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"जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे, पर किसी ने अपना बनाकर हमें तोड़ दिया।"जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे,हम तो उन रास...
18/04/2025

"जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे, पर किसी ने अपना बनाकर हमें तोड़ दिया।"
जल्दी टूटने वाले हम इंसान नहीं थे,
हम तो उन रास्तों जैसे थे जो कांटों से भरे होते हुए भी मुसाफिरों को मंज़िल तक पहुंचाते हैं।
हमने दर्द सहना सीखा था,
पर कभी किसी पर दर्द लादना नहीं जाना।
हम पत्थर नहीं थे जो ठोकर खाकर भी कुछ महसूस न करें,
हम वो मिट्टी थे जो हर गिरने वाले को संभाल लेते थे।

फिर किसी ने आकर हमें अपना कहा,
हमने भी उस यकीन को दिल में जगह दे दी।
पर वो रिश्ता सिर्फ लफ़्ज़ों तक था,
और हमने उसे रूह तक उतार लिया।

वो तोड़कर चला गया,
और हम टूटकर वहीं रह गए –
जहाँ किसी ने पहली बार 'अपना' कहा था।

अब जब कोई पूछता है कैसे हो,
तो मुस्कान दे देते हैं,
क्योंकि टूटने का सबूत चेहरा नहीं देता –
दिल देता है, और वो अब भी उसी के पास है।

"जिंदगी में खूबसूरत लोग तो बहुत आते हैं, पर जीवन को खूबसूरत बनाने बहुत कम लोग आते हैं1. खूबसूरत लोग — बाहरी आकर्षण का जा...
18/04/2025

"जिंदगी में खूबसूरत लोग तो बहुत आते हैं, पर जीवन को खूबसूरत बनाने बहुत कम लोग आते हैं
1. खूबसूरत लोग — बाहरी आकर्षण का जादू

हमारी जिंदगी में ऐसे कई लोग आते हैं जो दिखने में अच्छे होते हैं, बातों में मीठे होते हैं, और कुछ पल के लिए हमारे दिल को भा जाते हैं। ये लोग हमें आकर्षित करते हैं, हमें अच्छा महसूस कराते हैं, लेकिन अक्सर ये प्रभाव सिर्फ सतही होता है। ये लोग आते हैं और चले जाते हैं, बिना कोई गहरी छाप छोड़े।
जीवन को खूबसूरत बनाने वाले — आत्मा से जुड़ाव

इसके विपरीत, कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन में सिर्फ उपस्थिति से नहीं, बल्कि अपने व्यवहार, प्रेम, समझ और सहयोग से उसे खूबसूरत बना देते हैं।
वे हमारी भावनाओं को समझते हैं, मुश्किल समय में हमारे साथ खड़े रहते हैं, बिना कुछ कहे हमारे दर्द को महसूस करते हैं।
इनका जुड़ाव हमारे मन और आत्मा से होता है, और यही संबंध हमारे जीवन में असली खुशियाँ लाते हैं।असली सुंदरता — एहसास और संग

असल में सुंदरता सिर्फ चेहरों में नहीं होती, बल्कि उन लोगों में होती है जो:

आपकी खामोशी समझते हैं

बिना बोले आपकी मदद करते हैं

आपके सपनों में भरोसा रखते हैं

आपको बेहतर इंसान बनने में प्रेरित करते हैं
ऐसे लोग अनमोल होते हैं

ऐसे लोग बहुत कम मिलते हैं, लेकिन जब मिलते हैं, तो उनका साथ ही एक वरदान बन जाता है।
उनकी उपस्थिति से जिंदगी में रंग भर जाते हैं, मुश्किलें आसान लगने लगती हैं, और हर दिन में कुछ खास होने लगता है।
**चेहरे की खूबसूरती समय के साथ फीकी पड़ जाती है, लेकिन आत्मा की खूबसूरती समय के साथ और न

