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J & K

01/07/2025

सेवा में ,
माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी,
प्रधानमंत्री ,
भारत सरकार ,
नई दिल्ली

*विषय* :- प्राईवेट अस्पतालों में लगने वाले ICU और वार्ड शुल्क में मानक तय विषयक।

माननीय महोदय ,
सौभाग्य की बात है कि बहुत समय बाद भारत में आपके कुशल नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की केन्द्रीय सरकार विद्यमान है। आपके द्वारा बहुत से कठिन निर्णय जनता के जीवन सुधार हेतु लिए गए है। हमे पूरा विश्वास है कि आप आगे भी भारत व भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार हेतु कड़ा से कड़ा कदम उठाने में कोई गुरेज नहीं करेंगे।
महोदय, इसी कड़ी में मैं आपका ध्यान प्रायवेटअस्पतालो मे लगने वाले ICU और वार्ड शुल्क में मानक तय करने हेतु आकृष्ट करवाना चाहता हूँ। ये अस्पताल अपनी सेवाओ से कही अधिक वसूल कर रहे है,जैसे ICU चार्ज 10000 से 15000 प्रतिदिन के हिसाब से लेने के बाद भी वहां उपयोग मे आने वाले यन्त्रो के चार्ज अलग से लिये जाते है,जो कि सर्वथा अनुचित है,क्योंकि इतने भारी-भरकम शुल्क के बाद यह शुल्क बेमानी है।हाँ अगर आक्सीजन इत्यादि जरुरत मुताबिक लिया जा सकता है।
इसके अलावा भारी-भरकम वार्ड चार्ज के अलावा hand glouse, sanitizer, और अनगिनत चीजो का शुल्क लिया जा रहा जो कि मरीजो पर अनावश्यक बोझ है,जो कि Insurance company भी मान्य नही करती है।
Insurance company अपना घाटा बचाने के चक्कर मे premium बढाती जा रही है,जबकि सबसे बडा कारण अस्पताल का बिल है जिसका मापदंड पिछले तीन साल मे तिगुना हो गया है।
आम जनता त्रस्त है तथा मूल्य न चुकाने की स्थिति में कई बार उसे अपने परिजनों के जीवन से भी हाथ धोना पड़ जाता है।
इस प्रकार अस्पताल की मनमानी से मरीजों को नुकसान पहुंच रहा है। वो भी मनमाने तौर से। कई जीवन रक्षक दवाओं की कीमत उसकी वास्तविक कीमत से 100 से 1000 गुना तक होती है। जो सामान्य परिवार को पहुंच से कही अधिक होता है और इसका लाभ प्राइवेट अस्पताल उठाते है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि ऐसा कोई प्रावधान या बिल संसद में लाया जाए जिससे इन अस्पतालो की मनमानी पर अंकुश लगे,अधिकतम ICU और Ward के charge और सेवा की सीमा निर्धारित हो। उससे ज्यादा बिल चार्ज करने पर कड़ा प्रतिबंध हो तथा दंड का प्रावधान हो।

आशा है कि महोदय राष्ट्र व आमजन के हित में इन सुझावों पर ध्यान देते हुये समुचित कार्यवाही करने व इस हेतु जन जागरण अभियान प्रारंभ कर मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने का कष्ट करेंगे |

🙏 *विशेष निवेदन /आग्रह*🙏
*जन जागृति* के लिए आपको सिर्फ 10 लोगो को ये मेसेज फॉरवर्ड करना है और वो 10 लोग भी दूसरे 10 लोगों को ये मेसेज करें ।
इस प्रकार
1 = 10 लोग
यह 10 लोग अन्य 10 लोगों को मेसेज करेंगे
इस प्रकार :-
10 x10 = 100
100x10=1000
1000x10=10000
10000x10=100000
100000x10=1000000
1000000x10=10000000
10000000x10=100000000
100000000x10=1000000000
(100 करोड़ )
बस आपको तो एक कड़ी जोड़नी है देखते ही देखते सिर्फ आठ steps में पूरा देश जुड़ जायेगा।.

