जिंदगी के दो पहलु

जिंदगी के दो पहलु जिंदगी के दो पहलु होते हैं मै आपको दूसरे पहलु से रूबरू करवाउंगा बस आप पेज को फॉलो और लाइक कर लीजिये 😄😌
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24/04/2025

हम सोचते हैं दुश्मन सरहदों के उस पार है,
जहाँ टैंक हैं, मिसाइलें हैं, और जंग का शोर है।
मगर असली खतरा वो नहीं, जो खुलकर ललकारे,
वो है जो साए में छुपकर, भीतर से ही वार करे।

जिसे हम अपना समझ बैठे,
वो ही बीज थे साज़िश के, जो धीरे-धीरे अपनी जड़ें फैला बैठे।
न वर्दी है, न बंदूक — बस शब्दों का ज़हर है,
हर मोड़ पर भ्रम फैलाए, हर बात में कहर है।

जब घर में ही दरारें हों,
तो दीवारें बाहर से क्या गिराएंगी?
जिस दिन अंदर का ये ज़हर साफ़ होगा,
बाहर की हर चुनौती खुद-ब-खुद कमजोर होगी।

कभी सोचो, कि जो बार-बार हमें तोड़ने का हुनर दिखाते हैं,
क्या वाकई बाहर से आते हैं,
या हमने ही कुछ चेहरों को जगह दी है
और वो अंदर से दीवारें ढहाते हैं?

✍️ आनंद पांडेय

सपने लिए थी वो आँखों मेंपढ़-लिख के कुछ कर दिखाने को।सब पेपर सही थे फिर भीरोका गया उसे आगे बढ़ने को।पाँच दिन से बैठी धरने...
22/04/2025

सपने लिए थी वो आँखों में
पढ़-लिख के कुछ कर दिखाने को।
सब पेपर सही थे फिर भी
रोका गया उसे आगे बढ़ने को।

पाँच दिन से बैठी धरने पर
ना कोई सुनवाई ना इंसाफ़ मिला।
जो हक़ था उसका छीन लिया गया
बस चुपचाप सबने मुँह फेरा।

एक लड़की अकेले लड़ रही है
सिस्टम से सच्चाई के साथ।
हम सबका फर्ज़ बनता है अब
उसके संघर्ष में दे साथ सब।

ना झुकेगी ना रुकेगी अर्चिता बहन
ये लड़ाई अब हम सबकी है।
इंसाफ़ की आवाज़ उठानी होगी
क्योंकि चुप्पी भी एक गुनाह ही है।







✍️ Anand Pandey

वही आँगन वही खिड़की वही दर याद आता हैकभी जिस पर लगे घंटों वो मंज़र याद आता है।जहाँ बचपन की हर बूँद में ख़ुशबू थी मोहब्बत...
21/04/2025

वही आँगन वही खिड़की वही दर याद आता है
कभी जिस पर लगे घंटों वो मंज़र याद आता है।
जहाँ बचपन की हर बूँद में ख़ुशबू थी मोहब्बत की
अकेला जब भी होता हूँ, वो घर याद आता है।
फिर वही आंगन याद आती है!

मई और जून की तपती दोपहर जब झुलसती है
बदन से पसीना टपके तो माँ की गोद याद आती है।
जहाँ ठंडी छाँव में दादी कहानी सुनाया करती थी
नवम्बर याद आता है, दिसम्बर याद आता है।
फिर वही आंगन याद आती है!

न लोरी है न वो थपकी न कोई झिड़की प्यार की
यहाँ हर बात में तन्हाई वहाँ हर बात में प्यार थी!
जो बीत गया वो सपना था अब जागे तो समझ आया
वो बीते दिन वो बीता कल मुक़द्दर याद आता है।
फिर वही आंगन याद आती है!

✍️ Anand Pandey

माटी की खुशबू लहराई है,गांव की गूंज शहर तक आई है।जिसे समझा गया था बस खेतों तक,आज उसी ने बीसीसीआई में धाक जमाई है।ना कोई ...
20/04/2025

माटी की खुशबू लहराई है,
गांव की गूंज शहर तक आई है।
जिसे समझा गया था बस खेतों तक,
आज उसी ने बीसीसीआई में धाक जमाई है।

ना कोई लॉबी, ना कोई रसूख,
सिर्फ़ मेहनत की सच्ची सूख।
मुंबई की गलियों से नहीं,
यही है असली गाथा बिहारी भूख।

जहाँ नाम पूछ कर दरवाज़े बंद होते थे,
वहाँ आज ताली बजती है।
जिसको नजरअंदाज कर ठुकराया गया,
वो आज इतिहास रचत दिया !

सतुआ खाया, सपना पाला,
हर ठोकर को अपना बनाया
वो वैभव है, सिर्फ़ नाम नहीं,
ये हमारी जड़ों का उजाला है।

उठो, लिखो, ज़ुबां खोलो,
ट्विटर नहीं, दिलों में डोलो।
ये जश्न है उस जूनून का,
जिसने सिस्टम को हिला डाला।

✍️ Anand Pandey


19/04/2025

शहर से नीमन

कुछ साँसों में छुपा रखा हैतेरा नाम, तेरा ख़याल अब भी।कुछ ख्वाबों के कोने में रखे हैंतेरे लम्हों के सवाल अब भी।तेरी हँसी ...
19/04/2025

कुछ साँसों में छुपा रखा है
तेरा नाम, तेरा ख़याल अब भी।
कुछ ख्वाबों के कोने में रखे हैं
तेरे लम्हों के सवाल अब भी।

तेरी हँसी की बारिश में
भीगती है मेरी तन्हाई,
तेरे बिना भी तेरे संग
काटी है कितनी रुसवाई।

