Jnvu University Jodhpur

Jnvu University Jodhpur जोधपुर, संभाग
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05/01/2025

ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराया
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 3-1 से अपने नाम करी|

BCCI Domestic

1950 में जोधपुर बाजार।  #इतिहास  #भारत  #जोधपुर
01/11/2024

1950 में जोधपुर बाजार।
#इतिहास #भारत #जोधपुर

18/10/2024
नाम- माइकल फेल्प्स (अमेरिका)खेल- तैराकीओलंपिक- कुल 4 ओलंपिक में भाग लियाकुल मैडल- 28गोल्ड- 23, सिल्वर- 03, ब्रॉन्ज- 02रो...
22/08/2024

नाम- माइकल फेल्प्स (अमेरिका)
खेल- तैराकी
ओलंपिक- कुल 4 ओलंपिक में भाग लिया
कुल मैडल- 28
गोल्ड- 23, सिल्वर- 03, ब्रॉन्ज- 02

रोड शो- 00
विजय जुलूस- 00
इमोशनल कार्ड- 00
रोना-धोना- 00

और भारत मे हम पिछले दो हफ्ते से 3 ओलंपिक खेल कर जीरो मैडल वाली का रोना धोना और अंतहीन ड्रामा झेल रहे हैं।

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27/06/2024

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आधी आँख बंद करके देखे
22/05/2024

आधी आँख बंद करके देखे














जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी उम्र महज 22 साल थी पतिदेव की उम्र 33 साल थी, शादी के शुरुवाती दिन में हमारे बीच सब अच्छा था,...
20/05/2024

जब मेरी शादी हुई थी तो मेरी उम्र महज 22 साल थी
पतिदेव की उम्र 33 साल थी, शादी के शुरुवाती दिन में हमारे बीच सब अच्छा था, दिन में कितना भी झगड़ा हो लेकिन रात में पति को करीब पता देख हम दोनो भूल कर एक हो जाते
पहले तो मैंने घर वालों को मना किया क्यों की पति को उम्र ज्यादा थी पर घर वाले नहीं माने
समय के साथ रिश्तों में खटास आती है जो मेरे साथ भी होने लगा

अब क्यों की मैं सिर्फ 22 की था तो खाली होने के बाद मैं अपनी सहेलियों से बात करती और जोर जोर से हंसती थी

ये बात मेरी सास को बिलकुल पसंद नहीं थी उन्होंने बोला बेटा नया नया शादी हुआ है ससुर हैं जेठ हैं इनका लिहाज किया करो

लेकिन मैं आदत से मजबूर थी समय के साथ साथ मेरी सास मुझसे नफरत करने लगी और मुझे भी इसकी कोई परवाह नहीं थी

शादी के 1 साल बाद मेरे पति को काम से विदेश जाना हुआ जिसके लिए मैने भी बोला, तो उन्होंने बोला की मात्र 2 महीने के लिए जाना है कम्पनी सिर्फ मेरा पैसा देगी

लेकिन मुझे तो बस जाना था इसी बात को लेके हम दोनो में अनबन हो गई और मैं अपने मायके aagayi

फिर रोज हमारी लड़ाई इसी बात पर होती की मुझे भी साथ जाना है और वो बोलते घर में मां पापा अकेले हैं भैया को तबियत खराब है तुम रहो

मैने भी जवाब में बोला की परिवार से शादी नही हुई है तुमसे हुई है, काफी बहस के बाद मेरे पति ने बोला

जाओ करो अपने मन का बनावा लो पासपोर्ट
इधर उन्होंने हां कहा और मैं निकल ली पासपोर्ट बनवाने

अब जब पासपोर्ट बना तो ये और गुस्सा हो गए और बोलने लगे तुम सिर्फ अपने मन का करती हो

मैने बोला हां मुझे कुछ करने के लिए किसी की ओपिनियन की जरूरत नहीं होती

बात आगे बढ़ी और सास तक पहुंची तो उन्होंने भी यहीं बोला की तुम अभी चली जाओगी तो मैं अकेली हो जाऊंगी सिर्फ 2 महीने की बात है

