15/04/2025
"पगला नहीं, पर्यावरण का सच्चा सिपाही - बहादुर सिंह"
हरियाणा के करनाल जिले के कल्बेहड़ी में एक साधारण लेकिन दृढ़ निश्चयी व्यक्ति रहता था – बहादुर सिंह। वह न तो बड़ा अफसर था, न कोई प्रसिद्ध व्यक्ति। लेकिन उसका सपना बड़ा था – धरती को फिर से हरा-भरा बनाना।
गाँव वाले उसे "पगला" कहते थे, क्योंकि वो दिन-रात पेड़ लगाने में लगा रहता था। तपती धूप, सर्दी, बरसात, बीमारी – कुछ भी उसे रोक नहीं पाता। उसकी ज़िंदगी में एक वक्त ऐसा भी आया जब उसके शरीर में खून की बहुत कमी जैसी गंभीर बीमारी हो गई। डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी, लेकिन बहादुर ने कहा,
“मेरा इलाज इन पेड़ों की छांव में है।”
एक दिन की बात है –
बहादुर सिंह जंगल में अकेले पेड़ लगा रहा था, तभी एक बड़ा काला साँप उसके सामने आकर फन फैलाकर खड़ा हो गया।
बहादुर ने डरने के बजाय आँखें बंद कीं और भोलेनाथ को याद करते हुए कहा,
“प्रभु, अगर आपकी इच्छा है कि मैं यहीं रुक जाऊँ, तो ठीक है। लेकिन मैं तो बस पेड़ लगाना चाहता हूँ – जीवन देना चाहता हूँ।”
कुछ पल बाद जब उसने आँखें खोलीं, तो साँप वहाँ से गायब था।
लेकिन उसी क्षण उसके घर से फ़ोन आया –
“बहादुर, तुम्हारे पिताजी अब इस दुनिया में नहीं रहे।”
बहादुर को गहरा दुख हुआ, पर दिल के किसी कोने में उसने महसूस किया –
"भगवान ने मुझे पेड़ों के लिए बचा लिया, और मेरे पिता ने अपने प्राण देकर मेरी राह खुली रखी।"
इसके बाद बहादुर ने ठान लिया कि वह अकेले नहीं, एक संगठित तरीके से देशभर में पर्यावरण की रक्षा करेगा।
बहादुर सिंह ने एक NGO की स्थापना की – “अखिल भारतीय पर्यावरण संरक्षण मंच।”
इस संस्था का उद्देश्य था –
पूरे भारत में वृक्षारोपण अभियान चलाना
पर्यावरण शिक्षा देना
युवाओं को हरित क्रांति से जोड़ना
जल संरक्षण और प्लास्टिक मुक्ति पर काम करना
शुरू में लोग हँसे, पर धीरे-धीरे हजारों युवा उससे जुड़ गए। गाँव से लेकर शहरों तक उसके लगाए पेड़ हवा, छांव और प्रेरणा देने लगे।
सरकार ने उसे सम्मानित किया। स्कूलों में उसके जीवन पर पाठ पढ़ाया जाने लगा। और “पगला बहादुर” अब देश का “हरियाली योद्धा” बन चुका था।
सबक:
अगर इरादा सच्चा हो, तो एक व्यक्ति भी पूरे देश में हरियाली की लहर फैला सकता है। आज भी “अखिल भारतीय पर्यावरण संरक्षण मंच” बहादुर सिंह के साथ आगे बढ़ रहा है – हर पेड़ के साथ, हर सांस के साथ।
बहादुर सिंह – वो नाम जो अब सिर्फ एक इंसान नहीं, एक हरियाली आंदोलन है।