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वसुंधरा राजे को बड़ी चुनौती, अब करेगी क्या?भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पिछले एक सप्ताह से राजनीतिक सरगर्मिय...
05/12/2025

वसुंधरा राजे को बड़ी चुनौती, अब करेगी क्या?

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर पिछले एक सप्ताह से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं, लेकिन अब मामला उत्तर प्रदेश की ओर से फंस रहा है। गृह मंत्री अमित शाह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी केशव प्रसाद मौर्य को लगातार आगे कर रहे हैं और इसे समझते हुए खुद योगी भी हठ योग की मुद्रा में हैं। इस बात के संकेत भाजपा अध्यक्ष को लेकर पिछले बुधवार को संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ यूपी से लौटे भाजपा के संगठन महामंत्री बी एल संतोष, अमित शाह और भाजपा के मौजूदा अध्यक्ष जे पी नड्डा की बैठक में मिले हैं। योगी न तो कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं और न ही मौर्य को स्वीकार करने के लिए। इधर, यूपी के इस विवाद की आंच राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक पहुंचने की आशंका खड़ी हो गई है।

सियासी संकेत बहुत साफ हैं कि मोदी शाह राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन करने के मूड में कत्तई नहीं है। बल्कि देश की इस मजबूत राजनीतिक जोड़ी ने राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे के विरोधियों को आगे करना तेज कर दिया है। हाल ही अमित शाह ने दो वसुंधरा विरोध नेताओं सतीष पूनिया और राजेंद्र राठौड़ को काफी अहमियत दी है। अंता उपचुनाव में हार का ठीकरा भी वसुंधरा के माथे पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए मोदी शाह ने वसुंधरा के अशोक गहलोत जैसे कांग्रेस नेताओं से मधुर सम्बन्धों को आधार बना रखा है। कांग्रेस के नेता समय समय पर वसुंधरा का नाम लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर निशाना साधते रहते हैं।

ऐसे हालातों में यह तो तय है कि मोदी शाह वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति से दूर करने का मन बना चुके हैं, लेकिन दिक्कत ये है कि वसुंधरा के मुकाबले का कोई नेता अभी यहां सामने हैं नहीं। इधर वसुंधरा लगातार सक्रिय हैं राजस्थान की राजनीति में। वे सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए लगातार अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मिल रही है। इसे देखते हुए खबर आ रही है कि वसुंधरा को अब राजस्थान की राजनीति से दूर करने के लिए उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाने पर विचार चल रहा है, जो आसानी से वसुंधरा राजे को मंजूर होगा नहीं।

कुल मिलाकर वसुंधरा के सामने चुनौती हैं कि क्या वे सिर्फ एक विधायक रहकर पूर्व मुख्यमंत्री के तमगे के साथ राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहना पसंद करेगी या विधायक दल और पार्टी में अपना व्यक्तिगत दबदबा साबित करते हुए कोई और कदम उठाएगी? वसुंधरा की फितरत से लगता नहीं है कि वे कोई पार्टी विरोधी कदम उठाएंगी, लेकिन यह देखना अहम हो गया है कि वसुंधरा को अगर भाजपा अध्यक्ष या राजस्थान की बागडोर नहीं सौंपकर दरकिनार किया जाता है तो क्या वे क्या करेंगी?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा में वही होगा, जो मोदी शाह ने तय कर लिया है। जाहिर है इन दोनों ने भाजपा अध्यक्ष का नाम भी तय कर ही रखा है, लेकिन अब इस पर सहमति बनाने की कोशिश सिरे नहीं चढ़ पा रही। मामला संघ तक जाएगा और उसकी राय अहम होगी, लेकिन सवाल फिर भी बना रहेगा कि वसुंधरा के सामने जो चुनौती है, वे उसमें क्या करेगी? क्या राजस्थान और भाजपा से उनकी राजनीति को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाएगा?

इस विश्लेषण में जानिए

-भाजपा की मौजूदा राजनीतिक गतिविधियों पर एक नजर
-क्या मोदी शाह ने तय कर लिया भाजपा अध्यक्ष का नाम
-यूपी के समीकरण क्यों उलझा रहे हैं फैसला
-क्या योगी आदित्यनाथ फेर रहे हैं शाह की कोशिशों पर पानी
-वसुंधरा राजे क्यों आ रही इस विवाद की चपेट में

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सलाह जो मोदी शाह को भी पसंद आई और टाल दिया ये फैसला!मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री ...
04/12/2025

सलाह जो मोदी शाह को भी पसंद आई और टाल दिया ये फैसला!

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दौरान अचानक बुलाई गई राजस्थान कैबिनेट को लेकर मंत्रिमंडल फेरबदल की जो अटकलें लगाई गई थी, वो एक बार फिर निर्मूल साबित हुई। जानकारों के अनुसार माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री को नए मंत्रियों व हटाए जाने वाले मंत्रियों की सूची पर हरी झंडी मिल जाएगी, लेकिन इन बैठकों के दौरान ही एक वरिष्ठ नेता का सुझाव मोदी शाह को पसंद आया और इसके साथ ही मंत्रिमंडल फेरबदल पर फिलहाल विराम लग गया।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 2 दिसम्बर को दिल्ली जाकर संसद भवन में मोदी शाह और इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की थी। इसी दौरान दिल्ली से ही मुख्यमंत्री ने अत्यावश्यक संदेश भेजकर 3 दिसम्बर को मंत्रिमंडल और मंत्री परिषद की बैठक बुलाने के निर्देश दे दिए। बैठक का नोटिस भी निकल गया। इसके बाद कई लोग यह मानने लगे कि इस बैठक में ही सभी मंत्रियों से इस्तीफे ले लिए जाएंगे और इसके साथ ही फेरबदल का रास्ता साफ हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद तस्वीर एकाएक बदली। दिल्ली में राजस्थान के एक वरिष्ठ नेता की अलग से हुई मोदी से मुलाकात हुई और इसने पूरा गणित बदल दिया। इस नेता की सलाह थी कि इस मामले में थोड़ा इंतजार और करना चाहिए। इसके पीछे हाल ही अंता उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद बने हालात भी एक कारण रहे। कहा गया कि अभी फेरबदल जैसा कदम उठाया गया तो बयानबाजी या आंतरिक गुटबाजी बढ़ सकती है। प्रदेश में पंचायत व निकाय चुनाव अप्रैल 2026 से पहले करवाए जाने हैं। इनमें परफोर्मेंस के आधार पर विधायकों को मौका देना ज्यादा बेहतर होगा। अगर अभी फेरबदल किया तो भजनलाल–वसुंधरा–संगठन समीकरण में टकराव सामने आ सकता है। किसी गुट को लगेगा कि उसे कमजोर किया जा रहा है।