उसके बाद मैं इस शर्त पे रुकती हूं की मैं ये 2 महीना अपने मायके रहूंगी

उसके बाद पति बाहर जाते हैं और 2महीने बाद वापस आते हैं लेकिन वो मुझे विदा कराने नही आते

हमने जब फोन किया तो उधर से जवाब आता है शादी की जाती है एक परिवार आसानी से चले, सहयोग से चले पर तुम सिर्फ अपने बारे में सोचती हो

अब ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ सकता मैं तुम्हे लेने नही आऊंगा

जब ये बात मेरे घर वालो को पता चली तो पापा और मां कॉल करने लगे

में भी अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट से कभी समझौता नहीं करना चाहती थी तो मैंने भी माना कर दिया की अब मैं तब तक नहीं जाऊंगी जब tk तुम मुझे लेने नही आते

वो तो नहीं आया और उसके रिश्ते तोड़ने के लिए पेपर भेज दिए
मैने भी कोई समझौता नहीं किया और तलाक दे दिया

22 में शादी हुई और 23 साल में मेरा तलाक हो गया

घर वालों ने बहुत समझाया, लेकिन मुझे मेरी सेल्फ रिस्पेक्ट प्यारी थी,

आज मेरी उम्र 30 साल है,

25 साल की उम्र में मैने फिर से शादी करने का फैसला लिया
लेकिन अब असली समस्या सामने आने लगी

25 की उम्र में मुझे 45 40 साल के पुरुष मिलते या तो इनकी पत्नी मर चुकी थी या फिर कोई तलाक शुदा था

लेकिन अभी तक मेरी दूसरी शादी नही हो पाए है क्यों की मेरे यार एक ठप्पा लगा है दूसरी शादी का

ताव में लिए गए फैसले अकसर गलत होते हैं, जब मैं अकेली होती हूं तो यही सोचती हूं काश बाहर जाने की जिद ना की होती तो ये दिन ना देखना पड़ता

लड़के की दूसरी शादी हो गई एक बेटी भी है लेकिन मेरी जिंदगी कई साल पीछे चली गई और भविष्य भी अंधकार में है

मेरी 5 बहन हैं उस समय सब ने मेरा साथ दिया था लेकिन आज सिर्फ मुंह पर बोलें भर का रिश्ता है कोई भी सपोर्ट नही है ना बहनों से ना मां बाप से

आज कल को लड़किया जिंदगी अपने शर्त पर जीना चाहती है, तलाक लेना या शादी तोड़ना एक बहुत ही आम बात समझती हैं क्यों की फिल्मों और सीरियल में यही दिखाया जाता है

बिना पुरुष के सपोर्ट के और प्रोटेक्ट के हम लड़किया कितनी भी काबिल हो जाएं मन में एक डर हमेशा बना रहता है
लेकिन कोई पुरुष आप के पीछे है तो वो डर मन में नही आता ये बात अधिकतर महिला नही बोलंगी क्यों किस इससे उन्हें अहम को ठेस पहुंचती है

आज की लड़कियों से मैं ये बोलूंगी की कुछ भी हो जाए
कभी भी चोटी चोटी बातो को आधार बनाकर तलाक जैसा फैसला मत लेना
क्यों की इसके बाद तुम्हारी जिंदगी और भी बत्तर हो जाएगी

" मुझे इस हाल में छोड़कर कहां जा रहे हो...??? " वो रोते हुए अपने पति का हाथ पकड़ते हुए बोली..." कहीं भी जाऊं... तुझे क्य...
13/04/2024

" मुझे इस हाल में छोड़कर कहां जा रहे हो...??? " वो रोते हुए अपने पति का हाथ पकड़ते हुए बोली...

" कहीं भी जाऊं... तुझे क्या...???" पति ने झटके से हाथ छुड़ा लिया....

"मेरा क्या होगा....???"

" मेरी तरफ से जो मर्जी है, कर...." कहते हुए वो दरवाजे के बाहर निकल गया....

