17/08/2025
وَقَوْلِهِمْ إِنَّا قَتَلْنَا الْمَسِيحَ عِيسَى ابْنَ مَرْيَمَ رَسُولَ اللَّهِ وَمَا قَتَلُوهُ وَمَا صَلَبُوهُ وَلَٰكِن شُبِّهَ لَهُمْ ۚ وَإِنَّ الَّذِينَ اخْتَلَفُوا فِيهِ لَفِي شَكٍّ مِّنْهُ ۚ مَا لَهُم بِهِ مِنْ عِلْمٍ إِلَّا اتِّبَاعَ الظَّنِّ ۚ وَمَا قَتَلُوهُ يَقِينًا بَل رَّفَعَهُ اللَّهُ إِلَيْهِ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَزِيزًا حَكِيمًا
"और उनके (यहूदियों के) इस कहने के कारण कि 'हमने मसीह, ईसा इब्न मरयम, अल्लाह के रसूल को क़त्ल कर दिया,' जबकि न तो उन्होंने उसे क़त्ल किया और न ही उसे क्रूस पर चढ़ाया, बल्कि उनके लिए (उसकी) शक्ल बनाई गई। और निश्चय ही जो लोग इसमें मतभेद करते हैं, वे इस बारे में शक में हैं। उनके पास इसके बारे में कोई ज्ञान नहीं, सिवाय अनुमान के पालन के। और उन्होंने उसे यक़ीनन क़त्ल नहीं किया। बल्कि अल्लाह ने उसे अपनी ओर उठा लिया, और अल्लाह ताक़तवर, हिक्मत वाला है।"
— सूरह अन-निसा (4:157–158)