Mission Sandesh

Mission Sandesh Mission Sandesh

 #मुंबई बम धमाके के सभी 12 आरोपी बाइज्जत बरी, तो असली आरोपी कौन, न्याय  सिस्टम पर बड़ा सवालमुंबई की लोकल ट्रेन में वर्ष ...
22/07/2025

#मुंबई बम धमाके के सभी 12 आरोपी बाइज्जत बरी, तो असली आरोपी कौन, न्याय सिस्टम पर बड़ा सवाल

मुंबई की लोकल ट्रेन में वर्ष 2006 में हुए बम धमाकों के 12 आरोपियों को #बॉम्बेहाईकोर्ट ने बाइज्जत बरी कर दिया। एक लंबा, पीड़ादायक और सवालों से भरा यह अध्याय आखिरकार समाप्त हुआ। लेकिन इसके पीछे छुपी एक ऐसी पीड़ा है जिसे सिर्फ वो बारह लोग, उनके परिवार और समाज का सजग नागरिक ही समझ सकता है। यह निर्णय सिर्फ अदालत का आदेश नहीं है, यह #भारतीय #न्याय व्यवस्था के उस कटु यथार्थ का आईना भी है जिसमें बेगुनाही साबित करने में किसी की आधी जिंदगी गुजर जाती है।

2006 में देश सदमे में था। लोकल ट्रेन पर हुए विस्फोटों में 189 #निर्दोष लोगों की जान गई थी। पूरा देश आक्रोशित था, #शासन-प्रशासन पर भारी दबाव था कि जल्द से जल्द आरोपियों को पकड़कर कड़ी सजा दी जाए। इसी आपाधापी में तत्कालीन #एटीएस और जांच एजेंसियों ने जिन 13 लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें से एक की हिरासत में मौत हो गई और बाकी 12 ने 18 साल सलाखों के पीछे गुजारे। निचली अदालत ने उन्हें #फांसी की सजा दी, #उम्रकैद सुनाई, लेकिन अंततः बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाया कि इन 12 लोगों के खिलाफ कोई ठोस, विश्वसनीय और निष्पक्ष सबूत पेश नहीं किया जा सका। नतीजा—18 साल बाद “बाइज्जत बरी”।

सवाल यह उठता है कि अगर #आरोपी दोषी नहीं थे तो असली गुनहगार कहां हैं? क्या हमारी जांच एजेंसियां न्याय दिलाने में नाकाम रहीं या सिर्फ दबाव में 'किसी को भी' #अपराधी साबित कर दिया गया? उन परिवारों का क्या जिन्होंने अपने प्रियजनों को विस्फोट में खोया और उन्हें अब यह भी नहीं पता कि उनके साथ न्याय कब होगा? और उस दर्द का क्या मोल जो बरी हुए इन लोगों ने भुगता? जिनकी जिंदगी का सबसे कीमती समय जेल की दीवारों में सड़ गया।

इस मामले ने न्याय व्यवस्था के उन काले पहलुओं को सामने ला दिया है जो आमतौर पर #मीडिया की सुर्खियों से दूर रहते हैं। जांच एजेंसियों की लापरवाही, #टॉर्चर के आरोप, जबरन कुबूलनामे, पुलिसिया हिंसा और राजनीतिक दबाव की कहानियां किसी भी सभ्य लोकतंत्र के माथे पर कलंक की तरह हैं। यह घटना सिर्फ एक मामले की त्रासदी नहीं है, यह पूरे न्यायिक और जांच तंत्र की गहरी विफलता का प्रमाण है।

भारत में "बाइज्जत बरी" का मतलब महज #कोर्ट से छुटकारा नहीं होता, बल्कि सालों के सामाजिक बहिष्कार, परिवार की बर्बादी और टूटे भविष्य की कीमत भी चुकानी पड़ती है। इन लोगों के लिए जिंदगी वहीं रुक गई थी जहां से उन्होंने जेल का दरवाजा देखा था। उनकी #सामाजिक #प्रतिष्ठा, मान-सम्मान, परिवार की खुशियां सब कुछ रेत की तरह हाथ से फिसल गई।

यह फैसला हमें झकझोरता है कि हमें न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। फास्ट ट्रैक अदालतें केवल नाम भर की औपचारिकता न बनें। जांच एजेंसियों को राजनीतिक दबाव और मीडिया ट्रायल के चंगुल से मुक्त करना होगा। किसी बेगुनाह को गलत केस में फंसाना अपने आप में अपराध होना चाहिए। इस देश में कानून के नाम पर वर्षों तक न्याय को टालना सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, पूरे समाज की हत्या है।

यह समय आत्ममंथन का है। हम सबको खुद से पूछना होगा—क्या हम एक न्यायपूर्ण समाज की ओर बढ़ रहे हैं या सिर्फ कानून के कागजी दिखावे में उलझे हुए हैं? क्या हम असली अपराधियों को सजा दिला पा रहे हैं या निर्दोष लोगों को बलि का बकरा बनाकर ‘मामला बंद’ कर दे रहे हैं?

18 साल बाद न्याय के नाम पर सिर्फ एक कागज थमाया गया—'आप बेगुनाह हैं'। लेकिन खोए हुए वर्षों की भरपाई कौन करेगा? क्या अब कोई माफी या मुआवजा उस जीवन को लौटा सकता है जो बेरहमी से छीन लिया गया?