कुल मिलाकर राजस्थान में फेरबदल टलने की वजह भजनलाल शर्मा के बाद मोदी शाह से एक अन्य नेता की मुलाकात है, जिसने सलाह दी थी कि अभी कदम उठाना जोखिम भरा होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि फेरबदल अब निकाय और पंचायत चुनावों के बाद ही होने की संभावना ज्यादा है।

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कुछ तो बड़ा होने वाला है भई...!मुख्यमंत्री BhajanLalSharma के अचानक दिल्ली दौरे और उनकी संसद के WinterSession के बीच PMM...
02/12/2025

कुछ तो बड़ा होने वाला है भई...!
मुख्यमंत्री BhajanLalSharma के अचानक दिल्ली दौरे और उनकी संसद के WinterSession के बीच PMModi से लगभग 25 मिनट की मुलाकात के बाद
RajasthanPolitics में बड़ी हलचल मची हुई है। इसी दौरान भजन सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय की ओर से 3 दिसम्बर को मंत्रिमंडल और इसके बाद मंत्री परिषद की बैठक बुला लिए जाने के बाद तो लगभग टल से गए CabinetReshuffle को लेकर भी कई मंत्रियों और विधायकों की धड़कनें बढ़ गई हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या Gujarat की तर्ज पर इसी बैठक में सभी मंत्रियों के इस्तीफे ले लिए जाएंगे?

दरअसल, पिछले कई दिनों से Rajasthan में अटकलें चल रही थी कि BJP4Rajasthan की नई कार्यकारिणी की घोषणा के बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल जल्दी होने वाला है। कई लोगों ने तो मंत्रिमंडल फेरबदल या विस्तार 2 दिसम्बर को होने का अंदाज भी लगा लिया था, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री BhajanLalSharma आज दिल्ली रवाना हुए तो ये सारी अटकलें धरी रह गई। फिर अंदाज ये लगाया गया कि मुख्यमंत्री PMModi को प्रवासी राजस्थान दिवस के 10 दिसम्बर को प्रस्तावित दौरे का निमंत्रण देने के लिए उनसे मुलाकात करेंगे।

PMModi से मुख्यमंत्री की मुलाकात हो गई। करीब पच्चीस मिनट चली। क्या बात हुई, यह तो सामने आने से रहा, लेकिन मान लिया गया कि अब CabinetReshuffle भजनलाल सरकार के दो वर्ष पूरे होने के मौके 11 से 15 दिसम्बर तक होने वाले कार्यक्रमों के बाद यानी जनवरी में ही होगा। इसी दौरान खबर आती है कि मुख्यमंत्री ने Cabinet की बैठक बुला ली है तो माहौल एकदम बदल गया। हो सकता है बैठक का CabinetReshuffle से कोई सम्बन्ध नहीं हो, लेकिन कई मंत्रियों व विधायकों में इससे ही खलबली मच गई और उनके दिलोदिमाग में पिछले दिनों जो Gujarat में हुआ उसका दृश्य कौंधने लग गया।

जानकारों का कहना है कि मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल लगभग एक साल से टल ही रहा है। होगा जरूर, लेकिन कब होगा यह तय नहीं है। यह भी सम्भव है कि कुछ मंत्रियों को हटाने को लेकर दिक्कत आ रही होगी, कारण कि अब तो उन्हें संगठन में भेजे जाने के रास्ते भी लगभग बंद हो चुके हैं। अब भेजा जाता है तो मुश्किलें आएंगी ही। ऐसे में आज की मुलाकात सिर्फ आमंत्रण देने के लिए तो नहीं हो सकती, कारण कि PMModi के बाद मुख्यमंत्री ने AmitShah से भी मुलाकात की है और इससे पहले वे JPNadda से भी मिले हैं। इसलिए अचानक बुलाई गई कैबिनेट की बैठक को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।

दूसरी तरफ देखें तो सरकार की दूसरी वर्षगांठ के कार्यक्रमों या पर्यटन व अन्य विभागों की कुछ नीतियों या सेवा शर्तों में बदलाव पर मुहर लगाने के लिए CabinetMeeting बुलाई गई हो। जो भी है, कल यानी 3 दिसम्बर को सामने आ जाएगा। फिलहाल, RajasthanPolitics में जोर की हलचल है। तय मानिए कि जो भी होगा बड़ा होगा। कब होगा, इंतजार करना पड़ेगा, कारण कि ModiShah की राजनीति को अच्छे अच्छे समझने में गलती कर देते हैं।

इस विश्लेषण में जानिए

-PMModi से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मुलाकात के क्या हैं मायने
-क्यों मची है RajasthanPolitics में हलचल
-क्या बड़ी होने वाला है BhajanLalSharma सरकार में
-मंत्रियों-विधायकों में क्यों मच गई CabinetMeeting की सूचना के बाद खलबली

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क्या अब योगी हैं निशाने पर?BJPInternalPolitics की यह बड़ी खबर है। उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन की नब्ज टटोलने भाजपा के सं...
01/12/2025

क्या अब योगी हैं निशाने पर?

