20/09/2025
“बेटी कहाँ है… किस हाल में होगी?”
27 अगस्त की दोपहर से महक वर्मा लापता है।
सिर्फ़ 18 बरस की नन्हीं उम्र, जिसने अभी जीवन के सपने सँजोने भी शुरू ही किए थे।
पर आज न जाने वह किस अंधेरे में है, किस पीड़ा में होगी…
भूखी होगी या रो रही होगी, किस अजनबी के बीच सहमी बैठी होगी?
उसकी माँ शकुन्तला वर्मा हर दरवाज़े पर जाकर एक ही सवाल दोहराती हैं।
“कहाँ है मेरी बच्ची? कौन लौटाएगा मेरी महक को?”
थाने में गुहार लगाई, तस्वीर दिखाई, पर जवाब मिला बस खानापूरी और आश्वासन का ढेर।
माँ की आँखें अब सूख चुकी हैं, आँसू भी मानो हार मान चुके हों।
पिता का हाल उससे भी अधिक करुण है।
बुजुर्ग कंधे काँपते हैं, और वे बस यही कहते हैं।
“मेरी बेटी ने मुझे ‘पापा’ कहकर पुकारा था…
अब वही आवाज़ मुझे ढूँढने पर भी सुनाई नहीं देती।”
गुरसहायगंज में किसी ने कहा महक को देखा था,
कानपुर सेंट्रल में भी सुराग मिला था।
पर पुलिस हर बार टालती रही।
मानो बेटी खो जाना कोई मामूली हादसा हो।
लेकिन यह हादसा मामूली नहीं है।
यह एक माँ की धड़कन है, एक पिता की आँखों का उजाला है,
जो छीन लिया गया और सत्ता व पुलिस के ढुलमुल रवैये ने उस अंधेरे को और गहरा कर दिया।
अब मोहल्ले का हर बच्चा, हर माँ, हर बाप सवाल कर रहा है।
“क्या इस देश में बेटियाँ अब सुरक्षित नहीं रहीं?
क्या पुलिस का काम सिर्फ़ बहाने बनाना है?
क्या एक माँ की चीख और पिता की आह शासन के कानों तक कभी नहीं पहुँचेगी?”
आज यह कहानी सिर्फ़ महक की नहीं,
यह हर उस बेटी की है जो सड़कों पर असुरक्षित है,
हर उस माँ की है जो दरवाज़े पर बैठकर अपनी बच्ची का इंतज़ार कर रही है,
और हर उस पिता की है जिसकी उम्मीदें अब सवालों में बदल चुकी हैं।
“महक कहाँ है? किस हाल में होगी?
क्यों सरकार और प्रशासन चुप हैं?
क्यों एक परिवार की धड़कन को ऐसे तड़पने दिया जा रहा है?”
🙏🙏 करबद्ध प्रार्थना 🙏🙏
मेरे समस्त मित्रों, भाइयों-बहनों और देशवासियों से हाथ जोड़कर निवेदन है
हमारे मोहल्ले, गाँव, कस्बे, शहर, प्रदेश और देश के कोने-कोने तक यह पुकार पहुँचे।
फेथफुलगंज की महक वर्मा 27 अगस्त से लापता है।
उसकी माँ की आँखें रो-रोकर सूख गई हैं, पिता की आत्मा कराह रही है।
हर दिन, हर पल उनका एक ही सवाल है
“कहाँ है हमारी बेटी? किस हाल में होगी?”
आज उन्हें सिर्फ़ हमारी आवाज़, हमारा साथ चाहिए।
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ताकि शासन-प्रशासन की नींद टूटे, उनकी आत्मा को झकझोरने वाली यह पीड़ा उनके कानों तक पहुँचे।
एक बेटी को ढूँढने की यह लड़ाई केवल एक परिवार की नहीं,
यह हम सबकी सामूहिक जि