रजनी की दुनिया

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कासगंज में एक शादी समारोह के दौरान डीजे बजाने पर हुए विवाद ने तीन लोगों की जा'न ले ली. दुल्हन पक्ष के युवक ने गुस्से में...
05/12/2025

कासगंज में एक शादी समारोह के दौरान डीजे बजाने पर हुए विवाद ने तीन लोगों की जा'न ले ली. दुल्हन पक्ष के युवक ने गुस्से में कार चढ़ाकर दूल्हे पक्ष के ताऊ, चाचा और मौसा को मौत के घाट उतार दिया. दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजकर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है.कासगंज में सपा नेता के बेटे की शादी में खुशियों के बीच अचानक ऐसा हादसा हुआ कि पूरा परिवार सदमे में चला गया. डीजे बजाने को लेकर शुरू हुआ एक मामूली विवाद कुछ ही मिनटों में खूoनखराबे में बदल गया. यह घटना गंजडुंडवारा कोतवाली क्षेत्र के जेडएस पैलेस गेस्ट हाउस की है, जहां शादी की रात चीख पुकार और अफरा तफरी में बदल गई.शादी समारोह में दूल्हा पक्ष और दुल्हन पक्ष के बीच डीजे की आवाज को लेकर कहा सुनी हुई. शुरुआत में दोनों पक्षों के बीच बहस ही हुई, लेकिन विवाद धीरे धीरे बढ़ता गया. इसी दौरान दुल्हन पक्ष के चचेरे भाई की दूल्हे पक्ष के कुछ लोगों से मारपीट हो गई. मारपीट से नाराज युवक गुस्से में वहां से चला गया.आरोप है कि युवक कुछ ही देर बाद अपनी कार लेकर वापस लौटा और गुस्से में कार को तेज रफ्तार में दूल्हे पक्ष की ओर मोड़ दिया. उसने दूल्हे पक्ष के ताऊ, चाचा और मौसा को सीधी टक्कर मार दी. तीनों की मौके पर ही मौ"त हो गई. दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

हादसे के बाद मौके पर हाहाकार मच गया. शादी का माहौल मातम में बदल गया. परिवार के लोग बदहवासी में एक दूसरे को संभालते रहे. गंजडुंडवारा पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और हालात को नियंत्रित किया.पुलिस ने तीनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. आरोपी युवक मौके से फरार हो गया जिसकी तलाश जारी है. गेस्ट हाउस के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है ताकि कोई और विवाद न हो. बलवीर, मृतकों के रिश्तेदार ने कहा कि घर की शादी पलभर में मातम में बदल गई और तीन लोग एक साथ चले गए।

दुःखद....पुलिस विभाग का पेपर निकालने.. फिजिकल क्लियर करने मे कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है.. ये दुनिया नहीं समझती....
05/12/2025

दुःखद....
पुलिस विभाग का पेपर निकालने.. फिजिकल क्लियर करने मे कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता है.. ये दुनिया नहीं समझती.....
न्यूज मे है की ---राजस्थान पुलिस की हेड कांस्टेबल, संतोष देवी जी 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ धरी गई ..
अरे... धरी गईं का क्या मतलब है भाई... अधिकार है उनका... ले सकती हैँ... क्यूंकि विभाग मे हैँ...पद पर हैँ....

अब आप बात समझिये---दो भाइयों का आपसी विवाद था.... कुछ भी अनहोनी हो सकती थी... मारपीट हो सकती थी.. कट्टा चाकू चल सकता था...
किन्तु इन्होंने इस मामले मे दोनो को अंदर करने की धमकी दी.....दोनों राइट टाइम हो गए.....

एक ने दस हजार दे दिए ..दूसरा थोडा पढा लिखा पागल
था…और उस अहिंसा के दुश्मन ने एंटी करप्शन टीम को सूचना दे दी …।
फिर क्या था बेचारी संतोषी को पांचसो के करारे नोटों संग रगे हाथ दबोच लिया....
जो काम अहिंसा से और आराम से हो रहा था... उसे दुनिया टिपिकल बना ही देती है....

