11/09/2025
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और प्रचारकों ने अपने प्रिय स्वयंसेवक स्व ओंकार अवस्थी को दी श्रद्धांजलि।
श्रंद्धाजलि सभा का संचालन कर रहे कानपुर विभाग सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख श्री अनिल जी ने ओंकार जी के उपस्थित परिवारीजनों का परिचय कराया और ओंकार जी के व्यक्तिगत जीवन और संघ जीवन पर प्रकाश डाला।
2 अगस्त 1980 कानपुर में जन्म हुआ। मूल रुप से खजुआ फतेहपुर के रहने वाले थे। 1930 में बाबा जी कानपुर में म्योर मील में क्लर्क की नौकरी लग गई उसके बाद किदवई नगर में 1950 में मकान लिया और यहीं बस गए। बाबा जी भी संघ के स्वयंसेवक थे। ओंकार जी के पिता श्री कृष्ण मुरारी अवस्थी (78 वर्ष) के हैं। छोटे भाई पुनीत जी शाखा कार्यवाह थे
21 फरवरी 2002 में फूड प्वाइजनिंग के कारण नहीं रहे।
बहन श्री मती लोचन तिवारी भी शुरुआत में शाखा जाती थीं बाद में सेविका समिति से भी जुड़ीं रहीं। और प्रशिक्षण वर्ग भी किया। अभी एक प्राईवेट विद्यालय में अध्यापन कार्य करती हैं।
1991 में राममंदिर आंदोलन हेतु विश्व हिन्दू परिषद द्वारा चलाये जा रहे अभियान के माध्यम से संघ के निकट आये। 1992 में उस समय के सक्रिय स्वयंसेवक श्री प्रद्दुत गुहा जी के साथ शरद प्रभात शाखा में जाना शुरू हुआ।
1997 हाईस्कूल की परिक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की
97,98 सूर्या फाउंडेशन दिल्ली में रहे
1999 इंटर की परिक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की
2002 B.com. Dav कालेज कानपुर
2004 - M.com Dav कालेज कानपुर
2009 स्पेशल शिक्षा से Bed दिल्ली से (विकलांग बच्चों को पढ़ाने के लिए)
2010 में विशेष शिक्षक के रुप में हरदोई में ज्वाइन किया।
1996 संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष
1998 में संघ शिक्षा वर्ग द्वितीय वर्ष
2002 संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष
युधिष्ठिर शाखा मुख्य शिक्षक, शाखा कार्यवाह
2000-2002 मंडल कार्यवाह
2003- 2007 समर्थ नगर सायं कार्यवाह
2007-2012 जिला सायं कार्यवाह कानपुर दक्षिण
2012-2015 विभाग शारीरिक प्रमुख, कानपुर विभाग
2015-2018 सह प्रान्त शारीरिक प्रमुख
2018 से अभी तक - प्रान्त शारीरिक प्रमुख के दायित्व पर रहे।
2019- विश्व संवाद केंद्र कानपुर के सचिव भी रहे।
2000- 2006 तक नियमित प्राथमिक शिक्षा वर्गों में शिक्षक एवं मुख्य शिक्षक की भूमिका में रहे।
2007 से 2024 तक लगातार प्रांत के संघ शिक्षा वर्ग में शिक्षक, वाहिनी प्रमुख, मुख्य शिक्षक, शारीरिक प्रमुख, वर्ग पालक, वर्ग कार्यवाह आदि की भूमिका में रहते रहे।
पिछले मार्च 2025 से बीमारी के कारण बैठक एवं वर्गों में आना जाना बंद हो गया था लेकिन संगठन के के लिए तड़प बराबर बनी रही।
