07/06/2024
ब्रांड-मोदी! अनिकेत नाम रखकर मोदी ने घर छोड़ा, कश्मीर में आतंकियों को ललकारा, कोई चुनाव नही हारे-विपक्ष को पटखनी दी, पार्टी को अर्श तक पहुंचाया, हिंदुत्व-विकास-बेदाग छवि, अपने संदेश-निर्णय में देशहित सर्वोपरि रखा, कई रिकॉर्ड तोड़े-अपने नाम किए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले रिकॉर्ड तोड़ते हुए इस चुनावी सीजन 206 रैलियां और रोड शो किए। टीवी चैनलों को करीब 80 इंटरव्यू दिए। होर्डिंग और कटआउट में हर जगह सिर्फ नरेंद्र मोदी रहे। पूरा कैंपेन मोदी की गारंटी पर फोकस था। छोटे से बड़ा नेता उन्ही पर निर्भर दिखाई दिया। उन्होंने कहा कि अभी तक जो किया ट्रेलर था, पिक्चर अभी बाकी है।
विपक्ष ने इस चुनावी सीजन नरेंद्र मोदी पर फंड्स रोकने, दो CM को जेल भेजने के आरोप लगाए। मोदी के शासन में महंगाई, बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। मोदी को तीसरा टर्म मिला तो संविधान बदलने की आशंका जताई। जनता से मोदी की तानाशाही के खिलाफ वोट देने की अपील की। 2024 लोकसभा चुनाव में 'ब्रांड मोदी' केंद्र में रहे। अब नतीजे आ चुके हैं।एक बार फिर मोदी नया रिकॉर्ड बनाते, इतिहास रचते प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।आइए एक नजर डालें उनकी जीवनी पर...
1948 में गांधी जी की हत्या के बाद RSS पर बैन लगा। 20 हजार से ज्यादा स्वयं सेवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। 1949 में बैन हटा तो नए सिरे से इसका विस्तार हुआ। गुजरात में इसकी जिम्मेदारी लक्ष्मणराव ईमानदार को मिली। इन्होंने शाखाएं बढ़ाई और कार्यकर्ता तैयार किए। 1958 में दिवाली के दिन वे शपथ दिलाते है और संबोधित करते हैं। इनकी बातों से प्रभावित हो एक 8 साल का लड़का उनसे अकेले में मिलने गया जिसका नाम था- नरेंद्र मोदी। नरेन्द्र के पिता चाय की दुकान चलाते थे और मां गृहिणी थी और घर खर्च में मदद के लिए छोटा-मोटा काम करती थीं।
मोदी के संस्कृत टीचर प्रहलाद पटेल बताते हैं कि मोदी की डिबेट और रंगमंच में खास रूचि थी। उम्र बढ़ने के साथ नए विचार पैदा हुए। मन घर के दायरे से बाहर जाने लगा। उन्होंने अपना उपनाम अनिकेत रख लिया। मोदी के बड़े भाई सोमभाई कहते हैं कि एक बार मोदी ने नमक-तेल खाना बंद कर दिया तो हमने समझा कि वैद्य बनने को राह पर है। जीवनी 'नरेंद्र मोदी द गेमचेंजर' में वरिष्ठ पत्रकार सुदेश के वर्मा लिखते हैं बचपन मे मोदी अक्सर शमिष्ठा झील में नहाने जाते थे। एक बार मगरमच्छ ने हमला कर दिया और 9 टांके लगाने पड़े। आज भी निशान बाएं पैर में है। 14 साल की उम्र में एक ज्योतिषी ने कहा था लड़का या तो एक बड़ा संत बनेगा या राजनेता।
जानकारीनुसार वडनगर के घांची जाती में शादी 3 चरण में होती थी। 3-4 साल की उम्र में सगाई, 13 साल में शादी और 18-20 में गौना। नरेंद्र मोदी ने 13 साल की उम्र में ब्राम्हणवाणा गांव की जशोदा बेन से शादी की। लेकिन 17 की उम्र में बड़े उद्देश्य की तलाश में घर छोड़ दिया। वे कलकत्ता के रामकृष्ण परमहंस मिशन के बेलूर मठ गए लेकिन स्नातक न होने से सन्यास नही मिला। इसके बाद पूर्वोत्तर, अल्मोड़ा, हिमालय और दिल्ली-राजस्थान गए। 2 साल बाद घर लौटे लेकिन फिर 17 दिन बाद चले गए और अहमदाबाद मेंअपने चाचा की कैंटीन में काम करने लगे। वहां एक बार फिर मोदी की मुलाकात संघ प्रचारक लक्ष्मण राव से हुई। वे उन्हें अपने साथ ले गए। वे मोदी को अपना बेटा मानने लगे और मोदी उन्हें अपना गुरु। फिर धीरे धीरे प्रचारक बन गए। 1973-74 में नवनिर्माण आंदोलन से जुड़े। इमरजेंसी के दौरान विपक्षी नेताओं की मदद किए। गिरफ्तारी से बचने के लिए सरदार का वेश बनाए।
