08/07/2025
"टापू बनते गांव: बारिश आते ही तीन महीने कांकेर से कट जाते हैं ये गांव, न पुल है, न रास्ता – स्टॉप डेम से जान जोखिम में डाल करते हैं आवागमन"
कांकेर :- बारिश जहां आम जनजीवन के लिए वरदान है, वहीं कांकेर जिले के कुछ गांवों के लिए ये आफत बन जाती है। जिला मुख्यालय से महज 45 किलोमीटर दूर बांसकुंड, ऊपर तोनका, नीचे तोनका और चलाचूर गांव के 500 से ज्यादा ग्रामीण बारिश के तीन महीने किसी टापू में तब्दील हो चुके अपने गांव में फंसे रहते हैं। कारण – आजादी के 76 साल बाद भी चिनार नदी पर पुल नहीं बन पाया।
गांववालों के लिए चिनार नदी में बना एक स्टॉप डेम ही आने-जाने का एकमात्र रास्ता है, वो भी जान जोखिम में डालकर। खेत-खलिहान, स्कूल या राशन—हर जरूरी काम के लिए ग्रामीण इसी स्टॉप डेम के 16 पिलरों को कूद-कूद कर पार करते हैं। ग्रामीण बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए इसी रास्ते का सहारा लेना पड़ता है। जब नदी उफान पर होती है तो हालात और भी खतरनाक हो जाते हैं।
ग्रामीणों ने live news से बातचीत में बताया कि बरसात के दिनों में न तो शिक्षक स्कूल आ पाते हैं और न ही मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया जा सकता है। आपात स्थिति में ग्रामीणों को गांव में ही इलाज करना पड़ता है।
हैरानी की बात यह है कि ग्रामीण सालों से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक सिर्फ एक कच्ची सड़क ही बन पाई है, वह भी आधी-अधूरी। शासन-प्रशासन की अनदेखी ग्रामीणों के धैर्य की परीक्षा ले रही है।
ग्रामीणों की अब सरकार से अपील है कि वे उनकी फरियाद सुने और जल्द से जल्द चिनार नदी पर पुल का निर्माण हो, ताकि उनके जीवन में भी राहत की बारिश हो सके।