1. पृष्ठभूमि – हिन्दू-मुस्लिम एकता और अलग पहचानब्रिटिश शासन के समय, भारत एक उपनिवेश था जहाँ हिन्दू और मुस्लिम समुदाय दोन...
18/04/2025

1. पृष्ठभूमि – हिन्दू-मुस्लिम एकता और अलग पहचान

ब्रिटिश शासन के समय, भारत एक उपनिवेश था जहाँ हिन्दू और मुस्लिम समुदाय दोनों साथ रहते थे लेकिन अलग-अलग धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान रखते थे।

अलीगढ़ मूवमेंट (सर सैयद अहमद खान) से लेकर मुस्लिम लीग (1906) तक, मुस्लिम नेताओं ने यह सोचना शुरू किया कि मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक रूप से अलग पहचान और अधिकार चाहिए।महात्मा गांधी का दृष्टिकोण:

गांधीजी का सपना एक संयुक्त, धर्मनिरपेक्ष भारत था जहाँ सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिले।

उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्वतंत्रता संग्राम का मूल आधार बनाया।

वो कहते थे: “मेरा धर्म मुझे सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है।”

गांधीजी बंटवारे के खिलाफ थे, उन्होंने यहां तक कहा था कि "भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा।"

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3. मोहम्मद अली जिन्ना का दृष्टिकोण:

शुरुआत में जिन्ना हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने देखा कि कांग्रेस पार्टी में मुस्लिमों की आवाज दबती जा रही है।

उन्होंने 1940 में लाहौर प्रस्ताव के ज़रिए "दो राष्ट्र सिद्धांत" (Two-Nation Theory) को बढ़ावा दिया — यानी हिन्दू और मुस्लिम दो अलग कौमें हैं, और उन्हें अलग देश में रहना चाहिए।

जिन्ना का मानना था कि मुस्लिम अल्पसंख्यक के रूप में एक हिन्दू बहुल राष्ट्र में सुरक्षित नहीं रह सकते।

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4. विभाजन का निर्णय कैसे हुआ?

1946 में दंगे (कलकत्ता, नोआखाली, बिहार) बहुत भयानक रूप में सामने आए — हिन्दू-मुस्लिमों के बीच तनाव चरम पर था।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सत्ता साझा करने की कोशिश (कैबिनेट मिशन प्लान) असफल रही।

अंत में ब्रिटिश सरकार ने यह फैसला किया कि सत्ता दोनों पक्षों को अलग-अलग दे दी जाए।

14-15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र देश बने।

भारत: धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र

पाकिस्तान: मुस्लिम राष्ट्र (बाद में इसे इस्लामी गणराज्य घोषित किया गया)

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5. गांधी और जिन्ना के बीच का मतभेद

गांधी संविधान आधारित एकता चाहते थे।

जिन्ना धर्म आधारित राष्ट्रवाद पर विश्वास करने लगे थे।

जिन्ना गांधी को "हिन्दू नेता" मानते थे, जबकि गांधी खुद को सर्वधर्म समभाव का प्रतिनिधि मानते थे।

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6. विभाजन के परिणाम

करीब 10–15 लाख लोग मारे गए (हिंसा, बलात्कार, बदले)

1 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए (रेफ्यूजी बनकर)

पंजाब और बंगाल के टुकड़े हुए।

आज तक भारत-पाक रिश्तों में कड़वाहट बनी हुई है।

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संक्षेप में:

भारत का बंटवारा महज राजनीतिक फैसला नहीं था, यह एक गहरी सामाजिक, धार्मिक और ऐतिहासिक जटिलता का परिणाम था। गांधीजी ने एकता का सपना देखा था, लेकिन जिन्ना और लीग ने अलग पहचान को प्राथमिकता दी। परिणामस्वरूप एक ऐसा बंटवारा हुआ जहाँ एक देश धर्म के आधार पर बना और दूसरा संविधान और सेक्युलरिज्म के रास्ते पर चला।

और सोचने लायक है। अक्सर देखा गया है कि कुछ न्यूज चैनल या मीडिया हाउस कुछ खास राज्यों या मुद्दों को लेकर बहुत शोर मचाते ह...
16/04/2025

