03/10/2025
सूबेदार शिवकुमार : खेत की मिट्टी से सरहद तक और अब समाज सेवा की राह पर
गाँव के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर तीन दशकों तक भारतीय सेना की वर्दी को गौरवान्वित करने वाले सूबेदार शिवकुमार जी का जीवन संघर्ष, अनुशासन और समर्पण की प्रेरक गाथा है। यह कहानी केवल एक सैनिक की नहीं, बल्कि उस किसान पुत्र की है जिसने खेत की पगडंडी से चलकर सरहदों की चौकियों तक अपना लोहा मनवाया और अब समाज सेवा की नई यात्रा पर अग्रसर हैं।
सूबेदार शिवकुमार जी ने भारतीय सेना में अपने 30 वर्षों के कार्यकाल के दौरान कठिनतम परिस्थितियों में भी राष्ट्र रक्षा का दायित्व निभाया। उनका योगदान केवल सीमा पर शौर्य तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने अनुशासन, निष्ठा और त्याग की जो परंपरा निभाई, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
गाँव में उनके सम्मान में आयोजित 20 किलोमीटर लंबी तिरंगा रैली इस योगदान का जीवंत प्रतीक बनी। गाजीपुर पुलिस की सुरक्षा में निकली इस रैली में “भारत माता की जय”, “इंकलाब जिंदाबाद” और “जय जवान, जय किसान” के नारों ने वातावरण को रोमांचित कर दिया। गाँव की गलियाँ तिरंगे के रंग में रंग उठीं और हर नागरिक के हृदय में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ गई। यह केवल एक स्वागत नहीं था, बल्कि राष्ट्र और समाज के प्रति आस्था का सामूहिक उत्सव था।
कार्यक्रम के दौरान भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान और सामूहिक प्रीतिभोज ने यह सिद्ध कर दिया कि देश अपने वीर सपूतों को कभी नहीं भूलता। यह आयोजन स्मरण कराता है कि सैनिक केवल सीमा पर ही नहीं, बल्कि समाज के हर कोने में आदर और श्रद्धा का पात्र होते हैं।
अब सूबेदार शिवकुमार जी अपने जीवन की दूसरी पारी समाज सेवा के रूप में आरम्भ कर रहे हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता, व्यापक अनुभव और अनुशासित कार्यशैली गाँव और समाज के विकास में नई ऊर्जा का संचार कर सकती है। जिस प्रतिबद्धता से उन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा की, उसी समर्पण से वे समाज की उन्नति की दिशा में कार्य करेंगे, यही आशा और विश्वास गाँववासियों को है।
सूबेदार शिवकुमार जी का यह सफर "जय जवान, जय किसान" की भावना का सजीव उदाहरण है। किसान की मिट्टी से जन्मा बेटा जब ठान ले तो वह खेतों की लहराती फसलों से लेकर सरहद की दुर्गम चौकियों तक और अब समाज सेवा के पथ पर भी अपनी छाप छोड़ सकता है।
पूरे गाँव और समाज की ओर से उन्हें इस नई यात्रा के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।