यह फैसला हमारे लोकतंत्र की अंतरात्मा को झकझोरने के लिए काफी है। अगर अब भी बदलाव नहीं हुआ, तो अगला बारी किसकी होगी, इसका जवाब कोई नहीं जानता।

(जब शिक्षा डर बन जाए) *डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने* _संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान_  *संस्थाएं डिग्रियां नह...
22/07/2025

(जब शिक्षा डर बन जाए)
*डिग्रियों की दौड़ में दम तोड़ते सपने*
_संभावनाओं की कब्रगाह बनते संस्थान_

*संस्थाएं डिग्रियां नहीं, ज़िंदगियां दें — तभी शिक्षा का अर्थ है*

भारत में शिक्षा संस्थान अब केवल डिग्रियों की फैक्ट्री बनते जा रहे हैं, जहां बच्चों की संभावनाएं और संवेदनाएं दोनों दम तोड़ रही हैं। कोटा, हैदराबाद, दिल्ली जैसे शहर आत्महत्या के आंकड़ों से दहल रहे हैं। यह संकट केवल परीक्षा का नहीं, हमारी सोच और व्यवस्था का है — जो रैंक को जीवन से ऊपर रखती है। शिक्षा में संवाद, मानसिक परामर्श और मानवीयता की जगह खाली है। जब तक हम शिक्षा को जीवन से नहीं जोड़ेंगे, तब तक यह व्यवस्था सफल नहीं, घातक सिद्ध होती रहेगी।

- प्रियंका सौरभ

कभी जिन विद्यालयों और महाविद्यालयों को ज्ञान के मंदिर कहा जाता था, आज वही स्थान धीरे-धीरे उस पीड़ा के पर्याय बनते जा रहे हैं, जहां बच्चों की हँसी नहीं, तनाव भरी चुप्पी गूंजती है। एक दौर था जब शिक्षा का उद्देश्य जीवन को सुंदर बनाना था, आज शिक्षा जीवन का भार बन गई है। हम एक ऐसे दौर में पहुंच चुके हैं जहां विद्यार्थी शिक्षा से नहीं, शिक्षा के ढांचे से डरने लगे हैं। कोटा, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई, पुणे — न जाने कितने शहरों में हर साल सैकड़ों छात्र आत्महत्या कर लेते हैं। ये केवल घटनाएं नहीं हैं, ये हमारे तंत्र की हार की घोषणा हैं।

राजस्थान का कोटा शहर, जिसे आज प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का केंद्र माना जाता है, वह इस समय देश का सबसे बड़ा मानसिक तनाव केंद्र भी बनता जा रहा है। हर साल लाखों विद्यार्थी डॉक्टर, अभियंता, प्रशासनिक अधिकारी या वैज्ञानिक बनने के सपने लेकर यहां आते हैं। लेकिन इन सपनों की कीमत इतनी भारी होती है कि सैकड़ों बच्चे उस बोझ को सह नहीं पाते और जीवन समाप्त कर बैठते हैं।

कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई अब एक मानसिक परीक्षा बन चुकी है। सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कक्षाएं, गृहकार्य, परीक्षा, फिर परिणाम — इस चक्रव्यूह से बाहर निकलने का कोई द्वार नहीं होता। विद्यार्थियों के लिए न तो खेल-कूद का समय होता है, न साहित्य, संगीत या संवाद का। न दोस्तों के लिए समय होता है, न अपने आप से बात करने का। और ऐसे माहौल में जब कोई बच्चा असफल होता है, तो वह स्वयं को जीवन के अयोग्य समझ लेता है। यह मानसिकता इतनी गहरी है कि वह सोच भी नहीं पाता कि जीवन केवल एक परीक्षा से तय नहीं होता।

एक छात्र की आत्महत्या केवल एक जीवन का अंत नहीं है, वह उस शिक्षा व्यवस्था पर कठोर टिप्पणी है जो विद्यार्थियों को नंबर और रैंक के तराजू में तौलती है। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के अनुसार 2021 में 13,000 से अधिक विद्यार्थियों ने आत्महत्या की। यह संख्या भारत में शिक्षा के नाम पर होने वाली त्रासदी की भयावहता को दर्शाती है। क्या हमने कभी यह सोचने की कोशिश की कि ये बच्चे क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? क्या केवल परीक्षा में असफल हो जाना किसी को जीवन त्यागने के लिए मजबूर कर सकता है?

दरअसल, समस्या परीक्षा की नहीं है, समस्या उस सोच की है जिसमें असफलता को कलंक माना जाता है। माता-पिता, समाज, शिक्षक, कोचिंग संस्थान — सब इस मानसिकता को पोषित करते हैं कि जो बच्चा प्रतियोगिता में सफल नहीं हुआ, वह निकम्मा है। परिणामस्वरूप, बच्चा स्वयं को दोषी मानने लगता है और धीरे-धीरे अवसाद की गर्त में चला जाता है। किसी से अपनी बात कहने का साहस भी उसमें नहीं रहता।

भारत की शिक्षा प्रणाली में वर्षों से यह कमी रही है कि यहाँ मानसिक स्वास्थ्य को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई। विद्यालयों और महाविद्यालयों में न तो स्थायी मानसिक परामर्शदाता होते हैं, न छात्रों के साथ खुला संवाद। माता-पिता भी अक्सर यह नहीं समझ पाते कि उनका बच्चा क्या महसूस कर रहा है। बच्चों से 'कैसे हो' पूछने के बजाय 'कितना पढ़ा' पूछा जाता है।

शिक्षा व्यवस्था की इस अमानवीयता को और अधिक तीव्र बना दिया है शिक्षा के व्यावसायीकरण ने। आज शिक्षा एक सेवा नहीं, एक उद्योग बन चुकी है। कोचिंग संस्थान करोड़ों का व्यापार करते हैं। उनका उद्देश्य केवल बच्चों को परीक्षा में सफल बनाना है, उन्हें जीवन में सक्षम बनाना नहीं। वे बच्चों को उत्तर याद करवाते हैं, सवाल पूछने की आदत नहीं सिखाते। वे सफलता की मशीनें गढ़ते हैं, इंसान नहीं।

