30/09/2025
हरियाणा PGT भर्ती घोटाला: 2012 की भर्ती में अंकों की हेराफेरी का सनसनीखेज खुलासा, योग्य उम्मीदवारों ने उठाई CBI जांच की मांग
**चंडीगढ़, 30 सितंबर 2025:** हरियाणा में 2012 की PGT (पोस्ट ग्रेजुएट टीचर) पॉलिटिकल साइंस भर्ती एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। दस साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस भर्ती में कथित अनियमितताओं का पिटारा खुलता जा रहा है। वंचित रहे उम्मीदवारों ने हाल ही में RTI से प्राप्त दस्तावेजों और व्यक्तिगत साक्ष्यों के आधार पर चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, भर्ती में अयोग्य उम्मीदवारों को चयनित करने के लिए शैक्षणिक अंकों में हेरफेर किया गया, जबकि योग्य और अनुभवी उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया। योग्य उम्मीदवारों ने भाजपा सरकार से इस मामले की CBI या SIT जैसी उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराने की अपील की है।
अंकों में विसंगति: दो मार्कशीट, अलग-अलग अंक
RTI से मिले दस्तावेजों में एक चयनित उम्मीदवार की M.A. पॉलिटिकल साइंस की दो अलग-अलग मार्कशीट सामने आई हैं, जो अंकों में स्पष्ट विसंगति दर्शाती हैं। पहली मार्कशीट (2011) में कुल 800 में से 400 अंक (50%) दिखाए गए हैं, जबकि दूसरी संशोधित मार्कशीट (2013) में यही अंक बढ़कर 431 (53.875%) हो गए। भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम योग्यता 56% (करीब 448 अंक) निर्धारित थी, लेकिन दोनों ही मामलों में अंक इस सीमा से नीचे हैं।
सवाल उठता है कि 50% अंक वाले उम्मीदवार को इंटरव्यू के लिए कैसे बुलाया गया? इस भर्ती में MA 56% अंकों तक को इंटरव्यू में बुलाया गया था, अंकों में यह वृद्धि कैसे हुई? RTI कार्यकर्ता का आरोप है कि यह 'जुगाड़' का नतीजा था, ताकि उम्मीदवार को पात्र दिखाकर चयन को वैध ठहराया जा सके। इसके अलावा, उम्मीदवार की आवेदन फॉर्म में M.A. में 480/800 अंक (60%) दर्ज हैं, जो मार्कशीट से पूरी तरह मेल नहीं खाते। यह असंगति फर्जीवाड़े की ओर इशारा करती है।
वंचितों का कहना है, "हमारे जैसे दर्जनों योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया, जबकि कम अंकों वाले उम्मीदवारों को नौकरी दे दी गई। यह स्पष्ट है कि चयन योग्यता पर नहीं, बल्कि 'खर्ची-पर्ची' (अवैध सिफारिश और भुगतान) पर आधारित था।" उन्होंने और अन्य वंचित उम्मीदवारों जैसे सुरेश फौजी ने पिछले दस वर्षों से न्याय की लड़ाई लड़ी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
'खर्ची-पर्ची' संस्कृति पर रोक की अपील
यह मामला कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का है, लेकिन वंचितों ने वर्तमान भाजपा सरकार से न्याय की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'पारदर्शी शासन' के वादे को निभाएं। इस भर्ती की CBI जांच हो, फर्जी तरीके से नौकरी पाने वालों को बर्खास्त किया जाए और योग्य उम्मीदवारों को मौका मिले। इससे भविष्य की भर्तियों में भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।"
आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश कुमार एवं जगबीर सिंह प्रयासों से यह मामला उजागर हुआ है। वंचित उम्मीदवारों की मांग है कि पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। जिस बोर्ड ने यह भर्ती की थी, हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड को भंग कर दिया गया था. अगर आरोप सही साबित हुए तो यह शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का उदाहरण होगा।
इसी भर्ती में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाकर भी हज़ारों अयोग्य लोगों को भर्ती किया गया है. पावर के दम पर कुछ लोग सिस्टम के साथ कैसे खिलवाड करते हैं उसका जीता जागता नमुना हैं ये भर्ती.
यह खबर RTI दस्तावेजों और वंचित उम्मीदवारों के बयानों पर आधारित है। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट आने तक सभी पक्षों की सुनवाई जरूरी है।