
14/07/2025
🌙 नबी करीम ﷺ ने फरमाया:
"बनी इस्राईल में एक शख़्स था जिसने 99 ख़ून नाहक़ किए थे।
फिर वह नादिम होकर मसअला पूछने निकला।
वह एक दरवेश के पास आया और उस से पूछा —
क्या इस गुनाह से तौबा क़बूल होने की कोई सूरत है?
दरवेश ने जवाब दिया: ❌ 'नहीं।'
यह सुन कर उसने उस दरवेश को भी क़त्ल कर दिया
(और 100 ख़ून पूरे कर दिए)।
फिर वह (दूसरों से) पूछने लगा।
आख़िर उसे एक दरवेश ने बताया कि:
'फलाँ बस्ती में चला जा।'
वह आधे रास्ते में था कि मौत वाक़े हो गई।
मरते-मरते उसने अपना सीना उस बस्ती की तरफ़ झुका दिया।
💥 रहमत के फ़रिश्तों और अज़ाब के फ़रिश्तों में झगड़ा हुआ
(कि कौन उसे ले जाए)।
लेकिन अल्लाह तआला ने उस बस्ती को हुक्म दिया:
उसकी नअश से क़रीब हो जा,
और दूसरी बस्ती को हुक्म दिया:
उससे दूर हो जा।
📏 फिर फ़रिश्तों को हुक्म दिया गया:
अब दोनों का फ़ासिला देखो।
जब नापा गया, तो तौबा की बस्ती एक बालिश्त नज़दीक निकली,
इसलिए वह बख़्श दिया गया।
Sahih Bukhari 📚 3470
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✅ वज़ाहत:
यह हदीस बताती है:
कि तौबा करने वाला, अगर सच्चे दिल से लौटे,
तो अल्लाह उसे ज़रूर बख़्श देता है,
चाहे उसके गुनाह कितने ही बड़े क्यों न हों।