BJPInternalPolitics की यह बड़ी खबर है। उत्तर प्रदेश सरकार और संगठन की नब्ज टटोलने भाजपा के संगठन महामंत्री BLSanthosh और RSS के बड़े नेता Arun आज यानी 1 दिसम्बर 2025 को लखनऊ पहुंचे हैं। इनकी मुख्यमंत्री YogiAdityNath के अलावा भाजपा और संघ के बड़े नेताओं और प्रचारकों के साथ बैठकें होंगी। इसकी रिपोर्ट PMModi और संघ प्रमुख MohanBhagwat तक पहुंचाने की बात की जा रही है।

इससे ही बड़ा सवाल उठने लगा है कि आखिर इसकी जरूरत क्यों पड़ी? यूपी में विधानसभा का चुनाव साल 2027 में होना है। वहां दो बार से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, लेकिन इन दिनों उनकी दोनों उप मुख्यमंत्रियों KeshavPrasadMourya और BrijeshPathak दोनों से ही नहीं बन रही। इधर, मौर्या केंद्रीय गृह मंत्री AmitShah के काफी नजदीक हैं। शाह उन्हें लगातार प्रमोट कर रहे हैं। हाल ही BiharElection2025 के दौरान उन्हें चुनाव सह प्रभारी और बाद में BJP की ओर से पर्यवेक्षक बनाकर भेजा गया। फिर पिछले दिनों भाजपा अध्यक्ष JPNadda के घर हुई भोज बैठक में AmitShah ने नड्डा को मौर्य का मुंह मीठा करवाने का भी इशारा किया। अब अचानक यूपी की नब्ज टटोलने के लिए बीएल संतोष व संघ प्रतिनिधि के दौर पर अरूणसिंह को लखनऊ भेजा गया है।

AmitShah के इस कदम से न सिर्फ संघ प्रमुख MohanBhagwat बल्कि खुद PMModi भी चकित हैं। आपको याद होगा कि बिहार के नतीजे आने के बाद से शाह संगठन के कामों में बहुत ज्यादा व्यस्त हैं। हाल ही रायपुर में ही डीजीपी कॉन्फ्रेंस के अलावा उनका कोई बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम भी सामने नहीं आया। उनकी भाजपा नेताओं के साथ बैठकों की जरूर खबरें सामने आई हैं। ये खबरें BJPNationalPresident के चुनाव से जोड़कर देखी जा रही है, लेकिन इसी दौरान यूपी में शाह का निशाना कुछ और ही कहानी कह रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोदी के विकल्प के रूप में शाह और योगी के नाम ही सामने आते हैं, लेकिन शाह की योगी के साथ कभी नहीं बनी। जिस तरह शाह ने राजस्थान में VasundhraRaje को किनारे किया है, अब सम्भवतः योगी को निशाने पर लिया जा रहा है। योगी के प्रखर हिन्दूवादी नेता होने के नाते उन्हें RSS का समर्थन मिलता रहा है, ऐसे में अब शाह ने ऐसा दांव खेला है कि खुद संघ प्रमुख भी अपने नेता की रिपोर्ट को खारिज करने की स्थिति में नहीं होंगे। वैसे भी Amit Shah राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से प्रभावी नेताओं को किनारे करने में कामयाब रहे हैं। उनकी कोशिश है कि कम मजबूत वाले नेताओं को आगे बढ़ाया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें कोई कड़ी चुनौती नहीं मिले।

AmitShah की यूपी पर नजर भी कहीं ऐसा ही इशारा तो नहीं कर रही, इसे गहराई से देखने की जरूरत है।

क्या भाजपा 2027 विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में बड़ा राजनीतिक रीसेट करने जा रही है? क्या केशव प्रसाद मौर्य को संगठन में और मज़बूत भूमिका दी जा सकती है?
और सबसे बड़ा सवाल कि क्या YogiAdityaNath को हटाने की स्थिति नहीं बने तो केशव मौर्य को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की भी संभावना बन रही है, ताकि उन्हें योगी से ऊपर दिखाया जा सके?

इस PoliticalAnalysis में समझिए

-UttarPradesh में नेतृत्व परिवर्तन की सम्भावना
-योगी बनाम संगठन का नया समीकरण
-RSS और BJP नेताओं के संयुक्त दौरे के मायने
-KeshavPrasadMourya की राष्ट्रीय भूमिका की राजनीतिक संभावनाएं

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BJPNationalPresident का चुनाव अब तो लगता है वाकई KBC (कौन बनेगा चीफ) गया है। केबीसी में एक करोड़ तक का सवाल होता है, लेक...
29/11/2025

BJPNationalPresident का चुनाव अब तो लगता है वाकई KBC (कौन बनेगा चीफ) गया है। केबीसी में एक करोड़ तक का सवाल होता है, लेकिन यहां यह एक बिलियन डॉलर का सवाल बन गया है कि कौन बनेगा BJP का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष। दिक्कत यह है कि उत्तर के जो विकल्प दिए गए हैं ABCD या E के रूप में, वे सभी सही साबित होते हैं, लेकिन वाकई सही जवाब क्या है ModiShah के अलावा कोई नहीं जानता। स्थिति यह हो गई कि जिस RSSVsBJP की बात की जा रही थी, वह भी हवा में ही झूलने लगी है।

