
08/04/2025
अमर शहीद मंगल पांडेय: जिनकी एक चिंगारी ने स्वतंत्रता की मशाल जलाई
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में 8 अप्रैल एक विशेष दिन है, जब 1857 में मंगल पांडेय को ब्रिटिश सरकार ने फाँसी दी थी। उनका साहसिक कदम भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहले संगठित विद्रोह का प्रतीक बना, जिसे ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ कहा जाता है।
जब भारत अंग्रेजों की दासता की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तब एक ऐसे सपूत ने जन्म लिया जिसने साम्राज्यवाद की नींव को पहली बार झकझोर दिया। वह सपूत थे अमर शहीद मंगल पांडेय, जिनका नाम आज भी हर भारतीय के हृदय में गर्व और प्रेरणा का संचार करता है।
मंगल पांडेय का जन्म 30 जनवरी 1831 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गाँव में हुआ था। वह बचपन से ही साहसी, देशप्रेमी और आत्मगौरव से ओतप्रोत थे। 1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, और इसकी चिंगारी मंगल पांडेय के विद्रोह से सुलगी। उस समय, ब्रिटिश सेना में नई एनफील्ड राइफलें पेश की गई थीं, जिनके कारतूसों को मुँह से काटना पड़ता था। इन कारतूसों पर गाय और सुअर की चर्बी लगी होती थी, जो हिंदू और मुस्लिम दोनों सैनिकों की धार्मिक भावनाओं के खिलाफ था। मंगल पांडेय ने इस अपमानजनक व्यवहार का विरोध किया।
29 मार्च 1857 को बैरकपुर छावनी में, मंगल पांडेय ने ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह किया। उन्होंने सार्जेंट मेजर जेम्स हेवसन और लेफ्टिनेंट हेनरी बाग पर हमला किया। हालांकि, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल 1857 को फाँसी दे दी गई। प्रत्येक वर्ष की भाति इस वर्ष भी पैतृक आवास पर कार्यक्रम आयोजित हुआ। बहुत वर्षों बाद इस कार्यक्रम में शामिल हुआ। मुझे गर्व है कि मैं उनका प्रपौत्र हूँ।
कृतज्ञ राष्ट्र आपका ऋणी है।
भावभीनी श्रद्धांजली🙏