
18/04/2025
"जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे, पर किसी ने अपना बनाकर हमें तोड़ दिया।"
जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे,
हम तो उन रास्तों जैसे थे जो कांटों से भरे होते हुए भी मुसाफिरों को मंज़िल तक पहुंचाते हैं।
हमने दर्द सहना सीखा था,
पर कभी किसी पर दर्द लादना नहीं जाना।
हम पत्थर नहीं थे जो ठोकर खाकर भी कुछ महसूस न करें,
हम वो मिट्टी थे जो हर गिरने वाले को संभाल लेते थे।
फिर किसी ने आकर हमें अपना कहा,
हमने भी उस यकीन को दिल में जगह दे दी।
पर वो रिश्ता सिर्फ लफ़्ज़ों तक था,
और हमने उसे रूह तक उतार लिया।
वो तोड़कर चला गया,
और हम टूटकर वहीं रह गए –
जहाँ किसी ने पहली बार 'अपना' कहा था।
अब जब कोई पूछता है कैसे हो,
तो मुस्कान दे देते हैं,
क्योंकि टूटने का सबूत चेहरा नहीं देता –
दिल देता है, और वो अब भी उसी के पास है।