आठ महीने की गर्भवती लड़की किराए के घर में अकेली थी अब.... दो साल पहले घरवालों की मर्जी के खिलाफ़ भागकर दूसरे शहर आ गई थी... ससुराल का पता नहीं था... मायके वालों से भी बातचीत ख़त्म थी...

अचानक से उसे अपने पिता याद आने लगे..... पापा की जान थी वो....

" तू जल्दी में हमेशा गलती करती है... कभी तो सोच समझ कर फैसला लिया कर... इस जल्दबाजी में कभी तू बड़ा धोखा खाएगी...."

" पापा , आप हो तो संभालने के लिए...." कहते हुए वो पापा से चिपट जाती... पापा का सारा गुस्सा भाप बनकर उड़ जाता... सोचते सोचते उसके होंठों पर एक मुस्कान तैर गई...

अचानक से उस हाल में भी पड़ोस वाली आंटी के घर गई... और उनके फ़ोन से साईड में जाकर अपने पापा का नंबर मिला दिया....

" हैलो..." आज दो वर्षों के बाद अपने पापा की आवाज़ सुनकर उसकी रुलाई फूट पड़ी....

" कौन...???" उधर से दुबारा आवाज आई...

" पापा, मैं आपकी अभागिन बेटी...."

दूसरी तरफ़ लंबी खामोशी छा गई....

" पापा, प्लीज़ एक बार संभाल लीजिए... जिंदगी में दुबारा गलती नहीं होगी....",

कोई जवाब ना पाकर उसने फोन काट दिया और आंटी से अपने आंसू छुपाते हुए कमरे में आ गई....

तनाव की वजह से बेड पर लेटे लेटे ही बेहोश हो गई.... ना जाने कब होश आया... अब हस्पताल में एक बेड पर थी वो... सिर पर जाने पहचाने हाथों के स्पर्श से उसने चौंक कर देखा तो उसकी मां सिर के पास बैठी बेटी का सिर सहला रही थी... पापा भी कुर्सी से उठकर पास आ गए...

" पापा..." रुंधे गले से बस यही शब्द निकल पाए... उसके दोनों हाथ माफ़ी मांगने की मुद्रा में जुड़ चुके थे...

" रो मत बेटा ... मैं हूं ना... " कहते हुए पापा ने उसके हाथ अपने हाथों में पकड़ लिए....

तीन जोड़ी आंखों से निकले आंसू सालों के गिले शिकवों को धोने के लिए पर्याप्त थे....

🙏🙏🙏

फ्रिज का पानी -- गर्मी शुरू हो चुकी आज बर्फ का ठंडा पानी पियेंगे मां ने मुझे दो रूपए देते हुए कहा,,मैंने झट दो का नोट पक...
11/04/2024

फ्रिज का पानी --
गर्मी शुरू हो चुकी आज बर्फ का ठंडा पानी पियेंगे मां ने मुझे दो रूपए देते हुए कहा,,मैंने झट दो का नोट पकड़ते हुए मां से कहा मुझे शर्म आती है दो रुपए की बर्फ लाने में दुकानदार हमेशा चिक चिक करता है कहता है पांच रुपए की बर्फ है फिर भी मुझे दे देता है यह कहकर की अगली बार से पांच रुपए लाना ,,,मोहल्ले के सभी लोगों के घरों में फ्रिज आ चुके हैं सब फ्रिज का ठंडा पानी पीते हैं अपने घर में कब फ्रिज आएगा,,

तब मां बताने लगी तेरे बापू जितना कमाते हैं सब घर में खर्च हो जाता है हम फ्रिज नहीं खरीद सकते

मैं दो रूपए लेकर बर्फ लेने चल पड़ा इस बार दुकानदार अपनी बात पर अड़ गया ,, कहने लगा तू फिर आ गया दो रुपए लेकर इस बार तुझे बर्फ नहीं मिलेगी जा कोई दूसरी दुकान ढूंढ ले उस दिन मैंने सारी मार्केट छान मारी मगर दो रूपए की बर्फ कहीं ना मिली

