Devaram Bishnoi writer

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ज्योत _ सेवा या ठेकेदारी ?
10/08/2025

ज्योत _ सेवा या ठेकेदारी ?

09/08/2025

जबकि स्कूल बिल्डिंग ठेकेदार ने बनाईं
जांच इंजीनियर ने कि।
छत गिरने पे बैमोत गरीबों के बच्चे मरे।
और बैवजह शिक्षक निलंबित।
पोपा बाईं का राज़।
भारतेन्दु वाला नाटक,
अंधेर नगरी चौपट राजा।।
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पोपा बाईं का राज़–अंधेर नगरी का ताजा किस्सा
*(भारतेन्दु की शैली में एक समकालीन व्यंग्य)*
पात्र:_
 पोपा बाईं–सत्ता की चालाक सलाहकार
 चौपट राजा–दिखावटी न्यायप्रिय,पर निर्णय उल्टे
 ठेकेदार लालाराम- स्कूल बनाने वाला
 जाँच इंजीनियर बाबूलाल–जांच करने वाला
 गुरुजी–निर्दोष शिक्षक
 जनता–दर्शकों में बैठे,सवाल पूछते
दृश्य 1: (राजदरबार में शोर)
जनता:महाराज!स्कूल की छत गिर गई,
गरीबों के बच्चे मारे गए!
राजा (गंभीर मुद्रा)किसने बनाया था स्कूल?
जनता:ठेकेदार लालाराम ने…
और जांच इंजीनियर बाबूलाल ने की थी।
राजा:(पोपा बाईं की ओर देखता है)क्या करना चाहिए?
पोपा बाईं:महाराज!ठेकेदार और इंजीनियर दोनों राजदरबार के खास लोग हैं… उन्हें छेड़ा तो चंदा बंद हो जाएगा।
राजा:हां… तो किसी और को दोषी ठहराओ।
दृश्य 2: (राजा ऐलान करता है)
राजा:सुनो प्रजा!असली दोषी स्कूल के गुरुजी हैं।
जनता:गुरुजी? वो तो पढ़ा रहे थे!
पोपा बाईं: हां,पर घटना के समय कक्षा में मौजूद थे..
यही उनकी गलती है।
राजा:(गंभीर)अतःउन्हें तुरंत निलंबित किया जाता है।
(राज दरबार ताली बजाता है,जनता हक्की-बक्की)
दृश्य 3:(गुरुजी रोते हुए)
गुरुजी:महाराज! मैंने तो बच्चों को बचाने की कोशिश की…
राजा:टोकते हुए)चुप!यहां तर्क की नहीं,आदेश की चलती है।
जनता:(धीरे से) यही है पोपा बाईं का राज़…
और यही है अंधेर नगरी चौपट राजा।।
(परदा गिरता है)

लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर🙏

09/08/2025

जबकि स्कूल बिल्डिंग ठेकेदार ने बनाईं जांच इंजीनियर ने कि। छत गिरने पे बैमोत गरीबों के बच्चे मरे। और बैवजह शिक्षक निलंबित।
पोपा बाईं का राज़।
भारतेन्दु वाला नाटक,अंधेर नगरी चौपट राजा।।

09/08/2025

पौराणिक कथा और ऐतिहासिक
अध्ययन के दृष्टिकोण से तार्किक विश्लेषण_
भूमिका_
मानव सभ्यता में पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं
का अपना-अपना महत्व है।
पौराणिक कथाएं धार्मिक,सांस्कृतिक और नैतिक
शिक्षा देने का माध्यम रही हैं,
जबकि ऐतिहासिक घटनाएं प्रमाण,पुरातात्विक
साक्ष्य और लिखित अभिलेखों पर आधारित होती हैं।
दोनों के बीच का अंतर समझना आवश्यक है,
ताकि आस्था और तर्क का संतुलन बना रहे।
धार्मिक ग्रंथों का सांस्कृतिक महत्व
रामायण,महाभारत जैसे महाकाव्य भारतीय संस्कृति,
कला, साहित्य और आचार-विचार पर गहरा प्रभाव डालते हैं।
इनका उद्देश्य समाज को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना रहा है।
इनमें वर्णित पात्र और घटनाएं आस्था के प्रतीक बन चुकी हैं,
परंतु वैज्ञानिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से इनका मूल्यांकन करते समय प्रमाणों की आवश्यकता होती है।
वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विश्लेषण
• राजा दशरथ की 60,000 वर्ष आयु का उल्लेख वैज्ञानिक दृष्टि से असंभव है।
• खीर खाने से गर्भधारण का दावा जैविक और चिकित्सा विज्ञान के विपरीत है।
• सीता का घड़े से जन्म,धनुष उठाने की कथा और रावण द्वारा उनका अपहरण_
इनका तर्कसंगत स्पष्टीकरण नहीं है।
• शंबूक वध, बाली वध जैसी घटनाएं
नैतिक प्रश्न खड़े करती हैं।
• सोने का मृग, सोने की लंका जैसे वर्णन
के कोई पुरातात्विक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
• हनुमान की असाधारण शक्ति और संपूर्ण पर्वत
उठाने की संभावना का कोई भौतिक आधार नहीं है।
• यदि श्री राम वास्तव में सर्वज्ञ थे,
तो सीता हरण की पूर्व जानकारी क्यों नहीं थी?
नैतिक एवं दार्शनिक प्रश्न
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कई घटनाएं आधुनिक नैतिक मानदंडों के अनुसार विवादास्पद प्रतीत होती हैं।
इनका उद्देश्य उस समय के समाज में धर्म,
कर्तव्य और नीति को स्थापित करना हो सकता है,
लेकिन वर्तमान युग में इनका आलोचनात्मक
परीक्षण आवश्यक है।
निष्कर्ष_
रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य सांस्कृतिक
धरोहर हैं,
परंतु इनका ऐतिहासिक प्रमाण सीमित या अनुपलब्ध है।
इसलिए हमें इन्हें आस्था के साथ-साथ तार्किक
दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए।
आस्था व्यक्तिगत होती है,परंतु इतिहास
और विज्ञान प्रमाणों पर आधारित होते हैं।
दोनों के बीच संतुलन बनाना ही विवेकपूर्ण दृष्टिकोण है।।

लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर 🙏

ज्यादा समझदार और मुर्ख में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता यह दोनों किसी कि नहीं सुनते ।।
09/08/2025

ज्यादा समझदार और मुर्ख में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता यह दोनों किसी कि नहीं सुनते ।।

08/08/2025

🕉️-बिश्नोईज्म-🕉️

गुरु श्री जम्भेश्वर महाराज से कोई
बड़ा संत इस पृथ्वी पर दोबारा ऐसा
कोई महान विचारक पैदा नहीं हुआ हैं।
और दुनियां में बिश्नोईज्म उनतीस
नियम शब्दवाणी शाश्वत उपदेशों से
सर्वोत्तम कोई उपदेश नहीं हैं।
क्योंकि यह गृहस्थी मर्यादा में रहकर मोक्षदायिनी हैं।
बिश्नोईज्म कि ख़िलाफत हमें कतई बर्दास्त नहीं।
आप हमें दोबारा ऐसा पाखंडवाद
पनपाने फ़ैलाने वाले लोगों का घटिया सुझाव नहीं दें।
आप तो शायद गहरे डुब चुके हों।
कृपया हमें बिश्नोईज्म उनतीस नियम
शब्दवाणी शाश्वत उपदेशों पर अडिग रहने दिजियेगा।।

लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर🙏

08/08/2025

🕉️-बिश्नोईज्म-🕉️

बिश्नोईज्म तीज और त्योहारों की सूची
में पूरे साल अनेक मेला,
पर्व और विशेष अमावस्या
व अन्य धार्मिक दिवस शामिल होते हैं।
प्रमुख त्योहारों की संक्षिप्त सूची निम्नलिखित है:

जाम्भाणी पर्व (फाल्गुन अमावस्या):
मुकाम एवं समराथल धोरा
जैसे तीर्थों पर विशाल मेला आयोजित होता है।

खेजड़ली बलिदान दिवस:
भाद्रपद माह में पर्यावरण-
संरक्षण हेतू 363 बिश्नोईयों
के बलिदान की याद में मेला।

बिश्नोई स्थापना दिवस (कार्तिक अष्टमी):
गुरु श्री जंभेश्वर महाराज द्वारा
बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना का पर्व।

होली पर्व सुबह:

रामा श्यामा पर्व/पाहल संस्कार दिवस:
प्रत्येक चैत्र व दीपावली के आसपास।

विशेष अमावस्या मेले:
पौष,माघ,चैत्र,वैशाख,ज्येष्ठ,आषाढ़, श्रावण,भाद्रपद,आसोज,कार्तिक,
मिगसर अमावस्या इत्यादि के
अवसर पर विभिन्न स्थलों पर मेले का आयोजन।

शरद पूर्णिमा,माधा मेला,
शहीद गंगाराम,बीरबल,
आलम जी गायणा स्मृति मेला:
विभिन्न पारंपरिक दिवस
और महान विभूतियों की स्मृति में।

इन तीज और त्योहारों का उद्देश्य प्रकृति-
पर्यावरण संरक्षण,
सामाजिक एकता तथा
गुरु परंपरा को जीवंत रखना है।
क्षेत्र,स्थान व स्थानीय मान्यताओं के
आधार पर आयोजन तिथियां बदलती रहती हैं।।

लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर🙏

08/08/2025

आपआस्तिक से नास्तिक
तोअचानक समझआते ही बन सकते हैं,लेकिन नास्तिक बनने के बाद वापसआस्तिक हरगिज़ नहीं बन सकते।।

08/08/2025

"जब ‘सिंह’ नाम में था
तो लोग शेर की तरह लड़ते थे,
जब ‘ख़ान’ नाम में था
तो घोड़े की लगाम थामे साम्राज्य नापते थे,
अब नाम बस व्हाट्सऐप डीपी और
चुनावी पोस्टरों में दहाड़ता है…!!"

लेखक:देवाराम बिश्नोई जोधपुर🙏

08/08/2025

"आजकल साधु-संतों के आश्रम में घंटी कम,
चुनावी घंटियां ज़्यादा बज रही हैं।
माला जपने की जगह वोट
गिनने के गुर सिखाए जा रहे हैं।
प्रवचन का विषय भी बदल गया है—
अब मोक्ष बाद में,मंत्रालय पहले।
गेरुआ कपड़े सत्ता की पार्टी
के रंग में मेल खाते ही चमत्कार हो जाता है—
सीधे लोकसभा का टिकट मिल जाता है।
और फिर कहते हैं—ये सब सेवा है…
हाँ,लेकिन जनता की या खुद की,
या भगवान भी कन्फ्यूज़ हो गया है।"

लेखक: देवाराम बिश्नोई जोधपुर🙏

08/08/2025

पाप तुम करो,
धोएं गंगा,
किसे बैवकूफ बना रहे हो,
गंगा को,
खुद को,
या दुनियां को?

Address

4 Bhagwan Mahaveer Block Mandore Mandi
Surat
342007

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