वैसे तो BJPPresidentElection पिछले करीब एक साल से कई बार टले हैं, लेकिन इस बार लगा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान कि BiharElection2025 के तुरंत बाद भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा, सही साबित होने वाला है। इसे पिछले शनिवार से लगातार हो रही BJPLeaders की मीटिंगों से बल भी मिला। भाजपा संगठन चुनाव के प्रभारी K.Laxman का भाजपा मुख्यालय में कमरा नम्बर 8 भी लगातार खुलने लगा। वहां नेताओं कीआवाजाही दिखी, इससे भी जल्द चुनाव होने के संकेत मिले। और फिर जब लगातार Extension पर चल रहे मौजूदा अध्यक्ष JPNadda ने अपने घर AmitShah और BLSantosh जैसे बड़े नेताओं की मौजूदगी में प्रमुख नेताओं की भोज बैठक भी कर ली तो लगा कि अब तो एक दो दिन में फैसला हो ही जाएगा। फिर भी बात नहीं बनी। ModiShah दोनों ही रायपुर में चल रही DGPConfrence में 30 नवम्बर तक व्यस्त रहेंगे। इसके अगले दिन संसद का WinterSession शुरू हो जाएगा, जो 19 दिसम्बर तक चलेगा। इसी दौरान मळमास भी लग जाएगा, जिसमें कोई शुभ काम नहीं होता तो बात 16 जनवरी 2026 तक टल सकती है, लेकिन ModiShah ने हमेशा ही अपने फैसलों से चौंकाया ही है, तो इस बार भी चौंका दे तो अलग बात है। कई भाजपा नेता तो मान रहे हैं कि BJPPresidentElection अब WestBengalElection2026 के बाद ही होगा।

सवाल उठता है कि आखिर अब जब सब कुछ तय हो गया है तो बात बन क्यों नहीं पा रही। दरअसल, हाल ही PMModi की अयोध्या में संघ प्रमुख MohanBhagwat के साथ बंद कमरे में लम्बी मंत्रणा हुई है। इसमें कुछ तय हुआ होगा, लेकिन AmitShah को शायद संघ की ओर से सुझाए गए नाम अब भी पसंद नहीं आ रहे। वे संघ की बाकी शर्तें तो मानने के लिए राजी हैं, लेकिन चाहते हैं कि कोई उनकी पसंद का नेता ही BJPNationalPresident बनें। जो नाम ModiShah की तरफ से आ रहे हैं, उन्हें संघ एकदम स्वीकार नहीं कर रहा। ऐसे में अब उम्र का फंडा लाया गया है। यह कहते हुए कि अगले तीन सालों में कई महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव हैं। फिर लोकसभा के चुनाव भी 2029 में आ जाएंगे, ऐसे में NewBJPPresident पर सारा दारोमदार होगा। इसलिए ऐसा व्यक्ति हो जिसके लगातार दौरों में उम्र आड़े नहीं आए। इस वजह से ManoharLalKhattar के साथ SanjayJoshi और VasundhraRaje जैसे नाम वैसे ही साइड लाइन हो जाते हैं और फिर जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा हो रही हैं, उनमें से DharmendraPradhan, BhupendraYadav या SunilBansal जैसे नेता को अध्यक्ष बनाया जा सकता है, जो ModiShah की इच्छा के अनुरूप काम करने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। नाम तो वैसे ShivRajSinghChauhan का भी है, लेकिन वे किसी नेता की मनमाफिक काम करने के लिए शायद ही तैयार हों, इसलिए यह नाम भी हाशिए पर जा सकता है। कुल मिलाकर मामला RSS और AmitShah की पसंद के बीच फंसता दिख रहा है और इसके चलते चुनाव टलने की बात भी सही हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

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इस टीम चयन को क्या कहिएगा...?RajasthanPolitics में जिस बदलाव की अटकलें लग रही थी, वह आखिर सामने आने लगी है। राजस्थान की ...
27/11/2025

इस टीम चयन को क्या कहिएगा...?

RajasthanPolitics में जिस बदलाव की अटकलें लग रही थी, वह आखिर सामने आने लगी है। राजस्थान की सत्ताधारी BJP की नई प्रदेश कार्यकारिणी की 27 नवम्बर को आखिर घोषणा हो गई। प्रदेशाध्यक्ष MadanRathore ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष JPNadda की मंजूरी के बाद नए पदाधिकारियों की सूची जारी की। इसमें 9 उपाध्यक्ष, 4 महामंत्री और सात-सात मंत्री व प्रवक्ता तथा एक कोषाध्यक्ष व एक सह कोषाध्यक्ष के नाम शामिल हैं। गिनती के पुराने पदाधिकारियों को रिपीट किया गया है। कुल मिलाकर नई कार्यकारिणी में नए और युवा लोग हैं। GenerationChange की ओर बढ़ रही भाजपा का असर इस StateExecutive या RajasthanBJP की टीम पर भी नजर आ रहा है। यही कारण है कि 55 या 60 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारी नहीं बनाए गए हैं।

नए पदाधिकारियों की खास बात यह है कि इसमें 34 नाम शामिल हैं। इनमें कोई विधायक या सांसद मूल पद पर नहीं है। मात्र दो विधायकों को प्रवक्ता बनाया गया है। यह भी शायद पहली बार हुआ है कि सात प्रवक्ताओं को भी प्रदेश कार्यकारिणी की सूची में समाहित किया गया है। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष MadanRathore ने इस कार्यकारिणी को संतुलित और कारगर बताया है, लेकिन भाजपा के कई बड़े नेता भी इस सूची को देखकर चकित हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्य तो इस बात को लेकर जताया जा रहा है कि इसमें क्षेत्रीय संतुलन नजर ही नहीं आता। जो 34 पदाधिकारी बनाए गए हैं इनमें 13 तो Jaipur शहर और देहात के ही हैं। इसके अलावा Bikaner से तीन और Hanumangarh व Ajmer से दो दो पदाधिकारी शामिल किए गए हैं। शेखावाटी के काफी लोग लिए गए हैं, लेकिन मारवाड़ के सबसे बड़े जिले Jodhpur से किसी भी नेता का नम्बर नहीं आया। मेवाड़ और हाड़ौती भी नहीं के बराबर है, जबकि ये इलाके BJP का गढ़ बनकर उभरे हैं।