किसी शाम की ओट से
तू फिर लौट आए शायद,
मैं हर रोज़ इक चिट्ठी
तेरे नाम कर जाता हूँ।

लबों पे सजा के तेरा नाम,
मैं आज भी जी लेता हूँ।
तू आए ना आए कभी,
मैं तुझे हर रोज़ जी लेता हूँ।

✍️ Anand Pandey

12/04/2025

ये हमर प्रेम ❤️

तुम जैसी हो वैसी हि राहोंसंभाल लूँगाहर बात पे मुस्कुरा देना तुम्हारी हँसी के पीछे का दुःख जान लूँगा
11/04/2025

तुम जैसी हो वैसी हि राहों
संभाल लूँगा
हर बात पे मुस्कुरा देना
तुम्हारी हँसी के पीछे का दुःख जान लूँगा

09/04/2025

मेहनत हमरी किसी काम की नहीं 🙂

कंटेंट मोनेटाइजेशन पॉलिसी फेसबुक के तरफ से हमें मिल गया है इसके लिए फेसबुक और आप लोगों को को बहुत-बहुत धन्यवाद ❤️कुछ दिन...
09/04/2025

कंटेंट मोनेटाइजेशन पॉलिसी फेसबुक के तरफ से हमें मिल गया है इसके लिए फेसबुक और आप लोगों को को बहुत-बहुत धन्यवाद ❤️

कुछ दिन से कुछ इशू चल रहा था इस पेज में इसीलिए मैं इस पर काम नहीं कर रहा था लेकिन बहुत जल्दी आप लोग को मेरा काम इस पर दिखेगा 🙏❤️

कुछ लोग कहते है की जब नए रिश्ते मिल जाते है तो लोग पुराने रिश्ते को भूल जाते हैकुछ साल पहले मतलब 15,20 साल पहले ऐसा नही ...
17/11/2024

कुछ लोग कहते है की जब नए रिश्ते मिल जाते है तो लोग पुराने रिश्ते को भूल जाते है

कुछ साल पहले मतलब 15,20 साल पहले ऐसा नही था
लोग कही ना कही से एक दूसरे से रिश्ता जोड़ लेते थे
अरे फलना वो तो हमार चाचा लगते है

हमारे फूफा लगते है ऐसे रिश्ते को जोड़ कर रखा जाता था
लेकिन आज कल ये सब नाम का रह गया है रिश्ता

एक दूसरे को रिस्तेदार बताने से दूर भागते है पता नहीं क्यों ?
शायद पैसे वाले हो गए होंगे और वो थोड़ा कम पैसे वाले होंगे

हो सकता है उनके बच्चे थोड़े बिगड़ गए हो ?
लेकिन क्या इन सब से रिश्ते खत्म हो जाते है क्या ?

अब मैं गांव में नहीं रहता कुछ समय से मैं शहर में रहता हूं सिर्फ नौकरी करने के लिए इसके सिवा कुछ नहीं है यहां
पिताजी ने भी अपनी पूरी जिंदगी गांव छोड़कर शहर में ही गुजार दी सिर्फ नौकरी करने के लिए

अब हम रहते हैं गांव से दूर शहर में नौकरी करने के लिए अब नौकरी करने में ही तो हमारा पूरा समय निकल जाता है
अब कुछ रिश्तेदारों को ऐसा लगता है कि हमें उनसे कोई मतलब ही नहीं है या उनको हमसे कोई मतलब नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है हम अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए ही गांव को छोड़े और अपनों को छोड़े है हमारा तकलीफ कोई नही जानता है

हमारे साथ क्या गुजर रहा है क्या बीत रहा है इससे किसी को फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि ना तो वो हमारी खबर रखते हैं और ना हम उनकी
शहर में नौकरी करने वालों के लिए सबसे तकलीफ वाला समय होता है जब हम अपने करीबी ( रिश्तेदार ) के सुख-दुख में नही सामिल हो सकते है
हो सकता है उसकी कोई मजबूरी हो या फिर उसको उतना उपयोगी नहीं समझा जा रहा हो

मैंने शुरू से ही हर रिश्ते को जोड़ के एक साथ रखने की कोशिश की है और नए रिश्ते भी बनना पसंद है लेकिन रिश्ते उतने ही बनाने चाहिए जितने सामने से भी उतना उपयोगी समझा जाए

आपके लाखों की भीड़ में मैं कुछ नहीं हूं
लेकिन मेरे लिए लाखों की भीड़ आप ही हो

गांव से दूर शहर में रह रहा आपका कोई रिस्तेदार मजबूर हो सकता है अपनी कुछ परिस्थितियों से जो अपने रोजमर्रा की जिंदगी की जरूरत को पूरी करने में व्यस्त हो क्योंकि वह इस लिए अपने गांव और अपनों को छोड़कर यहां सिर्फ नौकरी के लिए रह है जिससे वह पूरा होता है

आजकल रिश्तो की अहमियत पैसों से दी जाती है जो हर किसी के पास नहीं होता है
जहां पैसा कम आता है वहां कोई आदमी नहीं काम आएगा और जहां आदमी काम आएगा हो सकता है वहां पैसा नहीं हो

जब तक पैसों अहमियत रिश्तो से जब तक दी जाएगी तब तक रिश्ते खोखले होते जाएंगे

✍️ दूर कही किसी शहर से जो बिछड़ गया अपनों से

25/09/2024

माँ बेटे का प्यार और एक पर्व जिगुतिया.... 🙏
✍️ Sarvesh Bharadwaj
🗣️ Anand Pandey

Address

बिहार
Kesariya
845424

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