, तेरे सफर में...

मुझसे अब और नहीं लिखा जाता। हाथों में दम बिल्कुल भी नहीं है फिर भी मैं लिख रही हूँ। आप दो दिन से सोये नहीं थे, इसलिए आज गहरी नींद में सो रहे हो अत: मुझे लिखने का वक़्त मिल गया। मगर अब मैं लिखना बंद करके आपको थोड़ा सा निहारना चाहती हूँ। पता नहीं सुबह उठूं या ना उठूं? आज आखरी बार आपके हाथों का तकिया बनाकर सोना चाहती हूँ। आपके सीने से कान लगाकर आपकी धड़कनों में खोना चाहती हूँ...

आपकी सदा प्यार करने वाली,
**पत्नी**
#एवरीवन
#वायरल #ट्रेंडिंग

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