1979 में मोरबी मच्छु नदी का डैम टूटा तो मोदी अपने स्वयंसेवकों के साथ वहां पहुंचे और कई दिनों तक इंसानों-पशुओं की लाशें उठाते रहे और अंतिम संस्कार किया। 1981 में मेहनत देख संघ ने उन्हें प्रान्त प्रचारक बना दिया। 1980 में बीजेपी अस्तित्व में आ चुकी थी। आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष बने तो मोदी को गुजरात इकाई का संगठन सचिव बना दिया। यहीं से राजनीति में इंट्री हुई। 1987 के निकाय चुनाव में मोदी की स्ट्रेटजी ने जीत दिलाई। मोदी ने एलान किया कि जिसे भी विधानसभा चुनाव लड़ना है रथनुमा गाड़ी में बीजेपी के झंडे-पोस्टर-नारों के साथ सजाकर यात्रा करते अहमदाबाद आए। सैकड़ो रथ आ पहुंचे। उन्हें टिकट मिला या नही लेकिन बीजपी का प्रचार जरूर हो गया। लंबे नारों की प्रथा तोड़ छोटे नारे गढ़े। 1989 लोकसभा चुनाव में 14 में 11 सीट जीती। 1990 विधानसभा चुनाव में जनता दल से गठबंधन कर 182 में 68 सीट पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई। रामजन्मभूमि आंदोलन में गुजरात मे रथयात्रा की जिम्मेदारी मोदी को दी गई। इसमे उमड़े जानसैलाब को देख महाराष्ट्र प्रभारी भौचक्के रह गए। 1991 में मुरली मनोहर जोशी ने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक एकता यात्रा निकाली। इसकीभी जिम्मेदारी मोदी को दी गई। 24 जनवरी 1992 को श्रीनगर में मोदी ने कहा- लाल चौक में पोस्टर लगे हैं कि जिसने अपनी मां का दूध पिया है वो श्रीनगर में तिरंगा फहराए। अगर वो जिंदा वापस गया तो आतंकवादी उसे इनाम देंगे। आतंकवादी कान खोलकर सुन लें गाजे-बाजे के साथ आ रहे है लाल-चौक, तुम्हारे पास जितना गोला-बारूद-गोली हो तैयार रख लेना, आ रहे हैं, 26 जनवरी को फैसला हो जाएग। 26 जनवरी को मोदी ने लाल चौक पर तिरंगा फहराया जिससे वे सबके चहेते बन गए।
जब मोदी संगठन में महामंत्री पड़ संभलते थे तो केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला का दबदबा था। मोदी केशुभाई का साथ देना शुरू किए उन्हें अपना राजनीतिक गुरु भी मानते थे। मोदी हमेशा अलग रहने-करने की कोशिश करते थे। 1995 में गुजरात मे बीजेपी जीती तो केशुभाई पटेल के नेतृत्व में सरकार बनी। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में वाघेला को तवज्जो नही दी जिससे बगावत शुरू हो गया। मामला इतना बढ़ा कि अटल बिहारी वाजपेयी को अहमदाबाद में कैंप करना पड़ा। मान मनौव्वल के बाद वाघेला माने और मोदी को राजनीतिक वनवास मिला। उन्हें राज्य से हटा दिल्ली में राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया। उठा पटक के बीच 1998 में फिर पटेल सीएम बने। इस बीच मोदी दिल्ली से गुजरात जाने के रास्ता बनाते रहे। कहा जाता है कि मोदी केशुभाई पटेल के खिलाफ दिल्ली में माहौल बनाने लगे। मेहनत रंग लाई और केशुभाई को पदमुक्त करने का फैसला लिया गया। 1 अक्टूबर 2001 को मोदी के पास पीएम आवास से फोन आया कि तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें बुलाया है। जब मोदी मिलने गए तो अटल बोले दिल्ली में पंजाबी खाना खाकर बहुत मोटे हो गए हो अब गुजरात लौट जाओ। 7 अक्तूबर 2001 को गुजरात सीएम के तौर पर शपथ लिए। मोदी न कभी विधायक रहे और न मंत्री, सीधा सीएम बन गए। उन्होंने सरकारी मशीनरी और ब्यूरोक्रेसी को समझने के लिए उन्हें ध्यान से सुनने समझने लगे। 2002 में गोधरा कांड हुआ। दंगे भड़के। अटल जी को दखल देना पड़ा। लेकिन फिर सूझ बूझ से कुछ दिनों में सब शांत हो गया।
2008 में बंगाल में रतन टाटा ने अपनी एक फैक्ट्री किसान आंदोलन के कारण बंद करने के एलान किया। तो मोदी ने उन्हें sms भेज कहा- गुजरात मे आपका स्वागत है। 4 दिन बाद टाटा ने एलान किया कि गुजरात मे नैनो प्लांट लगाएंगे। मोदी की सरकारी नीतियों के कारण कई फैक्ट्री गुजरात की तरफ भागने लगीं। उन्होंने गुजरात मॉडल को बढावा दिया। गुजरात मॉडल का हवाला दे केंद्र की मनमोहन सरकार को घेरने लगे। उनकी शैली से काफी लोग प्रभावित हुए और हर ओर टीवी-अखबार में मोदी छा गए। उनकी सरकार पर आक्रामक छवि उनको आगे ले गई। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा- 'मोदी ने दिल्ली हिलाई'। 2013 में मोदी को सेंट्रल कैंपेन कमेटी का चेयरमैन घोषित कर दिया गया। इससे नाराज आडवाणी ने इस्तीफा दे दिया। हालांकि बाद में मनाने पर वापस ले लिया। 13 सितंबर 2013 को उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। 2014 में बीजेपी ने 282 और फिर 2019 में 303 सीट जीत नया मुकाम बनाया। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद तमाम राज्यों में बीजेपी ने सरकार बना नया आयाम रचा। मोदी लगातार 10 सालों से प्रधानमंत्री हैं। अब फिर 2024 में प्रधानमंत्री पद का शपथ लेने जा रहे है और नेहरू की बराबरी कर नया इतिहास रचने वाले है।