
13/01/2025
प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर मांगे गए शपथ पत्र पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य पार्थ सारथी सेन शर्मा पर हाई कोर्ट सख्त
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में रोक लगाई परंतु निचले स्तर पर पूरी तरह से भ्रष्टाचारियो ने नाकाम कर दिया
कानपुर मेडिकल कॉलेज में सर्वाधिक प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले लोग इसके बारे में शहर के अधिकारी जानकर भी अनजान बने हुए हैं
कई वर्षों पूर्व प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों को पकड़ने के लिए बनी कमेटी सफेद हाथी साबित हुई
शाशन द्वारा राघवेंद्र गुप्ता पर कार्रवाई के बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग की आंखें खुली
प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले कानपुर मेडिकल कॉलेज के कई चिकित्सकों की सूची पत्रकारों के पास मौजूद
जिलाधिकारी को नाम स्थान सहित फोटोग्राफ के साथ प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए डॉक्टरों की सूची सौंप जाएगी
The Nation news 18
कानपुर : उत्तर प्रदेश में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरो का हमेशा ही बोलबाला रहा सरकार द्वारा उन पर कई बार अंकुश लगाया गया माननीय उच्चतम न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस पर सुनवाई हुई और सभी ने इनको निरंकुश साबित करते हुए कहा कि अस्पतालों में यह लापरवाही कर मरीजों को अपने नर्सिंग होम में भेजते हैं| इसके कई सामने भी आ चुके थे परंतु चिकित्सा शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी द्वारा कोई भी इस पर अमल में कार्रवाई नहीं लाई गई | जिससे इन प्राइवेट प्रैक्टिस वाले डॉक्टर के हौसले बुलंद होते रहे और इसी का खामियाजा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर राजेंद्र गुप्ता को भुगतना पड़ा | कानपुर मेडिकल कॉलेज की बात अगर करी जाए तो यह हमेशा सुर्खियों में रहा है और प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों में सबसे ज्यादा तादाद कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की है ऐसे डॉक्टरों की सूची द नेशनल न्यूज़ 18 के पास मौजूद है| उनके डॉक्टरों की सूची भी है जो किस-किस विभाग के हैं और किस-किस स्थान पर बैठकर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं |
मेडिकल कॉलेज कानपुर के आंख के चिकित्सक काली मठिया के पास बैठते हैं बाल रोग के एक चिकित्सा के छपेड़ा पुलिया के पास अपना क्लीनिक बना रखा है न्यूरो सर्जरी के एक चिकित्सक ने अपना घर पर ही क्लीनिक खोल रखा है मोती झील के पासऐसे दर्जनों चिकित्सक हैं मेडिकल कॉलेज के जिसकी जानकारी मेडिकल कॉलेज के आला अफसर को भी है और वह पूरी तरह से आंख बंद करके बैठे हुए हैं | शासन द्वारा उच्च न्यायालय द्वारा जब कमेटी गठित की गई तो इस पर जांच की जाए कि अब तक कितने प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक उनके द्वारा पकड़े गए और उन पर क्या कार्रवाई हुई उनके नाम इनसे पूछे जाए कई वर्षों से यह व्यवस्था लागू है परंतु डॉक्टर राघवेंद्र गुप्ता के अलावा अब तक किसी पर भी इस तरह की कार्रवाई नहीं की गई |
इसके चलते यहां के डॉक्टर के हौसले बुलंद है और प्राइवेट प्रैक्टिस करने से बाज नहीं आ रहे हैं इस तरह की प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों की सूचना जिला अधिकारी व कमिश्नर को सीधे दी जाएगी ताकि उन पर कार्यवाही हो सके | सूत्रो के अनुसार कानपुर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक पूरी तरह से निरंकुश है और खुलेआम प्राइवेट प्रैक्टिस ही नहीं करते हैं नियम कानून को धता बताकर हैलटअस्पताल के एक प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक रात में 12:00 तक अपना कार्यालय खोलकर बंदर बांट करते हैं जरा यह सोचिए कि 12:00 बजे रात तक कार्यालय क्यों खोला जाता है | सबसे अहम बात यह है कि मेडिकल कॉलेज में एक सजातीय गैंग को ही वरिष्ठ पदों पर तैनात कर दिया गया है और सारा लेनदेन उनके ही माध्यम से होता है |
माननीय कल्याणपुर की विधायिका द्वारा भी इस पर शिकायत की जा चुकी है परंतु अब यह भ्रष्टाचारी चिकित्सक जो मरीज के साथ खिलवाड़ करते थे और मुंह मांगी रकम वसूल करने के लिए अपने निजी प्रैक्टिस नर्सिंग होम में भेजते थे | अब उनकी आफत आ जाएगी क्योंकि ऐसे डॉक्टरों से राजनीतिक नेता ही नहीं कई आम आदमी इतना परेशान हो चुका हैकि वह इसकी शिकायत तक नहीं ऊपर तक कर पता है आदमी इलाज करने आता है डर कर चुपचाप इनकी धमकियां वह अश्लील बातें सहन करता है |
नर्सिंग होम में जाने पर उनका उपचार करके लाखों करोड़ों रुपए उनसे वसूल लेते हैं और उन्हें कंगाल बनाया जा रहा था | शासन द्वारा एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने से कोई सुधार नहीं होगा ऐसे सैकड़ो चिकित्सक हैं जिनकी फाइल प्रमुख चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सचिव के कार्यालय में दबी पड़ी है उनके यहां के भ्रष्टाचार करने वाले कर्मचारी दबे हुए हैं | महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के यहां भी कई फाइलें दबाई हुई है जो महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की नजरों में नहीं आने देते हैं और मनमाने तरीके से कार्य हो रहे हैं | माननीय उच्च न्यायालय का हंटर चलने के बाद 10 फरवरी को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्या शपथ पत्र देते हैं इस पर सब की नज़रें टिकी हुई है हाई कोर्ट उन पर कड़ी कार्रवाई भी कर सकता है क्योंकि कई शिकायतें पूर्व में भी माननीय उच्च न्यायालय तक में सीधे की जा चुकी हैं और हाईकोर्ट द्वारा उस पर सुनवाई भी की गई है |