अब सवाल उठ रहा है कि आखिरी इस सूची में जो पदाधिकारी सामने आए हैं, उनमें किस नेता की ज्यादा चली है और किस नेता की अनदेखी हुई है। सूची का पोस्टमार्टम करने वाले कहते हैं कि सूची पर RSS का प्रभाव ज्यादा नजर आ रहा है। अधिकांश पदाधिकारी या तो संघ से सीधे जुड़े हैं या फिर संघ के प्रभावी लोगों के नजदीकी माने जाते हैं। इसी तरह लोकसभा स्पीकर OmBirla और हरियाणा के प्रभारी SatishPunia भी कई समर्थकों को इस सूची में स्थान मिला है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री VasundhraRaje के समर्थक हाशिए पर डाल दिए गए हैं। खुद मुख्यमंत्री BhajanLalSharma के भी समर्थक या नजदीकी कम ही नजर आ रहे हैं नई कार्यकारिणी में।

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क्यों आना पड़ा वसुंधरा की राह पर...?RajasthanPolitics पर अब AntaByElection में BJP की हार का असर नजर आने लगा है। मुख्यमं...
26/11/2025

क्यों आना पड़ा वसुंधरा की राह पर...?

RajasthanPolitics पर अब AntaByElection में BJP की हार का असर नजर आने लगा है। मुख्यमंत्री BhajanLalSharma न सिर्फ ज्यादा सक्रिय हो गए हैं, बल्कि अब सरकार के कामकाज में भी इसका असर दिख रहा है। प्रदेश में बड़े पैमाने पर नौकरशाही में बदलाव के बाद अब सरकार व संगठन के चेहरे में बदलाव की तैयारी है। हाल की सिक्किम के राज्यपाल OmMathur की पौत्री की शादी में शिरकत करने आए केंद्रीय गृह मंत्री AmitShah के साथ मुख्यमंत्री के Udaipur से Ranakapur तक के लगभग 50 मिनट लम्बे सफर के दौरान काफी अहम बातचीत हुई है।

इसके बाद BhajanLalSharma ने एक अहम फैसला किया है भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में JantaDarbar लगाने का। इसके तहत सप्ताह में तीन दिन दो-दो मंत्री आम कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनेंगे और इनका समाधान भी करेंगे। अब से पहले साल 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री रही VasundhraRaje के कार्यकाल में इस तरह के जनता दरबार लगते रहे हैं, लेकिन प्रदेश में भाजपा के सत्ता में दुबारा लौटने के बाद से यह परम्परा बंद ही थी, जिसे अब दुबारा शुरू किया जा रहा है।

जानकारों का कहना है कि BhajanLalSharma सरकार ने Vasundhra की राह पर चलने का यह फैसला ModiShah के निर्देश पर किया है और इस पर काम भी शुरू कर दिया गया है। ऐसा करने की नौबत उस फीडबैक के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि प्रदेश में मंत्री विधायकों की और अफसर मंत्रियों तक की नहीं सुनते। इससे सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। जनता दरबार एक दिसम्बर से शुरू होगा। इससे पहले मुख्यमंत्री ने सम्भागवार कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी शुरू की है। इनमें जनाकांक्षाओं के बारे में फीडबैक लिया जा रहा है। इन दोनों कदमों को पनप रही नाराजगी दूर करने का रास्ता माना जा सकता है।

इधर, CabinetReshuffle की तैयारी भी तेजी से हो रही है। साथ ही कई वरिष्ठ नेताओं को मंडलों-निगमों में समायोजित किया जाना है। मंत्रिमंडल फेरबदल में VasundhraRaje की सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ विधायकों को भी जगह मिलनी तय है। ऐसे में कुछ कनिष्ठ विधायकों को या तो मंत्री पद से हटाया जा सकता है, या फिर उनके विभाग बदले जा सकते हैं। कुछ विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के साथ हटाए जाने वाले कुछ मंत्रियों को संगठन में दायित्व मिल सकता है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि इस सम्बन्ध में तैयारी लगभग पूरी है। अब मुख्यमंत्री शर्मा व प्रदेशाध्यक्ष MadanRathore 27 नवम्बर को दिल्ली जा रहे हैं। सम्भवतः इस दौरे में प्रस्तावित बदलावों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। इसके बाद सम्भवतः दिसम्बर के पहले सप्ताह से सत्ता-संगठन के चेहरे में बदलाव नजर आने लगेंगे।

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आखिर, घर में ही क्यों हुई गहलोत की मुखाल्फत?Rajasthan में पिछले 24 घंटों से Congress की राजनीति में गजब भूचाल आया है। वह...
24/11/2025

आखिर, घर में ही क्यों हुई गहलोत की मुखाल्फत?

Rajasthan में पिछले 24 घंटों से Congress की राजनीति में गजब भूचाल आया है। वह भी उस दौर में जब तीन बरसों से चल रहा GehlotVsPilot विवाद अभी शांत है। कारण बना है AshokGehlot के निकटस्थ रहे जोधपुर के ही एक कांग्रेस नेता का SocialMedia बम, जिसमें उन्होंने गहलोत पर Muslims के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। यह नेता अपनी राजनीति के शुरुआत से गहलोत के खासमखास रहे हैं और गहलोत ने उन्हें लगभग डेढ़ दशक से ज्यादा समय तक अपने गृह नगर का जिलाध्यक्ष बनाए रखा।

ये नेता हैं SayedAnsari, जो जोधपुर में न सिर्फ YouthCongress बल्कि DCC के भी अध्यक्ष रहे। उन्होंने एक चुनाव जोधपुर शहर और दो चुनाव Soorsagar विधानसभा क्षेत्र से लड़े, मगर जीत नहीं सके। हालांकि अंसारी कभी भी पायलट खेमे में नहीं गए, लेकिन जब उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए पहली बार AshokGehlot की मुखालफत की तो पायलट समर्थक नेताओं ने ही उनकी पोस्ट को सबसे पहले Viral किया। यह अलग बात है कि अंसारी की सोशल मीडिया प्रोफाइल पर जो फोटो लगा है, वह गहलोत के विरोधी कहे जाने वाले SachinPilot के साथ है।

