17/04/2023
समाधान।
वार्डों में सीवर ब्लॉकेज, पेयजल समस्या व स्ट्रीट लाईटों की खराबी का एक निश्चित अवधि में होगा समाधान, नगर निगम द्वारा एक निजी एजेंसी को दिया ठेका-अभिषेक मीणा, निगमायुक्त।
हर वार्ड में स्थापित होंगे शिकायत केन्द्र, कोई भी नागरिक शिकायत केन्द्र में व्यक्तिगत या बोर्ड पर दर्शाए गए नम्बरों पर कर सकता है शिकायत।
करनाल | 17 अप्रैलअप्रैल, सीवर ब्लॉकेज, पेयजल समस्या और स्ट्रीट लाईट की खराबी जैसी समस्याओं का एक निश्चित अवधि में समाधान करने के लिए नगर निगम की ओर से एक अच्छी पहल की गई है। इसके लिए सभी 20 वार्डों में शिकायत केन्द्र खोले जा रहे हैं। शिकायतें प्राप्त करने और उन पर एक्शन लेने के लिए एक निजी एजेंसी को ठेका दिया गया है। शहर का कोई भी नागरिक शिकायत केन्द्र में जाकर अपनी शिकायत या समस्या को दर्ज करवा सकता है। ऐसी शिकायत एजेंसी के ठेकेदार को, नगर निगम के जे.ई., ए.ई. और एक्सईएन के मोबाईल नम्बर तथा व्हाट्सएप पर दी जा सकती है। इसके अलावा निगम के टोल फ्री नम्बर-1800-180-2700 के जरिए भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। प्रत्येक शिकायत केन्द्र पर, सीवर, पेयजल व स्ट्रीट लाईट की शिकायत दर्ज करने के अलग-अलग बोर्ड होंगे, जिन पर सम्बंधित वार्ड के जे.ई., ए.ई. और एक्सईएन के मोबाईल नम्बर दर्शाए जाएंगे। बोर्ड लगाने की शुरूआत वार्ड 19 से कर दी गई है, जल्द ही सभी वार्डों में स्थापित कर दिए जाएंगे। यह जानकारी नगर निगम आयुक्त अभिषेक मीणा ने दी।
कैसे करें शिकायत- निगमायुक्त ने बताया कि किसी भी वार्ड में उपरोक्त समस्याओं को लेकर कोई भी व्यक्ति शिकायत केन्द्र में अपनी शिकायत दर्ज करवाएगा। यह काम शिकायत केन्द्र में बैठे एजेंसी के 2 कर्मचारी करेंगे, जो शिकायत प्राप्त करने के बाद रजिस्टर में उसका इंद्राज करेंगे, 4 सुपरवाईजर भी ड्यूटी पर रहेंगे, जो मौके पर जाकर समस्या को देखेंगे और उसका समाधान करवाएंगे। रविवार को छोडक़र अन्य सभी दिवसों में शिकायत, प्रात: 9 से सांय 5 बजे तक की जा सकती है।
किसकी क्या होगी जिम्मेदारी- उन्होंने बताया कि प्राप्त शिकायतों का समाधान सुनिश्चित करने के लिए नगर निगम के कनिष्ठï अभियंता, सहायक अभियंता और कार्यकारी अभियंता की जिम्मेदारी रहेगी।
कनिष्ठï अभियंता यानि जूनियर इंजीनियर अपने वार्ड के शिकायत केन्द्र में रजिस्टर और टोल फ्री नम्बर पर आई शिकायातों को एकत्र करेगा। प्रत्येक सीवर सफाई करने वाली मशीन, डीजल इंजन व जेनरेटर सेट पर जीपीएस सिस्टम लगा हो, सुनिश्चित करेगा। एजेंसी को डीजल आपूर्ति की स्लिप देगा, ताकि सभी मशीने बिना किसी दिक्कत के चलती रहें और सप्लाई किए गए डीजल की लॉगबुक भी मेंटेंन करेगा। रोजाना एजेंसी के साथ समन्वय रखकर समस्याओं के निराकरण में जरूरत अनुसार मैनपावर और सफाई मशीनो को तैनात करने की जिम्मेदारी भी जेई की होगी। जे.ई. को निगम द्वारा निर्धारित एक फोर्मेट में रोजाना समाधान की गई शिकायतों की अपने हस्ताक्षर युक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इसी प्रकार वह एन.एच.-44, राम नगर व सूरज नगर स्थित डिस्पोजल पाँयट तथा 4 डीजल इंजन व जेनरेटर सेट के संचालन और रख-रखाव की रिर्पोट फोर्मेट-बी में भरकर सम्बंधित सहायक अभियंता को रोजाना प्रस्तुत करेगा। जेई किए गए कार्य पर खर्च का बिल तैयार करेगा और उसे सम्बंधित ए.ई. को प्रस्तुत करेगा।
इसी प्रकार सहायक अभियंता की जिम्मेदारी भी फिक्स की गई है। निगमायुक्त ने बताया कि ए.ई., उक्त कार्य की हर सप्ताह मॉनिटरिंग करेगा। जेई द्वारा प्रस्तुत रोजाना की रिपोर्ट को चैक व वैरीफाई करेगा और उसे कार्यकारी अभियंता को प्रस्तुत करेगा। वह सम्बंधित जेई द्वारा प्रस्तुत किए गए बिलों की संवीक्षा यानि जांच भी करेगा।