बात केवल कोचिंग की नहीं है। देश के प्रतिष्ठित महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से भी आत्महत्याओं की खबरें आती रही हैं। रोहित वेमुला, एक शोधार्थी, जिसकी आत्महत्या ने पूरे देश को हिला दिया था, वह भी संस्थागत भेदभाव और असंवेदनशीलता का शिकार था। आज भी जातीय, सामाजिक, भाषाई और क्षेत्रीय भेदभाव के अनेक रूप हमारे शैक्षिक संस्थानों में मौजूद हैं। विद्यार्थियों को मानसिक सुरक्षा नहीं मिलती, भावनात्मक सहारा नहीं मिलता, और जब सब रास्ते बंद हो जाते हैं, तो वे जीवन को ही समाप्त करने का निर्णय लेते हैं।

समस्या बहुत गहरी है और इसका समाधान केवल "शोक प्रकट करने" या "नियमन बनाने" से नहीं होगा। हमें शिक्षा की परिभाषा को फिर से गढ़ना होगा। शिक्षा केवल डिग्री, अंक या नौकरी का माध्यम नहीं हो सकती। शिक्षा का उद्देश्य जीवन को समझना, आत्मविश्वास विकसित करना, और हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना होना चाहिए।

हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक शिक्षा संस्थान में स्थायी मानसिक परामर्शदाता हों। बच्चों के लिए खुला मंच हो जहां वे अपने विचार, भावनाएं और समस्याएं बिना डर के व्यक्त कर सकें। परीक्षा पद्धति ऐसी हो जो केवल रटंत विद्या को न परखे, बल्कि रचनात्मकता, तर्कशक्ति और संवेदना को भी महत्व दे।

इसके साथ ही, कोचिंग संस्थानों पर कठोर नियंत्रण की आवश्यकता है। उनकी फीस, समय-सारणी, परीक्षा पद्धति — सब कुछ सरकार द्वारा विनियमित किया जाना चाहिए। उन्हें केवल व्यावसायिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्हें सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत लाना होगा। सरकार को भी इस विषय पर केवल बयानबाज़ी करने के बजाय ठोस नीति बनानी चाहिए जो आत्महत्याओं की घटनाओं को रोक सके।

माता-पिता को भी अपनी भूमिका समझनी होगी। बच्चों से संवाद बढ़ाना होगा, उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी असफलता कोई अपराध नहीं है। हमें यह समझना होगा कि हर बच्चा अद्वितीय होता है, और हर किसी की सफलता की परिभाषा एक जैसी नहीं हो सकती।

यह भी आवश्यक है कि समाज में असफलता को सहजता से स्वीकार करने की संस्कृति विकसित की जाए। हमें यह सिखाना होगा कि परीक्षा में असफल होना जीवन में असफल होना नहीं है। यदि कोई बच्चा एक परीक्षा में नहीं सफल हो पाया, तो उसके लिए और भी रास्ते हैं। यह जीवन केवल रैंक की सूची नहीं है, यह भावनाओं, संवेदनाओं और संभावनाओं की यात्रा है।

हमारा देश तभी शिक्षित माना जाएगा जब यहां के शिक्षा संस्थान बच्चों को केवल पाठ्यक्रम नहीं, जीवन जीने की कला सिखाएं। जब विद्यार्थी केवल डिग्रियां नहीं, उद्देश्य लेकर निकलें। जब शिक्षा बच्चों को नंबरों से नहीं, उनकी पहचान से जोड़ें।

आज आवश्यकता इस बात की नहीं है कि हम बच्चों को "किताबें रटवाएं", बल्कि इस बात की है कि हम उन्हें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान देना सीखें। उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि वे जैसे हैं, वैसे ही पर्याप्त हैं। उनकी संभावनाएं अंकतालिकाओं से बड़ी हैं, और उनका जीवन परीक्षा के परिणामों से अधिक मूल्यवान है।

अगर हम यह नहीं कर सके, तो हर वर्ष हजारों रोशनी बुझती रहेंगी, और हम केवल मोमबत्तियां जलाकर अफ़सोस करते रहेंगे। शिक्षा को फिर से जीवनमूल्य आधारित बनाना होगा — जहां विद्यार्थी केवल डिग्री नहीं, उद्देश्य पाएं; केवल नौकरी नहीं, पहचान पाएं; और केवल पढ़ाई नहीं, जीने का विश्वास पाएं।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार और कवयित्री हैं)
#प्रियंका_सौरभ
#शिक्षा_में_संवेदना #मानसिक_स्वास्थ्य #छात्र_आत्महत्या_रोकें

👉“जनता की  #अदालत में खरा उतरा ग्राम पंचायत का विकास, सोशल ऑडिट में मिला ग्रामीणों का समर्थन” #संतकबीरनगर। पंचायत स्तर प...
21/07/2025

👉“जनता की #अदालत में खरा उतरा ग्राम पंचायत का विकास, सोशल ऑडिट में मिला ग्रामीणों का समर्थन”

#संतकबीरनगर। पंचायत स्तर पर पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा संचालित #सोशल ऑडिट प्रक्रिया अब #ग्रामीण विकास के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर रही है। इसी क्रम में #नाथनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बारीडीहा में सोमवार को सोशल ऑडिट की खुली बैठक का आयोजन हुआ। कोऑर्डिनेटर ज्ञानेंद्र सिंह के नेतृत्व में आयोजित इस #बैठक में ग्रामीणों ने पंचायत के कार्यों की खुले मंच पर #समीक्षा की और अपनी राय रखी।