कल सायंकाल आयोजित श्रद्धांजलि सभा में संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं वरिष्ठ प्रचारकों ने तथा साथ में काम करने वाले कार्यकर्ताओं ने अपने विचार एवं श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
👉🏽कानपुर विभाग के पूर्व विभाग कार्यवाह एवं वर्तमान ने विभाग कार्यकारणी सदस्य श्री ज्ञानेंद्र मिश्र जी ने कहा--
तंन कटवायो मन कटवायो अंग अंग छिदवायो ता पर भी मैं ऐसी बजी जैसा मोहन ने स्वर चाहा का उदाहरण देकर ओंकार जी की विशेषताओं का वर्णन किया।
भाई के निधन की सूचना के पश्चात ओंकार जी से मिलना हुआ कार्यकर्ताओं की चिंता करना यह ओंकार की विशेषता थी मेरे हृदय के अत्यंत निकट थे। 45 वर्ष की आयु में कार्यकर्ता का जाना बहुत दुखद है संगठन की एवं मेरी व्यक्तिगत अपूर्णीय छति हुई है।
👉🏽 भाजपा नेता सरदार विकी छाबड़ा जी ने कहा --
मैं पिछले 32 वर्षों से संघ से जुड़ा हूं संघ के कार्यक्रमों में ओंकार जी से लगातार मिलना होता था। श्री गुरू पूजन के कार्यक्रम में ओंकार जी ने ही हमको धोती पहनना सिखाया शोकाकुल परिवार के साथ मैं हमेशा खड़ा हूं। ओंकार जी इन पंक्तियों को सार्थक कर गए
कोई चलता पग चिन्नहों पर कोई पग चिन्ह बनाता है।
है वही सूरमा इस जग में दुनिया में पूजा जाता है।।
👉🏽 पूर्व प्रांत प्रचारक एवं इंद्रप्रस्थ क्षेत्र VHP के क्षेत्र संगठन मंत्री श्री मुकेश विनायक खांडेकर जी ने कहा---
कानपुर में जब सायं की शाखा का स्वर्णिम काल था उस समय मुझे भी कानपुर में कार्य करने का सौभाग्य मिला।
जिस प्रकार ब्रह्मांड में ओंकार की ध्वनि गूंजती रहती है उसी प्रकार संघ में भी ओंकार जी सदैव सक्रिय भूमिका में रहे कानपुर प्रांत ने एक ऐसा कार्यकर्ता खोया है जिसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है। उन्होंने अपने व्यवहार से कार्यकर्ताओं को संघ सिखाया और व्यवहार से ही संघ के सिद्धांतों का प्रचार किया। कुटुंब को जोड़कर चलना सबको साथ लेकर संघ में चलना यह ओंकार जी की विशेषता थी बीमारी की अवस्था में भी डॉक्टर के मना करने के बाद भी हठ करके संघ शिक्षा वर्ग में गए।
जिस पिता के सामने उसके दो नौजवान पुत्र नहीं रहे उनकी पीड़ा को कौन सुने कौन उन्हें सहारा दे उस पिता की पीड़ा की कल्पना नहीं की जा सकती है।
ओंकार जी के जैसा व्यवहार हम सब का बने संघ का आचरण हम सब में उतरे यही कामना है। परमात्मा उन्हें सद्गति दे एवं ईश्वर उन्हें पूर्वजन्म दे ताकि उनके अधूरे कार्य पूरे हो सके।
👉🏽 विभाग साहब बौद्धिक शिक्षण प्रमुख श्री किंजल्क जी ने कहा कि ---
1995 में मेरा ओंकार जी से परिचय हुआ उस समय मेरे पास शायं शाखाओं की जिम्मेदारी थी ओंकार जी का बालपन था ओंकार जी का जीवन बहुत ही संघर्ष पूर्ण रहा सायं की शाखों को बढ़ाने में ओंकार जी का उल्लेखनीय योगदान रहा अनुशासन को व्यवहार में लाने की तड़प ओंकार जी में सदैव दिखती थी।