इनको सस्पेंड कर दिया गया है... ये जेल मे हैँ....इस मोदी सरकार मे अहिंसा से कोई काम हो ही नहीं रहा....

05/12/2025

Hindi jokes😜😜

हे भगवान....ये तो वैसा ही केस है ज़ब एक बार गाजियाबाद में सात साल के बच्चे पर रेप का केस लगाया गया था 😥बस, अब गर्भ में पल...
05/12/2025

हे भगवान....ये तो वैसा ही केस है ज़ब एक बार गाजियाबाद में सात साल के बच्चे पर रेप का केस लगाया गया था 😥

बस, अब गर्भ में पल रहे बच्चे पर हरिजन एक्ट लग जाए वो दिन भी जल्दी ही आएगा 🙄
बाबा साहब जिंदाबाद

इंसान का दिमाग कितन खतरनाक होता है,वह अपने ही छोटे  मासूम को भी मार सकता है,अन्य मासूमों को जो किसी भी प्रकार के दोषी ना...
05/12/2025

इंसान का दिमाग कितन खतरनाक होता है,वह अपने ही छोटे मासूम को भी मार सकता है,अन्य मासूमों को जो किसी भी प्रकार के दोषी ना होने के बाद भी।

समुद्र तट से पांच मील दूर, नाविकों ने ऐसा नजारा देखा जिसे कोई कभी देखना नहीं चाहता। एक हाथी खुले समुद्र में डूब रहा था। ...
04/12/2025

समुद्र तट से पांच मील दूर, नाविकों ने ऐसा नजारा देखा जिसे कोई कभी देखना नहीं चाहता। एक हाथी खुले समुद्र में डूब रहा था।

उसका सूंड लगातार लहरों से ऊपर उठता और फिर पानी के नीचे चला जाता, हवा पाने के लिए तड़प रहा था। हाथी वहां नहीं होना चाहिए था। हाथी वहां जीवित नहीं रह सकता था।

लेकिन यह हाथी लैगून पार करते समय बह गया था। धीरे-धीरे दूर समुद्र की ओर खिंचता गया, जब तक कि जमीन सिर्फ एक याद बन गई और समुद्र ही उसका कैदखाना बन गया।

जब श्रीलंकाई नौसेना पहुंची, तो उन्होंने देखा कि विशालकाय हाथी कांप रहा था, थका हुआ था और मुश्किल से सिर पानी के ऊपर रख पा रहा था। फिर भी… वह लड़ता रहा।

फिर जो हुआ, वह असाधारण था।

नौसेना के गोताखोर उसके पास कूद पड़े।
जाल या शांतिदायक दवा के साथ नहीं, बल्कि कोमल आवाज़ और स्थिर हाथों के साथ। उन्होंने उसके पास तैरते हुए उसे शांत किया, विशाल शरीर के चारों ओर रस्सियाँ डालकर धीरे-धीरे तट की ओर खींचा, जबकि समुद्र उन्हें खिलौनों की तरह धकेल रहा था।

बारह घंटे तक उन्होंने हाथी को इंच दर इंच किनारे की ओर मार्गदर्शन किया।
हर मिनट महत्वपूर्ण था।
हर लहर सब कुछ बर्बाद कर सकती थी।
हाथी की हर सांस एक जीत जैसी लग रही थी।

जैसे ही सूर्यास्त हुआ और आकाश सोने की तरह जल उठा, बचाव टीम ने देखा कि उनकी रस्सियाँ ढीली पड़ गई हैं।

हाथी के पैर आखिरकार रेत को छू गए थे।

अंतिम ताकत लगाकर थका हुआ विशालकाय उठ खड़ा हुआ, सूंड उठाया और एक गहरी, गूंजती हुई आवाज़ निकाली — जैसे कृतज्ञता को साँसों में बदल दिया गया हो।

फिर, बिना किसी हिचकिचाहट के, वह जंगल की ओर चला गया… स्वतंत्र, जीवित और घर वापसी।

बचाव करने वालों ने खुशी में नहीं चिल्लाया।
वे कुछ बोले नहीं।
वे सिर्फ देखते रहे — उस जीवन के लिए सम्मानित होकर जो उन्होंने दुनिया के किनारे से वापस लाया था।