बैठक का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2024-25 के #मनरेगा कार्यों की समीक्षा करना और उन पर पंचायत एवं #प्रशासन से सीधा संवाद स्थापित करना था। बैठक में ग्राम पंचायत अधिकारी, #रोजगार सेविका, #पंचायत सहायिका और बड़ी संख्या में मनरेगा #मजदूर एवं ग्रामीण उपस्थित रहे।

ग्रामीणों ने जताया कार्यों पर संतोष

बैठक की सबसे खास बात यह रही कि ग्रामीणों ने ग्राम #प्रधान द्वारा कराए गए मनरेगा कार्यों को #पारदर्शी और संतोषजनक बताया। सभी कार्यों का #लेखा-जोखा जब उपस्थित ग्रामीणों के समक्ष पेश किया गया तो किसी ने भी किसी तरह की गड़बड़ी या #अनियमितता की शिकायत नहीं की। सोशल ऑडिट टीम ने ग्रामीणों की राय और अभिलेखों का तुलनात्मक परीक्षण कर कार्यों की पुष्टि करते हुए अपनी मोहर लगा दी।

#जवाबदेही का मंच बना सोशल ऑडिट

ग्रामीणों को न केवल कार्यों का ब्यौरा दिखाया गया, बल्कि उनके सवालों को सुनने और #समाधान देने के लिए सोशल ऑडिट टीम ने खुला मंच दिया। कार्यों में खर्च की गई धनराशि, मजदूरों के भुगतान की स्थिति और कार्यस्थलों की वास्तविकता का बेबाक मूल्यांकन हुआ। ग्राम पंचायत अधिकारी और अन्य कर्मियों ने भी हर सवाल का संतोषजनक जवाब दिया।

मौके पर #कोऑर्डिनेटर ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि सोशल ऑडिट का मुख्य उद्देश्य है “पंचायती कार्यों में #पारदर्शिता, #जवाबदेही और जनभागीदारी को मजबूत करना।” उन्होंने कहा—“सोशल ऑडिट केवल जांच या निरीक्षण नहीं है बल्कि यह ग्रामवासियों का अधिकार है कि वे अपने गांव में होने वाले प्रत्येक कार्य की जानकारी लें और सवाल पूछें। हमारा प्रयास है कि हर ग्रामीण जागरूक बने और अपने हक की निगरानी खुद करे। बारीडीहा पंचायत ने जो पारदर्शिता दिखाई है, वह अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी खुली बैठकों से ग्राम स्तर पर विश्वास और जवाबदेही का माहौल बनता है, जिससे योजनाओं का लाभ सही लोगों तक बिना किसी भेदभाव के पहुँचता है।

इस मौके पर ग्राम प्रधान #भालचंद्रयादव ने कहा कि उनकी प्राथमिकता रही है कि ग्राम पंचायत में कोई भी कार्य बिना पारदर्शिता और जनसहभागिता के न हो। उन्होंने कहा—“हमारी कोशिश है कि गांव के प्रत्येक पात्र व्यक्ति को सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले और कोई भी ग्रामीण जानकारी के अभाव में वंचित न रह जाए। मनरेगा जैसी योजनाओं में मजदूरों को समय से भुगतान मिले और कार्य पूरी ईमानदारी से हों, इसके लिए हम हर स्तर पर जिम्मेदारी निभा रहे हैं। सोशल ऑडिट जैसी बैठकों से पंचायत के कार्यों की खुली समीक्षा होती है और जनता को सीधे तौर पर पंचायत की कार्यप्रणाली को समझने का अवसर मिलता है।”

उन्होंने आगे कहा कि बारीडीहा पंचायत विकास और पारदर्शिता के मॉडल पंचायत के रूप में कार्य कर रही है और आगे भी जनहित और ईमानदारी के साथ सभी योजनाओं का संचालन होता रहेगा।

विश्लेषण : पंचायत में बढ़ती पारदर्शिता का संकेत

सामान्यत: मनरेगा जैसे बड़ी धनराशि वाले योजनाओं में अनियमितताओं की शिकायतें देखने को मिलती रही हैं, लेकिन बारीडीहा पंचायत में स्थिति इसके ठीक विपरीत देखने को मिली। बैठक में एकजुट होकर ग्रामीणों का पंचायत के कार्यों के समर्थन में बोलना यह दर्शाता है कि यदि सही नेतृत्व और सतर्क निगरानी हो तो सरकारी योजनाओं का लाभ सही पात्र लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।

यह मॉडल उन पंचायतों के लिए भी मिसाल बन सकता है जहां योजनाएं महज कागजों पर चलती हैं। सोशल ऑडिट प्रक्रिया सिर्फ प्रशासनिक औपचारिकता नहीं बल्कि एक समुदायिक जवाबदेही का मंच बन रही है, जिससे ग्रामीणों में जागरूकता और जिम्मेदारी दोनों का विकास हो रहा है।

निष्कर्ष : पारदर्शिता की नई मिसाल बना बारीडीहा पंचायत

सोशल ऑडिट बैठक ने यह साबित किया कि जब पंचायत प्रतिनिधि, ग्रामीण #समुदाय और प्रशासनिक तंत्र मिलकर कार्य करते हैं तो योजनाओं की #पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकती है। #बारीडीहा ग्राम पंचायत में हुए कार्यों पर ग्रामीणों की मुहर ने यह दिखाया कि ग्रामीण विकास में #ईमानदारी और जवाबदेही अब भी संभव है।

यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि सशक्त स्थानीय #लोकतंत्र की झलक थी, जो बताता है कि जागरूक समाज और #पारदर्शी प्रशासन से गांव की तस्वीर बदली जा सकती है।

 #संतकबीरनगर: “टूटते रिश्तों में फिर लौटी मुस्कान, पिंक बूथ बना तीन परिवारों की खुशियों का सेतु”संतकबीरनगर। पुलिस अधीक्ष...
20/07/2025

#संतकबीरनगर: “टूटते रिश्तों में फिर लौटी मुस्कान, पिंक बूथ बना तीन परिवारों की खुशियों का सेतु”

संतकबीरनगर। पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार मीना के निर्देशन में मिशन शक्ति अभियान के तहत संचालित “साथ-साथ कार्यक्रम” के अंतर्गत शनिवार को पिंक बूथ #परिवार परामर्श केंद्र, सर्किल #खलीलाबाद पर पारिवारिक विवादों के निपटारे का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अगुवाई पिंक बूथ प्रभारी अंजली सरोज ने की, जबकि #परामर्श प्रक्रिया में सदस्य रिफातुल्लाह अंसारी, प्रमोद त्रिपाठी और सुनीता गौतम ने सक्रिय भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के दौरान तीन अलग-अलग परिवारिक विवादों के मामले आए, जिनमें समझाइश, संवाद और आपसी सहमति से सफल सुलह #समझौता कराया गया। इन मामलों में रिश्तों को टूटने से बचाया गया और परिवारों को एक नई उम्मीद की किरण मिली।

तीन प्रमुख मामलों का विवरण-

पहला मामला : गोरखपुर के बनकटिया गांव का दंपति फिर से साथ रहने को तैयार
पहला मामला सुमन पत्नी संजीव कुमार एवं संजीव पुत्र रामभवन कुमार निवासी बनकटिया, #थाना #सहजनवा, जनपद #गोरखपुर से संबंधित था। पारिवारिक कलह के कारण दंपत्ति अलग हो चुके थे और रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया था। परामर्श केंद्र पर दोनों पक्षों के बीच गहन बातचीत के बाद आपसी सहमति बन सकी। पति-पत्नी एक-दूसरे को समझते हुए फिर से साथ रहने को राजी हो गए।

दूसरा मामला : संतकबीरनगर-बखिरा और गोरखपुर-फरेन्दा के बीच आपसी सुलह

दूसरा मामला जुगुरु उर्फ राजेश्वरी पुत्री राधेश्याम ग्राम बखिरा थाना #बखिरा, जनपद #संतकबीरनगर और मोनू मौर्या पुत्र रामलखन मौर्या ग्राम #फरेन्दा खुर्द, थाना फरेन्दा, जनपद #गोरखपुर के बीच था। रिश्तों में बढ़ती दूरियों के कारण दोनों पक्षों के बीच गंभीर विवाद उत्पन्न हो गया था। परामर्शदाताओं के सहयोग से दोनों पक्षों ने आपसी मनमुटाव भुलाकर फिर से साथ रहने का निर्णय लिया।

तीसरा मामला : खलीलाबाद में पति-पत्नी के रिश्ते में लौटी मिठास

तीसरा मामला प्रतिभा पत्नी राजकुमार वर्तमान पता बड़ी सरौली, थाना #कोतवाली खलीलाबाद और राजकुमार पुत्र रंगीलाल निवासी #पायलपार थाना कोतवाली #खलीलाबाद का था। आपसी पारिवारिक विवाद के कारण दोनों के बीच दूरी बढ़ गई थी। केंद्र की पहल और दोनों पक्षों के आपसी संवाद से रिश्ते में फिर से मिठास लौट आई और दोनों साथ रहने को सहमत हो गए।

पिंक बूथ बना रिश्तों को जोड़ने का सेतु

#पिंकबूथ प्रभारी अंजली सरोज ने बताया कि परिवार परामर्श केंद्र का मुख्य उद्देश्य छोटे-छोटे विवादों को बड़ा बनने से रोकना है। #'साथ-साथ' कार्यक्रम के माध्यम से आपसी समझदारी और #संवाद से परिवारों को फिर से जोड़ा जा रहा है। सदस्य रिफातुल्लाह अंसारी, प्रमोद त्रिपाठी और सुनीता गौतम ने बताया कि समाज में जागरूकता के जरिए घरेलू विवादों को संवाद से सुलझाया जा सकता है।

एसपी संतकबीरनगर की #सराहनीय पहल

पुलिस अधीक्षक #संदीप कुमार मीना द्वारा चलाया जा रहा यह कार्यक्रम जनपद में लगातार सकारात्मक परिणाम दे रहा है। मिशन शक्ति अभियान के तहत महिलाओं की समस्याओं के समाधान के साथ-साथ परिवारों को जोड़ने की दिशा में यह पहल बेहद सराहनीय मानी जा रही है।

20/07/2025
 #मुख्यमंत्री आरोग्य मेला: 'अब न अस्पताल की दौड़, न महंगे इलाज की मार'—कांशीराम आवास पर आरोग्य मेला बना उम्मीद की किरण #...
20/07/2025

#मुख्यमंत्री आरोग्य मेला: 'अब न अस्पताल की दौड़, न महंगे इलाज की मार'—कांशीराम आवास पर आरोग्य मेला बना उम्मीद की किरण

