Narendra Kumar jhunhunu

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06/11/2024

परवाह ना कर तमाशे होते रहेंगे,
तू ये ख्याल रख की किरदार बेदाग रहे….✍️

17/08/2024

राम राम भाइयों ये विडियो में जो दिख रहा है, वह एक छोटा सा प्रयास किया है मक्का बोने का अगर ये प्रयास कुछ हद तक अगर सफल होता है तो अगली बार ज्यादा मात्रा मे बोएंगे क्यों कि बड़े बुजुर्ग बोलते थे कि अपने यहां मक्का नही होती लेकिन अब समय के साथ बिज भी बदल रहे हैं और मौसम भी लेकिन इस बार मौसम मक्का के अनुकूल ही है तो जहा तक मेरा मानना है भुट्टे जरूर आयेंगे।

भारत कि उम्मीदों को बड़ा झटका लगा विनेश फोगाट को गोल्ड मेडल मैच के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वह मैच नहीं खेल पाएं...
07/08/2024

भारत कि उम्मीदों को बड़ा झटका लगा विनेश फोगाट को गोल्ड मेडल मैच के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। वह मैच नहीं खेल पाएंगी। खबर आया कि वह वेट के दौरान 50 किलोग्राम से लगभग 100 ग्राम अधिक निकलीं। एक भारतीय कोच ने कहा- आज सुबह उसका वजन 100 ग्राम अधिक पाया गया। नियम इसकी अनुमति नहीं देते और उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस तरह से भारत की उम्मीदों ने दम तोड़ दिया है। जब से उन्होंने फाइनल में एंट्री मारी थी। हर कोई खुशी में झूम रहा था, लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने हर किसी को हैरान कर दिया।

सिस्टम ने इसको हिलाने की कोशिश की थी आज इसने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और 4 बार की विश्व चैंपियन सुसाकी को हरा कर अपने दम...
06/08/2024

सिस्टम ने इसको हिलाने की कोशिश की थी आज इसने ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता और 4 बार की विश्व चैंपियन सुसाकी को हरा कर अपने दम पर सिस्टम को हिला दिया
#ओलंपिक
🫂🫂👍👍👍👍👍👍

महज एक कोरी अफवाह:बांग्लादेश के क्रिकेटर लिटन दास के घर में आग लगा दी गई?बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों और आगजनी ...
06/08/2024

महज एक कोरी अफवाह:बांग्लादेश के क्रिकेटर लिटन दास के घर में आग लगा दी गई?

बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शनों और आगजनी की खबरों के बीच, सोशल मीडिया पर हिंदुओं के घरों और मंदिरों को कथित तौर पर जलाने के बारे में ट्वीट्स आने लगे। उन ट्वीट्स में कई सोशल मीडिया यूजर्स ने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाड़ी लिटन दास के घर को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया। हालांकि, यह जानकारी झूठी पाई गई। हसीना के भाग जाने के बाद, सोशल मीडिया पोस्ट में झूठा दावा किया गया कि क्रिकेटर लिटन दास के घर को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी। दास, एक बंगाली हिंदू हैं, जिन्होंने कई सालों तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व किया है। दरअसल ये आग बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेटर मसरफे मुर्तजा के घर मे लगाई गई जो वर्तमान में शेख हसीना कि पार्टी से सांसद हैं।

मजाक मत बनाओ ....कुछ लोग  बंगलादेश की प्रधान मंत्री के देश छोड़ने पर उनका मजाक बना रहे हैं। पहली बात तो यह है कि शेख हसी...
06/08/2024

मजाक मत बनाओ ....

कुछ लोग बंगलादेश की प्रधान मंत्री के देश छोड़ने पर उनका मजाक बना रहे हैं। पहली बात तो यह है कि शेख हसीना मोदी जी की व्यक्तिगत मित्र नहीं, भारत की मित्र हैं। वे राजीव जी के समय भी थीं, मनमोहन जी के समय भी। और जब तक जीवित हैं भारत की मित्र रहेंगी।

हसीना का परिवार उदारवादी और धर्म निरपेक्ष रहा है। उन्हें इतना भी नहीं पता कि बंगलादेश की आजादी की कीमत इस परिवार ने क्या चुकाई है 18 सदस्य जिनमे बच्चे और महिलाएं थीं गोलियों से भून दिया गया। अगर हसीना और उनकी बहन वहां होती तो लोग इन्हे भी मार डालते।

बंगलादेश में जो हुआ वह पाकिस्तानी मानसिकता है। वह दिन दूर नही है। बांग्लादेश भी पाकिस्तान बनता नजर आएगा लोग मोदी विरोध में भारत कि विदेश नीति को भूल रहे हैं क्यों कि भारत की विदेश नीति का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, साम्राज्यवाद का विरोध करना, रंगभेद नीति के खिलाफ खड़ा होना, अंतरराष्ट्रीय विवादों के शांतिपूर्ण और राजनीतिक समाधान का प्रचार करना, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना, गुटनिरपेक्ष और गैर-प्रतिबद्ध रहना है। और तीसरी दुनिया की एकता और एकजुटता बनाए रखने के लिए है।

05/08/2024

पशु समाजिक हो सकता है जैसे मनुष्य, या धार्मिक जैसे गाय-बकरा आदि। पर दार्शनिक पशु बस भैंस है। शायद ही किसी ने किसी भैंस को उपद्रव मचाते देखा हो। इसे देख कर किसी पीर-सन्यासी की याद आती है, जो जीवन के सुख और दुख से ऊपर उठ चुका है। तमाम दार्शनिक किताबें भैंस के अनमनी दार्शनिकता के आगे फिके पड़ जाती हैं।