धूप में कमीज पसीने से भीग चुकी थी चिलचिलाती तेज धूप में नंगे सर इधर-उधर दौड़ता रहा अंत में खाली हाथ वापस घर लौटना पड़ा मन उदास था इस बार भी गर्मियों के दिनों में गर्म पानी पीना पड़ेगा पड़ोसी भला अपने फ्रिज का पानी हमें क्यों देंगे एक बार पड़ोसी ने तो साफ मना कर दिया था कहने लगे हमारे फ्रिज का बिजली का बिल भी आता है तुम्हारे घर फ्रिज नहीं है तो हम क्या करें उनकी जली कटी सुनने से अच्छा है कि गर्म पानी ही पी लिया जाए

लेकिन उस दिन मेरा दिमाग खराब हो गया बिजली चली गई सूरज की तपन से ऊपर वाला हमारा कमरा एकदम तपने लगा मां और बहन तो गली के बाहर चौखट पर बैठ गई लेकिन मैं कहां बैठूं मुझे घर से बाहर निकलना इधर-उधर घूमना पसंद नहीं था

तभी गली में रिक्शा पर लदा एक फ्रिज आता नजर आया लो एक और पड़ोसी का फ्रिज आ गया मां ने बहन को बताया मैं छज्जे पर खड़ा सुन और देख रहा था

अचानक मेरे कदम सीढ़िओ से नीचे उतरे चौखट पर बैठी अम्मा और बहन के बीच से निकलकर मैं बाहर की तरफ चल पड़ा

मां ने एक बार टोका भी नेकराम इतनी भरी दुपहरी में कहां जा रहा है मगर मैंने कोई जवाब ना दिया बस इतना कहा अभी आता हूं ,,

मोहल्ले की एक बड़ी सी फ्रिज की दुकान पर पहुंचा वहां बहुत सारे छोटे बड़े फ्रिज रखे हुए थे उन फ्रिजों को देख मन बड़ा खुश हो गया काफी देर तक उन फ्रिजों को देखता रहा तभी दुकान के अंदर बैठे एक मोटे आदमी ने घूरते हुए अपने नौकर से कहा जरा देख दुकान के बाहर कौन लड़का खड़ा है कहीं चोर ना हो हमारा सामान दुकान के बाहर तक फैला हुआ है,, वह नौकर गले में गमछा डाले मेरी और बढ़ा,,

क्या चाहिए इतनी देर से दुकान के भीतर क्यों झांक रहा है नौकर की बात सुनकर पहले तो मैं डर गया कि इन्हें क्या जवाब दूं फिर मैंने बोला जी हमारे घर फ्रिज नहीं है मुझें एक नया फ्रिज खरीदना था मेरी बात सुनकर नौकर मुझे दुकान के भीतर ले गया और दुकानदार से मिलवा दिया

दुकानदार ने मुझे नीचे से ऊपर तक देखा पतला दुबला शरीर बदन पर पसीने से भीगी हुई एक पतली सी कमीज पैरों में पुरानी घिसी चप्पल उम्र 13 साल के आसपास

हां बोल छोकरे ,,, तुझें क्या चाहिए,, हम फ्रिज बेंचते हैं तब मैंने कहा मेरे पास पैसे नहीं है मगर एक फ्रिज खरीदना था

दुकानदार ने एक फ्रिज की तरफ इशारा करते हुए कहा यह लाल रंग का फ्रिज इसकी कीमत साढ़े तीन हजार रुपए है तुम्हारी जेब में कितने रुपए हैं

दुकानदार की बात सुनकर मैंने कहा अभी तो नहीं है इतने रुपए लेकिन मैं इंतजाम कर लूंगा क्या आप मुझें नौकरी पर रख सकते हो दुकानदार ने मुझे गौर से देखा और कहा हम बच्चों को काम पर नहीं रखते बड़े-बड़े फ्रिज रिक्शे पर लादने होते हैं तुमसे तो फ्रिज हिलेगा भी नहीं घर-घर फ्रिज पहुंचाने भी पड़ते हैं

