08/08/2024
1- (सतीश सब्बरवाल) देश का सबसे बड़ा बूचड़खाना जिसमें बीफ उत्पाद और निर्यात होता है, तेलंगाना के मेडक ज़िले में रूद्रम गांव में है तक़रीबन 400 एकड़ में फैले इस बूचड़खाने के मालिक सतीश सब्बरवाल हिन्दू हैं। सब्बरवाल यह बूचड़खाना (अल कबीर एक्स्पोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) के नाम से चलाते हैं। मुंबई के नरीमन प्वॉइंट स्थित मुख्यालय से मध्य-पूर्व के कई देशों को बीफ़ निर्यात किया जाता है।
यह भारत का सबसे बड़ा बीफ़ निर्यातक भी है और मध्य-पूर्व के कई शहरों में इसके दफ़्तर हैं। अल कबीर के दफ़्तर दुबई, अबू धाबी, क़ुवैत, ज़ेद्दा, दम्मम, मदीना, रियाद, खरमिश, सित्रा, मस्कट और दोहा में हैं। अल कबीर का सालाना लगभग कारोबार लगभग 650 करोड़ रुपये से ऊपर है।
2- (सुनील कपूर) ये अपना बूचड़खाना (अरेबियन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लमिटेड) नाम से चलाते हैं। मालिक सुनील कपूर है। इसका मुख्यालय मुंबई के रशियन मैनशन्स में है। कंपनी बीफ़ के अलावा भेड़ के मांस का भी निर्यात करती है। इसके निदेशक मंडल में विरनत नागनाथ कुडमुले, विकास मारुति और अशोक नारंग हैं।
3- (मदन एबट) ये अपना बूचड़खाना (एमकेआर फ़्रोज़न फ़ूड एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) के से चलाते हैं। कंपनी का मुख्यालय दिल्ली में है। एबट कोल्ड स्टोरेजेज़ प्राइवेट लिमिटेड का बूचड़खाना पंजाब के मोहाली ज़िले के समगौली गांव में है। इसके निदेशक सनी एबट हैं।
4- (सुनील सूद) अपना बूचड़खाना (अल नूर एक्सपोर्ट्स) के नाम से चलाते हैं। इस कंपनी का दफ़्तर दिल्ली में है। लेकिन इसका बूचड़खाना और मांस प्रसंस्करण संयंत्र उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़रनगर के शेरनगर गांव में है। इसके अलावा मेरठ और मुबई में भी इसके संयंत्र हैं। इसके दूसरे पार्टनर अजय सूद हैं। इस कंपनी की स्थापना 1992 में हुई और यह 35 देशों को बीफ़ निर्यात करती है।
5- (ओपी अरोड़ा) ये अपना बूचड़खाना (एओवी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटे) नाम से चलाते हैं। इनका बूचड़खाना उत्तर प्रदेश के उन्नाव में है। इसका मांस प्रसंस्करण संयंत्र भी है। इसके निदेशक ओपी अरोड़ा हैं। यह कंपनी साल 2001 से काम कर रही है. यह मुख्य रूप से बीफ़ निर्यात करती है। कंपनी का मुख्यालय नोएडा में है। अभिषेक अरोड़ा एओवी एग्रो फ़ूड्स के निदेशक हैं। इस कंपनी का संयंत्र मेवात के नूह में है।
6- (कमल वर्मा) ये अपना बूचड़खाना (स्टैंडर्ड फ़्रोज़न फ़ूड्स एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड) के नाम से चलाते हैं। इसके निदेशक कमल वर्मा है और इस कंपनी का बूचड़खाना और सयंत्र उत्तर प्रदेश के उन्नाव के चांदपुर गांव में है। इसका दफ्तर हापुड़ के शिवपुरी में है।
7- (एस सास्ति कुमार) ये अपना बूचड़खाना (पोन्ने प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट्स) के नाम से चलाते हैं। यह कंपनी बीफ़ के अलावा मुर्गी के अंडे और मांस के व्यवसाय में भी है।
8- (राजेन्द्रन) ये अपना बूचड़खाना (अश्विनी एग्रो एक्सपोर्ट्स) के नाम से चलाते हैं। इनका बूचड़खाना तमिलनाडु के गांधीनगर में है। कंपनी के निदेशक के राजेंद्रन धर्म को व्यवसाय से बिल्कुल अलग रखते हैं। वे कहते हैं, "धर्म निहायत ही निजी चीज है और इसका व्यवसाय से कोई ताल्लुक नहीं होना चाहिए।"
9- (सन्नी खट्टर) ये अपना बूचड़खाना (महाराष्ट्र फ़ूड्स प्रोसेसिंग एंड कोल्ड स्टोरेज) के नाम से चलाते हैं। सन्नी खट्टर का भी यही मानना है कि धर्म और धंधा अलग अलग चीजें हैं और दोनों को मिलाना ग़लत है। वो कहते हैं, "मैं हिंदू हूं और बीफ़ व्यवसाय में हूं तो क्या हो गया? किसी हिंदू के इस व्यवसाय में होने में कोई बुराई नहीं है। मैं यह व्यवसाय कर कोई बुरा हिंदू नहीं बन गया।" इस कंपनी का बूचड़खाना महाराष्ट्र के सतारा ज़िले के फलटन में है।
10- (राजेश स्वामी) ये अपना बूचड़खाना (कनक ट्रेडर्स) के नाम से चलाते हैं। इसके प्रोप्राइटर राजेश स्वामी ने कहा, "इस व्यवसाय में हिंदू-मुसलमान का भेदभाव नहीं है। दोनों धर्मों के लोग मिलजुल कर काम करते हैं। किसी के हिंदू होने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।"
इसके अलावा असँख्य और भी हैं। उनके बूचड़खाने के अतिरिक्त निर्यात, व्यवसाय जरूर करते हैं। केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की संस्था कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) से मंजूर देश में लगभग 74 बूचड़खाने सरकारी संरक्षण में जमकर चल रहे हैं।
अब बात इतनी सी है कि फल विक्रेता, होटल मालिक सबके नाम सार्वजनिक होने में कोई बुराई नहीं लेकिन जिस गाय को मां का दर्जा देने और इतना झगड़ा, फसाद होने की वजह है उसके बारे में भी लोगों को बताना चाहिए कि नहीं? चंदे से लेकर धंधे तक सब सार्वजनिक होना ही चाहिए क्योंकि यह कोई छोटी–मोटी बात तो नहीं हो सकती है शायद? बाकि आप भी मार्गदर्शन जरूर करें।