#संतकबीरनगर। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजना के तहत मुख्यमंत्री #आरोग्य मेला का आयोजन रविवार को जिले के खलीलाबाद स्थित #कांशीराम आवास #नगरीय #स्वास्थ्य केंद्र पर संपन्न हुआ। मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देशन में तथा केंद्र प्रभारी डॉ. श्रुति श्रीवास्तव के नेतृत्व में आयोजित इस स्वास्थ्य मेले में कुल 98 मरीजों की #ओपीडी दर्ज की गई, जिसमें 66 महिला और 32 पुरुष मरीजों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया।

तीन चिकित्सा पद्धतियों का समन्वय, मरीजों को मिला बेहतर उपचार
इस आरोग्य मेले की सबसे खास बात यह रही कि मरीजों का इलाज एलोपैथिक, #आयुर्वेदिक और #यूनानी चिकित्सा पद्धतियों से किया गया। #एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से डॉ. श्रुति श्रीवास्तव ने मरीजों का परीक्षण कर उचित दवा और परामर्श दिया, जबकि आयुर्वेद पद्धति से डॉ. नर्सिंग कुमार वर्मा ने मरीजों को देखा। उपस्थित मरीजों को उनकी जरूरत के मुताबिक निशुल्क दवाएं वितरित की गईं।

स्वास्थ्य जांच और ब्लड टेस्ट की भी व्यवस्था
मेले में आने वाले 28 मरीजों के रक्त नमूने लिए गए और आवश्यकतानुसार उपचार की प्रक्रिया शुरू की गई। मरीजों को प्राथमिक जांच, दवा वितरण और स्वास्थ्य संबंधी उचित सलाह देकर घर भेजा गया।

डॉ. श्रुति श्रीवास्तव, #एमओआईसी (MOIC) ने बताया कि मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का मुख्य उद्देश्य आमजन, विशेषकर महिलाओं, बच्चों और वृद्धजनों को उनके घर के समीप ही स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा कि रविवार को आयोजित होने वाले इस मेले में मरीजों को केवल निःशुल्क दवाएं ही नहीं, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह और जरूरी जांचें भी मुफ्त में कराई जाती हैं।

डॉ. श्रुति ने आगे बताया कि आयुर्वेद, #एलोपैथ और यूनानी तीनों पद्धतियों के माध्यम से इलाज उपलब्ध कराया जाता है ताकि मरीजों को उनकी सुविधा और स्वास्थ्य समस्या के अनुसार सर्वोत्तम इलाज मिल सके। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे मेले के माध्यम से ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और समय पर इलाज मिलने से गंभीर बीमारियों से बचाव संभव हो रहा है।

उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे हर रविवार को आयोजित होने वाले मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और नियमित स्वास्थ्य जांच अवश्य कराएं।

#फार्मासिस्ट और स्टाफ का रहा सराहनीय योगदान
आरोग्य मेले में एलोपैथिक फार्मासिस्ट मनोज कुमार मिश्र, आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट धर्मेंद्र त्रिपाठी, स्टाफ नर्स सुष्मिता पांडेय और एएनएम रीता राय ने जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए मरीजों को सेवा प्रदान की। उन्होंने न केवल दवा वितरण में भूमिका निभाई, बल्कि मरीजों को दवाओं के सही सेवन और स्वास्थ्य #जागरूकता से भी अवगत कराया।

सरकारी योजना से आमजन को मिल रहा घर के पास इलाज
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री आरोग्य मेला योजना के अंतर्गत हर रविवार को प्रदेश के प्रत्येक प्राथमिक और #सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर #निःशुल्क आरोग्य मेले का आयोजन किया जाता है। इसका उद्देश्य आमजन को उनके गांव और मोहल्ले के पास ही #गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है।

मेले में पहुंचे कई मरीजों ने बताया कि पहले उन्हें सामान्य बीमारियों के लिए भी जिला अस्पताल या निजी #चिकित्सकों के यहां जाना पड़ता था, लेकिन अब हर रविवार को स्वास्थ्य केंद्र पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श और निशुल्क दवाएं मिल रही हैं, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत हो रही है।

सरकारी प्रयासों की सराहना, जनहित में कारगर साबित हो रहा आरोग्य मेला
आरोग्य मेले में उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि सरकार की यह पहल #ग्रामीण और शहरी गरीब तबके के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की टीम का यह प्रयास स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और लोगों को समय से इलाज उपलब्ध कराने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

जनपद में इस योजना के जरिए अब स्वास्थ्य सेवाएं गांव-गांव तक पहुंच रही हैं, जिससे लोगों को नजदीक ही स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल रहा है।

19/07/2025

*स्कूल में लोकतंत्र की बुनियाद, मासूम मन में नेतृत्व का बीज : भैंसमथान के बच्चों ने भरी लोकतंत्र की उड़ान*

संतकबीरनगर। लोकतंत्र के पाठ्यक्रम को कक्षा की चारदीवारी से बाहर लाकर बच्चों के जीवन में उतारने की एक अद्भुत पहल पीएम श्री प्राथमिक विद्यालय भैंसमथान, विकास क्षेत्र बघौली में देखने को मिली। दिनांक 19 जुलाई 2025 को विद्यालय में बाल संसद के चुनाव हेतु नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न हुई, जिसमें बच्चों में जोश और नेतृत्व का अद्वितीय संचार देखने को मिला। प्रधानमंत्री पद के लिए कुल 9 नन्हें प्रत्याशियों ने पूरी ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ अपने पांच-पांच प्रस्तावकों के साथ नामांकन दाखिल किया।