क्योंकि उस दिन, गहरे पानी और मद्धम रोशनी में, समुद्र ने एक सरल सच्चाई देखी:

जहाँ साहस और करुणा मिलते हैं, वहाँ सबसे भारी आत्मा भी सुरक्षित घर पहुँच सकती है।

04/12/2025

देसी इंजीनियर और गधा 😂😂

04/12/2025
Dil Ke Saaf Log Ko Aaj Kal Sab Ignore Kyun Kar Dete 🤔Kabhi kabhi zindagi mein sabse zyada mushkil hota hai saaf dil rakh...
04/12/2025

Dil Ke Saaf Log Ko Aaj Kal Sab Ignore Kyun Kar Dete 🤔

Kabhi kabhi zindagi mein sabse zyada mushkil hota hai saaf dil rakhna
Kyuki yahi log sabse zyada thukra diye jaate hain
Agar tum bhi un logon mein aate ho jinka dil bahut saaf hai
to yeh post tumhare liye hi hai
Like Share aur Comment karke batao kya tumne bhi yeh feel kiya hai



तलाक़ के दिन पति ने ताना मारा: "तुम जैसी औरत को तो अब सड़क पर कोई देखेगा भी नहीं," और 5 मिनट बाद सामने का मंज़र देखकर वह द...
04/12/2025

तलाक़ के दिन पति ने ताना मारा: "तुम जैसी औरत को तो अब सड़क पर कोई देखेगा भी नहीं," और 5 मिनट बाद सामने का मंज़र देखकर वह दंग रह गया...
जज (न्यायाधीश) के हथौड़े की कठोर आवाज़ पूरे कोर्ट रूम में गूँज उठी। "आप दोनों अब आधिकारिक तौर पर पति-पत्नी नहीं रहे।"

रीमा ने एक गहरी साँस ली, अपनी लगभग फटने वाली छाती को दबाने की कोशिश की। दस साल। दस साल की जवानी, दस साल का बलिदान, दस साल तक अजय के पितृसत्तात्मक और अपमानजनक व्यवहार को सहना, आखिरकार एक ठंडे फ़ैसले के साथ ख़त्म हो गया। उनका पाँच साल का बेटा, बिट्टू, अपनी माँ का हाथ कसकर पकड़े हुए था। वह सब कुछ समझने के लिए बहुत छोटा था, लेकिन वह तनाव महसूस कर रहा था।

अजय खड़ा हुआ, उसने कंधों को ऐसे फैलाया जैसे उसके ऊपर से कोई बोझ उतर गया हो। उसने अपनी पूर्व पत्नी – रीमा – पर एक नज़र डाली, जो एक फीके, पुराने कपड़े और बेरंग पर्स लिए खड़ी थी। उसे घर मिल गया था। उसे बच्चे के गुज़ारे के लिए बस थोड़ी-सी रक़म देनी थी। वह जीत गया था।

कोर्ट रूम से बाहर निकलते हुए, अजय कुछ कदम आगे चला, फिर अचानक रुक गया। वह पलटा, रीमा को घृणा की दृष्टि से देखा, और अपने होंठों को टेढ़ा करके मुस्कुराया। "सच कहूँ," उसने दाँतों के बीच से कहा। "मुझे तुम्हारे लिए ख़ुशी भी है। लेकिन अफ़सोस भी होता है। तुम जैसी औरत, जो अब बूढ़ी हो चुकी है, गाँव की लगती है, और घिस चुकी है, उसे अब सड़क पर खड़ा होने पर कोई देखेगा भी नहीं।"

शब्दों का यह थप्पड़ हज़ारों शारीरिक थप्पड़ों से भी ज़्यादा दर्दनाक था। रीमा का चेहरा पीला पड़ गया। उसने तुरंत अपने बेटे को गले लगा लिया, मानो उसे उसके पिता के विषैले शब्दों से बचाना चाहती हो। उसने कुछ नहीं कहा, बस अपने होंठों को तब तक भींच लिया जब तक खून नहीं निकल आया, और तेज़ी से कोर्ट के गेट की ओर बढ़ने लगी।