अंसारी हालांकि इन दिनों रुग्णावस्था के कारण राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं है, लेकिन उनका बयान गहलोत के अपने गृह नगर के दौरे के समय तब आया, जब वे नवनियुक्त जिलाध्यक्षों को रूठे हुए नेताओं को मनाने की सीख दे रहे थे। अंसारी ने खुले शब्दों में कहा कि गहलोत खुद की जीत तय करने के लिए मुसलामानों को कांग्रेस का टिकट देते हैं। खुद जीत जाते हैं, लेकिन मुसलमान प्रत्याशी नहीं जीतता। उन्होंने अपने तीन चुनावों में भी उन्हें सहयोग नहीं मिलने और Gehlot समर्थक नेताओं पर उन्हें हराने का काम करने का आरोप भी लगाया।

गहलोत समर्थकों ने SayedAnsari के आरोपों से नाइत्तफाकी जाहिर की है, लेकिन AshokGehlot ने इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया। उल्टा उन्होंने नए जिलाध्यक्ष के पदभार ग्रहण समारोह में पूर्व अध्यक्षों के साथ अंसारी का भी नाम लेकर उनके कार्यकाल की सराहना की।

राजनीतिक प्रेक्षक अंसारी के बयान को GehlotVsPilot से जोड़कर भी देख रहे हैं, लेकिन गहलोत समर्थकों का कहना है कि अंसारी पहले उनकी बेटी को महापौर नहीं बनाए जाने और फिर पिछले विधानसभा चुनाव में खुद आवेदन मांग कर भी टिकट नहीं देने से खफा है। मामला भले ही स्थानीय है, लेकिन इसकी गूंज प्रदेश की कांग्रेस राजनीति में भी सुनाई दे रही है।

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BiharElection2025 में बम्पर जीत के बाद BJPNationalPresident के चुनाव की तैयारी परवान चढ़ने लगी है। भाजपा ने बिहार ही नही...
22/11/2025

BiharElection2025 में बम्पर जीत के बाद BJPNationalPresident के चुनाव की तैयारी परवान चढ़ने लगी है। भाजपा ने बिहार ही नहीं, कई अन्य राज्यों में भी भारी जीत दिलाने वाले केंद्रीय मंत्री DharmendrPradhan का नाम एक बार फिर आगे बढ़ा दिया है। पहले भी उनका नाम सामने आया था, लेकिन RSS ने इस पर पुनर्विचार का सुझाव देते हुए मामला टाल दिया। फिर उनका नाम बिहार का चुनाव प्रभारी बनने के बाद पीछे चला गया, लेकिन अब Bihar में भारी बहुमत से जीत ने ModiShah को मजबूत किया है और वे प्रधान के नाम पर RSS के सामने अपनी बात पूरे जोर के साथ रखने की स्थिति में आ गए हैं।

हालांकि अभी तय नहीं है कि BJPPresidentElection कब होगा, लेकिन पिछले तीन दिन से जिस तरह DharmendraPradhan का नाम चर्चा में बना है, उससे लगता है कि पार्टी संसद के WinterSession से पहले इस दिशा में आगे बढ़ सकती है। विचार विमर्श बढ़ा सकती है, लेकिन कोई बड़ी दिक्कत दूर नहीं हुई तो फिर ये चुनाव एक बार फिर WestBengalElection तक टल भी सकता है और एक बार फिर JPNadda को अगले तीन चार महीनों के लिए Extension मिल जाएगा।

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि धर्मेंद्र प्रधान ने चुनावी राजनीति में अपनी योग्यता हर बार साबित की है। वे PMModi और गृह मंत्री AmitShah की पहली पसंद भी हैं, लेकिन एक बात ने उनके नाम पर दोनों को भी ठिठकने के लिए जैसे मजबूर किया है। यह मुद्दा पार्टी की SocialEngineering से जुड़ा है। बताते हैं कि DharmendraPradhan भी OBC से आते हैं। खुद NarendraModi भी OBC हैं और उप राष्ट्रपति CPRadhakrishnan भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में ShivrajSinghChauhan के नाम पर भी संशय हो गया था और अब प्रधान के नाम को आगे बढ़ाने के पहले पार्टी को थोड़ा सोचना पड़ रहा है। इससे पार्टी के सामान्य वर्ग के नेताओं पर असर पड़ सकता है, ऐसे में ब्राह्मण या राजपूत समुदाय के किसी नेता के नाम पर भी विचार किया जा सकता है। हालांकि RSS की ओर से सुझाए गए SanjayJoshi ब्राह्मण और VasundhraRaje राजपूत हैं, लेकिन इन दोनों के नाम से ModiShah की जोड़ी असहज लगती है। ऐसे में एक नाम भाजपा नेता SudhanshuTrivedi और दूसरा RajivPratapRudy का भी चर्चा में है।

देखना है भाजपा और ModiShah किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और किसके नाम पर और कब मुहर लगती है BJPNationalPresident के रूप में या फिर चुनाव फिर एक बारे अगले साल के मार्च-अप्रैल तक टलने की नौबत आती है।

About This Video
-विस्तृत PoliticalAnalysis भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर
-क्यों तेजी से फिर उभरा DharmendraPradhan का नाम
-क्या OBC होने की वजह से प्रभावित होगी BJP की SocialEngineering
-ModiShah कैसे मनाएंगे RSS को
-और कौनसे नेताओं के नाम हैं BJPNationalPresident की रेस में

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PMModi ने BiharElection2025 में NDA के साथ BJP को मिली प्रचंड जीत के बाद भाजपा की बैठक में भविष्यवाणी की है कि Congress ...
21/11/2025