तब मैंने कहा मैं सब काम कर लूंगा आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा मुझे एक फ्रिज खरीदना है इसके लिए मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं तब दुकानदार कहने लगा ,, मैं तुम्हें नौकरी पर नहीं रख सकता बात समझा करो तुम अभी बहुत छोटे हो

मैं दो घंटे तक दुकान के बाहर धूप में खड़ा रहा फिर अचानक दुकानदार बोला इधर आओ दुकान के अंदर,,

क्या नाम है तुम्हारा जी मेरा नाम नेकराम है कक्षा सातवीं में पढ़ता हूं ठीक है मैं तुम्हें नौकरी पर रखता हूं मैं चाहता हूं तुम्हारी पढ़ाई भी ना रुके तुम रोज सुबह 9:00 बजे मेरी दुकान पर आओगे 3 घंटे काम करोगे दोपहर के 12:00 बजते ही तुम घर चले जाना तुम्हारा स्कूल दोपहर 1:00 बजे लगता है शाम को स्कूल से 6:00 बजे छुट्टी होने के बाद तुम सीधे दुकान पर आओगे एक घंटे काम करोगे फिर घर चले जाना यही रोज का नियम रहेगा

दुकानदार से नौकरी की बात करके मैं खुशी-खुशी घर लौट आया ,,, एक महीने बाद ,,

नेकराम शाम के 7:00 बज चुके हैं मैं देख रही हूं तू रोज स्कूल से लेट आता है स्कूल से छुट्टी तो शाम 6:00 बजे हो जाती है फिर तू एक घंटे कहां गायब रहता है और सुबह भी घर से गायब रहता है कहीं आवारा लड़कों के साथ तो नहीं घूमने लगा मां ने डांटते हुए कहा

मेरी खामोशी देखकर बहन बोल पड़ी पहले तो नेकराम घर में ही रहता था अब एक महीने से बाहर ही घूमता रहता है बड़े भाई ने भी मौका ना छोड़ा अब नेकराम को कमरे में कैद करके रखना पड़ेगा तभी नेकराम सुधरेगा ,, अगले दिन ,,

सुबह आंख खुली तो घड़ी में 8 बज चुके थे कमरे में मैं अकेला था दरवाजा बाहर से बंद था मैंने दरवाजा हिलाया मगर ना खुला दीवार पर एक छोटी खिड़की थी जो पड़ोसी की छत की तरफ खुलती थी मैंने एक स्टूल की मदद से खिड़की को खोला और पड़ोसी की छत पर कूद गया

लेकिन अब पड़ोसी की छत से नीचे कैसे उतरू क्योंकि पड़ोसी की सीढ़ियां तो कमरे के भीतर है ,,,

भगवान का नाम लेकर मैं सीढ़िओ से नीचे उतर आया कमला आंटी रसोई घर में कुछ पका रही थी उनका सात महीने का बेटा हर्ष पलने में झूल रहा था मैं दबे पांव आहिस्ता आहिस्ता आंटी के कमरे से बाहर गली में आ गया मौका अच्छा था किसी ने देखा नहीं मैं दौड़कर दुकान पर पहुंच गया ,, फिर रोज की तरह 12:00 बजे घर वापस लौट आया तो

कमला आंटी दरवाजे पर ही बैठी थी गली में मां दूसरी पड़ोसन से बातें कर रही थी मुझे देखते ही मेरा कान पकड़ते हुए बोली सुबह मैंने जब ताला खोला तो तू वहां कमरे में नहीं था,, अब आ रहा है मौज मस्ती करके ,,, आज तेरी चमड़ी उधेड़ दूंगी ,, गली में पीटते हुए मुझे कमरे में ले गई भाई दौड़कर रस्सी ले आया बहन ने मेरे दोनों हाथ पैर बांध दिए अब तू कहीं नहीं भाग सकेगा तभी एक मिस्त्री दो चार ईंटें सीमेंट हथौड़ी वसूली लेकर आया और जिस खिड़की से मैं भागा था वह खिड़की उसने बंद कर दी