और सोचने लायक है। अक्सर देखा गया है कि कुछ न्यूज चैनल या मीडिया हाउस कुछ खास राज्यों या मुद्दों को लेकर बहुत शोर मचाते हैं—जैसे कि माड़ीपुर (मणिपुर) की हिंसा, जहां महीनों तक हालात खराब रहे, और उस पर काफी कुछ बोला गया (कभी संवेदना के साथ, तो कभी राजनीतिक एजेंडे के तहत)। लेकिन जब बात पश्चिम बंगाल की होती है—खासतौर पर चुनावी हिंसा, महिला हिंसा या अन्य संवेदनशील मामलों की—तो वही चैनल चुप्पी साध लेते हैं।

इसकी गहराई से वजहें हो सकती हैं:

1. राजनीतिक झुकाव: कुछ मीडिया हाउस या तो किसी खास पार्टी के समर्थन में होते हैं या फिर उनके दबाव में। अगर बंगाल में सत्ताधारी पार्टी उनके "अपने" खेमे की नहीं है, तो हो सकता है वो मुद्दा उठाने से बचते हों या फिर उसे कमजोर तरीके से दिखाते हों।

2. TRP और नैरेटिव: मीडिया हाउस वही दिखाते हैं जिससे TRP मिले या जिस नैरेटिव को वो सेट करना चाहते हैं। अगर किसी राज्य की खबर से उनकी चुनी हुई छवि पर असर पड़ता है, तो उसे या तो दबा दिया जाता है या सीमित दिखाया जाता है।

3. राष्ट्रीय बनाम क्षेत्रीय नज़रिया: मणिपुर को "राष्ट्रीय सुरक्षा" और "पूर्वोत्तर" जैसे मुद्दों से जोड़ा जाता है, जबकि बंगाल की घटनाओं को अक्सर "राजनीतिक लड़ाई" या "आंतरिक मामला" कह कर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

4. मीडिया की आज़ादी पर सवाल: जब पत्रकारिता निष्पक्ष नहीं रहती, तो यह होता है—किसी राज्य की एक घटना पर 24x7 कवरेज, और किसी दूसरी जगह पर हुई उतनी ही गंभीर घटना पर सिर्फ एक स्क्रॉलिंग लाइन।

क्या होना चाहिए?

लोगों को खुद जागरूक होना पड़ेगा, एक ही चैनल या सोशल मीडिया पर भरोसा ना करके कई स्रोतों से खबरें जाननी होंगी।

मीडिया पर जनदबाव बनाना होगा कि वो निष्पक्ष रिपोर्टिंग करें।

सोशल मीडिया की ताकत को इस्तेमाल करके वो मुद्दे भी सामने लाने होंगे जो “मेनस्ट्रीम” में गायब कर दिए जाते हैं

जागो हिन्दू जागो जागो हिन्दू समाज  पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या और स्थितिपश्चिम बंगाल में हिन्दू जनसंख्या बहुसं...
14/04/2025

जागो हिन्दू जागो जागो हिन्दू समाज पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या और स्थिति

पश्चिम बंगाल में हिन्दू जनसंख्या बहुसंख्यक है, लेकिन कुछ इलाकों में अल्पसंख्यक बनते जा रहे हैं।

सीमावर्ती जिलों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन को लेकर चिंता जताई जाती है, खासकर बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ को लेकर।
2. हिंसा और टारगेटेड हमलों के आरोप
कई रिपोर्टों में सामने आया है कि चुनावों के बाद राजनीतिक हिंसा में खासतौर पर हिन्दू कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया।
कुछ सामाजिक संगठनों का कहना है कि हिन्दू समुदाय के साथ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, परंतु यह भी आवश्यक है कि हम तथ्यों की पुष्टि निष्पक्ष रूप से करें।
3. धार्मिक स्थलों पर हमले