PMModi ने BiharElection2025 में NDA के साथ BJP को मिली प्रचंड जीत के बाद भाजपा की बैठक में भविष्यवाणी की है कि Congress एक और बड़े विभाजन की ओर बढ़ रही है। मोदी ने कांग्रेस को MMC यानी मुस्लिम लीग माओवादी कांग्रेस तक कह डाला। उनके इस बयान का सिवाय AshokGehlot के अलावा किसी अन्य कांग्रेस नेता ने न विरोध किया और न ही कोई प्रतिक्रिया दी, लेकिन PMModi का यह बयान सियासी गलियारों में गम्भीर चर्चा का विषय बन गया है। सवाल किया जा रहा है कि आखिर मोदी ने इतनी गम्भीर बात क्यों कही है और इसका आधार क्या हो सकता है। कारण कि लोग जानते हैं कि मोदी कभी भी इतनी गम्भीर बात बिना किसी तथ्य के नहीं कहते। अब ये तथ्य क्या है इसके पीछे ही लोग अपने अपने कयास लगा रहे हैं, लेकिन सियासी पंडित इसे Congress की मौजूदा स्थिति और विभिन्न राज्यों में बढ़ रही गुटबाजी से देखकर जोड़ रहे हैं। ताजा उदाहरण Karnataka के सत्ता संघर्ष को माना जा रहा हैं, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ DKShivKumar खुलकर सामने आ गए हैं। ऐसी ही स्थिति Telangana में भी बन रही है।

वैसे भी हाल के चुनावों में Congress की हार और घटती सीटें उसकी राजनीतिक कमजोरी की की ओर इशारा कर रही है। कर्नाटक में जैसे हालात बन रहे हैं, उस पर कांग्रेस की नजरअंदाजी मोदी की भविष्यवाणी सच होने की दिशा में पहला कदम हो सकती है। वहां अगर शिवकुमार को मनाने में कांग्रेस विफल रहती है तो BJP उनके सामने बांहे फैलाने से शायद ही चूके और कांग्रेस के हाथ से एक सत्ता चली जाए। भाजपा वैसे भी कई राज्यों में OperationLotus को अंजाम दे ही चुकी है। गनीमत है कि GehlotVsPilot के दौर में Rajasthan की कांग्रेस सरकार बच गई थी।

Congress की स्थिति आज बेहद जटिल है। केंद्र में लगातार नाकामी, चुनाव दर चुनाव हार, और तेजी से घट रहा जनाधार नेताओं में असमंजस की स्थिति पैदा करता है। ऐसे में G-23 ग्रुप में शामिल नेताओं के साथ कुछ महत्वाकांक्षी गुट व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के आधार पर पार्टी से अलग राय बनाकर भाजपा के जाल में फंस सकते हैं।

कांग्रेस में नेतृत्व का खालीपन, राज्यों में हाईकमान की ढीली पकड़ और वरिष्ठ बनाम युवा के चलते क्षेत्रीय नेताओं का बढ़ता असंतोष ही सम्भवतः PMModi की कांग्रेस विभाजन की भविष्यवाणी का बड़ा आधार है। अगर Congress का एक बड़ा विभाजन होता है तो वह उसकी राष्ट्रीय शक्ति को कमजोर करेगा और इससे चुनावी गठबंधनों पर असर के साथ उसका वोट बैंक बंटने के साथ संसाधनों की कमी भी संभव है। ऐसे में कांग्रेस हाई-कमान के सामने चुनौती है कि वह ऐसे सम्भावित विभाजनों को कैसे नियंत्रित करे। जब BJP उसके सामने पूरी ताकत से डटी हुई हो। अब देखना यह है कि कांग्रेस सम्भावित टूट को रोक पाती है या मोदी की भविष्यवाणी राजनीतिक रूप से सच साबित होती है।

🔍 राजनीतिक विश्लेषण (Analysis) में हम चर्चा कर रहे हैं-

PMModi क्यों कह रहे हैं कि कांग्रेस अंदर ही अंदर टूट रही है? Congress की वर्तमान कमजोरियां क्या हैं? क्या उसके सहयोगी भी अब उसे Liablity मानने लगे हैं? क्या Karnataka में सिद्धारमैया और डी. के. शिवकुमार की तनातनी टूट का कारण बन सकती है? क्या PMModi कांग्रेस को कमजोर दिखाने और उसके अंदरूनी मतभेदों को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं? अगर सच में Congress टूटती है तो उसके राष्ट्रीय और क्षेत्रीय असर क्या होंगे?

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Rajasthan में जल्द ही मुख्यमंत्री BhajanLalSharma की सरकार और BJP संगठन का चेहरा बदलने वाला है। Bihar में बम्पर जीत के ब...
20/11/2025

Rajasthan में जल्द ही मुख्यमंत्री BhajanLalSharma की सरकार और BJP संगठन का चेहरा बदलने वाला है। Bihar में बम्पर जीत के बाद NitishKumar सरकार के गठन के साथ ही अब राजस्थान में भी मंत्रिमंडल फेरबदल की हलचल शुरू हो गई है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने फीडबैक के आधार पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को हरी झंडी दे दी है, इसके हिसाब से मौजूदा मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों की या तो छुट्टी हो सकती है, या उनके विभाग बदले जा सकते हैं। इस सम्बन्ध में 19 नवम्बर को हुई CabinetMeeting के दौरान Gujarat की तर्ज पर सभी मंत्रियों के इस्तीफे लेने की चर्चा चली थी, लेकिन आज मुख्यमंत्री के बिहार में नीतीश कुमार के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम की वजह से ऐसा नहीं हो सका। जानकार सूत्रों का कहना है कि CabinetResuffle की पूरी तैयारी है। मुख्यमंत्री जल्द ही राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े से मुलाकात करेंगे। इसके बाद कभी भी शपथग्रहण की तैयारी की जा सकती है, लेकिन 22 नवम्बर को सिक्किम के राज्यपाल OmPrakashMathur के पाली में होने वाले पारिवारिक कार्यक्रमों में AmitShah समेत कई बड़े नेताओं में आने की वजह से ये मुलाकात अब 23 नवम्बर के बाद हो सकती है।