शायद लगता है घर के लोगों को पता चल गया होगा कि मैं खिड़की से भागा हूं क्योंकि स्टूल तो खिड़की के नीचे ही रह गया था और खिड़की भी खुली रह गई थी

उस दिन मां ने मुझे खाना खिलाया मगर मेरे हाथ पैर न खोले और कहा नेकराम तू सच-सच बात कहां जाता है,, मगर मैं चुप रहा

उस दिन मां ने मेरी शिकायत शाम को पिताजी से लगा दी

पिताजी ने एक मोटे डंडे से तबियत से मुझे कूटा जिस्म पूरा लाल हो गया पड़ोसियों ने आकर मुझें बचाया तब पिता बोले आप लोग नहीं जानते नेकराम घर से बाहर घूमने लगा है आज इसकी दोनों टांगे तोड़ दूंगा ताकि यह भाग न सके तभी गली से एक व्यक्ति दरवाजा खटखटाता हुआ बोला,, नेकराम का यही घर है पिताजी ने छज्जे से झांका तो एक रिक्शे वाला अपने रिक्शे पर एक लाल रंग का फ्रिज रखें जोर-जोर से नेकराम नेकराम पुकार रहा था

तब पिताजी ने मां से कहा लगता है किसी पड़ोसी ने नया फ्रिज मंगवाया होगा मगर यह नेकराम को क्यों बुला रहा है अम्मा ने कहा जाओ ,, गली में पता करके आओ आखिर बात क्या है और फ्रिज का पता लगाओ किस पड़ोसन ने मंगवाया है भाई ने जवाब दिया कालेराम की किराने की दुकान है खूब चलती है उसी ने मंगवाया होगा

रिक्शे वाले ने अब तक फ्रिज हमारे घर की देहरी पर रख दिया तब मां ,, बड़बड़ाती हुई बोली ,, अरे रिक्शा वाले भैया ,, किसी और का फ्रिज हमारी देहरी पर क्यों रखते हो उठाओ इसे ,, जिसका है वहीं ले जाओ,,

तब रिक्शे वाले ने कहा मेरे पास एक रसीद है इसमें इसी घर का पता लिखा हुआ है और गोपाल नाम लिखा है तब पिताजी बोले गोपाल तो मेरा ही नाम है पता भी हमारे घर का लिखा हुआ है मगर हमने तो कोई फ्रिज नहीं खरीदा शायद तुमसे कोई भूल हो गई होगी

,, मैं छज्जे पर खड़ा सब देख रहा था ,,

अम्मा बोली हमारे घर तो खाने को एक दाना नहीं हम फ्रिज कहां से खरीद सकते हैं और नेकराम के बापू तो दुकान पर फ्रिज खरीदने गए भी नहीं

इतने में फ्रिज के दुकान का मालिक एक स्कूटर पर बैठा गली में आता नजर आया हमारे घर के बाहर स्कूटर रोक दिया और कहा नेकराम ने पेमेंट कर दी है यह फ्रिज अब आप लोगों का है नेकराम एक महीने से हमारी दुकान में नौकरी कर रहा था बड़े-बड़े फ्रिजों को मकान के ऊपर पहुंचाना कोई आसान काम नहीं है पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब करना और घर में किसी को ना बताना बहुत बड़ी बात है

नेकराम ने ही मुझसें कहा था कि घर में मेरी नौकरी की बात का जिक्र किसी से न करना वरना मेरी मां को दुख होगा और मां मुझें नौकरी नहीं करने देगी , नेकराम ने यह भी कहा था जब फ्रिज के रुपए इकट्ठे हो जाएं तब यह फ्रिज मेरे पिताजी के नाम पर रसीद काटना घर में पिता के होते हुए में रसीद में अपना नाम कैसे लिखवा सकता हूं इसमें मेरे पिता का कहीं सर झुक न जाए मैं भी मोहल्ले वालों को बताना चाहता हूं कि हमारे पिताजी ने भी हमारे लिए एक नया फ्रिज खरीदा है