अजय उसके पीछे ज़ोर से हँसा। उसने अपने हाथ पतलून की जेबों में डाले, सीटी बजाई, और अपनी पूर्ण जीत का आनंद लिया। वह अब आज़ाद था, और उसने उस औरत को, जिसे वह कभी अपनी पत्नी कहता था, गंदगी के दलदल में धकेल दिया था।

रीमा ने कोर्ट का भारी लोहे का गेट धकेला। चिलचिलाती धूप ने उसे अंधा कर दिया। पाँच मिनट। उसके यह कहने के बाद सिर्फ़ पाँच मिनट बीते थे। ये पाँच मिनट उसे ऐसे लगे जैसे वह अभी-अभी नर्क से गुज़री हो। वह और उसका बेटा सड़क के किनारे बेसहारा खड़े थे, उन्हें नहीं पता था कि कहाँ जाएँ।

ठीक उसी क्षण, एक चमचमाती, शानदार काली मर्सिडीज एस-क्लास धीरे-धीरे पास आई और उन दोनों के ठीक सामने आकर रुक गई...

मर्सिडीज के शीशे एक पल को काले आईने जैसे रहे—फिर धीरे-धीरे नीचे उतरने लगे। धूप की धार ने अंदर बैठे चेहरे को रोशन किया, और रीमा की साँस थम गई।

गाड़ी में बैठा आदमी कोई और नहीं… कबीर शर्मा था।

वही कबीर, जिसे उसने कॉलेज में ट्यूशन पढ़ाया था। वही लड़का, जो हमेशा कहता था—“दीदी, एक दिन मैं बहुत बड़ा आदमी बनूँगा, और आपको गर्व करवाऊँगा।”
दस साल पहले कबीर एक साधारण, दुबला-पतला, सादा-सा लड़का था। आज वह भारत की सबसे तेजी से बढ़ती टेक कंपनी का फाउंडर था—सूखे पेड़ पर लगा अनोखा फल जैसा बदलाव।

कबीर ने मुस्कुराते हुए दरवाज़ा खोला।
“दीदी…? आप?”
उसकी आवाज़ में वही पुरानी गर्माहट थी, कोई दिखावा नहीं।

रीमा की आँखें भर आईं।
“क…कबीर?”

कबीर गाड़ी से उतरा, बिना एक सेकंड गंवाए उसने रीमा का बैग पकड़ा, और बिट्टू के सामने घुटनों पर बैठ गया।
“तुम बिट्टू हो? चलो, आइस-क्रीम खिलाते हैं। तुम्हारी मम्मी मेरी हीरो है।”

सड़क के दूसरी तरफ, अजय अभी भी वहीं खड़ा था—हाथ बाँधे, होंठ टेढ़े, अपनी ही जहरीली जीत में डूबा हुआ।

पर जैसे ही उसने रीमा को कबीर के साथ देखा, उसका चेहरा ऐसे बदल गया जैसे किसी ने उसकी रगों में ठंडा पानी उंडेल दिया हो।
कबीर शर्मा कोई नाम नहीं था—एक ब्रांड था, एक प्रभाव था, और सबसे बढ़कर, अजय के सपनों का असंभव स्तर।

अजय अविश्वास में कुछ कदम आगे बढ़ा।
“रीमा, यह… यह कौन है?”

कबीर ने उसकी ओर देखा, शांत लेकिन धारदार नज़र।
“मैं वो हूँ जिसे इस औरत की क़ीमत समझने के लिए किसी कोर्ट की मुहर की ज़रूरत नहीं है।”

अजय का गला सूख गया।
“तुम… तुम कबीर शर्मा हो?”

