19/06/2025
कानपुर नगर में सीएमओ और जिलाधिकारी के बीच चल रहे आपसी द्वंद में सबने अपने अपने विचार रखे,, अधिकारियों और नेताओं के बीच आम जनता भी मैदान में आ गयी,, सब खुलकर अपनी अपनी बात रखते रहे,, चाहे सही बात की जानकारी हो या न हो,, सब अपने अपने नेता के द्वारा जारी पत्रो को सही बताने में अपनी सम्पूर्ण क्षमता का प्रदर्शन करते दिखे,
जिलाधिकारी महोदय अपनी जिस कार्यशैली को लेकर चर्चा में आये, उसी कार्यशैली ने विवाद खड़ा कर दिया,, मतलब उस कार्यशैली में कुछ तो कमी रही होगी,, वहीं सीएमओ साहब अपनी जमी जमाई सीट पर आंच न आये इसके लिए अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान मजबूत करते दिखे,,
जिलाधिकारी जिले का मुखिया होता है, और अपने अधीनस्थों के मानसम्मान बनाये रखने की जिम्मेदारी भी मुखिया की ही होती है, लेकिन मिली जानकारी अनुसार जिलाधिकारी द्वारा अपने छापामार प्रक्रिया के दौरान विभागाध्यक्षों का अपमान किया जाता रहा,, और छापा प्रक्रिया के बाद जिलाधिकारी महोदय द्वारा कितनी बड़ी बड़ी कार्यवाही की गई जबकि छापे के दौरान बड़ी बड़ी गड़बड़ी और झालझोल पकड़े थे, मतलब छापा और गड़बड़ी के बाद कार्यवाही न होने के बीच क्या कोई संदेह जैसी स्थिति को स्पष्ट नही करता है,, और सीएमओ साहब भी कम नही है, अपने अधिकारी के आदेश को मानने के बजाय नेतानगरी पर विश्वास ज्यादा कर गए, जबकि दामन पर बड़े बड़े दाग लिए बैठे है, शहर में इलाज के नाम पर बड़ी लूट मची है, उस पर कार्यवाही करने के बजाय उनका समर्थन करने वाले सीएमओ साहब भी कोई दूध के धुले नही है, जनता भी ऐसे अधिकारियों के दिखावेबाजी के बहकावे में आकर अपने नेताओं का आंख कान नाक बंद कर पूरा समर्थन कर रहे है
अरे भाई,, ये अधिकारी है, और वही अधिकारी है, जो आम जनता की बात बिना सिफारिस के नही सुनते है, और जब सिफारिस के द्वारा ही बात सुनवानी है, तो फिर चाहे जो हो, उनकी बड़ाई और प्रशंसा किस लिए,,
प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर तत्काल दोनों को जिले के बाहर कर देना चाहिए,, ताकि आम जनता को अधिकारियों की आपसी लड़ाई का शिकार न बनना पड़े,,