01/01/2025
सन् 2019 में लिखी गई कुछ लाईनो को दुबारा जोड़तोड करके .......
किसी शहर की मीणा कालोनी मे बैठी अठाली महिलाओं की मंडली के बातचीत शब्द मेने अपने अनुसार सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखे है जो कि इस प्रकार है-
मेरा उदेश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाना नही है
टेसण मास्टर की लुगाई......
काई कुन करै बहणा , झंडी दिखावै रेलगाड़ी कू , आवै जब इस्या रहवै जाणै याकू हल मे जोड्यौ दिखै , और म्हारे समझ नही आवै जब इतेक काम रहवैः तो या फेसबुक किस्या चलावै म्आ । मे तो थक गी बहणा कहती कहती , कोई गेबी ये भायेलाना न को फोन आजाय तो इस्या बात करेगो जिस्या नयी लुगाई सू बात कर रियौ है और हम सोती टेम नेक आवाज कर देवा तो इस्या चिखाडेगो जिस्या याका कान मे सूतडी धर दी ।
ड्राइवर की लुगाई
कछु मत कह री बहणा ये रेलवे बाडा न की तो , म्हारा डोकरा ने न्यो कह दी चाय छौरी बिना नौकर के दे दू पिण डिलाईबर के नही दू,पिण म्हारो फूफो ले बैठ्यौ , कतई न्यौ कहवै सगाई तो न्या ही करेगा । बिस्या तो सब मौज है बहणा , पिसा भी खूब मिले , मोकू कछु चीज की कमी कोन , पिण कभी दो दिन मे तो कभी तीन दिन मे घर आवै , और कतई क्वार्टर मे इस्या पिड्यौ रहवै जाणै ट्रेन नही ऊँटगाडी चलार आयौ । गेबी छोरा छौरी न कू स्कूल सू लेर सब्जी तक को सब काम मे करू , बाकौ तो इतेक भी सायरो कुनी के महिना को सामान तो लुआ लावे।
टीचर की लुगाई
न्या ही पिड्यौ रहवै सारे दिन , जावै सुबह और 12 बिजा तो न्या दिखै छाती पे , हे बहणा थमारे सही है हाली सब दुनियाँ फ्रि रेलगाड़ी मे तो घूम लेवे , न्या तो मेने करौली का मदनमोहन की 17 बार कहदी पिण रसकै ही कुनी , म्हारी जीजी के लारै पेल की चौथ पे बरवाडा मे जा आई , नइ याकै भरोसे तो न्या भी कुन जाती । छौरा कू एक साईकिल दिला लायौ ,तीन दिन थूथरो सुजा लियो बहणा ,मेने कह बड दी के या छोरो पैदल स्कूल जावै।
सबडी दुनियाँ खाटू श्याम जा आई , पण या लोभी। सर्दी न छुट्टी में सारे दिन पालक पितकाली न में पाणी देतो रहवै ,पण घूमवे के नाम याको ।
#बैंक बाले की लुगाई
काई बताऊ रै जीजी , अब तो बैंक की नौकरी है ही खराब , पहले तो 9 बिजा जावेआ और 5 बिजा आ जावेआ । अब तो 8 बजे ही निकड लेवे ,जाणै इनकू ही लगाणो है म्हा झाडू , । एक दो और आवै आडी/टेडी जात की चिकली सी दो चार छोरी बैंक मे , सारे दिन करै उनसू पंचायत , मेरी सब्जी की तो कभी बडाई कुन करै , और वे दयारी न को आचार भी पनीर लगे।
#ग्रूप डी बालै की लुगाई
काई बताऊँ काकी , तनखा तो सबडी खाबा मे ही चली जाय , या तो हमारा पापा ने प्लांट दे दियो न्या , जेसू बणा लिया दो कमरा , गरीब आदमी है कर रिया हा टाईमपास , ये तो थमारे पास बैठ जामा , नही दो गार्डड्राईबर न की लुगाई है लोहडी , पीसा पीसा पीसा , मरी जा रही है कतई , भगवान जाणै कणा काई बतडावै माईलेज घंटा और किलोमीटर । पहले तो काकी थमाराशछौरी की ट्रेक पे ही , पण अब तो गेट पे लगा दी , बेस बैठ्या बैठलठ्या झंडी बतावै ।
#टेक्निशियन की लुगाई
हमारे तो दो घंटा जावै , फेर सारे दिन क्वार्टर पे ही रहवै , कछु काम कुनी , पैसा न को काई गेबी , आराम होणो चाहिए । मोकू तो लगे ही कुनी बे नौकरी भी करै के , । उनको तो दो जगह सू आशगियो ड्राइवर मे नंबर पर मेने कतई मना कर दी ।
#पुलिस बाले की लुगाई
जब सू लाईन मे ड्यूटी लगी है न तब सू तो कतई खेत जार कुन समाडे पप्पू की मम्मी , मे ही जाऊ सातदिन मे घर , गेबी निंदणी , कटाई , भराई, सबडो काम मे करू । आज आई बा मास्टर की लुगाई दुध लेवा , मेने कह दी बहणा तडके सू मित आज्यौ दुध लेवा मकान पे , पण बट्टौ मत लगाये म्हारा दुध के , की पाणी मिलावै । कतई भैंस ही सूख गी ,
#टिप्पर की लुगाई - का बेचे जे थम ...? नौकरी नौकरी नौकरी , ऐ बडौ री । ब्लेक स्कार्पियो बुक कराई है , या थार मे तो भरोटा लायेगे भरोटा ।
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पूरी कहानी देशी शब्दो में......बताओ