कबीर ने सिर हिलाया, और उसी नरम लहजे में बोला जिसमें कभी रीमा को ‘दीदी’ कहकर सम्मान दिया था—
“हाँ। और तुम वो आदमी हो, जिसने दुनिया की सबसे मजबूत औरत को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन क्या पता था… टूटकर भी वह हीरा ही निकलेगी।”

रीमा के पैरों में जैसे नई जान लौट आई।
वो खड़ी रही, मगर इस बार भीगी हुई पत्ती की तरह नहीं—बल्कि किसी तूफ़ान से बचकर निकले पेड़ की तरह।

कबीर ने कहा,
“दीदी, चलिए। यह शहर बड़ा है, और आपका नया जीवन… इससे भी बड़ा।”

रीमा ने पहली बार अजय की ओर देखा।
वही आदमी, जो पाँच मिनट पहले कह रहा था कि उसे सड़क पर कोई नहीं देखेगा—आज उसी सड़क पर खड़ा था, और उसे देखने वाले ही नहीं, पहचानने वाले भी मिल गए थे।

अजय ने चीखकर कहा,
“रीमा, तुम इसका फायदा उठा रही हो! तुम—”

रीमा ने हल्की, स्थिर आवाज़ में जवाब दिया,
“नहीं अजय। मैं बस अपनी इज़्ज़त वहीं ले रही हूँ, जहाँ उसकी क़ीमत समझी जाती है।”

कबीर ने रीमा और बिट्टू को कार में बैठाया। दरवाज़ा धीरे से बंद हुआ, और मर्सिडीज की इंजन की गहरी आवाज़ सड़क पर फैल गई।

गाड़ी आगे बढ़ी—रीमा की पुरानी ज़िंदगी को पीछे छोड़ते हुए।

और अजय?
वह धूप में अकेला खड़ा रह गया, उसी सड़क पर…
जहाँ उसने कहा था कि रीमा को कोई नहीं देखेगा।

विडंबना यह थी—
आज हर कोई उसी को देख रहा था।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती—यह तो बस रीमा की नई शुरुआत थी।

देश के लिए जा"न हथेली पर रखता हूं... पत्नी की ह"त्"या हुई', बोलते फफक पड़ा नेवी जवान, TTE पर मर्डर का केस दर्जमित शर्मा,...
03/12/2025

देश के लिए जा"न हथेली पर रखता हूं... पत्नी की ह"त्"या हुई', बोलते फफक पड़ा नेवी जवान, TTE पर मर्डर का केस दर्जमित शर्मा, कानपुर: यूपी के इटावा में चलती ट्रेन से गिरकर नौसेना जवान की पत्नी की मौ"त हो गई थी। इस मामले में टीटीई पर हत्"या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। आरती के पति और पिता ने गंभीर आरोप लगाए हैं।आरोप है कि बुधवार गलत ट्रेन पर चढ़ने पर टिकट चेकिंग के दौरान टीटीई से विवाद हुआ था। आवेश में आकर उसने बेटी को चलती ट्रेन से धक्का दे दिया, जिससे ट्रेन से कटकर उसकी मौ"त हो गई।

नौबस्ता थाना क्षेत्र स्थित मछरिया निवासी आरती के पिता अनिल कुमार सिंह ने बताया कि बुधवार को बेटी अकेले दिल्ली जा रही थी। आरती गलती से पटना-आनंद विहार सुपरफास्ट एक्सप्रेस पर चढ़ गई थी। जबकि उसका आरक्षण छपरा नई दिल्ली क्लोन स्पेशल ट्रेन में था। इसको लेकर एस 11 कोच में टीटीई संतोष कुमार ने टिकट चेक करने के दौरान से अभद्रता की, जिसका बेटी ने विरोध किया था।

आरती के पति अजय का कहना है नौसेना का जवान हूं, देश की रक्षा के लिए अपनी जान हथेली पर रखता हूं। मेरी ही पत्नी की हत्या कर उसे हादसा बताया जा रहा है। जो पत्नी के साथ हुआ है वह किसी और के साथ न हो। पत्नी को चलती ट्रेन से फेंकने वाले टीटीई के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, मुझे सिर्फ और सिर्फ न्याय चाहिए। यह बात कहते हुए अजय यादव फफक कर रो उठे। पत्नी आरती की मौ"त पर पति अजय ने कई सवाल भी खड़े किए हैं।