👉🏽 विभाग सह प्रचार प्रमुख श्री प्रवीण ने कहा
ओंकार जी से 2002 में छोटे भाई के निधन के बाद नजदीकियां बढ़ीं और 2007 से साथ में ही रहने लगे। 2007 से 2019 तक उनके साथ ही रहे। इस बीच उनके जीवन के बहुत सारे उतार चढ़ाव देखे। भाई का निधन, दादी का निधन, मकान का बिकना, दीदी का विवाह, आर्थिक संकट, माता जी का पैरालिसिस हो जाना 4 वर्ष तक उनकी सेवा संविदा की नौकरी स्वयं का विवाह 2-3 बार भाभी जी का मिसकैरेज होना। इस बीच के सभी खुशी और कष्ट के क्षणों में सथ रहा।
ओंकार जी को आदर्श स्वयंसेवक बनाने में श्री ज्ञानेंद्र मिश्र जी, श्री आशुतोष जी, श्री अशोक जी, श्री किंजल्क जी एवं शीलनिधी जी का विशेष योगदान रहा।
अपनी उम्र से बहुत छोटे छोटे कार्यकर्ताओं की समस्यायों को बहुत गंभीरता से लेते थे और उसके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करते थे।
प्रारंभ से ही सुदीप सिंह, अविनाश जी, प्रवीण जी, अजय सिंह, सत्यम जी, आदर्श कटियार, मंदीप तिवारी जी, सचिन, शालीन, विवेक, नीरज जैसे कार्यकर्ताओं की पढ़ाई, नौकरी, विवाह आदि सभी प्रकार की चिंता की।
बीमारी के बारे में और अंतिम समय के विषय में भी विस्तार से बताया।
👉🏽 किदवई नगर विधानसभा के विधायक श्री महेश त्रिवेदी जी ने कहा ----
ओंकार जी को देखकर संघ दिखता था उन्हें अनुशासित देखकर स्वयं अनुशासित होने की प्रेरणा मिलती थी। संघ का कार्यकर्ता कैसा होना चाहिए यह ओंकार जी को देखकर के ही समझ में आ जाता था। ओंकार जी जैसे कार्यकर्ता को खोना हम सबके लिए अत्यंत दुख का विषय है।
👉🏽 विश्व हिंदू परिषद के विभाग मंत्री श्री गौरांग जी ने कहा----
ओमकार जी मेरे छोटे भाई के समान थे। परिवार से मेरे आत्मीय संबंध हैं।
झांसी के संघ शिक्षा वर्ग में ओंकार जी शारीरिक प्रमुख थे मैं बौद्धिक प्रमुख था। मुझे वर्ग में ओंकार जी सीखने का अवसर मिला। एक कुशल व्यवस्थापक के रूप में हम सभी का मार्गदर्शन किया। संगठन की एवं परिवार की अपूर्ण क्षति हुई है इसकी भरपाई नहीं हो सकती है।
👉🏽 क्रीड़ा भारती की प्रांत मंत्री श्रीमती नीतू कटियार जी ने कहा कि ----
जब मैं राष्ट्र सेविका समिति की कार्यकर्ता थी तभी से ओंकार जी भाई साहब से मेरा परिचय आया अत्यंत सरल स्वभाव के व्यक्ति थे हमेशा उनसे मुझे मार्गदर्शन मिलता था मेरा दुर्भाग्य रहा कि मैं उनके अंतिम दर्शन नहीं कर सकी।
👉🏽 श्री निशांत जी ने कहा
ओंकार जी मेरे सबसे छोटे बहनोई थे मेरे पिताजी के न रहने पर संघ परिवार ने मुझे बहुत स्नेह दिया। श्री मुकेश खांडेकर जी से पिता जैसा स्नेह मिला मुकेश जी की प्रेरणा से ओंकार जी और मेरी बहन का संबंध हुआ मेरा सौभाग्य रहा कि ओंकार जी के अंतिम समय में मैं और मेरी पत्नी को उनकी सेवा करने का अवसर मिला।
👉🏽 झांसी विभाग कार्यवाह श्री धर्मेन्द्र जी ने कहा ---