30/06/2025
30/06/2025

हूल क्रांति दिवस एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है, जो 30 जून 1855 को हुई थी। इस दिन, संथाल समुदाय के लोगों ने ब्रिटिश शासन और जमींदारी प्रथा के खिलाफ एक बड़ा विद्रोह किया था।

इस विद्रोह का नेतृत्व सिदो और कान्हू मुर्मू नामक दो भाइयों ने किया था, जिन्होंने अपने समुदाय के लोगों को एकजुट करके ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी।

हूल क्रांति दिवस को संथाल समुदाय के लोगों द्वारा एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जो उनकी स्वतंत्रता और स्वाभिमान की लड़ाई का प्रतीक है।

28/06/2025

दोहरे खतरे में है इस बार की अमरनाथ यात्रा
आतंकी निशाने पर टाप पर है अमरनाथ यात्रा, चुनौती बनने लगी है सभी के लिए
--सुरेश एस डुग्गर--
जम्मू, 28 जून। आपरेशन सिंदूर के बाद आतंकियों के निशाने पर टाप पर आने से अमरनाथ यात्रा चुनौती के रूप में सामने आने लगी है। एक तो मौसम ऊपर से आतंकी खतरा। तीसरे कश्मीर के मृतप्रायः हो चुके पर्यटन में नई जान फूंकने की खातिर यात्रा को पर्यटन बाजार में बदलने के प्रयास। इन सबको मिला आधिकारिक तथा सुरक्षा के मोर्चे पर मिलने वाली चेतावनी यही कहती है कि अमरनाथ यात्रा को खतरों से मुक्त बनाना हो तो इसे पर्यटन बाजार में न बदला जाए क्योंकि आतंकियों के लिए यह नर्म लक्ष्य बन सकती है। इतना जरूर था कि आधिकारिक तौर पर यात्रा पर कोई खतरा नहीं माना जा रहा है।
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रदेश में अमरनाथ यात्रा के पूरे मार्ग को आतंकी हमले के लिहाज से अत्याधिक संवेदनशील घोषित किया है और सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठाये जाएं।
गृह विभाग ने सभी संबंधित एजेंसियों को कहा है कि सुरक्षा परिदृश्य, यात्रा क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति पर विचार करते हुये यात्रियों पर आतंकियों के हमले का खतरा है। यात्रा की संवेदनशीलता और प्रसिद्धि की वजह से यह आतंकवादी हमले के लिहाज से बहुत संवेदनशील है। केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देश में सेना, पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों को कहा गया है कि वे इस मामले में सभी नियमों का पालन करें ताकि 3 जुलाई से शुरू हो रही यात्रा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
वैसे श्राइन बोर्ड ने अमरनाथ यात्रा में शामिल होने के लिए लाखों लोगों को न्यौता तो दे दिया लेकिन अब वह परेशान हो गया है। उसकी परेशानी का कारण बदलते हालात तो हैं ही बदलता मौसम भी है। अगर हालात की चर्चा करें तो यह परतें उघड़नें लगी हैं कि आतंकी अमरनाथ यात्रा को नर्म लक्ष्य के रूप मंे ले सकते हैं। फिलहाल किसी आतंकी गुट की ओर से कोई चेतावनी नहीं मिली है न ही अमरनाथ यात्रा पर किसी संगठन ने प्रतिबंध लगाया है मगर मिलने वाली सूचनाएं प्रशासन को परेशान किए जा रही हैं।
बकौल उन सुरक्षाधिकारियों के, जिनके कांधों पर यात्रा का जिम्मा है, इतनी भीड़ को संभाल पाना और सुरक्षा प्रदान कर पाना खाला जी का घर नहीं है। ‘पहले ही आतंकी सभी सुरक्षा प्रबंधों को धत्ता बताते हुए कई बार अमरनाथ यात्रियों पर हमले करने मंे कामयाब होते रहे हैं। अब अगर इतनी भीड़ होगी तो किस किस को कहां सुरक्षा प्रदान की जाएगी जबकि यात्रा करने वालों को पर्यटक के रूप में सरकार कश्मीर के अन्य पर्यटनस्थलों की ओर भी खींच कर लाने की इच्छुक है,’एक अधिकारी का कहना था।
इस चिंता में मौसम की चिंता भी अपनी अहम भूमिका निभाने लगी है। मौसम विभाग भी इस बार अभी से चेतावनी जारी करने लगा है कि यात्रा मार्ग पर इस बार मौसम कुछ अधिक ही खराब हो सकता है। हालांकि अभी से इस खराब हो रहे मौसम के कारण यात्रा प्रबंधों में आ रही परेशानियों से प्रशासन अभी से जूझने लगा है तो अमरनाथ यात्रा के दिनों, जब मानसून जवानी पर होगा कैसे संभलेगा लाखों का रेला, कोई जवाब देने को तैयार नहीं है।

