
23/09/2025
#पुस्तक_समीक्षा
पुस्तक - किसी अजनबी के प्यार में
लेखिका – रेणु मिश्रा
प्रकाशक – हिन्द युग्म .yugm
कभी-कभी किताबें हमें कहानियाँ नहीं, बल्कि आईने देती हैं—ऐसे आईने जिनमें हम अपना अकेलापन, अपने रिश्ते और अपने भीतर की अनकही धड़कनें साफ़ देख सकते हैं। रेणु मिश्रा जी का पहला कहानी-संग्रह "किसी अजनबी के प्यार में" मेरे लिए ऐसी ही किताब रही।
बारह कहानियाँ हैं इसमें, लेकिन सच कहूँ तो ये बारह खिड़कियाँ हैं—हर खिड़की से झाँकते हुए हमें ज़िंदगी का कोई अलग रंग दिखता है। कहीं मोहब्बत है जो नाम की मोहताज़ नहीं, कहीं औरत का वो साहस है जो चुप्पी से बाहर निकलकर अपनी बात कहता है, और कहीं रिश्तों का वो दर्द है जिसे हम सबने कभी-न-कभी चुपचाप जिया है।
नीलाक्षी और कुणाल की कहानी ने मुझे रोक लिया—जैसे किसी पुराने मोड़ पर खड़े होकर अपने बीते हुए पल याद आ जाएँ। वहीं ‘जिया ओ जिया’ या ‘वो सर्दियों के दिन थे’ जैसी कहानियाँ पढ़ते समय लगा कि लेखक ने मेरे दिल के ही किसी पन्ने को शब्दों में बदल दिया है।
इस संग्रह की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि यह स्त्री को सिर्फ़ रिश्तों की परिभाषाओं में कैद नहीं करती। यहाँ स्त्री बोलती है, निर्णय लेती है और अपने भीतर छुपी इच्छाओं को खुलकर जीती है। यही बात इन कहानियों को अलग और ज़्यादा सशक्त बनाती है।
भाषा की सादगी और संवेदनाओं की गहराई—यही इस किताब का जादू है। कहीं भारी-भरकम शब्द नहीं, कहीं सजावट का दिखावा नहीं—बस सीधे दिल से निकले हुए लम्हे, जो पढ़ने वाले के भीतर उतरकर देर तक रहते हैं।
"किसी अजनबी के प्यार में" सिर्फ़ पढ़ने की चीज़ नहीं है, यह महसूस करने का अनुभव है। यह किताब आपको हँसाएगी भी, रुलाएगी भी, और कभी-कभी चुप कर देगी। लेकिन जब किताब बंद करेंगे तो अपने साथ यह एहसास लेकर उठेंगे कि कहानियाँ दरअसल ज़िंदगी का ही दूसरा नाम हैं।
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