संघ शिक्षा वर्गों में मेरा ओंकार जी भाई साहब से परिचय आया किसी कार्यक्रम में शारीरिक के संबंध में कुछ भी जानकारी लेनी होती थी मैं तुरंत ओंकार जी भाई साहब से संपर्क करता था वह सदैव मार्गदर्शन करते थे उनका सानिध्य मेरे लिए अभूतपूर्व रहा। ओंकार जी अपने कार्यकर्ताओं के लिए दिन-रात खड़े रहते थे। मैंने व्यक्तिगत रूप से अपना एक मार्गदर्शक खो दिया इसका दुख आजीवन रहेगा।
👉🏽 क्षेत्र शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री अखिलेश जी ने कहा
1997 में ओंकार जी से मेरा संपर्क इसी सभागार में हुआ जिसमें आज श्रद्धांजलि का कार्यक्रम हो रहा है। सबको साथ लेकर चलना और संघ को व्यवहार में लाना यह ओंकार जी से हम सबको सीखना चाहिए ओंकार जी जैसे कार्यकर्ता हम सभी के लिए प्रेरणादाई हैं।
👉🏽 बहन श्रीमती लोचन तिवारी जी ने कहा ---
ओंकार की प्रेरणा और प्रयासों से मैं राष्ट्र सेविका समिति से जुड़ी और प्रशिक्षण वर्ग प्राप्त किया। नि: शब्द और स्तब्ध जैसे शब्दों का अर्थ मुझे अब समझ में आया।
👉🏽 विभाग कार्यवाह कानपुर श्री साहब लाल जी ने कहा
शुद्ध सात्विक के प्रेम अपने कार्य का आधार है यह ओंकार जी में कूट-कूट कर भरा था। मेरा परिचय ओंकार जी से 1998 में हुआ ओंकार जी के जैसा कार्यकर्ता हम सभी को मिलना सौभाग्य है।
👉🏽 प्रांत कार्यकारिणी सदस्य एवं विश्व संवाद केंद्र कानपुर अध्यक्ष श्री अजीत अग्रवाल जी ने कहा
ओंकार जी का संघ जीवन 34 वर्ष का रहा परिवार से मेरा बहुत पुराना जुड़ाव रहा ओंकार जी की ससुराल से तो मेरा बचपन से ही जुडाव रहा। 2021 में प्रांत का घोष वर्ग लगा उस वर्ग में मैं वर्ग कार्यवाह और ओंकार जी साह वर्ग कार्यवाह थे उस वर्ग से ही मेरी ओंकार जी से निकटता बढ़ी मैने ओंकार जी से वर्ग में बहुत कुछ सीखा मेरी हर समस्या में मुझे पूर्ण सहयोग करते थे। विश्व संवाद केंद्र में भी मुझे उनके साथ काम करने में बहुत सरलता थी ओंकार जी के जैसा स्फूर्तिवान कार्यकर्ता हम सभी के लिए प्रेरणादाई हैं।
👉🏽 सह क्षेत्र कार्यवाह श्री अनिल श्रीवास्तव जी ने कहा
ओंकार जी सरल सहज और मृदु भाषी थे संघर्षमय जीवन होने के बाद भी वह सदैव मुस्कुराते रहते थे। ओंकार जी के परिवार के साथ संघ परिवार सदैव साथ रहेगा।
👉🏽 सह प्रांत प्रचारक श्री मुनीश जी ने कहा
इस समय कुछ भी बोलना बहुत कठिन है। ओंकार जी के रहते किसी भी वर्ग में किसी भी विषय की अधिक चिंता नहीं करनी पड़ती थी। कार्यकर्ता का निर्माण कैसे हो यह ओंकार जी ने करके दिखाया और लोगों को सिखाया। हम सभी ने प्रांत का एक निष्ठावान कार्यकर्ता खो दिया यह क्षति अपूर्णीय है और इसका अभाव सदा रहेगा। ओंकार जी ने व्यक्तित्व निर्माण पर सदैव जोर दिया हम सभी को उनकी इस नीति को आगे ले जाना चाहिए।
👉🏽 माननीय प्रांत संचालक श्री भवानी भीख जी ने कहा
