15/11/2025
*चंद्रमा*🌍🌕🌙🪐🌍
*सूर्य शरीर है सूर्य भौतिक ऊर्जा है*
*चंद्रमा प्राण है गति प्रदान करता है*
*चंद्रमा बिना ना प्रेम न भावना ना संवेदना ना ही कल्पना न काव्य और कला ना संगीत जीवन का रस चंद्रमा है चंद्रमा अमृत कारक है,,,,*
*शास्त्रों में चंद्रमा ग्रह ही नहीं बल्कि स्मृति,भावना,आत्मानुभूति,ओर सुक्ष्म गूढ़ कारक है,इसका रहस्य बाहरी नहीं आंतरिक है अंतर्मन में इसका रहस्य प्रकट होता है,चंद्रमा का युद्ध तरंगों की लड़ाई है*
*चंद्रमा मन का दर्पण है*
*जैसा चंद्रमा वैसा व्यक्ति का मन होता है,यथा चन्द्र:तथा मन: चंद्रमा तरंगों का प्रतिनिधित्व करता है चंद्रमा कल्पनाओं का जन्मदाता है यही कल्पनाएं सिद्धि कला ध्यान को जन्म देती है,चंद्रमा संतुलित और स्थिर होने पर इंडा ओर पिंगला का मिलन होता है तब सुषुम्ना नाडी के द्वार खुलते है,जीवन रेखा में सबसे अधिक भूमिका चंद्रमा की होती है चंद्रमा ही स्मृतियों का भंडार है पूर्व जन्म जन्मांतरों की स्मृति ओर संस्कारों का वाहक है इसलिए मनुष्य बहुत सी आदतें ओर बाते बिना सीखे सीख लेता है और कुछ विशेष आदतें उसमें प्रकट होने लगती है ये चंद्रमा की ऊर्जा की ही देन है,चंद्रमा इड़ा नाड़ी को नियंत्रित कर व्यक्ति को शीतलता सौम्यता करुणा के साथ साथ अन्तर्ध्यान अंतर्ज्ञान प्रदान करता है,इसलिए कहते है शांत रहिए मौन रहिए मौन में बड़ी शक्ति है ,,,,,,,*
*यही चंद्रमा दुनिया की माया भ्रम भावनाओं आकर्षण पर भी स्वामित्व रखता है किसी वस्तु के प्रति आकर्षण होना चंद्रमा के कारण होता है आकर्षित होकर मनुष्य वास्तविकता में प्राप्त नहीं कर सकता तो कल्पना में उस वस्तु की आनंद की अनुभूति करता है, ,,,,*
*चंद्रमा की शक्ति ऊर्जा के कारण विशालतम समुद्र के जल में ज्वार भाटा बनता है विशाल लहरें उत्पन होती है वैसे ही चंद्रमा मन में भावनाओं का ज्वार पैदा करता है,चंद्रमा की जन्मकुंडली में स्थिति परिस्थिति दशा के कारण व्यक्ति का मन उठता ओर गिरता है ,,,,सूर्य बाहरी भाग्योदय करता है चंद्रमा भावनात्मक ओर अंतर्मन का भाग्योदय करता है ,,,,,*
*चंद्रमा जिसका शुभ उसका जीवन सुखमय*
*चंद्रमा जिसका अशांत उसका जीवन उदास*
*सूर्य शरीर है चंद्रमा प्राण है*
*सूर्य दिशा देता है चंद्रमा गति प्रदान करता है*
*चंद्रमा जब संतुलित होता है *कर्म फल तभी सफल होते है।*
*मन की आदतें बिना कोशिश के चलती है हम बुरा किसी का करना नहीं चाहते फिर भी बुराई हो जाती है ये आदतें चंद्रमा ही संग्रहित करके रखता है,,,रात्रि में जब भौतिक शरीर विश्राम करता है तो चंद्रमा अवचेतन मन को खोलकर पुरानी से पुरानी स्मृतियों को स्वप्न में प्रकट करता है*
*चंद्रमा कमजोर है तो बुरे स्वप्न आते है*
*चंद्रमा प्रबल है तो भविष्यमुखी स्वप्न*
*चंद्रमा यदि संतुलित है आध्यात्मिक स्वप्न आते है*
*चंद्रमा जीवस्य पूर्व वृत्ति,,,, जीवन की पुरानी वृत्ति चंद्रमा में बसती है*
*चंद्रमा कमजोर हो तो स्वप्न बुरे ही आते है*
*चंद्रमा प्रबल तो भविष्य मुखी*
*चंद्रमा अनुकूल हो तो अध्यात्म शक्ति बल प्राप्त करती है*
*मन ही विश्व है विश्व का स्वामी चंद्रमा है चंद्रमा जिसका पीड़ित है उसके शास्त्र मंत्र यंत्र कार्य नहीं करते चंद्रमा यदि संतुलित हो तो मंत्र सिद्धि,तंत्र सिद्धि,यंत्र सिद्धि,उज्जवल भविष्य ,जीवन में संतुलन,मधुर सम्बन्ध, मन शांत,मेघावी बुद्धि,ओर कर्म प्रभावी होते है,,,यही चंद्रमा मन _चेतना_नाड़ीऊर्जा को प्रभावित कर इन पर कार्य करता है।इड़ा नाड़ी यानी चन्द्र नाडी शुद्ध होगी तो चिंता समाप्त होगी मन संतुलित होगा क्रोध का नाश होगा अंतर्ज्ञान में वृद्धि होगी आध्यात्मिक शक्ति का जागरण होगा और चंद्रमा का मूल द्वार खुलता है मस्तिक में सोमरस (चंद्रमा को सोम रस) का कारक बोला गया है।*
*चंद्रमा खराब कैसे होता है*
*बदले की भावना चंद्रमा की ऊर्जा को विष बनाती है,तेज बोलना चंद्रमा की शीतल ऊर्जा का हनन करती है,अधिक नमक का सेवन चंद्रमा की ऊर्जा को भंगूर करती है,क्रोध ओर जल्दबाजी चंद्रमा की ऊर्जा को विकृत करता है*
*इसका सरल उपाय मौन मौन मौन,,,,जितना रह सके,,,,*
*जिस तरह रात्रि में शरीर विश्राम कर सुबह के लिए तरोताजा स्फूर्तिवान हो जाता है उसी तरह मौन रहने से चंद्रमा संतुलित होता है*
*श्री हनुमान ज्योतिष संस्थान,जोधपुर*
*ज्योतिषाचार्य*
*मुकेश एस कश्यप*
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