सूत्रों के अनुसार अभी BhajanLalSharma के मंत्रिमंडल में 24 सदस्य हैं। विधानसभा सदस्यों की संख्या के मुताबिक छह नए मंत्री और बन सकते हैं, लेकिन विस्तार की बजाय मंत्रिमंडल में फेरबदल की सम्भावना ही ज्यादा है। कुछ पुराने विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। इनमें VasundhraRaje समर्थक विधायकों के नामों की भी चर्चा है। करीब आधा दर्जन NonPerforming मंत्रियों को बदला जा सकता है और इतने ही नए शामिल किए जा सकते हैं। एक DeputyChiefMinister बनाने की बात भी सामने आ रही है, लेकिन संशय बना हुआ है कि क्या मौजूदा दोनों उप मुख्यमंत्रियों में से किसी एक को हटाया जाएगा। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल के नए रूप में अनुभवी व नये विधायकों का संमिश्रण दृष्टिगोचर हो सकता है। फिलवक्त RajasthanPolitics में हलचल तेज है। देखते हैं, किसकी किस्मत चमकती है, किसे पूर्व होना पड़ सकता है।

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क्या ये है वसुंधरा राजे को दिल्ली तक घेरने की रणनीति?BJP बिहार में NDA की बम्पर जीत के बाद भी जहां सरकार गठन को लेकर उलझ...
18/11/2025

क्या ये है वसुंधरा राजे को दिल्ली तक घेरने की रणनीति?

BJP बिहार में NDA की बम्पर जीत के बाद भी जहां सरकार गठन को लेकर उलझन में फंसी हैं, वहीं राजस्थान के AntaByElection में पार्टी की हार से बड़ा बवाल मचने की स्थिति बन रही है। यहां का मामला सीधे सीधे BJPNationalPresident के चुनाव तक पहुंचने की नौबत आ रही है। कारण है VasundhraRaje की सक्रियता। उनके साथ अंता उप चुनाव में हार के बहाने बड़ा खेला होने वाला है, ताकि उनके बढ़ते कदमों को रोका जा सके। शुरुआत RajasthanPolitics से हुई है, लेकिन बाद BJPHeadquarter तक जा पहुंची है।

अब धीरे धीरे ये साफ होने लगा है कि भाजपा AntaByElection क्यों हारी? क्या एक विधानसभा सीट के बलिदान के पीछे कोई बड़ी रणनीति छिपी है, ये सवाल सियासी गलियारों में तेजी से राउंड कर रहा है। हालांकि अंता के मामले में ByElection की घोषणा से पहले ही BJPInternalPolitics में इसे लेकर हलचल शुरू हो गई थी, जब VasundhraRaje के सुझाव पर Anta के विधायक रहे कंवरलाल मीणा को एक आपराधिक मामले में मिली तीन साल की कैद की सजा कम करवाने के लिए राज्यपाल को दया याचिका भेजने के मामले में इतनी देरी हो गई कि File राजभवन पहुंचने से पहले ही ElectionCommission ने उप चुनाव की घोषणा कर दी। इसे VasundhraRaje को पहली चुनौती माना गया कि उनके चाहने के बावजूद सरकार ने पत्रावली आगे बढ़ाने में देर कर दी। अब सवाल किया जा रहा है कि क्या ये देरी जानबूझ कर की गई।

फिर जब उपचुनाव की घोषणा हो गई तो प्रत्याशी चयन में झमेला हुआ। VasundhraRaje के सुझाने के बावजूद कंवरलाल मीणा की पत्नी को प्रत्याशी बनाने की बजाय Morpalsuman को स्थानीय नेता के बहाने उतारा गया और प्रचारित ये किया गया कि मोरपाल VasundhraRaje की पसंद हैं। इसके बाद वसुंधरा को घेरने की रणनीति ElectionCommittee और स्टार प्रचारकों की सूची बनाने के पीछे भी नजर आई। इस सूची में सात बार के विधायक PratapSinghSinghvi को बाहर रखा गया, जबकि वे जिले से ही MLA हैं।

खैर, ElectionCampaign में भी Anta में प्रभाव रखने वाले स्थानीय मंत्रियों हीरालाल नागर व मदन दिलावर के साथ मीणा जाति में गहरी पैठ रखने वाले KirodiLalMeena को भी प्रचार से दूर रखा गया। कुछ लोग तो ये भी आरोप लगाते हैं कि भाजपा के एक धड़े ने निर्दलीय NareshMeena की तरफ वोट डायवर्ट करवाए और भाजपा हार गई, ताकि VasundhraRaje को अपने घर में ही कमजोर साबित किया जा सके। ये नैरेटिव सोशल मीडिया के जरिए बनना भी शुरू हो गया है।

अब सवाल उठ रहे हैं कि ऐसा क्यों किया गया। बताया जाता है कि BiharElection2025 के बाद भाजपा को BJPNationalPresident चुनने की प्रक्रिया पूरी करनी है। इस पद के लिए अन्य लोगों के साथ VasundhraRaje भी एक दावेदार है। उनको RSS का समर्थन होने की बात भी सामने आ रही है, कारण कि वे ऐसी नेता हैं जो मोजूदा अध्यक्ष JPNadda की तरह ModiShah की जोड़ी की हां में हां शायद ही मिलाए। ModiShah से वसुंधरा के रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। ऐसे में कई लोग अटकल लगा रहे हैं कि वसुंधरा को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर पहुंचने से रोकने की रणनीति भी हो सकती है AntaByElection में भाजपा की हार के पीछे।

पूरा विश्लेषण सुनिए मेरे यू ट्यूब चैनल Chautha Paya पर। लिंक कमेंट बॉक्स में

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