
08/04/2025
*"जब कानून केवल शब्द न रह जाए, और वकील सिर्फ पेशा न रह जाए – वहाँ से शुरू होती है मनोज आहूजा की वकालात"*
कभी-कभी न्याय सिर्फ कागज़ों पर नहीं, किसी के टूटे भरोसे को फिर से जोड़ने में होता है। एक ऐसा ही क्षण हाल ही में देखने को मिला जब एक संवेदनशील मामले में अधिवक्ता मनोज आहूजा ने न केवल कानून की पैरवी की, बल्कि एक परिवार की उम्मीदों की लौ को फिर से रोशन किया।
मामला बहुत गंभीर था, आरोपों का भार था, और सामने था एक परिवार जो समाज के सवालों, पुलिस की पूछताछ और अदालती कार्यवाही के बीच टूट चुका था। लेकिन जहां अधिकतर लोग सिर्फ कानून की धाराएं गिनते हैं, वहीं अधिवक्ता मनोज आहूजा ने एक इंसान की नज़र से देखा, एक बेटे की मासूमियत को महसूस किया, और जिम्मेदारी के साथ आवाज़ उठाई – न्याय के पक्ष में।
*"वकील बनना आसान नहीं, किसी निर्दोष के लिए ढाल बन जाना – यही सच्ची वकालात है।"*
अधिवक्ता आहूजा की मज़बूत और सारगर्भित पैरवी के चलते न्यायालय ने मुवक्किल को जमानत प्रदान की। ये सिर्फ एक कानूनी सफलता नहीं थी, ये उन थकी हुई आँखों में आँसू के बदले चमक लाने का क्षण था।
पक्षकार की जमानत मिलने के बाद पक्षकार अपने परिजनों के साथ अधिवक्ता आहूजा के घर पहुंचकर दिल से उन्हें धन्यवाद दिया और परिजनों ने भी आहूजा का आभार जताया।
*"दरिया बनकर किसी को डुबोना आसान है, मगर जरिया बनकर किसी को बचाना... बस वही बात बना देता है किसी को वकील से फरिश्ता।"*
आज जब समाज में वकालात को कभी केवल पेशा समझा जाता है, तब मनोज आहूजा जैसे अधिवक्ता याद दिलाते हैं कि:
> "वकालात की योग्यता आपके ब्रांडेड कोट या धाराप्रवाह अंग्रेज़ी से नहीं मापी जाती बल्कि उस अदब से मापी जाती है जिससे मुवक्किल आपका नाम सुनकर सिर झुका देता है।"
उनकी सोच और कार्यशैली का हर पहलू यही कहता है:
"एक अच्छा वकील वह नहीं जो सिर्फ कानून जानता है,
बल्कि वह है जो इंसानियत को पहचानता है।"
और जैसे कर्ण ने बिना शर्त साथ दिया, वैसे ही अधिवक्ता मनोज आहूजा अपने मुवक्किलों के लिए खड़े रहते हैं। और तभी उन्हें वो सम्मान मिलता है, जो सिर्फ ज्ञान से नहीं – कर्म से मिलता है।
माँ त्रिपुरे की कृपा और आशीर्वाद सदा उन पर बना रहे,
क्योंकि जब तक मनोज आहूजा जैसे वकील इस न्याय प्रणाली में हैं, तब तक सच का पक्ष कभी कमजोर नहीं पड़ेगा।
DrManoj Ahuja