राजनीति का पहला सबक : लोकतंत्र की जिम्मेदारी का एहसास

विद्यालय में बाल संसद का आयोजन मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उन बच्चों के भविष्य निर्माण की एक नींव है, जो आने वाले कल में देश का नेतृत्व संभाल सकते हैं। प्रधानाध्यापक कन्हैया लाल जौनपुरिया ने इस अवसर पर कहा, "बाल संसद बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी, नेतृत्व क्षमता और लोकतंत्र की बुनियादी समझ को मजबूत करती है। ये बच्चे न केवल बोलना सीखते हैं बल्कि सुनना और समझना भी सीखते हैं।"
आत्मविश्वास से भरे छोटे नेता
नामांकन के दौरान विद्यालय परिसर उत्सव जैसा माहौल लिए रहा। बच्चों ने उत्साहपूर्वक अपने प्रस्तावकों के साथ नामांकन कराया। बच्चे खुद से अपने नेतृत्व के कारण और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते दिखे। इस उम्र में ही उनमें नेतृत्व की झलक देख शिक्षकों के चेहरे भी गर्व से खिल उठे।

ग्राम प्रधान और शिक्षकों का मिला प्रोत्साहन
ग्राम प्रधान प्रमोद दुबे ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए उन्हें लोकतंत्र की आत्मा समझने और उसमें भागीदारी का महत्व बताया। विद्यालय की शिक्षिकाएँ अर्चना सिंह, मोनिका भारती, विनीता पांडे और चंद्रप्रभा पांडे ने बच्चों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। शिक्षकों ने बच्चों को बाल संसद की जिम्मेदारियों और अनुशासन का महत्व समझाया, जिससे वे खुद को विद्यालय के विकास में सहभागी मानें।

लोकतंत्र का उत्सव, अनुशासन का प्रतीक
विद्यालय के बच्चों ने पुलिस और पैरामिलिट्री जैसी व्यवस्था को अनुशासन का प्रतीक मानते हुए चुनाव प्रक्रिया में स्वअनुशासन और भाईचारे का परिचय दिया। चुनाव में जीतने वाले बच्चे न केवल प्रधानमंत्री बनेंगे, बल्कि उन्हें मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाकर विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।

आने वाला शनिवार बनेगा ऐतिहासिक दिन
अब पूरा विद्यालय 26 जुलाई 2025 की प्रतीक्षा कर रहा है, जब बाल संसद का चुनाव सम्पन्न होगा। यह दिन बच्चों के लिए न केवल जीत और हार का अनुभव होगा, बल्कि जिम्मेदारी, नेतृत्व और लोकतंत्र के जीवंत अध्याय से रूबरू होने का अवसर भी बनेगा।

विश्लेषण:
बाल संसद नन्हें मनों में लोकतांत्रिक संस्कृति का बीज बोती है, जहां वे खुद के अधिकार और कर्तव्य समझते हैं। यह पहल बच्चों को राजनीति से जोड़ने का नहीं, बल्कि नेतृत्व, सहभागिता और सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराने का माध्यम है। भैंसमथान जैसे ग्रामीण क्षेत्र में ऐसी पहलें समाज की जागरूकता और बदलाव की बुनियाद रखती हैं। यह चुनाव भले ही विद्यालय तक सीमित हो, लेकिन इन बच्चों की सोच और दृष्टिकोण को आने वाले वर्षों में व्यापक स्वरूप प्रदान करेगा।

   #थाना कोतवाली खलीलाबाद पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए, गुमशुदा 5 बच्चों को 24 घंटे के भीतर सकुशल किया बरामद, परिज...
19/07/2025

#थाना कोतवाली खलीलाबाद पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए, गुमशुदा 5 बच्चों को 24 घंटे के भीतर सकुशल किया बरामद, परिजनों में दौड़ी खुशी की लहर

संतकबीरनगर। पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार मीना के निर्देश पर चलाए जा रहे गुमशुदा बच्चों की बरामदगी #अभियान के तहत कोतवाली खलीलाबाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मात्र 24 घंटे में पांच लापता बच्चों को ढूंढ निकाला। बच्चों की सकुशल वापसी से परिजनों में राहत और खुशी का माहौल देखने को मिला।

जानकारी के मुताबिक सुशील कुमार सिंह एवं #क्षेत्राधिकारी #खलीलाबाद अजय सिंह के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक पंकज कुमार पाण्डेय के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दिनांक 17 जुलाई 2025 को देर रात करीब 9 बजे #गोरखपुर के #इंटरनेशनल बाटी-चोखा ढ़ाबे से सभी #गुमशुदा बच्चों को सकुशल बरामद किया।

घटना का विवरण:
दिनांक 17 जुलाई को उस्का खुर्द निवासी जोगेन्द्र यादव ने थाना कोतवाली खलीलाबाद में तहरीर दी थी कि उसका 12 वर्षीय पुत्र अनुराग यादव और उसके चार दोस्त आजाद (12 वर्ष), किशन (13 वर्ष), अनीष चौहान (12 वर्ष), युसुफ (13 वर्ष) दिनांक 16 जुलाई को दोपहर करीब 3 बजे से घर से लापता हैं। परिजनों ने काफी खोजबीन की लेकिन बच्चों का कुछ पता नहीं चला। तहरीर के आधार पर मुकदमा पंजीकृत कर पुलिस टीम ने त्वरित जांच शुरू की।

#पूछताछ में बच्चों ने किया खुलासा:
पुलिस पूछताछ में बच्चों ने बताया कि वे सभी मिलकर गुल्लक से पैसे निकालकर बिना किसी को बताए घूमने के इरादे से गोरखपुर चले गए थे। बच्चों ने बताया कि उन्होंने आपस में पैसे जोड़े और गोरखपुर घुमने की योजना बना ली थी।