टीटीई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज
आरोप है कि विवाद इतना बढ़ गया कि टीटीई ने चलती ट्रेन से आरती को धक्का दे दिया। पिता ने आरोपी संतोष कुमार के खिलाफ इटावा जीआरपी में तहरीर दी है। उच्चाधिकारियों के आदेश पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। सीओ जीआरपी उदय प्रताप सिंह ने बताया कि शुरुआती जानकारी में यह हा,दसा बताया गया था। लेकिन परिजनों के आरोपों को देखते हुए टीटीई के खिलाफ हत्या की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

परिजनों का आरोप
परिजनों का आरोप है कि आरती का मोबाइल फोन और बैग लापता है। एक सहयात्री ने रेलवे अधिकारियों को दर्ज कराए गए बयान में बताया कि महिला टीटीई संतोष कुमार से हुए विवाद से पहले मृतका आरती मोबाइल से किसी किसी को बार बार कॉल कर रही थी। इस दौरान उसका फोन नहीं उठ रहा था। बाद में वह किसी का मोबाइल में फोटो देखकर रो रही थी। आरपीएफ निरीक्षक आनंद कुमार कहना है कि महिला ने पति को फोन मिलाया हो। उन्हीं का फोटो देखकर रो रही हो।

ये नियति का खेल है। इस तस्वीर में परेशान,बेहाल और अनमना सा दिखने वाला ये हिन्दुस्तानी लड़का एक मशहूर अदाकारा के साथ जर्म...
03/12/2025

ये नियति का खेल है। इस तस्वीर में परेशान,बेहाल और अनमना सा दिखने वाला ये हिन्दुस्तानी लड़का एक मशहूर अदाकारा के साथ जर्मनी की एक मेट्रो में बैठा है जिसे वह नहीं जानता। देखते देखते ये तस्वीर तेज़ी से पूरे जर्मनी में वायरल हो जाती है।

मशहूर जर्मन मैगज़ीन “डेर स्पीगल” ने तस्वीर में दिख रहे भारतीय युवक को जर्मनी में ढूंढना शुरू किया। आखिरकार यह तलाश म्यूनिख में खत्म हुई, जहाँ पता चला कि वह भारतीय युवक गैर-कानूनी तरीके से जर्मनी में रह रहा है।

पत्रकार ने उससे पूछा: “क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे बगल में बैठी गोरी लड़की ‘मेसी विलियम्स’ थी—मशहूर सीरीज़ गेम ऑफ़ थ्रोन्स की हीरोइन? दुनिया भर में उसके लाखों फ़ैन हैं जो सिर्फ़ उसके साथ सेल्फ़ी लेने का सपना देखते हैं, लेकिन तुमने बिल्कुल भी रिएक्ट नहीं किया। क्यों?”

युवक ने शांति से जवाब दिया:“जब तुम्हारे पास रहने का परमिट नहीं है, तुम्हारी जेब में एक भी यूरो नहीं है, और तुम हर दिन ट्रेन में ‘गैर-कानूनी’ तरीके से सफ़र करते हो, तो तुम्हें फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारे बगल में कौन बैठा है।”

उसकी ईमानदारी और हालत से इम्प्रेस होकर, मैगज़ीन ने उसे 800 यूरो महीने की सैलरी पर पोस्टमैन की नौकरी ऑफ़र की। इस जॉब कॉन्ट्रैक्ट की वजह से, उसे तुरंत बिना किसी मुश्किल के रेगुलर रहने का परमिट मिल गया।

यह कहानी हमें बताती है कि नियति कैसे काम करती है। हर अगली घटना, पिछली घटना से जुड़ी है और हर मौजूदा घटना भविष्य की किसी घटना से। सबकुछ पूर्व नियोजित है। जैसे एक स्क्रिप्ट लिखी हुई है जिस पर जिंदगी की पिक्चर चल रही है। किसकी किस्मत में आगे क्या लिखा है ये किसी को नहीं मालूम।

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