सीमा सड़क संगठन की मदद के बिना अमरनाथ यात्रा संभव ही नहीं45 किमी लंबे पांच फुट चौड़े यात्रा मार्ग को 12 फुट का बना दिया, व...
28/06/2025

सीमा सड़क संगठन की मदद के बिना अमरनाथ यात्रा संभव ही नहीं
45 किमी लंबे पांच फुट चौड़े यात्रा मार्ग को 12 फुट का बना दिया, वाहन भी पहुंचा दिए
--सुरेश एस डुग्गर--
जम्मू, 28 जून। इस बार की वार्षिक अमरनाथ यात्रा की सकुशलता के लिए चाहे सुरक्षाबलों की भूमिका अहम मानी जा रही है पर यात्रा को सुखदायक बनाने में सीमा सड़क संगठन अर्थात बीआरओ की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता जिसने न सिर्फ 45 किमी लंबे यात्रा मार्ग की चौड़ाई को 5 फुट से 12 फुट तक कर दिया बल्कि गुफा के द्वार तक वाहनों के आने जाने का रास्ता भी तैयार कर दिया।
बीआरओ ने अपने प्रोजेक्ट बीकन के तहत इन दुर्गम स्थलों पर नाममुकिन कार्य को पूरा कर अपने उस कथन को सच जरूर साबित किया है जिसमें वे कहते हैं कि बीआरओ आसमान तक सड़क तैयार कर सकता है। याद रहे बीआरओ का बीकन प्रोजेक्ट लद्दाख सेक्टर में सीमा सीमा तक सड़के बनाने मंे भी कामयाब रहा है।
बीआरओ के अधिकारियों ने अमरनाथ यात्रा मार्ग पर मुश्किलों और दुविधाओं की दास्तानें सुनाते हुए इसके प्रति जरूर बताया है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में उसने 17 सौ के लगभग स्थानीय श्रमिकों की मदद से बालटाल और पहलगाम के 45 किमी के अमरनाथ यात्रा मार्ग पर रेलिंग लगाने, पुल और पुलियों के निर्माण, सुरक्षा दीवारें बनने और टाइलें बिछाने के कार्य को अंजाम दिया।
सिर्फ यही नहीं अप्रैल के प्रथम सप्ताह में इस यात्रा को संपन्न करवाने का जिम्मा जब उसे सौंपा गया तो उन्होंने करीब 47 किमी के क्षेत्र से बर्फ को भी हटाया और पहली बार बालटाल के रास्ते अमरनाथ गुफा तक वाहनों के चलने लायक मार्ग भी तैयार कर दिया। हालांकि इस वाहन चलने वाले मार्ग को लेकर फिलहाल विवाद भी पैदा हुआहै लेकिन उप राज्यपाल मनोज सिन्हा कहते थे कि आपात स्थिति में ही इस मार्ग पर वाहन चलाए जाएंगें।
दरअसल अमरनाथ गुफा तक वाहन ले जाने का विवाद पिछले साल तब खड़ा हुआ था जब पहली बार बीआरओ के वाहन गुफा तक पहुंचे थे और इस बार प्रथम पूजा के दौरान भी कई प्रायवेट वाहनों के गुफा तक पहुंचने के फोटो सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद काफी हो हल्ला मचा तो उप राज्यपाल को इसके बचाव में आना पड़ा था जो अमरनाथ यात्रा की जिम्मेदारी लेने वाले अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के चेयरमेन के पद पर विराजमान हैं।
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27/06/2025