कुछ मामलों में मंदिरों में तोड़फोड़ या मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने की खबरें आई हैं।
कई बार ऐसे मामलों को धार्मिक रंग दे दिया जाता है, जिससे तनाव और अधिक बढ़ जा रही. मीडिया और प्रशासन की भूमिका
आरोप हैं कि मुख्यधारा की मीडिया इन मुद्दों को पर्याप्त कवरेज नहीं देती।
राज्य प्रशासन पर पक्षपात के आरोप लगते हैं, खासकर जब हिन्दू संगठनों की शिकायतों की अनदेखी की जाती है। हिंदू संगठनों की अपील
आरएसएस, वीएचपी और अन्य कई संगठनों ने समय-समय पर बंगाल के हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर आवाज उठाई है।

सोशल मीडिया पर "जागो हिन्दू जागो" जैसे हैशटैग ट्रेंड कराए जाते हैं ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके।

पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं की

1. स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय (Independence and Self-Decision Making)स्वतंत्र जीवन: आपको अपने जीवन के हर निर्णय लेने की पू...
12/04/2025

1. स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय (Independence and Self-Decision Making)

स्वतंत्र जीवन: आपको अपने जीवन के हर निर्णय लेने की पूरी आज़ादी होती है—कब उठना है, कहाँ जाना है, किससे मिलना है, क्या खाना है।

करियर पर फोकस: शादी के बाद ज़िम्मेदारियाँ बढ़ जाती हैं, जबकि अकेले होने पर आप बिना रुकावट अपने करियर और सपनों पर ध्यान दे सकते हैं।

2. आर्थिक आज़ादी (Financial Freedom)

खर्चों में कमी: शादी के साथ घर-परिवार की ज़रूरतें, बच्चों की परवरिश, मेडिकल खर्च आदि बढ़ जाते हैं।

सेविंग और इन्वेस्टमेंट: अकेले व्यक्ति अपने पैसों को अपनी पसंद और भविष्य की सुरक्षा के अनुसार सेव कर सकता है।

3. मानसिक शांति और कम तनाव (Mental Peace & Less Stress)

कम झगड़े और टेंशन: रिलेशनशिप में अक्सर मतभेद और टकराव होते हैं, जो मानसिक तनाव का कारण बनते हैं।

स्वस्थ मानसिकता: अकेले रहकर आप अपने मानसिक स्वास्थ्य पर बेहतर काम कर सकते हैं, ध्यान और आत्म-सुधार में समय दे सकते हैं।

4. समय की आज़ादी (Freedom of Time)

अपना टाइम मैनेजमेंट: आपको किसी और की टाइमिंग के अनुसार नहीं चलना पड़ता। अपनी रूटीन और हॉबीज़ को पूरा समय दे सकते हैं।

घूमने-फिरने की छूट: बिना किसी की परमिशन या जिम्मेदारी के, जब चाहो तब ट्रेवल कर सकते हो।

5. कम सामाजिक दबाव (Less Social Expectations)

रोल निभाने की मजबूरी नहीं: शादी के बाद आपको पति/पत्नी, बहू/दामाद जैसे कई रोल निभाने होते हैं, जिससे कभी-कभी व्यक्ति खुद को खो देता है।

समाज के ढांचे से अलग: शादी ना करके आप पारंपरिक ढांचे से बाहर निकलते हैं, जिससे आप नए सोच और जीवनशैली को अपनाने में सक्षम होते हैं।

6. रिश्तों में विकल्प और आज़ादी

किसी के साथ बंधे नहीं रहना: अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं तो भी शादी ना करके आप खुद को उस रिश्ते में जबरदस्ती बाँधे नहीं रखते।

स्वस्थ सीमाएं: आप अपनी भावनात्मक सीमाएं खुद तय कर सकते हैं

देखिए गौर से ए भारत देश में हि रहता हैं पर अच्छे लोगो का या अच्छे इंसान की साथ देना तो दूर की बात उनका नजर भी नहीं आयेगा...
12/04/2025

