'श्री' का मन बचपन से ही आध्यात्मिक गतिविधियों पर ही आकर्षित होता रहा है, परिवार में भी पूजा पाठ का माहौल था तो श्री के आध्यात्मिक मन को और बल मिला , माता - पिता ने भी 'श्री' के इस भाव को समझा और भवगत गीता का पाठ करने का मार्गदर्शन किया , आज श्री जिस तरह से गीता का पाठ करती है और उसके ज्ञान को अपनी मधुर वाणी में आम जन मानस तक पहुँचाने का श्रेष्ठ कार्य कर रही हैं वो श्रीकृष्ण भगवान की ही कृपा का ही
परिणाम है, श्री अपने पिता की भांति समाजसेवा के कार्यों में बेहद रुचि लेती हैं और प्रतिदिन अपने हाथों से श्री किशोरी फाउंडेशन के द्वारा ज़रूरतमंद लोगों को भोजन कराती हैं , बेहद कम उम्र में श्री अपनी पढ़ाई के साथ साथ आध्यात्मिक ज्ञान को अर्जित करने में अपने समय का सदुपयोग करती हैं और अपने समकक्ष मित्रों और सभी लोगों को सलाह देती हैं कि वो भी अपने जीवन के महत्व को समझें और समय का सदुपयोग करें, जीवन मे कुछ ऐसा करें जिससे आप अपने शहर ,माता पिता और देश का नाम रौशन करें ।