बाप रे बाप: जम्मू कश्मीर में 14 लाख के करीब नशेड़ी
--सुरेश एस डुग्गर--
जम्मू, 27 जून। इसे जानकर आप चौंक सकते हैं कि जम्मू कश्मीर में 13.5 लाख से अधिक नशा करने वाले लोग हैं, जिनमें 10 से 17 वर्ष की आयु के 1.68 लाख नाबालिग शामिल हैं। इनमें से लगभग 95,000 व्यक्ति ओपियोइड उपयोगकर्ता हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, नशे की लत का पैटर्न बदल रहा है। जबकि कुछ क्षेत्रों में हेरोइन के उपयोग में मामूली गिरावट देखी गई है, दवाइयों का दुरुपयोग बढ़ रहा है। टेपेंटाडोल, प्रीगैबलिन, ट्रामाडोल और यहां तक कि एविलिन जैसी पशु चिकित्सा दवाओं का भी दुरुपयोग किया जा रहा है।
श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कालेज में मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डा यासिर हसन राथर बताते थे कि नशा मुक्ति केंद्र में मादक पदार्थों के उपयोग के मामले लगातार आ रहे हैं। उनके बकौल, हम हर दिन 5 से 10 नए मामले देखते हैं, साथ ही नियमित फालो-अप भी करते हैं। हेरोइन का उपयोग थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन कई उपयोगकर्ता सस्ती या अधिक सुलभ दवाओं की ओर रुख कर रहे हैं, या पालीड्रग दुरुपयोग में लिप्त हैं।
उन्होंने जागरूकता अभियानों, नशा मुक्त भारत अभियान के तहत प्रारंभिक हस्तक्षेप और सरकारी कार्रवाई में वृद्धि को हेरोइन के दुरुपयोग में मामूली गिरावट का श्रेय दिया। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दवाइयों का पता लगाना कठिन है और उन्हें विनियमित करना अधिक कठिन है, जिससे पुनर्वास प्रयास जटिल हो जाते हैं। डा राथर ने रोकथाम-आधारित रणनीतियों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष का वैश्विक विषय, साक्ष्य स्पष्ट है रोकथाम में निवेश करें, वह दर्शाता है जिसकी हमें तत्काल आवश्यकता है - स्कूल और समुदाय-आधारित शिक्षा, और स्थानीय और धार्मिक नेताओं की भागीदारी। इस प्रयास के तहत, हाल ही में वक्फ बोर्ड के 30 इमामों और धार्मिक विद्वानों के साथ एक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की, ताकि उन्हें सामुदायिक स्तर पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने की रणनीतियों से लैस किया जा सके।
कश्मीर के टेली-मानस के वरिष्ठ सलाहकार डा मोहम्मद अबरार गुरु की मानें तो नशे की लत युवाओं के एक बड़े वर्ग को प्रभावित कर रही है। वे कहते थे कि हम युवा रोगियों की एक स्थिर धारा देखते हैं, जिनमें से कई सिंथेटिक ओपिओइड, भांग और कई पदार्थों के संयोजन के आदी हैं। यह अब केवल स्वास्थ्य संबंधी चिंता नहीं है, बल्कि परिवारों और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली एक सामाजिक आपात स्थिति है।
जबकि एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी शोपियां के चिकित्सा अधिकारी डा आदिल कहते थे कि रोगी बड़ी संख्या में उपचार की तलाश कर रहे हैं, नियमित आधार पर नए पंजीकरण हो रहे हैं। उनका कहना था कि अधिकांश उपयोगकर्ता हेरोइन के आदी हैं, जिन्हें अक्सर साइकोट्रोपिक दवाओं के साथ मिलाया जाता है। हम एविलिन जैसी पशु दवाओं के दुरुपयोग को भी देख रहे हैं।
डा आदिल का कहना था कि सीमित उपलब्धता के कारण, कुछ उपयोगकर्ता अब उपचार की ओर रुख कर रहे हैं। यह उन्हें ठीक होने की दिशा में मार्गदर्शन करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। डा आदिल ने युवाओं से समय पर मदद लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अभियान की थीम- चेन तोड़ना रोकथाम, उपचार और सभी के लिए रिकवरी के तहत मेरा संदेश सरल है कि नशीली दवाओं के शिकार न बनें। मदद उपलब्ध है, और रिकवरी संभव है।

