
03/08/2025
गुरुदत्त की ज़िद से गढ़ा गया "प्यासा" में जॉनी वॉकर
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"प्यासा इतनी इटेंस फिल्म है। इसकी थीम इतनी डार्क है। इसमें भला जॉनी वॉकर को कैसे एडजस्ट किया जाएगा?" लेखक अबरार अल्वी ने गुरूदत्त साहब से कहा। क्योंकि गुरूदत्त उनसे ज़िद कर रहे थे कि प्यासा में किसी भी तरह जॉनी वॉकर की शख्सियत पर आधारित कोई किरदार लिखो, ताकि जॉनी को भी प्यासा फ़िल्म में फिट किया जा सके। लेकिन अबरार अल्वी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे।
तो कैसे प्यासा जैसी डार्क फिल्म में जॉनी वॉकर साहब को ये मस्तीभरा गीत मिला था? ये किस्सा आपको पसंद आएगा गारंटी है। कहानी की शुरुआत होती है इस बात से कि ना तो इस गाने की कोई प्लानिंग थी। और ना ही ये तय था कि जॉनी वॉकर प्यासा फिल्म में होंगे। वैसे, गुरूदत्त चाहते तो थे कि श्याम वाला कैरेक्टर जॉनी वॉकर से कराया जाए। लेकिन बाद में वो समझ गए कि वो किरदार जॉनी वॉकर की शख्सियत के एकदम उलट है। वो आखिर में जाकर निगेटिव हो जाएगा। और लोग उसमें जॉनी वॉकर को पसंद नहीं करेंगे।
एक दिन गुरूदत्त ने लेखक अबरार अल्वी से कहा कि तुम इस फिल्म में जॉनी वॉकर के लिए कोई कैरेक्टर डेवलप करो। अबरार अल्वी ने साफ इन्कार कर दिया। वो बोले,"प्यासा इतनी इटेंस फिल्म है। इसकी थीम इतनी डार्क है। इसमें भला जॉनी वॉकर को कैसे एडजस्ट किया जाएगा?"
मगर गुरूदत्त नहीं माने। वो कई दिनों तक अबरार अल्वी से इसी बारे में चर्चा करते रहे कि जॉनी को कैसे इस फिल्म में लाया जा सकता है। वो जब भी अबरार अल्वी से जॉनी वॉकर के बारे में बात करते, अबरार अल्वी उन्हें यही जवाब देते कि प्यासा एक सीरियस फिल्म है। इसमें मस्ती-मज़ाक का कोई स्कोप है ही नहीं। और गुरूदत्त हर दफा उनसे यही कहते थे कि कुछ ना कुछ तो हो ही सकता है।
एक दफा तो गुरूदत्त और अबरार अल्वी के बीच जॉनी वॉकर को लेकर बहस इतनी ज़्यादा बढ़ गई कि गुरूदत्त जी ने साफ कह दिया कि अगर जॉनी वॉकर फिल्म में नहीं होगा तो मैं ये फिल्म बनाऊंगा ही नहीं। वहीं अबरार अल्वी ने भी कह दिया कि जॉनी वॉकर के लिए मैं ये कहानी खराब नहीं होने दूंगा। यानि मामला एकदम टेंश हो गया। एक दिन प्यासा के ही एक सीन की शूटिंग के लिए गुरूदत्त, अबरार अल्वी व जॉनी वॉकर तथा अन्य लोग कलकत्ता गए थे।
कलकत्ता भी फ्री टाइम में इसी बात का ज़िक्र चलता रहा कि जॉनी वॉकर को प्यासा में लिया जा सकता है कि नहीं। एक दिन गुरूदत्त ने अबरार अल्वी और जॉनी वॉकर को साथ लिया और होटल के सामने मौजूद विक्टोरिया गार्डन में जाकर आराम से बैठने का फैसला किया। उस दिन तय किया गया था कि आज काम के बारे में कोई बात नहीं की जाएगी। आज सिर्फ आराम किया जाएगा। चाय वगैरह पी जाएगी। और पुचके का स्वाद लिया जाएगा।
विक्टोरिया गार्डन की एक दुकान पर ये तीनों पुचके खा ही रहे थे कि तभी गुरूदत्त साहब को पीछे से आती एक आवाज़ सुनाई दी।,"मालिश। तेल चंपीईईई" गुरूदत्त ने उस आवाज़ की तरफ देखा। उन्हें एक मालिश वाला ये आवाज़ लगाते दिखा। फिर उन्होंने अबरार अल्वी से कहा,"अबरार। तुम कहते हो ना कि ये फिल्म बहुत हैवी है। ये इतनी इटेंस है कि इसमें कॉमेडी डाली ही नहीं जा सकती। तो कहीं ऐसा ना हो कि लोगों को ये फिल्म कतई बोझिल लगने लगे। इसलिए तुम फिल्म में एक चंपी वाले का रोल डालो। ये रोल जॉनी करेगा। और ये बीच-बीच में लोगों की टेंशन दूर करता रहेगा।"
यहां ये बात भी आपको बता दूं कि अभिनेता बनने से पहले जॉनी वॉकर बस कंडक्टर थे, ये तो सभी जानते हैं। लेकिन उससे भी पहले जॉनी वॉकर मुंबई के माहिम इलाके में रात में लगने वाले मेले में साइकिल पर विभिन्न प्रकार का सामान बेचा करते थे। और उस वक्त वो तरह-तरह की आवाज़ें निकाला करते थे। गुरूदत्त इस बात से वाकिफ थे। तो उन्होंने उस दिन कलकत्ता में जॉनी वॉकर से कहा कि तुम ऐसे ही आवाज़ बदलकर इस मालिश वाले की नकल करने की कोशिश करो।
फाइनली अबरार अल्वी को भी गुरूदत्त जी के इस आइडिया से कन्विंस होना पड़ा। और आखिरकार उन्होंने प्यासा के लिए अब्दुल सत्तार का किरदार लिखा। और उस किरदार के लिए एक पूरा गाना भी साहिर लुधियानवी जी से लिखवाया गया। गाने को रफी साहब ने अपनी आवाज़ दी। और एक कालजयी गाना बना,"सर जो तेरा चकराए। या दिल डूबा जाए। आजा प्यारे पास हमारे काहे घबराए। काहे घबराए।" और ये गीत जॉनी वॉकर साहब की पहचान बन गया।
एक लास्ट बात और। इस गीत का वीडियो देखने पर हमें लगता है कि ये मानो कलकत्ता के विक्टोरिया गार्डन में ही फिल्माया गया हो। लेकिन वास्तव में ये गीत बॉम्बे में ही कलकत्ता के विक्टोरिया गार्डन जैसा दिखने वाला सेट बनवाकर फिल्माया गया था। एक-एक स्ट्रीट लाइट, बेंच और फैंसिंग का ध्यान बड़ी बारीकी से रखा गया था इस सेट का निर्माण करते वक्त। ताकि कोई ये अंदाज़ा ना लगा सके कि ये गीत विक्टोरिया गार्डन में नहीं, कहीं और सूट हुआ है।
तो साथियों, ये थी जॉनी वॉकर जैसे हंसोड़ शख्सियत वाले इंसान के प्यासा जैसी मार्मिक फिल्म का हिस्सा बनने की कहानी। ये कहानी मुझे जॉनी वॉकर जी के बेटे और अभिनेता नासिर खान के यूट्यूब चैनल के माध्यम से पता चली है। कमेंट के माध्यम से ज़रूर बताइएगा कि आपको ये कहानी कैसी लगी। आप सभी का बहुत बहुत आभार।