भैंस से मेरी पहली मुलाकात बचपन में हुई। राजस्थान में एक छोटा सा गाँव है, झुंझुनू से 17 किलोमीटर दूर है 'बासड़ी'!यही है मेरा गाँव। मेरे पापा ने अपना बचपन यहीं काटा और मैने भी यहीं वर्तमान में भी यहीं हैं,

इसलिए हर छुट्टी हमें गाँव के काम पकड़ा दिए जाते थे, जैसे घास काट के लाना, खेत में बाकी काम,भैंस को चराने ले जाना आदि। इसमें मेरा सबसे प्रिय काम रहा है भैंस चराना।

गाँव में भैंसों और गायों को जोहड़ (चारागाह)तरफ घास खिलाने ले जाया जाता है। इसे ही भैंस चराने ले जाना कहते हैं। उनके घास खाते वक़्त वहाँ एक व्यक्ति को खड़ा रहना पड़ता है कि जानवर किसी और के खेत में न घुस जाये। और अगर ऐसा हुआ तो उस रोज गांव में लड़ाई पक्की।

हाँ! तो ये मेरा प्रिय काम इसलिए रहा है क्योंकि आप अकेले भैंस चराने नहीं जाते-गाँव के लगभग सारे बच्चे जाते हैं और कुछ बूढ़े भी। तो भैंस चराते वक़्त आपको मस्ती करने का पूरा मौका मिलता है। जानवर को खुला छोड़ बच्चों का खेल चलता रहता है।

पर ये तो हुई खेल की बात। दूसरी जरूरी बात ये की अगर आप भैंस चराने जा रहे हैं तो आपको पैदल नहीं चलना होता था। भैंस बड़ा ही प्यारा जानवर है। बच्चों को तुरंत पीठ पर बैठा लेता है। ऐसी सहजता कभी दूसरे जानवर में नहीं दिखी।

बच्चा अगर काफ़ी छोटा होता तो वो घास चरती भैंस के सर पर पाँव रख आराम से उसके पीठ तक चलता हुआ जा बैठता। कुछ बच्चे उसकी पीठ पर कलाबाजी करते। और भैंस किसी बूढ़े दादाजी की तरह बच्चों को ये हरकतें करने देती।

भैंस जितना सहनशील होना काफ़ी मुश्किल है। इतनी सहनशीलता के बाद भी, इसे कभी बड़े तौर पे धार्मिक पशु की उपाधि नहीं मिली। ये अपने सहजीवी गाय-बकरा-सुअर आदि की तरह न किसी धर्म में पूजा योग्य बना न किसी मज़हब में कुर्बानी या हिकारत का विषय। कोई 1857 की क्रांति नहीं हुई इसके लिए।

पर इसमें भी शायद भैंस दार्शनिकता ही है। वो शायद धर्म-मज़हब की खामियों को बाकी पशुओं से ज्यादा अच्छे तरीके से समझता है।

और भैया भैंस जीवन को इतने अच्छे तरीके से जान चुकी है कि वो मृत्यु के देवता का वाहन है। मृत्यु जैसे जीवन को पूर्ण रूप से समझती है और जैसे वो जीवन के सुख दुख के हिसाब से ऊपर उठी होती है, वैसे ही मृत्यु के देव का बोझ उठाने वाला हमारा ये दार्शनिक पशु सांसारिक मोह से ऊपर उठा रहता है।

भैंस धर्म के लिए जरूरी हो न हो। पर गाँव के लिए काफ़ी जरूरी है। गाय की तरह ही उसका दूध और गोबर दोनों गाँव वालों के काम आ जाता है। 'थेपड़ी'ठोकती गांव की औरतें जानती हैं कि शाम के चूल्हे का ईंधन भी भैंस ही देती है।

चुपचाप एक कोने में अपनी घास चबाते हुए भैंस को पता है दुनिया कितनी नीरस है, तो इस नीरसता को अपनी सहजता से बौना कर देता है। बुद्ध ने शायद जब ये जानवर देखा हो तो गर्व महसूस किया हो। क्या पता कितने फकीरों को फ़कीरी का पाठ पढ़ा चुका हो हमारा ये दार्शनिक दोस्त।

बहरहाल भारत के ही दक्षिण में नीलगिरी पर्वत पे रहने वाली टोडा जनजाति, भैंस की इस दार्शनिकता को शायद समझते हुए उसे अपना पवित्र पशु मानती है।

बाकी इस संसार को भैंस से सीखने को बहुत कुछ बचा है।।

(वीडियो: अपने घर की अपनी भैंस की)
HighLight

30/07/2024

सबसे अच्छी प्रेरणा दायेक फिल्म

30/07/2024

देश में सबसे सुरक्षित फाइल गरीबों और किसानों की ऋण फाइल है जिसमे कभी भी आग नहीं पकड़ती नाही कभी गुम होती हैं...!

चंद लाइनों ने ब्रेक सा लगा दिया कर्ज कि मार ..बीवी के ताने ..परिवार की चिंता.. बच्चो के सपने..फिर भी फर्ज निभाता हूं हंस...
24/07/2024

चंद लाइनों ने ब्रेक सा लगा दिया
कर्ज कि मार ..
बीवी के ताने ..
परिवार की चिंता..
बच्चो के सपने..
फिर भी फर्ज निभाता हूं हंसकर ...
मर्द हुं किसे कहूं दर्द अपना ..

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