
30/05/2024
एक तरफ बॉर्डर में तैनाथ सिपाही रक्षा कर रहे हैं अपनी धारती, धारती मां की और नारा लगाते हुए भी अपने सुना होगा कि भारत माता कि जय सायाद ये भारत माता धारती ही होगा और इन्ही सिपाइयो के मदद से भारत के अन्दर विकाश के नाम से कुछ लोग कागज के पैसों से बेच रहे हैं ये धारती।
जिस दिन से जंगलों की रक्षा जंगलों में निवास करने वाले आदिवासियों को बेदाकल करने लगे हैं उसी दिन से जंगलों, नदियों, और पानी की रक्षा में बस कागजों में ही हो रहा है आदिवासी प्राकृतिक का पूजक है आदिवासी ही प्राकृतिक का रक्षक है आदिवासी ही इस देश का मूल निवासी है ये आप प्राकृतिक से पूछ लीजिए।
#आदिवासी है तो जल है।
#आदिवासी है तो जंगल है।
#आदिवासी है तो जमीन है।
#आदिवासी है तो प्रकृतिक है।
बरना एक दिन ये प्राकृतिक कागज़ के पैसों से बदला जायेगा बेचा जाएगा और आप की आयु 100 साल जीने के वजाय 40–50 सालों में ही खत्म हो जाएगी। कुछ दृश्य आप इन फ़ोटो के मध्यम से समझ सकते हैं।
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