देखिए गौर से ए भारत देश में हि रहता हैं पर अच्छे लोगो का या अच्छे इंसान की साथ देना तो दूर की बात उनका नजर भी नहीं आयेगा पर देश के विरुद्ध काम करने वाले या देश के गद्दार इंसानों के ए केस लड़ते हैं और अपने आप को देश भक्त कहता है कितनी सोचनी वाली बात मेरे प्यारे देश वाशियो

मोदी है तो मुमकिन है देख लो मेरे प्यारे वतन के चमचे अपनी दोनो आंख खोलकर
12/04/2025

मोदी है तो मुमकिन है देख लो मेरे प्यारे वतन के चमचे अपनी दोनो आंख खोलकर

"गलत का खुलकर विरोध करो, चाहे वो अपने हों या पराए, और जिस भाषा में वो समझें, उसी भाषा में उन्हें समझाओ।" सच और गलत की पह...
08/04/2025

"गलत का खुलकर विरोध करो, चाहे वो अपने हों या पराए, और जिस भाषा में वो समझें, उसी भाषा में उन्हें समझाओ।"
सच और गलत की पहचान:
सबसे पहले ज़रूरी है कि हम सही और गलत के बीच फर्क करना सीखें। कई बार अपने लोग, रिश्तेदार या दोस्त भी गलत काम करते हैं, और हम चुप रह जाते हैं क्योंकि वो हमारे "अपने" हैं। लेकिन सही इंसान वही होता है जो गलती को पहचानकर उसका विरोध करता है, चाहे गलती किसी से भी हो।

2. अपने-पराए का भेद नहीं:
न्याय और नैतिकता के लिए कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर हम किसी पराए की गलती पर आवाज़ उठाते हैं लेकिन अपने की गलती पर चुप रहते हैं, तो हम दोहरा मापदंड अपना रहे हैं। ऐसे में हमारा विरोध सच्चा नहीं होता।

3. साफ़ और निर्भीक विरोध:
विरोध हमेशा साफ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक प्रभावशाली और दृढ़ नेतृत्वकर्ता माने जाते हैं। उनके कार्यकाल में कई ऐसे पह...
08/04/2025

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक प्रभावशाली और दृढ़ नेतृत्वकर्ता माने जाते हैं। उनके कार्यकाल में कई ऐसे पहलु हैं जिन्हें लोग सराहते हैं। नीचे उनके कुछ अच्छे कार्यों और बातों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. कानून व्यवस्था में सुधार

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने माफिया, अपराधियों और अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। "गुंडों को चुन-चुन कर ठोक दिया जाएगा" जैसे बयानों ने प्रशासन को सजग बनाया और आम जनता में सुरक्षा की भावना बढ़ी।

2. इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास

योगी सरकार ने एक्सप्रेसवे, सड़कें, एयरपोर्ट, और इंडस्ट्रियल कॉरिडोर जैसे कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स शुरू किए। जैसे:

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

गंगा एक्सप्रेसवे

जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट
इनसे प्रदेश में निवेश, ट्रांसपोर्ट और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई।

3. धार्मिक पर्यटन और सांस्कृतिक गौरव

योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक स्थलों के विकास को प्राथमिकता दी, जैसे:

अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण को गति देना

काशी विश्वनाथ धाम का भव्य पुनर्निर्माण

मथुरा-वृंदावन के विकास कार्य
इनसे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिला और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिली।

4. स्वच्छता और नगरीय विकास

उत्तर प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन को प्रभाव

देश में कुछ नेता ऐसे है जो बाकि बातो को लेकर अपनी छाती पीट कर चिलाने लग जाते हैं जैसे हि वोट बैंक वाला कोई मुद्दा बात हो...
08/04/2025

देश में कुछ नेता ऐसे है जो बाकि बातो को लेकर अपनी छाती पीट कर चिलाने लग जाते हैं जैसे हि वोट बैंक वाला कोई मुद्दा बात हो तो इन नेताओ के मुंह में फिकियक लग जाता हैं ऐसे नेता सिर्फ वोट के राजनीतिक करते हैं आप खुद देख लो

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