गली में भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी ,, मैंने कान पकड़ते हुए कहा आज के बाद बिना बताए कोई काम नहीं करूंगा

उस दिन मां बहुत रोई जब मेरे हाथों में छाले देखें बहन-भाई के आंसू थम नहीं रहे थे पिताजी ने मुझे सीने से लगा लिया
राही

06/04/2024

कांग्रेस और बीजेपी के गढ़ गुड़ामालानी में निर्दलीय रविंद्रसिंह भाटी की एंट्री की तस्वीरों ने दोनों पार्टियों में खलबली मचा दी है। क्या ये जनसमूह वोटों में तब्दील हो पाए
Ravindra Singh Bhati

05/04/2024

विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी ...
पति शहर से बाहर थे ........

जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया ....

गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था ...

गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था.
सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली....

बेहद दुबला पतला बुजुर्ग...पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी ...एक याचना के साथ सामान उठाने को आतुर ....

सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई.... तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई ...लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा ...

कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था.....
ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था ...

रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..
सुहानी का मन घबराने लगा ...

तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया .... बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में ...भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया ...और आने का इशारा किया

सीढ़ी चढ़ कर पुल से पार जाना था कयोकि अचानक ट्रेन ने प्लेटफार्म चेंज करा था जो अब नौ नम्बर पर आ रही थी

वो साँस फूलने से धीरे धीरे चल रहा था और सुहानी भी तेज चलने हालत में न थी
गाडी ने सीटी दे दी
भाग कर अपना स्लीपर कोच का डब्बा ढूंढा ....

डिब्बा प्लेटफार्म खत्म होने के बाद इंजिन के पास था। वहां प्लेटफार्म की लाईट भी नहीं थी और वहां से चढ़ना भी बहुत मुश्किल था ....

सुहानी पलटकर उसे आते हुए देख ट्रेन मे चढ़ गई...
तुरंत ट्रेन रेंगने लगी ...कुली अभी दौड़ ही रहा था ...

हिम्मत करके उसने एक एक सामान रेलगाड़ी के पायदान के पास रख दिया ।

अब आगे बिलकुल अन्धेरा था ..

जब तक सुहानी ने हडबडाये कांपते हाथों से दस का और पांच का का नोट निकाला ...
तब तक कुली की हथेली दूर हो चुकी थी...

उसकी दौड़ने की रफ़्तार तेज हुई ..
मगर साथ ही ट्रेन की रफ़्तार भी ....

वो बेबसी से उसकी दूर होती खाली हथेली देखती रही ...

और फिर उसका हाथ जोड़ना नमस्ते
और आशीर्वाद की मुद्रा में ....
उसकी गरीबी ...
उसका पेट ....
उसकी मेहनत ...
उसका सहयोग ...
सब एक साथ सुहानी की आँखों में कौंध गए ..

उस घटना के बाद सुहानी डिलीवरी के बाद दुबारा स्टेशन पर उस बुजुर्ग कुली को खोजती रही मगर वो कभी दुबारा नही मिला ...

आज वो जगह जगह दान आदि करती है मगर आज तक कोई भी दान वो कर्जा नहीं उतार पाया उस रात उस बुजुर्ग की कर्मठ हथेली ने किया था ...

सच है कुछ कर्ज कभी नही उतारे जा सकते......!!

~अज्ञात

बाड़मेर लोकसभा अकेले 26 साल के लड़के की नामांकन सभा जिसके पास कोई मंत्री विधायक सांसद नेता स्टार प्रचारक नहीं है सिर्फ औ...
05/04/2024

बाड़मेर लोकसभा अकेले 26 साल के लड़के की नामांकन सभा जिसके पास कोई मंत्री विधायक सांसद नेता स्टार प्रचारक नहीं है सिर्फ और सिर्फ बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा के 36 कौम की देवतुल्य जनता है मैदान छोटा पड़ गया था और मैदान से बाहर लंबी लंबी लाइनें लगी हुई थी
#रविंद्रसिंहभाटी
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