इसके अतिरिक्त सम्बंधित एक्सईएन हर पखवाड़े किए गए कार्य की मॉनिटरिंग करेगा तथा सहायक अभियंता द्वारा प्रस्तुत प्रत्येक डेेली रिपोर्ट को चैक व वैरीफाई करेगा। एक्सईएन की जिम्मेदारी रहेगी कि वह निजी तौर पर एई द्वारा प्रस्तुत बिलों की संवीक्षा करेगा, ताकि उसकी पेमेंट की जा सके।
क्या हैं फॉर्मेट ए और उसमें पैनल्टी का प्रावधान- निगमायुक्त ने जानकारी दी कि सीवर लाईनो के सफाई कार्यों के लिए फॉर्मेट-ए तैयार किया गया है, जिसमें क्रमांक से लेकर टिप्पणी तक के 17 कॉलम बनाए गए हैं, जिनमें सीरियल नम्बर, कम्पलेंट दर्ज करने की तिथि, शिकायत का विवरण और मोबाईल नम्बर, शिकायत के समाधान की तिथि, कितनी शिकायतों का समाधान किया गया, सीवर मशीनो द्वारा कितनी शिकायतें दूर की गई और कितनी नहीं हुई, निराकरण न होने का कारण, जेई, एई और एक्सईएन द्वारा किए गए फोन को एजेंसी या उसके प्रतिनिधि द्वारा अटैंड न करने की प्रत्येक शिकायत पर एजेंसी को 1 हजार रूपये पैनल्टी लगाई जाएगी। शिकायत प्राप्त होने के बाद उसका 12 घण्टे के अंदर समाधान न करने पर 1 हजार रूपये प्रतिदिन की पैनल्टी लगेगी। मेनहोल कवर व फ्रेम के टूटने/क्षतिग्रस्त होने की सूरत में, उसका त्वरित समाधान न करने पर 1 हजार रूपये प्रति घण्टा के हिसाब से पैनल्टी लगेगी। इसी प्रकार गली में से गाद, मिट्टी या मलबा को 24 घण्टे में न उठाने पर भी 5 हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से पैनल्टी लगाई जाएगी। एजेंसी पर किसी भी नियम या अधिनियम का पालन न करने पर 5 हजार रूपये प्रति उल्लंघन जुर्माना लगाया जाएगा। फॉर्मेट के अंतिम चार कॉलम में एजेंसी, जेई और एई के हस्ताक्षर होंगे तथा अंतिम कॉलम टिप्पणी का होगा।
फॉर्मेट बी और उसमें पैनल्टी का प्रावधान- निगम आयुक्त अभिषेक मीणा ने उक्त कार्य के लिए निर्धारित फॉर्मेट-बी की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसमें क्रमांक से लेकर टिप्पणी तक 16 कॉलम बनाए गए हैं। पहला कॉलम सीरियल नम्बर का है, इसके बाद आगे के 10 कॉलम पैनल्टी के हैं। बिजली चले जाने की सूरत में जेनरेटर सेट न चलाने के लिए एजेंसी पर प्रति घण्टा 1 हजार रूपये की पैनल्टी लगाई जाएगी। लॉगबुक को मेंटेंन न करने पर प्रति लॉगबुक, प्रति डिस्पोजल और प्रतिमास के अनुसार 3 हजार रूपये की पैनल्टी लगाई जाएगी। सम्बंधित जूनियर इंजीनियर द्वारा साईट पर छिटपुट मैटिरियल उपलब्ध न होने पर प्रति विजिट 500 रूपये की पैनल्टी एजेंसी पर लगाई जाएगी। एजेंसी की ओर से जेई, एई व एक्सईएन द्वारा एजेंसी से मांगी गई सूचना उपलब्ध न करवाने पर प्रति विजिट 1 हजार रूपये की पैनल्टी लगाई जाएगी। प्लांट पर सफाई, वेंटीलेशन, लाईटिंग, मकड़ी के जाले और मिट्टïी पाए जाने पर 5 हजार रूपये प्रति निरीक्षण पैनल्टी लगाई जाएगी। इसी प्रकार मरम्मत योग्य किसी मशीन या उपकरण को चार घण्टे से अधिक रखने की लापरवाही के चलते 1 हजार रूपये प्रति घण्टे की पैनल्टी लगेगी। प्रत्येक प्लांट पर साफ-सुथरे शौचालय न पाए जाने पर प्रति निरीक्षण 800 रूपये की पैनल्टी लगेगी। कोई भी कार्य निर्धारित समयावधि में पूरा न करने पर 1 हजार रूपये प्रति दिन की पैनल्टी लगाई जाएगी। यदि किसी डिस्पोजल पर ऑप्रेटर अनुपस्थित पाया गया, तो उसके लिए प्रति अनुपस्थिति 2 हजार रूपये की पैनल्टी लगाई जाएगी। डिस्पोजल पाँयट पर बिजली की मोटर, पम्प व स्टार्टर वर्किंग कंडीशन में न पाए जाने पर 5 हजार रूपये प्रतिदिन के हिसाब से पैनल्टी लगेगी। बरसात के मौसम में डिस्पोजल पाँयट पर मोटर, पम्प सेट और स्टार्टर के खराब होने की सूरत में उसका तुरंत वैकल्पिक इंतजाम न किए जाने पर 50 हजार रूपये प्रति निरीक्षण की पैनल्टी भी एजेंसी पर लगाई जाएगी। फॉर्मेट बी के अंतिम तीन कॉलम में, एजेंसी, जेई और एई के हस्ताक्षर होंगे तथा आखिरी कॉलम टिप्पणी देने का रहेगा।