27/06/2025

अमरनाथ यात्रियों को निर्देश, अकेले नहीं जाएंगें कहीं भी, रोडबंदी भी होगी लागू
--सुरेश एस डुग्गर--
जम्मू, 27 जून। अमरनाथ यात्रा के दौरान हाइब्रिड आतंकियों और स्टिकी बमों से निपटने को की जा रही तैयारियों में सुरक्षाधिकारियों की वह चेतावनी सबसे प्रमुख है जिसमें शिरकत करने वाले श्रद्धालुओं से कहा जा रहा है कि न ही वे अकेले में कहीं घूमेंगे और न ही अपने निजी वाहन को लेकर जम्मू से यात्रा को निकलेगें।
यात्रा की सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी के बकौल, पहले जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर अमरनाथ श्रद्धालुओं को अकेले यात्रा करने से नहीं रोका जाता था। पर अब खतरे को भांपते हुए ऐसा करने के लिए कथित तौर पर राजमार्ग पर रोडबंदी भी की जाएगी।
रोडबंदी अर्थात अमरनाथ यात्रा के काफिलों के गुजरने के समय राजमार्ग पर अन्य वाहनों को चलने की अनुमति नहीं होगी। न ही अन्य लोग राजमार्ग पर पैदल भी चल पाएंगें। रोडबंदी की रणनीति पुलवामा हमले के उपरांत से ही अपनाई जा रही है जिसके तहत जब श्रद्धालुओं का काफिला जम्मू के बेस कैंप से पहलगाम और बालटाल के लिए निकलता है तो सभी संपर्क मार्गों पर कांटेदार तार लगा सभी की आवाजाही रोक दी जाती रही है।
अब ऐसी ही आवाजाही की रोक श्रद्धालुओं पर भी लागू होगी जिन्हें तय समय और तय दिन पर ही जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप से सुरक्षा व्यवस्था के नियमों को पालन करमे हुए अपनी यात्रा शुरू करनी होगी।
हालांकि सुरक्षाबल अभी तक स्टिकी बमों के खतरे से निपटने के उपाय नहीं खोज पाएं हैं जिनके प्रति खुफिया अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि आतंकी और हाइब्रिड आतंकी ओजीडब्ल्यू की मदद से स्टिकी बमों का इस्तेमाल कर श्रद्धालुओं को नुक्सान पहुंचाने का प्रयास कर सकते हैं।
याद रहे स्टिकी बमों का खतरा पिछले कुछ सालों से पूरे प्रदेश में बना हुआ है। आतंकी इनका इस्तेमाल कर एक बार वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं की यात्री बस को उड़ा कर चार की जान ले चुके हैं जबकि स्टिकी बमों से विस्फोटों के 5 मामले ही पूरे प्रदेश में अभी तक सामने आए हैं पर बरामदगियां दर्जनों हो चुकी हैं। इसलिए सुरक्षाबल इस खतरे को कम करके नहीं आंकना चाहते हैं।
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