#कोतवाली खलीलाबाद पुलिस ने मानवीय संवेदनशीलता दिखाते हुए बच्चों को सकुशल उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया है। पुलिस की तत्परता से परिजनों ने संतोष जताया और #संतकबीरनगर पुलिस का आभार प्रकट किया।

बरामदगी में शामिल पुलिस टीम में रहे शामिल:

प्रभारी निरीक्षक पंकज कुमार पाण्डेय

#उपनिरीक्षक अवधेश

हेड कांस्टेबल अनिल सिंह

हेड कांस्टेबल नुरुद्दीन

कांस्टेबल सत्येन्द्र सिंह

कांस्टेबल सतवंत सिंह

इस त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार मीना ने टीम की सराहना करते हुए उन्हें आवश्यक प्रोत्साहन देने की बात कही है।

*संतकबीरनगर: ग्राम चौपाल में प्रशासन ने सुनी जनता की आवाज, योजनाओं की जमीनी हकीकत पर टिकी डीएम की पैनी नजर -*
16/07/2025

*संतकबीरनगर: ग्राम चौपाल में प्रशासन ने सुनी जनता की आवाज, योजनाओं की जमीनी हकीकत पर टिकी डीएम की पैनी नजर -*

संतकबीरनगर। जिले के विकासखंड सांथा के ग्राम पंचायत अतरी नानकार सोमवार को एक अनूठी तस्वीर का गवाह बना, जहां जिलाधि....

14/07/2025

मेंहदवाल में भैरहवा आई हॉस्पिटल का विधायक अनिल त्रिपाठी ने किया भव्य उद्घाटन

 #संतकबीरनगर में अंतरजनपदीय  #पुलिस खेल प्रतियोगिता का भव्य समापन, उत्कृष्ट योगदान देने वाले पुलिसकर्मी हुए सम्मानित।   ...
13/07/2025

#संतकबीरनगर में अंतरजनपदीय #पुलिस खेल प्रतियोगिता का भव्य समापन, उत्कृष्ट योगदान देने वाले पुलिसकर्मी हुए सम्मानित। #पुलिस

#संतकबीरनगर। जिले के रिजर्व पुलिस लाइन्स परेड ग्राउंड में आयोजित गोरखपुर जोन की द्वितीय अंतरजनपदीय पुलिस #कबड्डी और क्लस्टर खो-खो प्रतियोगिता (महिला/पुरुष) वर्ष 2025 का समापन समारोह रविवार को गरिमामयी वातावरण में संपन्न हुआ। प्रतियोगिता के अंतिम दिन पुलिस #उपमहानिरीक्षक, बस्ती #परिक्षेत्र एवं पुलिस अधीक्षक संतकबीरनगर की संयुक्त उपस्थिति में उन अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।

समापन समारोह के दौरान #खेल भावना, #अनुशासन और #संगठन की उत्कृष्ट मिसाल पेश करने वाले प्रतिभागियों के साथ-साथ आयोजन की पृष्ठभूमि में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिस बल के सदस्यों को #प्रशस्ति पत्र देकर #सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके समर्पण और #कार्यकुशलता का प्रमाण था, बल्कि यह आने वाले समय में दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

पुलिस खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन का उद्देश्य जहां पुलिसकर्मियों के बीच आपसी समन्वय, मानसिक एवं शारीरिक दृढ़ता को बढ़ावा देना है, वहीं यह मंच उन्हें अपनी खेल प्रतिभा को निखारने और प्रदेश स्तर पर पहचान दिलाने का भी अवसर प्रदान करता है। दो दिवसीय इस प्रतियोगिता में #गोरखपुर जोन के विभिन्न जनपदों की महिला व पुरुष टीमों ने भाग लिया और अपने उत्कृष्ट खेल प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

#पुलिस उपमहानिरीक्षक #बस्ती परिक्षेत्र ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएं पुलिसकर्मियों के बीच प्रतिस्पर्धात्मक भावना के साथ-साथ सौहार्द और टीम भावना को भी सशक्त करती हैं। उन्होंने आयोजन में शामिल सभी अधिकारियों, कोच, रेफरी, एवं व्यवस्थापकों की सराहना करते हुए कहा कि इतनी भव्यता और अनुशासन के साथ खेल आयोजन कराना निश्चित रूप से गर्व का विषय है।

वहीं #पुलिसअधीक्षक संतकबीरनगर ने आयोजन को सफल बनाने में लगे सभी पुलिसकर्मियों की सराहना करते हुए कहा कि संतकबीरनगर पुलिस सिर्फ #कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और शारीरिक विकास के आयामों में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि भविष्य में भी जिले में इस प्रकार के आयोजनों को बढ़ावा दिया जाएगा।

समापन #समारोह के दौरान खेल प्रतिभागियों में गहरी उत्सुकता और गर्व का भाव देखा गया। पुलिस बल के भीतर ऐसे आयोजन न केवल एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण करते हैं, बल्कि सेवा में लगे जवानों के मनोबल को भी ऊँचाई प्रदान करते हैं। प्रतियोगिता के समापन के साथ ही सभी प्रतिभागियों और अधिकारियों ने एकजुट होकर सामूहिक फोटो सेशन में भाग लिया और इस आयोजन को यादगार बना दिया।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधिकारीगण, विभिन्न जनपदों से आए खेल प्रतिनिधि, कोच, स्थानीय पुलिसकर्मी तथा आमजन भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। आयोजन के अंत में सभी ने संतकबीरनगर पुलिस की मेज़बानी की भूरी-भूरी प्रशंसा की।

Address

Khalilabad

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Mission Sandesh posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Business

Send a message to Mission Sandesh:

Share