ओंकार जी ने दैनिक शाखों के माध्यम से कार्यकर्ताओं का निर्माण किया ओंकार जी ने दिखाया कि संघ हमारे जीवन में प्राथमिकता पर होना चाहिए। संघ की शाखों को बढ़ाने में ओंकार जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। मैं तीन संघ शिक्षा वर्गों में उनके साथ रहा। कार्यकर्ताओं को सीखने की उनके अंदर तड़प रहती थी। ओंकार जी आज हम सबके बीच में नहीं रहे लेकिन उनके भाव, उनकी प्रेरणा हमारे बीच सदैव रहेगी हम सभी संघ परिवार के कार्यकर्ता ओंकार जी की स्मृतियों को साथ लेकर कार्य करेंगे। ओंकार जी के परिवार के साथ सदैव हम सभी खड़े रहेंगे।
परिवार से पिता श्री कृष्ण मुरारी अवस्थी जी, पत्नी श्रीमती भारती अवस्थी जी, सास श्री मती गिरजा द्विवेदी जी, बहन श्री मती लोचन तिवारी जी, बहनोई श्री पारस तिवारी जी, बिटिया मान्या, राजे, साले निशांत जी, सरहज श्री मती राशी जी मंदीप उपस्थित रहे।
श्रंद्धाजलि सभा में प्रान्त के लगभग सभी जिलों से कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही। कानपुर महानगर के भी अनेक स्वयंसेवक एवं विचार परिवार के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रमुख रुप से श्री अनिल श्रीवास्तव जी (सह क्षेत्र कार्यवाह, पूर्वी उत्तर प्रदेश), मा भवानी भीख जी (प्रान्त संघचालक), श्री श्रीराम जी (प्रान्त प्रचारक), श्री प्रदीप भदौरिया जी (सह प्रान्त कार्यवाह), श्री मुकेश खांडेकर जी(क्षेत्र संगठन मंत्री इंद्रप्रस्थ विहिप), श्री अनुपम दुबे जी (सह प्रान्त बौद्धिक शिक्षण प्रमुख), श्री प्रहलाद जी (प्रान्त व्यवस्था प्रमुख), श्री विकास गुप्ता जी (सह प्रान्त व्यवस्था प्रमुख), डॉ अनुपम जी (प्रान्त प्रचार प्रमुख), श्री अजय जी (क्षेत्र पर्यावरण प्रमुख), श्री अखिलेश जी (क्षेत्र शारीरिक शिक्षण प्रमुख), श्री अवधेश गुप्ता जी (संयुक्त महामंत्री गंगा समग्र), श्री बैरिस्टर जी (विभाग प्रचारक, कानपुर), श्री मनोज जी (विभाग प्रचारक, झांसी), श्री यशवीर जी (विभाग प्रचारक, इटावा) श्री अमित जी (विभाग प्रचारक रायबरेली), श्री शिवशंकर जी (विभाग प्रचारक, फतेहपुर), श्री ज्ञानेंद्र सिंह जी(विभाग कार्यवाह, फतेहपुर), श्री धर्मेन्द्र जी (विभाग कार्यवाह, झांसी), श्री शशि कांत जी (सह विभाग कार्यवाह झांसी), पूर्व विभाग प्रचारक महंत श्री मधुराम शरण शिवाजी, श्री अवध बिहारी जी, श्री अशोक द्विवेदी जी, श्री साहब लाल जी, श्री अंकुर जी, श्री अविनाश जी, श्री विनायक जी, श्री आशीष प्रताप जी, श्री दीपक राजे जी, श्री श्रीप्रकाश जी, श्री तरुण जी, श्री प्रशांत जी, मनीष जी, श्री आशू जी, श्री करुणेश जी, श्री अखिलेश त्रिपाठी जी, विवेक, नीरज, सचिन, मुदित गुप्ता जी, केशव मिश्र जी, प्रवीण मिश्रा जी आदि अधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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