28/06/2025
🩷 "बेटी - एक खामोश सपना" 🩷
एक छोटे से गाँव में रहने वाले रमेश और सरला की ज़िंदगी सादगी से भरी थी। उनकी एक बेटी थी — अनुष्का।
अनुष्का बचपन से ही बहुत समझदार थी। वो जानती थी कि उसके माँ-बाप दिन-रात मेहनत करके घर चलाते हैं। जब उसके दोस्त नए कपड़े, खिलौने या मोबाइल की ज़िद करते थे, तब अनुष्का बस मुस्कुरा देती थी। उसे कभी कुछ मांगना नहीं आता था। माँ पूछती — "बेटा, तुझे कुछ चाहिए?"
तो वो बस कहती —
"मुझे कुछ नहीं चाहिए माँ, बस आप दोनों हमेशा मेरे साथ रहो।"
वो स्कूल जाती, पढ़ती, और फिर माँ के कामों में हाथ भी बंटाती। उसके पास महंगे बस्ते नहीं थे, किताबें भी पुरानी मिलती थीं, लेकिन उसकी आँखों में एक सपना था — "अपने माँ-बाप का नाम रोशन करना है।"
सालों की मेहनत रंग लाई। गाँव के सरकारी स्कूल से पढ़कर उसने एक बड़ी यूनिवर्सिटी में दाखिला पाया। फिर एक दिन, जब वो एक सरकारी अफसर बनकर गाँव लौटी — लोगों ने तालियाँ बजाईं, माँ की आँखों में आँसू थे, और पापा का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।
वो बस धीरे से बोली —
👉🏻 "मैंने कुछ नहीं किया... बस माँ-बाप के ख्वाब पूरे किए हैं..."
उस दिन पूरे गाँव को समझ आया —
💫 "बेटियाँ माँ-बाप से कुछ नहीं मांगतीं, बस पूरी दुनिया जीत लाती हैं उनके लिए।" 💫